समीर अब तब इसे एक फ़र्ज़ मान रहा था पर अब वो किसी भी कीमत पर उस साये को खत्म कर देना चाहता है। अक्सर इंसान गुस्से में गलत फैसले कर लेता है ये जानते हुए भी समीर ने ये बात दिल पे ले ली। उस आग के सामने सिर पर हाथ रखे खुद को कोस रहा था कि काश वो उस बिल्ली को बचा पाता। उसको पता था कि उस नक्शे की रोशनी साये को बहुत तकलीफ देती है। समीर ने सोचा वो इसी समय सुरंग में जाएगा और जैसे ही साया उसके पास आएगा, वो नक्शे को खोलकर उसके अंधेरे को जलाकर उसे कमजोर कर देगा।
उस प्रतिशोध की आग में जल रहे समीर को ये याद ही नहीं कि उसके पास अब वो सुनहरी लालटेन नहीं है और उसने वो नक्शा उस सुरंग में स्थित काले मंदिर के बाहर खोल दिया तो अनर्थ हो जाएगा। वो जैसे ही उस नक्शे वाले बक्से को उठाए दरवाजे तक पहुंचता है, उसको बिल्ली की आवाज सुनाई देती है। समीर अचानक पलट कर चारो तरफ देखता है और उस आग के पीछे से वो बिल्ली आ कर समीर को चाटने लग जाती है। कहते हैं बिल्लियों के पास 9 ज़िंदगियां होती हैं। आज समीर ने अपनी आँखों से देख भी लिया। ये जादू देख उसकी आँख भर आई।
उसको तुरंत समझ आ गया कि वो गुस्से में क्या करने जा रहा था। बिल्ली को समीर गोद मे उठा लेता है और मुस्कुराता है जैसे उसे किसी ने उसकी हिम्मत वापस कर दी हो। वो देखता है अब उस बिल्ली पर कोई निशान नहीं है। बिल्ली को गोद मे उठाए समीर संग्रहालय मे नक्शे का बक्सा रख सोने चला जाता है। खुशी के मारे आज उसे भूख भी नहीं लगी थी। अगली सुबह वो संग्रहालय में वो किताब ढूँढने लगता है, जिसका निशान उसने शहर के दूसरी तरफ पश्चिम की ओर उस पुरानी पानी की टंकी पर देखा था। बहुत देर ढूँढने पर भी जब वो किताब नहीं मिलती तो समीर देखता है कि वो काली बिल्ली एक किताब मुंह में दबाए उसी की तरफ चली आ रही थी।
ये वहीं किताब थी जिसपर तीन काले घेरे बने हुए थे और एक हाथ का निशान है। समीर जैसे ही किताब खोलता है उसके पन्ने खाली निकलते हैं। वो एक एक पन्ना पलट कर देखता है लेकिन उसे कुछ दिखाई नही देता तभी वो आखिरी पन्ना खोलता है जिसपर हाथ से वही पहेली लिखी होती है जो उस पुरानी डायरी जो शांति निवास की औरत ने समीर को दी थी उस पर लिखी हुयी थी।
मन की आँख दिखाए सच जो यूँ कभी ना दिख पाए, हस्तकला का जादू है जो कर पाए वो कर पाए।
समीर तुरंत अपने थैले से वो जल निकालता है और अपनी पलकों और हथेली पर लगाकर उस क़िताब पर अपनी हथेली रखता है। उसको एक बार फिर अपने आप पर यकीन नहीं होता उसे दृश्य दिखने लग जाते हैं। समीर देखता है कि वो उस काले मंदिर में बैठा है। उसके सामने वो तिलस्मी किताब है जिससे वो उस साये को उसकी दुनिया मे वापस भेज किताब बंद कर देता है। समीर ये देखते ही उस पल के कुछ पीछे देखने की कोशिश करता है और उसे सुनाई देती है एक भविष्यवाणी। फिर दिखता है एक नया नज़ारा, जिसमें कुछ अनजान से चेहरे पहाड़ की एक चोटी पर खड़े हैं और उनके सामने एक किताब है। वो सभी लोग आसमान की तरफ देख रहे हैं जहां से ये भविष्यवाणी हो रही है कि - वो बाहर से आयेगा जिसकी नियति इस कहानी से जुड़ी है। वो भेजेगा इस अंधेरे को उस दुनिया मे या बन जाएगा उस दुनिया का हिस्सा। होगी अंधेरे की हार इस बार पर वो दुनिया खत्म नहीं होगी। मसीहा श्राप को तोड़ेगा और खुद हो जाएगा शापित।
ये सुनते ही समीर का हाथ अपने आप उस किताब से हट जाता है। वो समझ नहीं पाता कि क्या वो मसीहा वो खुद है? अगर हाँ तो फिर अंत में क्या वो हो शापित हो जाएगा? समीर सोचता है अगर श्राप खुद पर ले कर भी उसने उन लोगों की जान बचा ली तो उसे कोई ग़म नहीं। वो उस किताब को रखता है। तभी कोई उसका दरवाजा खटखटाता है। समीर फौरन उस दरवाजे तक पहुंचता है और देखता है कि डॉक्टर रवि की पत्नी अंजली खड़ी थी। अंजली के हाथ में एक थैला था जो वो धीरे से नीचे रख देती है और ऊंची आवाज मे बोलती है -
अंजलि - आप हमारे परिवार से दूर रहो। हमने आपको नहीं बुलाया और ना ही आपकी मदद मांगी। ये हमारा अन्दरूनी मामला है आप जो भी हो जहां से भी हो, चले जाओ।
समीर - लेकिन मैं तो अथर्व को..
