जब कोई अपनी सबसे कीमती चीज़ खोता है तब उसे एहसास होता है उस दर्द का जिसे वो किसी और के दर्द में महसूस नहीं कर सकता। समीर ने वो डायरी खोयी जो उसे सबसे ज्यादा प्यारी थी और अब ये बिल्ली जो पिछले कुछ दिनों मे समीर की हर मुसीबत में ढाल बनकर खड़ी थी और उसे आगे का रास्ता दिखा रही थी।

खुसफुसाहट अचानक तेज़ हो गई और समीर समझ गया अब ये गुलाम उससे उसकी बिल्ली छीन लेने के फ़िराक़ मे हैं। उसने बिना समय गंवाए बाहर पड़े समान मे जिनपर भी निशान था आग लगा दी। उसने एक बार फिर उस खुसफूसाहट मे एक चीख सुनी और जैसे जैसे वो आग खत्म होती गई शोर शांत हो गया। बिल्ली जमीन पर गिरी और समीर भाग कर उसके पास गया और देखा बिल्ली सही सलामत है। बिल्ली उठी और समीर के पैरों के आसपास घूमने लगी। समीर ने बिल्ली को गोद में उठाया और जैसे ही घर मे घुस कर दरवाजा बंद करने के लिए पलटा, उस ने देखा वो साया एक बार फिर सामने खड़ा समीर को घूरने लगा।


उसने दरवाजा बंद किया और संग्रहालय में बैठ उन किताबों में कुछ और सुराग ढूँढने लगा। समीर ने देखा उस किताब मे किसी भविष्यवाणी का जिक्र है पर वो भविष्यवाणी क्या है उसे ये जवाब कहीं नहीं मिला। समीर ने ध्यान से देखा तो उसे वो बिल्ली कुछ बेचैन सी दिखी जैसे उसे किसी और खतरे का अंदेशा हो। समीर ने सोचा शायद भूखी होगी इसलिए ऐसे बार बार आँगन मे घूम रही है। उसने खाना बनाया,खाना खाया और जब उस बिल्ली को दिया तो देखा बिल्ली खाना नहीं खा रही थी। समीर को शक़ हुआ कि कुछ तो बात है जो इस बिल्ली को परेशान कर रही है पर उस जानवर के पास समीर को बता पाने के लिए इंसानी जुबान नहीं थी। समीर को याद आया कि ये बिल्ली इंसानी जुबान समझती है और उसने बिल्ली से पूछा कि क्या यहाँ इस समय कोई और खतरा भी है? बिल्ली ने सिर्फ उसकी तरफ देखा और फिर से आँगन में चली गई।

समीर को लगा कि वो बिल्ली उसे कुछ दिखाना चाह रही है पर बहुत देर तक कोशिश करने के बाद उसको लगा कि बिल्ली आज के हादसे की वजह से डरी हुई हो सकती है। समीर उस बिल्ली को गोद मे उठाकर उस कमरे में ले गया जहां वो सोता है और जैसे ही समीर बिस्तर पर लेटा वो बिल्ली उस कमरे के दरवाजे पर मंडराने लगी। समीर ने सुना वो बिल्ली आवाज दे रही थी। उसने देखा कि बिल्ली दरवाजे पर मंडरा रही थी शायद बाहर जाना चाहती थी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला बिल्ली भाग कर फिर से उस आँगन मे चली गई। 

समीर उसके पीछे पीछे गया और अब भी समझ नहीं पाया कि वो ऐसा क्यों कर रही है। थोड़ी देर बाद वो वापस अपने कमरे मे आया और दरवाजा बंद कर के सोने चला गया। वो अंदर सो रहा था और बिल्ली उस आँगन मे। समीर सुबह उठा और उसने देखा बिल्ली का बर्ताव उसके प्रति बिल्कुल बदल सा गया है और वो बिल्ली उस के पास भी नहीं आ रही। समीर एक बर्तन में उसके लिए कुछ खाने को रख घर से बाहर निकला। उसके दिमाग में इस वक़्त वो भविष्यवाणी की बात चल रही थी। समीर को जानना था कि वो भविष्यवाणी क्या है? वो धीरे धीरे चौक की तरफ बढ़ने लगा। वो जैसे ही उस चौक पर पहुंचा,  उसने उस बूढ़ी औरत के घर के बाहर डॉक्टर रवि को देखा। वो डॉक्टर रवि के पास गया और पूछा।

समीर - आप यहां? अथर्व कैसा है?

