सूरज कुछ न बोला । वैसे अब उसे अपने दिल पर बोझ कुछ कम महसूस हो रहा था। इतने में वेटर ने आकर आर्डर मांगा और मोना ने दो छोटे स्कॉच के पंगों का आर्डर दे दिया। फिर उसने इधर-उधर देखा और सूरज से बोली-

'ध्यान से देखो, यह वही होटल है जहां मिस वर्जीन और सिंघानी की अंगेजमेंट पार्टी की कितनी रौनक थी। अभी उस घटना को कितना समय बीता है? लेकिन यहां कैसा सन्नाटा सा है— ऐसा लगता है जैसे लोग एक दूसरे पर भी शक कर रहे हों।

 

वेटर ने आर्डर के पैग लाकर रखे और दोनों ने एक-एक घूंट लिया। अचानक किसी तरफ से एक औरत के तेज चीखने की आवाज सुनाई दी और सब लोग चौंक-चौंककर उधर आकृष्ट हो गए। औरत चिल्ला रही थी- 'बचाओ-बचाओ! ब्लैक वुल्फ ब्लैक वुल्फ।

मोना का हाथ अनायास अपने बगली होलस्टर पर गया जिसमें रिवाल्वर मौजूद था। वह और सूरज एक झटके के साथ खड़े हो गए।

दूसरी तरफ होटल के लॉन में भगदड़ मच गई थी। विशेष रूप से औरतें चीख-चोखकर भाग रहीं थीं और मर्द भी ह हुए नजर आ रहे थे। प्रबन्धकों की बौखलाहट देखने वाली थी; जैसे उनको समझ में ही न आ रहा हो कि क्या करें?

 

आवाज एक कराटा की बाड़ के पीछे से आ रही थी। लेकिन किसी में भी उस तरफ जाने का साहस नहीं था। मोना ने रिवाल्वर लेकर छलांग लगाई और कराटा की बाड़ को फलांग गई। जब उसके पांव जमीन पर टिके तो उसने एक औरत को घास पर तड़पते देखा जो चिल्लाती भी जा रही थी— 'बचाओ-बचाओ। ब्लैक वुल्फ ब्लैक वुल्फ।'

 

मोना ने उसे झिझोड़कर पूछा-'कहां है ब्लंक वुल्फ ?" औरत ने हांफते हुए समुद्र तट की तरफ इशारा करके कहा--- 'उधर, उधर गया है।'

मोना ने उसी समय सूरज को वहां पहुंचते देखा और बोली- 'इसे सम्भालो।'

फिर वह दो-तीन छलांगों में कम्पाऊंड वाल फलांगकर समुद्र तट पर पहुंच गई। लेकिन जैसे ही उसके पांव तट की रेत पर लगे। अचानक उसे अपने पैरों के नीचे किसी जाल की मौजूदगी का अहसास हुआ। इससे पहले कि मोना चौकन्नी होती, जाल बिजली की सी फुर्ती से सिकुड़ा और मोना बिलकुल गेंद बनकर रह गई। उसका रिवाल्वर पता नहीं किधर गिर गया और जाल तेजी से रेत पर खिचता चला गया। इतनी-सी भी गुंजाइश नहीं थी कि थोड़ा हाथ भी हिला सकती।

पता नहीं कहां उसे उठाकर किसी सामान की गठरी की तरह एक गाड़ी में फेंककर दरवाजा बन्द कर दिया गया और फिर गाड़ी चलने लगी।

मोना समझ गई थी कि वह जाल में फंस गई है । सूरज अब अच्छा चौकन्ना हो गया था। उसने चिल्लाने वाली औरत का बाजू पकड़कर उठाते हुए उसे धीरज बंधाने की मुद्रा में कहा- 'घबराओ मत, वह भाग गया है।'

औरत का शरीर थर-थर कांप रहा था। बाड़ के पीछे से सम्भवतः मैनेजर के चीखने की आवाज आई थी— 'क्या हुआ? कौन है वहां?"

 

सूरज ने भी ऊंची आवाज में जवाब दिया— 'कुछ नहीं सब ठीक है।'

'लेकिन वह ब्लैक?'

'उधर और कौन-कौन है?'