अंजलि - वो मेरा बेटा है कोई भेड़ या बकरी नहीं जो उसकी परवाह हमे ना हो अगर हमारे लिए कुछ करना चाहते हो तो दो दिन के अंदर तुम यहाँ से चले जाओ।
इतना कहकर अंजलि वहाँ से चली जाती है। समीर समझ जाता है कि इन हवाओं में कोई है जो अंजलि को सुन रहा था। इसलिए अंजलि ने उससे ऐसे बात की। समीर अंजलि की पहेली को समझने की कोशिश करने लगा और जैसे ही दरवाजा बंद करने की कोशिश की उसे दिखा वो थैला जो अंजलि छोड़ गई थी। समीर समझ गया वो थैला उसके लिए है। वो उस थैले को खोलता है जिसके अंदर एक संदूक था। समीर उस संग्रहालय में जाकर उस संदूक को खोलता है और उसमें उसे एक चिट्ठी मिलती है। वो उस संदूक से चिट्ठी निकालता है। उस चिट्ठी में बस एक इतना लिखा था - छैल पुराण। समीर ने आज तक इतनी किताबें पढ़ ली थी कि उसे याद ही नहीं आ रहा था कि जब वो छैल पुराण पढ़ रहा था तब ऐसा क्या था जो उससे छूट गया। वो वापस छैल पुराण खोलता है। उसे याद आता है कि उसने सिर्फ वहीं तक पढ़ा था कि शुक्रवार को साये को शिकार करने से कैसे रोके? एक बार रोक लिया तो फिर क्या करना होगा। जब हर रोज़ रहस्यों का पिटारा सुलझाने को मिल जाए तो समीर जैसा जासूस भी गलतियाँ कर बैठता है। वो आगे पढ़ता है-
पहला हफ्ता बिना शिकार के होने पर वो उसे मारता है जो उसे इस दुनिया में ले आया। यदि किसी कारण वश वो व्यक्ति जीवित न हो तो अगले हफ्ते का शिकार वो बच्चा हो सकता है क्यूंकि अगर किसी हफ्ते उसका शिकार छूटा तो अगले हफ्ते ठीक उसी दिन उसे किसी बच्चे की बलि देनी पड़ती है। यदि किसी कारणवश बलि का प्रबंध ना हो पाए तो बलि बंध तोड़ने के कारण वो उस बच्चे की आत्मा हर लेता है जिससे वो बंधा है और उसके बाद साया बंधन से मुक्त हो जाता है फिर वो किसी का भी शिकार कर उसकी आत्मा हर लेने के लिए स्वतंत्र है।
समीर समझ जाता है कि अगर डॉक्टर रवि किसी बच्चे की बलि उसे ना दे पाए तो अथर्व की जान जानी तय है और एक बार साया अथर्व के बंधन से टूटा तो उसे रोक पाना किसी के बस की बात नहीं होगी।
वो उलझन में है, क्या डॉक्टर रवि किसी और के बच्चे की बलि दे देंगे अथर्व को बचाने के लिए? क्या इस शहर को बचा पाने का दूसरा कोई उपाय नहीं?
