6 घंटे के सफर के बाद नेहा आखिरकार मेडिटेशन कैंप पहुँच गई। कैंप पहुँचते-पहुँचते अंधेरा हो चुका था। नेहा ने अपनी कार पार्क की और अंदर जाने के लिए जल्दी से चलने लगी। उसकी नज़र पार्किंग एरिया पर पड़ी और अचानक वह एक बाइक के पास रुक गई। ये वही स्पोर्ट्स बाइक थी जो रास्ते में नेहा को दिखाई दी थी। नेहा बाइक को देखकर उस जाने-पहचाने से आदमी के बारे में सोचने लगी। उसने बाइक को ध्यान से देखा, लेकिन तुरंत ही उसने नज़रें हटा लीं।
नेहा (खुद से): “किसी की भी हो, मुझे क्या फर्क पड़ता है?”
अब शाम से रात होने वाली थी, नेहा तुरंत अपना सामान उठाकर अंदर मेडिटेशन कैंप की ओर चली गई। नेहा ने कैंप के रिसेप्शन पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन शुरू किया। रिसेप्शन एरिया पर माहोल बड़ा खुशनुमा था, हर जगह लोगों के चेहरे पर एक मुस्कान थी।
नेहा ने एक गहरी साँस ली और रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस में लग गई। वहाँ की लेडी रिसेप्शनिस्ट ने उसे फॉर्म भरने को दिया और उसे कैंप की डिटेल्स समझाईं। नेहा ने ध्यान से सब सुना और फॉर्म भर दिए। मेडिटेशन कैंप के नियमों के अनुसार, नेहा को अपना मोबाइल फोन रिसेप्शन पर जमा करना था। कैम्प का ये नियम नेहा को थोड़ा अटपटा लग रहा था, पर इतने दूर का सफर तय करने के बाद अब नेहा बिना कैंप attend किए तो वापस नहीं जाती। नेहा अपना मोबाइल स्विच ऑफ करके रिसेप्शन पर जमा कर देती है।
फॉर्म भरने के बाद नेहा ने एक कदम पीछे लिया, तभी अचानक वह किसी से टकरा गई। उसने मुड़कर देखा तो एक लंबा और मस्कुलर आदमी उसके सामने खड़ा था।
नेहा: “ओह, आई एम सॉरी!”
आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा, “इट्स ओके, कोई बात नहीं।”
नेहा ने एक सेकंड के लिए उसकी ओर गौर से देखा। उसे लगा जैसे उसने इस आदमी को पहले कहीं देखा है। आदमी ने उसकी ओर फ्रेंडली अंदाज़ में देखा, जैसे वह बात आगे बढ़ाना चाहता हो, लेकिन नेहा को यहाँ दोस्ती करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। उसने धीरे से सिर हिलाया और वापस रिसेप्शन की ओर मुड़ गई। नेहा इस मेडिटेशन कैंप में खुद को खोजने आई थी, वो दोस्ती में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी। नेहा ने रिसेप्शन से अपने कमरे की चाबी उठाई और उस आदमी को नज़रअंदाज करते हुए अपने कमरे की ओर चली गई।
नेहा को दो लड़कियों के साथ अपना कमरा शेयर करना था। जब वह कमरे में पहुंची, तो देखा कि उसकी रूममेट्स पहले से ही वहां थीं। नेहा ने उन्हें हल्के से मुस्कुरा कर हाए बोला और अपना सामान खोलने लगी।
उसकी रूममेट्स किसी लड़के के बारे में बात कर रही थीं। वे उसकी तारीफ कर रही थीं और काफी खुश लग रही थीं। नेहा ने उनकी बातें सुनीं, लेकिन वह चुपचाप अपना काम करती रही।
एक रूममेट कह रही थी कि रजिस्ट्रेशन एरिया में एक बहुत हैडसम सा लड़का था। दूसरी रूममेट उसकी मुस्कान को फिल्मी हीरो की मुस्कान से कंपेयर कर रही थी।
नेहा को उनकी बातें सुनकर थोड़ा अजीब लगा, क्योंकि उसे भी वह लड़का जाना-पहचाना लग रहा था। वो समझ गई कि, वो उसी लड़के की बात कर रही थीं, जिससे वह रिसेप्शन पर टकराई थी।
नेहा कुछ देर उस लड़के के बारे में सोचने लगी। उसे उसकी मुस्कान और दोस्ताना अंदाज याद आया। लेकिन उसने जल्दी ही खुद को रोका और अपना ध्यान वापस सामान रखने में लगा लिया और खुद से मन ही मन कहने लगी।