'खतरे की कोई बात नहीं।'

फिर उसने औरत के बाजू पर थपकी देकर कहा- 'इंस्पेक्टर मोना उसका पीछा कर रही है।"

"आप तो सुरक्षित है न? अचानक औरत फिर चीख पड़ी- ‘बचाओ बचाओ' ब्लेक वुल्फ! ब्लैक वुल्फ।’

 

सूरज औरत का बाजू पकड़कर उसे बाड़ के पीछे से रोशनी में खींच लाया और बोला- 'अपने आपको सम्भालिए, आपको कुछ नहीं हुआ।'

मैनेजर और अन्य कर्मचारी बड़ी दूर-दूर रहकर उन्हें घूर कर देख रहे थे और ग्राहक तो शायद होटल छोड़कर ही भाग गए थे । यहां अच्छी रोशनी थी। सूरज ने उस औरत को देखा। स्कर्ट, ब्लाउज पहने गन्दयी रंग की एक मोहक औरत थी। लेकिन अब वह भयभीत नहीं दिखाई दे रही थी।

सूरज ने औरत से कहा 'देखिए, आपके गाल पर ब्लैक दुल्फ का निशान भी नहीं है।

‘ज‘... ज... जी... जी हां ।' मैनेजर ने दूर से ही पूछा। 

'क्या इन मैडम पर ही ब्लैक वुल्फ ने हमला किया था?"

सूरज ने जवाब दिया 'जी हां, लेकिन आप लोग घबराइए मत, ये सुरक्षित हैं इंस्पेक्टर मोना ब्लैक बुल्फ के पीछे गई हैं।'

मैनेजर ने खिन्न स्वर में कहा- 'यह क्या हो रहा है? होटल एक मिनट में वीरान हो गया।'

सूरज ने ओरत से कहा – 'आपको धीखा तो नहीं हुआ था?'

 

औरत ने होंठों पर जीभ फेरकर कहा- 'नहीं, मैंने उसे अच्छी तरह पहचाना था। टी० वी०, पर अखबारों में उसके बड़े-बड़े फोटो देख चुकी हूं न।"

अचानक सूरज को ध्यान आया कि मोना अकेली गई है। और अब तक उसका कोई पता नहीं। उसने औरत को सम्बोधित करके कहा-

'आप वहां बैठकर दम लीजिए- मैं आता हूं।' फिर सूरज तेजी से समुद्र तट पर आया। लेकिन तट के दाएं-बाएं सुनसान पड़ा था। सूरज ने टार्च निकालकर इधर उधर रोशनी डाली और जोर से पुकारा -

'मोनाजी।

'ऐ मोनाजी।'

कोई जवाब न मिला तो सूरज के मस्तिष्क में चिन्ता गहरी हो गई। उसने टार्च की रोशनी में तट की रेत पर मोना के जूतों के निशान तलाश करने चाहे। अगले ही क्षण उसके माथे पर एक हथौड़ा-सा लगा। जिस जगह थोड़े से निशान थे, उसी पर ऐसा निशान भी था जैसे कोई जाल खींचा गया हो।

सूरज का दिल जोर-जोर से घड़क उठा। उसने जल्दी जल्दी निशान पर रोशनी डालते हुए कदम बढ़ाए और फिर... एक जगह उसे मोना का रिवाल्वर पड़ा हुआ नजर आया। सूरज ने कंपकंपाते हाथ से रिवाल्वर उठाया और फिर बोख लाया हुआ चिल्ला पड़ा-

'मोना।'

 

फिर वह सरपट उधर दौड़ता चला गया जिधर जाल घसीटे जाने के निशान एक चौड़ी-सी लकीर की तरह चले गए थे। इन निशानों का अन्त एक ऐसी जगह हुआ जहां किसी बड़ी गाड़ी के पहियों के निशान थे और कई जूतों के निशान भी थे।

'इसका तात्पर्य है— मोना का अपहरण कर लिया गया।' सूरज के दिल की धड़कनें दिमाग में धमकने लगीं। उसने सोचा। "तो इस नाटक का उद्देश्य मोना का अपहरण ही था? 'और वह औरत उस नाटक में शामिल है।' 

 

अगले ही क्षण सूरज घबराया वापस दौड़ता हुआ, हांफत हुआ होटल में आया। समुद्र तट की ओर खुलने वाले गेट के पास मैनेजर और स्टाफ के कुछ और लोग भी खड़े थे। मैनेजर ने अनायास पूछा- 'क्या हुआ ? पकड़ा गया ब्लैक वुल्फ?"

सूरज इन लोगों को इधर-उधर धकेलकर दौड़ता हुआ अन्दर दाखिल हुआ। जिस जगह उसने उस अजनबी औरत को छोड़ा था । वह औरत अब वहां नहीं थी।

मैनेजर और स्टाफ के लोग उसके निकट पहुंच गए थे। सूरज ने उन लोगों से सम्बोधित होकर तीखे स्वर में पूछा- 'वह औरत कहां है ?"