समीर वहीं जमीन पर उस किताब को रख कर बैठा हुआ था तभी वो बिल्ली दौड़ कर आती है और छैल पुराण के एक पन्ने को खोल देती है जिसपर लिखा था छल तंत्र।
समीर को पता था कि साये के छल को छल से ही तोड़ा जा सकता है। वो ध्यान से छल तंत्र पढ़ने लगा और जैसे ही उसने बलि के सिद्धांत को पढ़ा उसको एक उम्मीद की किरण दिखी। बलि के सिद्धांत में लिखा था कि बलि बच्चे की देनी है ये बात दोनों दुनिया की संधि में लिखा है पर वो बलि इंसान के बच्चे की हो ऐसा नहीं लिखा। समीर को उसी पल याद आती है वो बात जो अंजलि ने पहेली मे कही थी - वो मेरा बेटा है कोई भेड़ या बकरी नहीं जो उसकी परवाह हमे ना हो।
इसका मतलब अगर समीर ने डाक्टर रवि को इस शुक्रवार के दिन शिकार के समय किसी भेड़ या बकरी के बच्चे को दे दिया तो साये को छल से और कमज़ोर किया जा सकता है। अंजलि ने समीर को आगे कहा था कि अगर हमारे लिए कुछ करना चाहते हो तो दो दिन के अंदर तुम यहाँ से चले जाओ। दो दिन बाद है शुक्रवार और इतना ही समय है समीर के पास उस भेड़ या बकरी के बच्चे को खोजने के लिए पर साये के गुलाम हर जगह है उनका क्या? समीर बिल्ली से पूछता है कि ये गुलाम कौन है और इनका क्या करें?
बिल्ली समीर को वो किताब दिखाती है जिसका निशान उस पानी की टंकी पर था। फिर वो बिल्ली माचिस लाकर समीर के सामने रखती है। समीर समझ जाता है कि उस पानी की टंकी के पास कुछ है जिसे उसे जलाना होगा। शाम हो चुकी थी, समीर बिल्ली को घर पर ही छोड़कर तेल और माचिस लिए निकल पड़ता है उस टंकी की ओर। जैसे ही वो उस टंकी के पास पहुंचता है उसे फिर से वो बदबू आती है उस लकड़ी के बने घर से। वहाँ आसपास किसी भी इंसान का बसेरा नज़र नहीं आता। वो हिम्मत जुटा कर उस घर के दरवाजे को खोलता है और हैरान रह जाता है। वो कमरा मानव कंकाल से भरा पड़ा था। जैसे कई सालों से उस जगह पर कंकाल रखे जा रहे हो। ये कंकाल जरूर उनलोगों के होंगे जिनकी आत्मायें साये की गुलाम है। समीर समझ जाता है कि ये बदबू यहीं से आ रही थी और डाक्टर रवि ने भी उसे उस दिन यहीं भेजा था। उस साये ने समीर को छल के वहाँ से जाने पर मजबूर कर दिया था।
वो तुरंत उस घर पर तेल छिड़ककर आग लगाने ही वाला होता है कि उसे एहसास होता है अपने पीछे एक ठंडी हवा के झौंके का, जो उसको अपनी तरफ खींच रही थी और हवा मे वो खुसफुसाहट एक बार फिर तेज़ हो गई। समीर जानता था कि उसके पीछे कौन खड़ा हो सकता है। इस बार वो खुसफुसाहट समीर के कान मे बार बार उसका नाम ले रही थी। वो बिना परवाह किए जैसे ही माचिस जलाता है उसके ऊपर उसकी बिल्ली कूद पड़ती है जिससे समीर उछल कर कुछ दूर जा गिर जाता है और जैसे ही वो गिरता है तो देखता है सामने बरगद के पेड़ की मोटी टहनी उस जगह गिरी है जहां वो खड़ा था।
वो घर आग की लपटों में धूं धूं कर के जल रहा था और वो खुसफुसाहट की आवाज चीखो में तब्दील हो गई थी जो धीरे धीरे हमेशा के लिए शांत होती गई। समीर अपनी बिल्ली को गोद में लिए वहाँ से पीछे हट जाता है और देखता है बिल्ली की नाक से खून टपक रहा था पर बिल्ली समीर की तरफ नहीं बल्कि पेड़ की तरफ देख रही थी जहां नज़र आता है वही साया।
क्या समीर को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी? क्या करेगा साया अब समीर के साथ?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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