जब भी समीर को लगता है कि वो इस साये के छलावे को समझ गया है तभी कोई ना कोई इतिहास का ऐसा पन्ना सामने आ जाता है जिसके लिए वो तैयार नहीं होता। अब इन रहस्यमयी आवाजों का और उस आँख का क्या लेना देना है साये से? समीर के लिए ये रात एक और काली रात है जिसका सामना उसे अकेले ही करना है। वो तुरंत उस कमरे से बाहर निकलता है तभी वहाँ उसे वो कांच दिखता है जो उसको उस बूढ़ी औरत ने दिया था पर वो कांच कुछ अजीब सा दिख रहा था। वो कांच हिल रहा था जैसे उसके अंदर कोई शक्ति हो।

समीर करीब जा कर देखता है तो दंग रह जाता है। उस कांच के शीशे में भी वो आँख थी जो उसको देख रही थी। वो इस पैटर्न को समझने की कोशिश करता है और अपनी डायरी निकालता है। शायद उसने इससे जुड़ी कोई बात लिखी हो जो उसे याद नहीं आ रही हो। जैसे ही समीर डायरी खोलता है उसे शुक्रवार के पन्ने पर भी ये आँख का चिन्ह नजर आता है। वो खुसफुसाहट का शोर बार बार समीर के कानों में गूंज रहा था। जैसे वो कुछ कहना चाह रहे हो। समीर इस भयानक रात में क्या करे कैसे करे उसे कुछ समझ नहीं आता। तभी वो काली बिल्ली, पास में रखी एक मशाल उसकी तरफ गिराती है। वो तुरंत उस मशाल को जलाता है और उसके जलते ही आवाजें शांत हो जाती हैं। समीर के लिए ये हैरानी की बात थी। फिर वो उस बिल्ली के साथ वहाँ से चला जाता है।

अगली सुबह उसकी नींद खुलती है, घर का दरवाजा कोई खटखटा रहा था। इस घर मे पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई दरवाजा खटखटा रहा हो। इस घर मे वो बूढ़ी औरत रहती थी उसके मरने के बाद समीर रहने लगा और उससे तो इस शहर मे कोई सामने से आ के बात ही नहीं करता तो फिर ये दरवाजा किसने खटखटाया? समीर सोचते हुए दरवाजा खोलता है और देखता है वहाँ एक डाकिया खड़ा था, उसके हाथ मे एक चिट्ठी थी। डाकिया समीर को चिट्ठी पकड़ाकर वहाँ से बिना कुछ बोले चला जाता है। समीर वो चिट्ठी खोलता है और पढकर दंग रह जाता है। वो चिट्ठी उसे लिखने वाले ने 5 दिन पहले लिखी थी जिसमें लिखा था - तुम्हारे हाथ मे वो तिलस्मी पत्थर देख समझ गया था कि तुम जरूर इसी पते पर रहते होगे। ये पत्थर पूरे छैल मे बस एक औरत के पास था अगर ये तुम्हारे पास है इसका मतलब है तुम्हें उसने चुना है। ये पत्थर कोई भी नहीं पहन सकता। 

इसे इसका मालिक अपनी मर्ज़ी से किसी जिम्मेदार इंसान को मंत्र द्वारा सिद्धि से ना दे तो सूरज ढलते ही इसके दुष्परिणाम दिखने लग जाते है। इसे तुम्हारी मर्ज़ी के बिना ना कोई चुरा सकता है और ना ही नष्ट कर सकता है चाहे वो इंसान हो या फिर वो साया खुद। मुझे पता है जब तक ये चिट्ठी तुम तक पहुंचेगी मैं इस दुनिया में नहीं रहूँगा पर दो बातें है जो मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं | पहली ये कि तुम्हें उस रोशनी की खोज जारी रखनी है जब तक उसे पा ना लो और अगर पा लिया तो उसे सम्भालने की ज़िम्मेदारी भी तुम्हारी ही होगी। दूसरी बात, जैसे ही वो कमजोर होगा उसके गुलाम आयेंगे। उन हवाओं में जहां वो होगा और उस निशान में जो उसने छोड़े होंगे। सफ़र आसान नहीं है पर मुझे यकीन है जीत तुम्हारी होगी। - मनोहर लाल।