"क... क... कौन औरत?'

'जिस पर ब्लैक वुल्फ ने हमला किया था।"

'अरे, उसे तो यहीं बैठाया था। मगर माजरा क्या है?"

सूरज ने स्टाफ और मैनेजर को घूरकर पूछा- 'आप लोग उस औरत को पहचानते हैं?"

मैनेजर ने स्वयं जवाब दिया- 'नहीं।'

फिर उसने दूसरे लोगों की तरफ चकित हो कर देखा तो उन्होंने भी न के इशारे में जवाब दिया और सूरज ने बेचनी से पूछा- 'तो क्या वह पहले यहां कभी नहीं देखी गई ? 'आती होगी, लेकिन हर ग्राहक नजरों में थोड़े ही रहता है। स्थायी ग्राहक तो नजरों में रहते हैं?"

'जी हां, वह स्थायी ग्राहक होती तो अवश्य नजरों में होती।'

'वह कोई सोसायटी गर्ल तो नहीं थी?'

'हुलिए से तो सोसायटी गर्ल ही नजर आती थी।'

मैनेजर ने पूछा- 'लेकिन मामला क्या है?"

'मैनेजर! वह औरत फ्रॉड थी- उस पर किसी ब्लैक वुल्फ ने हमला नहीं किया था।'

मैनेजर चौंककर बोला- 'क्या मतलब? फिर वह चिल्लाई क्यों थी?"

"वह नाटक कर रही थी।'

'नाटक, मगर क्यों?’

'इंस्पेक्टर मोना का अपहरण कर लिया गया।'

'नहीं।'

मैनेजर सहसा उछल पड़ा। सूरज ने कहा- 'उस औरत ने इसीलिए नाटक किया था।'

फिर वह कुछ सोचकर जल्दी से प्रवेश द्वार तरफ झपट और साथ ही वह मुड़े बिना मैनेजर को सम्बोधित करके चिल्लाया- 'मैनेजर! तत्क्षण कमिश्नर साहब को खबर कीजिए। बाहर पहुंचकर उसने दरवाजे पर खड़े दरबान से तेज तेज सांसों के साथ पूछा- 'थोड़ी देर पहले यहां से एक स्कर्ट, ब्ला ऊज वाली औरत को निकलते देखा है तुमने?'

दरबान ने कहा– 'स्कर्ट, ब्लाऊज वाली तो बहुत औरतें निकली हैं साहब- होटल ही खाली हो गया।'

'ईडियट, मैं उस औरत की बात कर रहा हूं जो पीले ब्लाऊज पर काला स्कर्ट पहने थी— बॉब कट बाल थे और सब ग्राहकों के बड़ी देर बाद आई होगी।'

दरबान चौंककर बोला- 'ओ हां, साहब ! देखा है- सफेद ऐंकल शू पहने थीं ?'

'हां हां, वही।'

'वे एक काली ऑस्टिन गाड़ी में आई थीं, पुराने माडल की - उसी में वापस गईं हैं।'

सूरज दौड़कर फाटक पर आया और चौकीदार से बोला 'काली ऑस्टिन एक औरत चला रही थी, किधर गई है? ' चौकीदार ने इशारा करके कहा- ‘उधर गई है साहब।'

सूरज ने मुड़कर देखा, एक यामहा मोटर साइकिल नजर आई । सूरज ने कहा—'यह मोटर साइकिल मुझे चाहिए कुछ देर के लिए।'

स्टाफ के एक मेम्बर ने बढ़कर चाबी देते हुए कहा- 'मेरी है साहब-- यह लीजिए चाबियां।'

'धन्यवाद, गाड़ी यहीं खड़ी है।'

'मैं जानता हूं साहब आप इंस्पेक्टर मोना कपूर के मंगेतर हैं।

दूसरे ही क्षण सूरज भोटर साइकिल लेकर बाहर दौड़ पड़ा। सड़क के एक दोराहे के पास पहुंचकर उसने बजाय सुनसान सड़क के एक गहमा-गहमी वाली सड़क चुनी। ट्रैफिक से बचता हुआ- रेड सिगनल तोड़ता हुआ वह

 

काली ऑस्टिन तलाश करता हुआ निकलता चला आया। कई जगह शार्टकट के लिए उसे सड़क भी छोड़नी पड़ी।

