"होश आ गया तुम्हें।'
'श... श... शायद आप इंस्पेक्टर मोना के मंगेतर हैं।'
'इंस्पेक्टर मोना इस वक्त कहां होंगी?"
'भ... भला म... म मुझे क्या मालूम?'
'हुं, तुम्हारे ऊपर ब्लैक वुल्फ ने हमला किया था?'
"ज... ज... जी हां, वरना क्या मैं पागल थी जो चिल्लाती।"
'और मोना कपूर उस ब्लैक वुल्फ के पीछे गई थीं।'
"ज ज जी हां, आपके सामने ही।
'और तुम ब्लंक वुल्फ के हमले से बच गई थीं?'
'जी हां, मैं तत्काल चिल्ला पड़ी थी न – इसलिए वह भाग निकला।'
'और मोना कपूर को अपने साथ ले गया।'
'क... क... क्या मतलब ?"
"मोना कपूर का रिवाल्वर रेत पर मिला उन्हें जाल में बांधकर खींचकर एक गाड़ी तक ले जाया गया और गाड़ी में डालकर अपहरण कर लिया गया।"
'न... न... नहीं।'
'जब मैं वापस होटल पहुंचा तो तुम वहां से गायब थीं।
'व... व वह तो सभी ग्राहक भाग निकले थे।'
'जबकि तुम्हें मालूम था कि अब तुम इंस्पेक्टर मोना कपूर की सुरक्षा में हो।'
'वे जब खुद ही भेड़िए के हाथ लग गई तो भला मुझे कैसे बचातीं।'
‘और तुम किसी कानूनी कार्यवाही के बिना वहां से मेरी चापसी से पहले ही भाग निकलीं, अभी तुमने पब्लिक टेली फोन बूथ से उन लोगों को फोन किया था जिनके लिए तुमने यह नाटक किया था।’
'न... न नाटक, आपको समझने में भूल हुई जनाब।'
'अच्छी बात है, अब तुम अपनी भूल की ही शिकार होओगी।'
'क... क क्या मतलब?'
'मैं तुम्हें बेहोश करके अगली सीट पर बिठाए देता हूं। अगर गाड़ी किसी बिजली के खम्भे से टकरा जाए तो क्या परिणाम निकलता है? तुम्हें सरस्वती स्कूल की प्रिंसिपल की दुर्गति का पता ही होगा।' औरत ने लरजकर कहा।
'नहीं-नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।'
'कौन रोकने वाला है मुझे यहां। क्या तुम में इतनी शक्ति या साहस है?"
'म... म मैं शोर मचा दूंगी।'
‘हाँ, मचाओ।'
सूरज ने उसकी गर्दन पर दबाव डालकर कहा- 'विवश होकर मुझे तुम्हारी जान ही लेनी पड़ेगी। अगर लाश गाड़ी के साथ जल जाए तो कोई क्या समझेगा कि मरने वाला आग लगने से पहले मर चुका था?"
औरत का दम घुटने लगा था। उसने बिलबिलाकर फंसी सी आवाज में कहा– 'छ... छ छोड़िए, म... म मुझे छोड़िए।'
'सिर्फ पन्द्रह संकण्ड की मोहलत-मैं ज्यादा देर नहीं ठहर सकता।'
ब... ब बताती हूं-बताती हूं।'
सूरज ने जकड़ थोड़ी-सी ढीली की और बोला, 'अब जल्दी बता चलो। "मम मैं तो एक पेशेवर सोसायटी गर्ल हूं ।’
'अच्छा फिर?'
'मुझ हायर किया गया था इस नाटक के लिए।'
'किसने हायर किया था?"
'म म मैं नहीं जानती।' सूरज ने फिर दबाव डाला और दहाड़कर बोला — 'फिर उड़ने लगीं।'
औरत ने बिलबिलाकर कहा– 'म.. म... मैं सच कहती हूँ।
‘कहां हायर किया था ?'
'मैं मैडोना वकिंग गर्ल्स होस्टल में रहती हूं ।'
'ओहो '
सूरज के मस्तिष्क में सीटी-सी बजी। औरत ने कहा- ‘एक दूसरे दर्जे के होटल में दिन की शिफ्ट में काऊंटर गर्ल का कार्यभार निभाती हूं। आठ बजे से रात चार बजे तक धन्धा करती हूं। आमदनी का आधा भाग मैडम मैडोना को चला जाता है।’
'क्या नाम है तुम्हारा?"