डॉक्टर रवि ने समीर की बात का कोई जवाब नहीं दिया और इशारा कर उसे दुकान खोलने को कहा। समीर ने दुकान खोली और डाक्टर रवि के साथ अंदर गया। अंदर जाते ही डॉक्टर रवि ने दरवाजा बंद किया और कोई मंत्र पढ़ कर वहाँ एक छोटी कांच की शीशी से कुछ पानी जमीन पर गिराने लगे। समीर को समझ नहीं आ रहा था कि डॉक्टर रवि क्या कर रहे हैं? तभी डॉक्टर रवि ने उस डब्बे की तरफ इशारा किया जिसपर लिखा था जटामानसी। समीर ने डाक्टर रवि को पूरा डब्बा पकड़ाते हुए कहा -

समीर - क्या हुआ है आपको आप बात क्यूँ नहीं कर रहे?

रवि - अथर्व की तबीयत बिगड़ती जा रही थी। बहुत बड़ी गलती कर दी मैंने। आपको उसे रोकना नहीं था अगर इस शुक्रवार मैंने उसके लिए किसी बलि का इंतजाम नहीं किया तो मैं और मेरा परिवार नहीं बचेगा और मैं अब आपसे बात नहीं कर सकता क्यूंकि उसकी नजर हर वक़्त आप पे है। तो अगले शुक्रवार तक जो भी करना है आपको करना है। शहर के दूसरी तरफ पश्चिम की ओर एक पुरानी पानी की टंकी है आपको आपका जवाब वहीं मिलेगा। इस बूटी के लिए आपका धन्यवाद।

इतना कह डॉक्टर रवि वहाँ से चले गए और समीर उनसे उस भविष्यवाणी की बात नहीं कर पाया। क्या मतलब है इस बात का कि साये की नज़र हर वक़्त आप पर है? अगर उसकी नजर हर वक़्त समीर पर है  तो फिर वो शहर के दूसरी तरफ पश्चिम की ओर उस पानी की टंकी के पास भी  जिससे  मिलेगा उसे वो साया मार देगा। समीर फिर भी हिम्मत जुटाकर एक दिशा सूचक यंत्र लेकर वहाँ से निकल पड़ा। समीर जैसे जैसे आगे बढ़ता गया, उसे लोग तो दिख रहे थे पर कोई उसकी तरफ नहीं देख रहा था। वो जैसे ही उस टंकी के पास पहुँचा तो उसे दिखा एक छोटा सा लकड़ी का बना पुराना मकान। उसके पास से अजीब सी बदबू आ रही थी। समीर टंकी के पास रुका और सोचने लगा इस घर से तो कोई लेना देना नहीं हो सकता भविष्यवाणी का जरूर कुछ और है जो नहीं दिख रहा।

वो थोड़ा और आगे बढ़ा और उसने देखा कुछ कुत्ते हैं जो उसकी तरफ देखकर भौंक रहे थे। समीर को समझ नहीं आया ये क्या हो रहा है? उसको जब कुछ देर तक वहाँ कुछ नहीं दिखा तो निराश हो कर वो वापस लौटने की सोचने लगा और जैसे ही वो मुड़ा तो हैरान रह गया। वो काली बिल्ली जो समीर के साथ घर पर थी, वो उसके पीछे पीछे यहाँ तक पहुँच गयी थी। समीर ने उसे गोद मे उठाना चाहा पर वो बिल्ली फिर से दूर भाग गई।  समीर ने मन बना लिया था वापस लौटने का, लेकिन तभी उसे टंकी पर एक निशान दिखता है। 