उसका अनुमान ठीक निकला। काली ऑस्टिन उसी एक भरे-पूरे रोड पर ही नजर आई। स्पष्ट है कि आधुनिक युग में ऑस्टिन या मोरिस माइनर जैसी गाड़ियां संयोगवश ही नजर या जाती हैं वह भी सिर्फ शौकीन लोगों के पास।

सूरज का दिल जरूर धड़क रहा था लेकिन उसने जल्दी वहीं की। मोटर साइकिल की रफ्तार सुस्त कर दी और ऑस्टिन और मोटर साइकिल के बीच कई गाड़ियों की दूरी भी रखी ताकि पीछा करने का आभास न मिल सके|

कुछ देर बाद उसने ऑस्टिन एक थोड़े सुनसान इलाके के पब्लिक टेलीफोन बूथ पर रुकते देखी घोर उसने इत्मीनान का सांस लिया।

ऑस्टिन से वही औरत उतरकर बूथ में दाखिल हुई थी। काला स्कर्ट और पीला ब्लाऊज सफेद हाईहील का जूता| सूरज ने मोटर साइकिल कुछ दूरी पर रोक दी। एक ड्यूटी कांस्टेबल एक केले वाली से झगड़ रहा था।

सूरज ने कांस्टेबल से कहा- 'सुनो दोस्त, एक काम करोगे?"

'कहिए साहब।'

सूरज ने दस रुपए का नोट और चाबियां निकालकर कांस्टेबल को देकर कहा- 'यह मेरी मोटर साइकिल गड़बड़ हो गई है, उसे निकटवर्ती थाने में पहुंचाकर सेवन स्टार होटल के मैनेजर को फोन कर देना। गाड़ी का नम्बर बता देना, वह मंगवा लेगा।'

'बहुत अच्छा साहब मगर आप सूरज ने एक नोट और दिया और उसे आंख मारकर मुस्कराकर बोला। 

'वह काली गाड़ी, अब मैं उसमें सफर करूंगा। कांस्टेबल ने कहा- 'वह जिसमें काली स्कर्ट वाली मेम साहब हैं?" सूरज ने फिर आंख मारकर मुस्कराकर कहा- 'ठीक समझे।'

कांस्टेबल ने दांत निकाल दिए। फिर केले वाली से झगड़ने लगा। सूरज चुंपचाप आगे बढ़ा। बहुत हौले से उसने ऑस्टिन का पिछला दरवाजा खोला और उतने ही हौले से अन्दर घुसकर दरवाजा बन्द कर लिया। सीटों के नीचे बैठ गया। लगभग तीन मिनट बाद स्कर्ट वाली औरत बाहर निकली, ड्राइविंग सीट संभाली और इंजन स्टार्ट करके चल पड़ी।

सूरज नीचे ही बैठा रहा। कुछ देर बाद काली ऑस्टिम एक सुनसान से रोड पर आ गई तो सूरज उठकर सीट पर बैठ गया। अब मोना का रिवा ल्वर उसके हाथ में था। उसने रिवाल्वर औरत की खुली गर्दन पर रखकर ठण्डी फुसफुसाहट में कहा – 'बस, मेम साहब। गाड़ी किनारे रोक लो।'

औरत ने हड़बड़ाकर गाड़ी साइड में लेकर फुल ब्रोका लगाए। सूरज ने बड़े सौम्य स्वर में कहा में 'अब पिछली सीट पर चली जाओ।'

औरत ने थूक निगलकर कंपकंपाती आवाज में कहा- 'क... क... कौन हो तुम?'

'पीछे आ जाओ, आसानी से पहचान लोगी।'

'म... म... मैं शोर मचा दूंगी-नीचे उतरो।'

'इस तरह नहीं मानोगी।’

सूरज ने रिवाल्वर जेब में रखकर एक हाथ उसके मुंह पर रखा और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन पकड़कर बड़ी बेदर्दी से उसे पिछली सीट पर खींच लिया। वह बुरी तरह तड़पकर रह गई। शायद उसके कूल्हों और पिण्डलियों पर अच्छी चोट थी। मुंह खुला होता तो बड़ी जोर से उसकी चीख निकली होती।

सूरज ने उसकी गर्दन पर अपने मजबूत पंजे का दबाव डालकर दहाड़ते हुए कहा-- 'अब पहचानो कौन हूं मैं।'

 

औरत ने कंपकंपाती आवाज में कहा- "आ... आप आप होटल में थे।'

Continue to next

No reviews available for this chapter.