‘गरेसी, गरेसी परेरा।'
'कौन से होटल में काम करती हो?"
गरेसी ने होटल का नाम बताया। सूरज ने पूछा "तुम्हें किस तरह हायर किया गया था?"
"कभी-कभी हमें रात के अंगेजमेंट की खबर होस्टल पर ही मिल जाती है- आज भी होस्टल पर ही खबर मिली थी कि होटल सेवन स्टार में ग्यारह नम्बर का टेबल पर जो भी मिलेगा। उसने मुझे आज रात के लिए एन्गैज किया है।'
"अच्छा।'
'मेरे लिए बड़ी खशी और हैरानी की बात थी, क्योंकि मैं अब भला होटल सेवन स्टार के योग्य कहां? मुझे मैडम मंडोना ने ही यह गाड़ी भी दी थी।'
'तुमने होटल आकर तो अपने ग्राहक को देखा होगा।'
'नहीं, 'क्यों?'
'होटल मैं सात बजे पहुंच गई थी— साढ़े सात बजे मुझे वेटर ने बताया कि मेज नम्बर ग्यारह के लिए कॉल है। मैंने जब केबिन में कॉल रिसीव की तो मुझे निर्देश मिला कि मैं इस प्रकार का नाटक तब करूं जब इंस्पेक्टर मोना वहां पहुंच जाएं और उसके लिए मेरा पारिश्रमिक डबल करके मैडोना भेज दिया जाएगा।
'कॉल करने वाला कौन था? मर्द या औरत?"
'कोई मर्द ही था— असफलता पर मेरे अन्त को भी धमकी दी गई थी।'
फिर?"
'मुझे आदेश था कि मैं अवसर मिलते ही खिसक लूं -कभी सेवन स्टार या फाइव स्टार होटलों में नहीं गई—इसलिए बाद में कोई पहचान लेगा इसका सवाल ही नहीं था।'
“और वहां से निकलकर तुमने टेलीफोन पर किससे क्या कहा था?"
'मैंने मैडम मैडोना को खबर दी थी कि काम हो गया है।‘
'यह खबर तुम होस्टल पहुंचकर भी दे सकती थीं?'
"मुझे आज रात से चार-पांच दिन उस होस्टल में नहीं रहना था।'
‘फिर कहां रहतीं?"
'जहां सर्विस करती हूं।'
“ओर यह ऑस्टिन?"
'यह होटल से ही मैडोना का कोई आदमी ले जाता।'
'हुं, इसका मतलब है मैडोना उस आदमी को जानती होगी।’
‘जिसने इंस्पेक्टर मोना का अपहरण किया है?'
'शायद।'
सूरज उसकी आंखों में घूरता रहा, फिर बोला- ‘तुम्हें विश्वास है कि तुम जो कुछ अब तक बता चुकी हो सच होगा?"
'द... द... देखिए, साहब! जान किसको प्यारी नहीं होती।‘
"और मौत के साए में कभी कोई झूठ नहीं बोलता।'
कुछ देर बाद सूरज ने कहा- 'ठीक है, अब तुम मैडोना की स्कीम पर चलो।'
'ल... ल लेकिन साहबI वह बड़ी अत्याचारी औरत है। अगर उसे शक भी हो गया कि मैंने किसी को कुछ बताया है तो वह मुझे बड़ी भयानक सजा देगी।'
'कैसी सजा?'
'पूरा चेहरा तेजाब से बिगड़वा देती है या फिर ऐसी जगह तेजाब डालती है कि औरत कभी मर्द के करीब ही न जा सके।'
'ओहो।'
'अब आप मुझे पुलिस के हवाले कर दीजिए।'
'नहीं, तुम्हें होटल में ही रहना है कोई खतरा महसूस करो तो तुरन्त अपने सबसे ज्यादा करीब के पुलिस स्टेशन पहुंच जाना।'
सूरज ने उसकी गर्दन छोड़ी और फिर कुछ सोचकर बोला- 'उस मर्द की आवाज का कुछ रंग-ढंग बता सकती हो?’