ऐसा लग रहा था जैसे एक किताब के ऊपर काले रंग से कुछ बना है और उसके बीच में है एक हथेली। समीर इस पहेली का मतलब समझने की कोशिश कर ही रहा होता है कि वो फिर से कुछ अजीब सा देखता है और भागा चला जाता है। वो बिल्ली किसी अदृश्य चीज़ से लड़ रही थी। रवि उस बिल्ली के इस बर्ताव को समझ नहीं पाता। वो बिल्ली फिर समीर की तरफ गुस्से से देख कर गुर्राने लगती है। समीर समझ जाता है कि इस बिल्ली के साथ कुछ तो हुआ है। उसी समय बिल्ली वापस उस अदृश्य शक्ति से लड़ने लग जाती है। शाम हो चुकी थी और समीर को घर जा कर उस किताब की पहेली को भी सुलझाना था। उसकी नजर जैसे ही बिल्ली से हटती है वो देखता है पास के एक बरगद के पेड़ की जड़ से चिपका साया.. साया जो शायद समीर पर ही नज़र रखने के लिए वहाँ था। 

बिना कुछ सोचे समझे समीर घर के लिए निकल जाता है और बिल्ली भी उसका पीछा करने लगती है। समीर को समझ नहीं आ रहा था कि साया उस बिल्ली के साथ क्या कोई छल कर रहा था? वो बिना रुके सीधा घर मे घुसता है और उसके पीछे बिल्ली भी घर में घुस जाती है। समीर दरवाजा बंद कर जब उस बिल्ली के पास जाता है तो वो हैरान हो जाता है अब वो बिल्ली एकदम शांत थी जैसे कुछ हुआ ही न हो। समीर उस संग्रहालय में जा कर वो तीन काले घेरे वाली किताब ढूँढने लगता है। तभी वो सुनता है फिर से वही खुसफुसाहट। इस बार उसे समझ आ जाता है की गुलामों की आत्माएँ वहीं हैं। समीर की नजर उस बिल्ली पर पड़ती है और वो जैसे ही उसे उठाता है, गौर से उस बिल्ली को देखता है, उसे नजर आता है वो निशान जो बिल्ली के पेट पर बना हुआ था।

ये निशान वही निशान है जो साया हर जगह छोड़ता है। इससे पहले समीर कुछ कर पाता, बिल्ली के पेट पर बना निशान आँख मे बदल जाता है और समीर के हाथ से कूद कर बिल्ली आंगन की तरफ भाग जाती है। उस निशान और इस आँख का यहां होना इस बात का सबूत है कि साये की नज़र समीर से हटने वाली नहीं है। उस को समझ नहीं आता कि वो क्या करे। वो उस बिल्ली को मारना नहीं चाहता लेकिन अगर उसने बिल्ली को नहीं मारा तो ये साया उसे भविष्यवाणी तक कभी नहीं पहुचने देगा। समीर गुस्से से आग बबूला हो उठता है। वो किसी भी कीमत पर बिल्ली नहीं खोना चाहता था।

समीर - अगर तुमने मुझसे ये बिल्ली छीनी, तो मैं एक एक कर के तुम्हारी निशानियाँ जला कर राख कर दूँगा अगर तुम्हें लगता है मैं तुमसे डर गया तो याद दिला दूँ, तुम्हारी ये हालत मैंने ही की है। तुम्हारा अंत भी मैं ही करूंगा।

नरेटर - इतना कह समीर गुस्से में उठता है और उस आंगन के बीचों बीच कुछ  लकड़ियां इकट्ठी करने लग जाता है। जैसे जैसे वो आग लगाने की तैयारी कर रहा होता है खुसफुसाहट तेज़ होने लग जाती है जैसे कोई चेतावनी देना चाहता हो। गुस्से में समीर को कुछ समझ नहीं आता और वो उन लकड़ियों में आग लगा देता है। आग लगते ही एक पल के लिए चारो तरफ सन्नाटा छा जाता है और तभी वो बिल्ली अचानक से उस आग में छलांग लगा देती है। समीर जोर से चीखता है और उसकी आवाज़ उस घर में गूंज जाती है। क्या साये ने इस बार समीर को सीधा ललकारा है? अब क्या करेगा समीर? क्या ये जंग हर गुजरते पल के साथ और भी भयानक होती जा रही है या फिर ये किसी महा जंग का आगाज है? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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