नेहा (खुद से): “मैं यहाँ खुद को खोजने आई हूँ, किसी से दोस्ती करने नहीं।”
नेहा ने अपने मन से उस अजनबी को निकालने की कोशिश की, लेकिन उसकी मुस्कुराहट और उसका जाना-पहचाना लुक बार-बार नेहा को याद आ रहा था। नेहा अपने बिस्तर पर आँख बंद करके सोने की कोशिश करने लगी, बहुत देर कोशिश करने के बाद भी नींद न आने पर वो नींद की गोली लेकर सोने चली गई।
अगली सुबह नेहा की नींद चिड़ियों की चहचहाहट से खुलती है। कमरे की खिड़की से हल्की धूप आ रही थी।
नेहा खिड़की पर जाकर खड़ी होकर बाहर देखने लगी। रात होने की वजह से नेहा कल कुछ नहीं देख पाई थी। बाहर ठंडी हवा बह रही थी। कैंप के आसपास लगे हरे-भरे पेड़ नेहा को एक अलग सुकून दे रहे थे। नेहा को यहाँ की शांति और सुकून काफी अच्छी लग रहे थे।
नेहा थोड़ी देर वहाँ खड़ी रहने के बाद मेडिटेशन के लिए बाहर चली जाती है। नेहा के रूममेट्स पहले ही कमरे से निकल चुके थे। मेडिटेशन कैंप के बाद नेहा बाहर खुले गार्डन एरिया में बैठी थी। वहाँ का माहौल शांत और सुकूनभरा था, और नेहा नेचर का आनंद ले रही थी। अचानक उसकी नजर सामने बैठे उसी आदमी पर गई। वो नेहा की तरफ़ लगातार देख रहा था और मुस्कुरा रहा था। नेहा ने एक हल्की मुस्कान दी और वापस अपनी दुनिया में खो गई।
थोड़ी देर बाद, नेहा ने महसूस किया कि वो आदमी बार-बार उसकी तरफ़ देख रहा है। नेहा ने पहले तो इग्नोर किया, लेकिन धीरे-धीरे उस आदमी का नेहा की तरफ़ लगातार देखना और लगातार मुस्कुराना नेहा को अजीब लगने लगा। उसे आदमी कहीं देखा हुआ लग रहा था, लेकिन फिर भी उसकी लगातार मुस्कुराहट नेहा को अनकम्फर्टेबल कर रही थी।
शाम तक, नेहा अब पूरी तरह इरिटेटेड महसूस करने लगी थी। नेहा को उस आदमी से सीधे बात करने का मन नहीं था, लेकिन अब वो और नहीं सह सकती थी। आखिरकार नेहा ने डिसाइड किया कि उसे इस बारे में कुछ करना चाहिए। नेहा बहुत देर सोचने के बाद फाइनली मेडिटेशन कैंप के ऑर्गनाइजर्स से शिकायत करने का फैसला करती है।
नेहा सीधे मेडिटेशन कैंप के ऑर्गनाइज़र्स के पास गई और उस आदमी के बारे में शिकायत की। नेहा ने आराम से सब बताया और कहा कि उसे उस आदमी का नेहा को देखकर बार-बार मुस्कुराना अजीब लग रहा था।
कुछ देर बाद, ऑर्गनाइज़र्स ने उस आदमी को बुलाया और उसे नेहा की प्रॉब्लम के बारे में बताया। नेहा ने उसकी ओर देखा और तुरंत मुँह फेर लिया। वो आदमी अभी भी नेहा की ओर देखकर मुस्कुरा रहा था।
नेहा (खुद से): "निहायती बदतमीज़ लड़का है ये।"
नेहा की शिकायत सुनते ही वो आदमी हँसने लगा। उसकी इस अचानक हँसी से नेहा और इरिटेट हो गई।
नेहा- (गुस्से में बोली)- "एक्सक्यूज़ मी! आपको इतनी हँसी क्यों आ रही है? मेरी प्रॉब्लम आपको मजाक लग रही?"
आदमी ने अपनी हँसी थोड़ी कंट्रोल करते हुए जवाब दिया, "मुझे माफ करना, लेकिन मुझे तुम्हारी शिकायत सुनकर थोड़ा अजीब लगा। मुझे लगा था कि तुम मुझे पहचान रही हो और बस गुस्सा हो।"
नेहा: "क्या मतलब? मैं क्यों जानूँगी तुम्हें? और गुस्सा, किस बात का गुस्सा?"
वो आदमी मुस्कुराते हुए अचानक से नेहा के बगल में आकर खड़ा हो गया।
आदमी: “अरे नेहा, क्या तुम मुझे सच में नहीं पहचान रही?”
नेहा- (कंफ्यूजन में) “नहीं, और मुझे जानने की ज़रूरत भी नहीं है। तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?”