'वह शायद आवाज बदलकर बोल रहा था— फिर भी शायद उसे जुकाम था - बार-बार वह नाक से शू-शू की आवाज 'निकालता था।'
'अच्छा ठीक है।'
सूरज गाड़ी से उतर आया। उसका मस्तिष्क बुरी तरह उलझा हुआ था और उतना ही ज्यादा दिल, भी बेचैन था। वह कुछ देर तक वहीं खड़ा रहा। ऑस्टिन उसके सामने ही स्टार्ट होकर कुछ लहराती हुई-सी चली गई। फिर उसने सोचा और सबसे निकटवर्ती पब्लिक टेलीफोन बूथ तक उसे पैदल चलना पड़ा।
मैडोना होस्टल के नम्बर डायल करके उसने रिसीवर कान से लगा लिया। दूसरी तरफ से आवाज आते ही उसने जल्दी सिक्का डाला और नाक से शुं की आवाज निकालकर बोला- "हैलो, मैडोना ! शुं शुं ।'
दूसरी तरफ से आवाज आई- 'यस सर ! इट इज मैडोना।'
'शू-शू, इंस्पेक्टर मोना तो मर गई।'
"व्हाट"
'यहां लाश ठिकाने लगाने की भी जगह नहीं- शुं शुं।'
'सर! जगह क्यों नहीं, आपका पोल्टरी फार्म तो बहुत बड़ा है और फिर समुद्र तट से लगा हुआ ऊंचाई पर भी है- टुकड़े-टुकड़े करके समुद्र में फेंक दीजिए—मछलियां और कछु एक टुकड़ा भी नहीं छोड़ेंगे।'
"शुं तुम ठीक कहती हो।'
'लेकिन, सर! क्या वह?"
"शुं नहीं, बात करने से पहले ही शुं उसने कोई कैप्सूल निगल लिया था।'
'ओहो, बहुत बुरा हुआ सर।'
'खैर, अब बिलकुल खामोश रहो – फिलहाल मुझे फोन मत करना शुं शूं।'
‘यस सर।’
सूरज ने जल्दी से रिसीवर रख दिया, फिर कुछ सोचता रहा। फिर दूसरी बार जल्दी-जल्दी डायल घुमाया और रिसीवर कान से लगा लिया।
जल्दी ही आवाज आई- 'हैलो, होटल सेवन स्टार |'
सूरज ने पूछा—‘क्या कमिश्नर साहब आ चुके हैं?'
"जी हां, आप कौन हैं।'
"उन्हें तुरन्त लाइन पर बुलाओ, हरीअप!'
दूसरी तरफ सुनने वाला शायद बौखला गया था, सम्भवतः रिसीवर रखकर सरपट दौड़ा होगा। कुछ देर बाद ही रिसीवर पर आवाज आई-
'यस, कमिश्नर हीयर!'
‘कमिश्नर साहब! मैं एस० के० भाटिया हूं- मोना का मंगेतर।'
'ओहो, मिस्टर भाटिया! आप कहां हैं? इंस्पेक्टर मोना का कुछ पता चला?'
'शायद में जल्दी ही उन तक पहुंच जाऊंगा लेकिन मुझे पुलिस की भीड़ नहीं चाहिए- मुझे सिर्फ एक ऐसे पोल्टरी फार्म का पता चाहिए जो समुद्र के किनारे है और शहर में उससे बड़ा कोई दूसरा पोल्टरी फार्म नहीं।'
"क्या? आपको उसके बारे में कोई क्लू मिला है?"
'जी हां, प्लीज जल्दी कीजिए, समय कम है।'
'शहर में ऐसा एक ही पोल्टरी फार्म है।’
कमिश्नर ने उसका पता बताया तो सूरज कहा- 'धन्यवाद, अब आप मेरे फोन का वहीं इन्तजार कीजिए और मेरे आपके बीच क्या बात हुई है इसके बारे में अपने किसी मातहत को भी न बताइए।'
‘ओ० के०, लेकिन मैं मिर्स कपूर के लिए चिंतित हूं।' सूरज ने जवाब दिए बिना रिसीवर रख दिया। पब्लिक बूथ से तो निकल आया, लेकिन समस्या सवारी की थी। उसे मोटर साइकिल छोड़ने को भूल का क्षोभ था।
वह तेज-तेज कुछ दूर तक दौड़ा। एक ओपन एयर सिनेमा 'हॉल के पास उसे टैक्सियों की भीड़ नजर आई। शाम का शो अभी छटा नहीं था। इधर की टैक्सियां खाली ही खड़ी थीं। उनके ड्राईवर भी नहीं नजर आ रहे थे। गेट की तरफ के होटलों में चहल-पहल थी ।
सूरज एक टैक्सी में घुस गया। डेश बोर्ड के नोचे टटोलकर उसने तार झटके से खींचे। दो तारों को मिलाया और इंजन भर-भराकर स्टार्ट हो गया।
कुछ देर बाद ही टैक्सी सड़क पर फर्राटे भर रही थी। ड्राईवर के फरिश्तों को भी शायद ज्ञान नहीं होगा कि उसकी टैक्सी कौन ले भागा है।
मोना को होश आया तो उसने अपने सिर को जोर से झटका दिया। तत्कालिक रूप से उसका विवेक किसी शिकारी जंगली बिल्ली की तरह जाग उठा, मगर जल्दी ही उसे अपनी बेबसी का भी अहसास हो गया। वह अभी तक जाल में। फंसी हुई थी और जिस जगह भी थी, वह जगह न सिर्फ घुप्प अन्धेरी थी बल्कि मुर्गियों की बीट की गन्ध से उसका दिमाग घुटने लगा।
उसकी देह का जोड़-जोड़ फोड़े की तरह दुख रहा था। अचानक उसके कानों में किसी मर्द की आवाज पड़ी जो किसी से कह रहा था 'क्या अभी तक होश में नहीं आई?'