समीर समझ गया कि ये खत उसे करोड़ी लाल के छोटे भाई ने लिखी है जिसने उसकी मदद की उस नक्शे को पाने में, पर उसके निशान से उनका क्या मतलब था? समीर को याद आया कि वो निशान उसने हर जगह देखा था। यहां तक कि शुक्रवार वाले दिन उसकी डायरी में भी। वो सबसे पहले उस खत को जलाता है और घर से निकल पड़ता है गुत्थी सुलझाने। वो उस चिट्ठी को पढ़ने के बाद एक बात तो समझ गया था कि छैल मे एक बड़ा समूह है जो बहुत सालों से इस साये को कैद करने की तैयारी कर रहा है। ये लोग एक दूसरे के संपर्क में थे भी और नहीं भी। शायद यही तरीका है साये के छलावे से बचने का। साये  को हराने के लिए उसे छलना पड़ेगा। समीर अभी भी पूरे सच से अनजान था पर उसे खुशी थी कि एक गुप्त समूह है जो उसकी मदद कर रहा है। वो बाजार की तरफ जा ही रहा होता है कि उसे दिखता है एक शक्स, जिसका आधा चेहरा आग से जला हुआ था। वो शक्स समीर को दूर से घूर रहा था। समीर जैसे ही उसके पास जाने की कोशिश करता है वो शक्स कहीं जाने लगता है। वो उसका पीछा करते करते एक छोटी फैक्ट्री तक पहुंचता है जहां उसे एक दीवार पर कुछ लिखा दिखता है।

वो आएगा बिन बुलाए अनजाना सा अजनबी।

हवा सा नाम होगा, होगी वही पहचान भी।

वो खोदेगा अतीत जो कब्र होगी दहशत की,

तब होगा अंधेरे का अंत जब मिलेगी रोशनी।

समीर को पता चला कि उसका यहां आना तय था। इस शहर की दहशत उसी के हाथों खत्म होनी थी। इसलिए शायद लोग उसकी मदद कर रहे थे क्योंकि उन्हें पता था कि उसके दिमाग में चल रही एक पहेली का सार उसे यहां मिल गया। समीर, जिसका अर्थ होता है हवा जो उस दीवार पर लिखी बात से बिल्कुल मेल खा रहा था। अब जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी पर उसके लिए अभी भी चुनौती थी वो आवाजें जो सूरज ढलते ही उसके कानों में खुसफुसाने लगती थी और जहां जहां साये ने अपने निशान छोड़े थे हर उस जगह ये आँखे पहरा दे रही थी। समीर को समझ आ गया था कि जो लोग उसकी मदद कर रहे हैं वो अभी उसके आसपास भी नहीं आयेंगे क्यूंकि साये के गुलाम हर वक़्त उस पर नजर टिकाये बैठे हैं और उसकी मदद करते किसी को देख लिया तो साया उसे खत्म कर देगा।

उसको अभी भी नहीं पता कि उसे वो रोशनी की चाबी जिससे काले मंदिर का तहखाना खुलता है कहाँ मिलेगी। समीर के लिए उससे पहले साये के इन गुलामों का कुछ करना है जो उसको हर तरफ देख रहे हैं। उसको इन गुलामों से जुड़ी कोई बात किसी ने नहीं बतायी थी इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? समीर को पता है कि उसके हर सवाल का जवाब इसी शहर में है पर उसे ढूँढ पाना आसान नहीं होगा। सूरज ढ़लने ही वाला था और उसी समय उस को वो आधे जले चेहरे वाला आदमी एक बार फिर दिखता है। समीर एक बार फिर उसके पीछे निकल जाता है। वो चलते चलते शहर के दूसरे कोने तक पहुच जाता है और सोचता है कि उसने ये कोना कभी देखा ही नहीं। उसको वो आदमी एक ऐसी जगह पर ले जाता है जहां से नीचे बस खाई है| वो आदमी समीर से कहता है -

“ये वो जगह है जहां उसका कोई निशान नहीं है। वो अपने निशान छोड़ता है और जहां जहां उसके निशान है वहाँ उसके गुलाम कान और आँख गड़ाये तुम्हें सुन और देख रहे हैं।”

समीर - इनसे कैसे बचा जाए..?