आदमी (मुस्कुराते हुए), “अरे नेहा, मैं रोहित हूँ। तुम्हारा पुराना दोस्त! याद नहीं? हम कॉलेज में साथ थे।”
नेहा ये सुनते हीं थोड़ी हैरान रह गई। अभी कुछ दिन पहले ही संजू और नेहा रोहित के बारे में बात कर रहे थे और अब कॉलेज खत्म होने के 10 साल बाद नेहा का अचानक से रोहित से मिलना क्या महज इत्तेफाक है या फिर संजू का प्लान?
नेहा (embarrassed )- “ओह माई गॉड, रोहित! तुम? तुम इतने बदल कैसे गए? मैंने तुम्हें पहचाना ही नहीं।”
रोहित (हँसते हुए )- “अरे हाँ, थोड़ा बदल तो गया हूँ, पर तुम बिल्कुल भी नहीं बदली। गुस्सा एकदम नाक पर ही रहता तुम्हारे? तुम्हें मेरे बार-बार देखने और मुस्कुराने से इरिटेशन हो रही थी?”
नेहा (थोड़ा ऑकवर्ड महसूस करते हुए )- ““हाँ, मुझे लगा कोई अजीब सा आदमी है जो बस मुझे देख रहा है। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि ये तुम हो।”
रोहित: “हाँ थोड़ा अजीब तो है.”
दोनों एक-दूसरे को देखकर हँसने लगे, और उनके बीच कॉलेज की यादों की बातें शुरू हो गईं। नेहा और रोहित अब कैंप के गार्डन में बैठकर बातें कर रहे थे। इतने सालों बाद अचानक से उसे देखना, वो भी इस मेडिटेशन कैंप में, नेहा को थोड़ा अजीब लग रहा था। नेहा को अब कॉलेज की वो सारी बातें याद आने लगीं, जिन्हें वो भूल गई थी।
रोहित को उसके दोस्तों का उसे डेयर देने का किस्सा याद आया और रोहित का बीच कैंपस ग्राउंड में नेहा के सामने अपनी फीलिंग्स का इज़हार करना, नेहा को अब सब याद था। नेहा को वो दिन अब भी अच्छी तरह याद था। रोहित ने उसकी ओर देखा और धीरे से अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस की थी। रोहित की बात सुनकर नेहा उस वक्त एकदम शॉक्ड रह गई थी। वो कुछ कह ही नहीं पाई थी और बस मुस्कुरा कर वहाँ से चली गई थी। इसके बाद, दोनों की बातचीत कुछ कम हो गई थी, और फिर कॉलेज खत्म होते ही दोनों ने कभी कांटेक्ट में रहने की कोशिश ही नहीं की।
अब, सालों बाद उसी रोहित को यहाँ देख कर नेहा थोड़ी कंफ्यूज़्ड और सोच में थी। आखिर वो यहाँ मेडिटेशन कैंप में क्यों आया था? क्या ये सब बस महज़ एक इत्तेफाक था?
नेहा ( curiosity में )- , “रोहित, तुम यहाँ मेडिटेशन कैंप में कैसे आ गए? तुम तो ऐसे कैंप्स में इंटरेस्ट नहीं रखते थे।”
रोहित (हल्का मुस्कुराते हुए): “हाँ, तुम सही कह रही हो। सच कहूँ तो मेरी लाइफ में बहुत कुछ बदल गया है। सोचा, एक ब्रेक ले लूँ और कुछ इनर पीस ढूँढने की कोशिश करूँ। वैसे तुम यहाँ कैसे आई?”
नेहा (मुस्कान के साथ): लाइफ के काम, भागदौड़ में खुद को कहीं खो दिया था, तो सोचा एक ब्रेक लिया जाए और खुद को थोड़ा टाइम दिया जाए।”
रोहित ( थोड़े hesitation )- , “नेहा, एक बात पूछूँ?”
रोहित के अचानक इतने सीरियस होने पर नेहा (सिर हिलाते हुए)- “हाँ, पूछो।”
रोहित (थोड़ा सीरियस होकर): “क्या तुम्हें कॉलेज का वो ग्राउंड वाला दिन याद है?”
नेहा एकदम शांत हो गई। वह अब रोहित से आँखें नहीं मिला पा रही थी। उस दिन जब वह मुस्कुराकर ग्राउंड से चली गई थी, तब रोहित ने नेहा की आँखों में प्यार नहीं देखा था। क्या आज भी नेहा की आँखों में वही प्यार है? अगर हाँ, और रोहित ने यह देख लिया, तो वह क्या सोचेगा? नेहा शादीशुदा है, क्या नेहा दोबारा रोहित का प्यार अपना पाएगी…या शादीशुदा होने की वजह से फिर कोई फैसला नहीं ले पाएगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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