'नहीं, साहब! अगर होश आता तो कुछ तो बोलती।'
'हमारे पास ज्यादा समय नहीं है- उसे होश में लाओ किसी तरह।'
'साहब! उसे खोलना तो खतरे से खाली नहीं है।'
'शू ईडियट, एक औरत से डरते हो?"
'साहब! वह अपने विभाग में जंगली बिल्ली कहलाती है। उसे जानने वाले गुण्डे उसके नाम से ही कांप उठते हैं।' 'शूं, हमने क्या तुम्हें उनका गुणगान करने का पारिश्रमिक दिया है। शू, उसे खोलो और होश में लाओ।'
'ठीक है, साहब! लेकिन एक शर्त पर, हमारा एक आदमी मशीनगन लेकर तैयार रहेगा और उसके तेवर बदलते ही उसे भून डाला जाएगा।’
'बको मत, उस जंगली बिल्ली के हमारे मिलाप से कैसी सन्तान जन्म लेती है - हमें इसका परीक्षण भी करना है।
‘रोशनी करो।'
पहली आवाज आई- ‘आप अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए— लेकिन हम इस बा का खतरा मोल नहीं लेंगे कि वह जिन्दा बाहर निकल जाए मुझे तो शहर ही नहीं मुल्क छोड़कर भागना पड़ जाएगा।’
'शूं, रोशनी करो, बाद में तुम जो चाहो करना।'
मोना को एकदम शांति-सी मिल गई। अब वह बिलकुल बेहोश बन गई थी। उसे इस जाल से आजादी मिल जाती, उस के लिए यही बहुत था।"
अचानक उसके ऊपर इतनी लाइट पड़ी जैसे दिन निकल आया हो। मोना ने आंखों के झरोखों में से देखा, वह मुर्गी घर ही थी। रोशनी होते ही इस ओर के दर्बो से मुर्गियों के कुड़ फुड़ाने की आवाजे आन लगी थीं।
फिर किसी ने दूर से ही उसके ऊपर पानी फेंका। शायद पूरी बाल्टी भरा हुआ पानी था। लेकिन वह बेहोश ही बनी रही। किसी ने झुंझलाकर कहा- 'शुं, ईडियट, पहले उसे खोजा। तो शही। शुं, जब वह होश में आ जाएगी तो पास जाते हुए भी दम निकलेगा, शू।'
जवाब में कहा गया- 'साहब! हमने उसे यहां तक पहुंचाने का पारिश्रमिक लिया था— हमें आज्ञा दीजिए।’
एकदम भड़ककर कहा गया—— ‘शुं, किससे बात कर रहे हो।’
'स स साहब...!’
'यह लेडी इंस्पेक्टर तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगी— लेकिन हम तुम्हें जिन्दा समुद्र में फिकवा देंगे। शुं आगे बढ़कर खोलो उसे, शू।'
फिर मोना ने अधखुली आंखों से एक स्वस्थ व्यक्ति को देखा। जो बहुत सावधान होकर जाल की तरफ बढ़ रहा था। जाल के निकट पहुंचकर वह रुक गया और पहले उसने मोना को अच्छी तरह देखा भाला। दूसरी तरफ सन्नाटा छाया रहा।
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