वो आदमी समीर को माचिस और तेल पकड़ा कर कहता है, “ जला दो हर उस जगह और चीज़ को जहां वो निशान है उसे अपने आसपास मत रखना वो खुद चल नहीं सकते वो उस निशान से ब…”

जैसे ही वो आदमी आगे कुछ बोलने वाला होता है उसके आसपास वो खुसफुसाहट होने लग जाती है और धीरे धीरे तेज होने लग जाती है। वो आदमी डरी हुई आवाज में समीर से कहता है, “तुम्हारे पास इस वक़्त ऐसी कोई चीज है जिसपर  वो निशान है.... जला दो जला…”

इतना कहते ही वो आदमी खुसफुसाहट से भागने की कोशिश करते करते उस खाई में गिर जाता है। समीर हैरान रह जाता है जैसे उसने बहुत बड़ी गलती कर दी अब वो खुसफुसाहट की आवाजें समीर की ओर बढ़ने लगीं। समीर अपना थैला खोलता है और उसे कोई ऐसी चीज नजर नहीं आती जिसपे वो निशान है तभी उसको याद आता है कि उसके पास उसकी डायरी है जिसमें वो निशान है। उसके आसपास वो खुसफुसाहट इतनी तेज़ हो गई कि वो ज़ोर से चिल्लाता है और उस तेल और माचिस से अपनी डायरी मे आग लगा देता है। जैसे जैसे डायरी जल रही थी, वो खुसफुसाहट धीमी होती जा रही थी। डायरी के जलते ही उसे शुक्रवार की सारी बातें याद आ जाती हैं।

समीर जोर जोर से चीखता है जैसे उसने अपनी सबसे प्यारी चीज खो दी। समीर की चीख उन वादियों मे गूँज रही थी, मानो कोई जोर जोर से मातम मना रहा हो। ये उसकी सबसे बड़ी हार थी। उसे पता भी नहीं चला की वो कब साये के छलावे मे आ गया। वो उस डायरी को जला कर जैसे ही शहर की तरफ मुड़ा, उसे वो साया नज़र आता है। जो ठीक उसके पीछे खड़ा था। वो इस समय इतने गुस्से में था कि उसे इस साये का रत्ती भर भी डर नहीं था। समीर उस धुएँ को चीरता हुआ शहर की तरफ चल पड़ता है। वो जैसे ही घर पहुंचता है ये देख कर हैरान हो जाता है कि वो खुसफुसाहट उस घर के बाहर सुनाई दे रही थी। हर वो समान जिसपर वो निशान था उसके दरवाजे के बाहर रखा हुआ था।

उसको समझ आ जाता है कि जरूर ये उस बिल्ली ने किया है। समीर को उस खुसफुसाहट में अचानक बिल्ली की आवाज सुनाई देती है। समीर चारो तरफ देखता है जैसे वो बिल्ली आसपास ही कहीं हो। वो थोड़ा पीछे हट के देखता है उसे फिर उस बिल्ली की आवाज सुनाई देती है और जैसे ही ऊपर देखता है उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती हैं। उस खुसफुसाहट सी आवाजों ने एक धुएं का गोल घेरा बना रखा था जिसके बीच वो बिल्ली हवा में लटकी हुई थी। क्या ये गुलाम अपने रास्ते मे आने वाली बिल्ली को मार देंगे?  समीर ने अभी अभी अपनी डायरी खोई है और वो इस बिल्ली को नहीं खो सकता पर साया जो कमजोर दिख रहा है वो वाक़ई मे कमजोर है या उसके गुलामों ने  उसका काम और आसान बना दिया है? कैसे निकल पाएगा समीर इस मुसीबत से?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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