सब्ज़ी मार्केट में मिली लड़की के घर जब रेणुका पहुंची तो उस लड़की के पापा जी ने ही घर का दरवाजा खोला! रेणुका ने लड़की के पापा जी को मुस्कुराकर नमस्ते किया और फिर अपने ड्राइवर से मिठाई के डिब्बे और फल फ्रूट की टोकरी को वहीं पास में रखी टेबल पर रखने का इशारा कर दिया! लड़की के पापा कुछ समझ नहीं पा रहे थे तो रेणुका ने इस चुप्पी को तोड़कर अपनी बात आगे बढ़ायी।
रेणुका – "नमस्ते, मैं रेणुका साहनी हूँ,"।
लड़की के पापा ने कहा, “ रेणुका जी, कैसी बातें कर रही है आप, आप को कौन नहीं जानता है!”
इस बात को सुनकर रेणुका मन ही मन मुस्कुराई और आगे बोली,
रेणुका – "दरअसल आज मैंने आपकी बेटी को मार्केट में देखा था। मैं उसे देखने के बाद खुद को यहां आने से रोक नहीं पायी। वह सचमुच बहुत सुंदर है।”
लड़की के पापा बात को थोड़ा सा समझ रहे थे पर फिर भी वो रेणुका के मुंह से पहले पूरी बात सुनना चाहते थे।
रेणुका ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा,
रेणुका– “भाई साहब! मैं बातों को घुमाना नहीं जानती इसलिए मैं मुद्दे पर आती हूँ। मैं अपने बेटे के लिए एक अच्छी बहू ढूंढ रही हूँ, और आपकी लड़की मुझे मेरे बेटे के लिए बिल्कुल परफेक्ट लगी।”
एक तरफ तो लड़की के पापा ये सुनकर थोड़ा हैरान हो गए क्योंकि अभी वो अपनी बेटी की शादी के बारे में सोच नहीं रहे थे पर दूसरी तरफ वो बहुत खुश भी हुए कि रेणुका साहनी खुद उनकी बेटी के लिए रिश्ता लेकर आई हैं।
वहीं हॉल के पास वाले कमरे से उस लड़की ने ये सब देख लिया, और वो रेणुका साहनी को पहचान गई। उसने तुरंत अपनी छोटी बहन से कहा, “यार ये तो वही आंटी हैं जिन्होंने सुबह मेरी सब्ज़ी मार्केट में फोटो ली थी, ये तो सीधा रिश्ता ही लेकर आ गई।”
वो लड़की समझ नहीं पा रही थी कि रेणुका आखिर किस जल्दी में थी पर उसे रेणुका का तरीका सही नहीं लगा।
लड़की ने आगे कहा, “यार मुझे ये आंटी थोड़ी ऑफ लग रही हैं, इन्होंने बस मुझे एक बार देखा है और ये मुझे बहू बनाने आ गई!”
वो लड़की रेणुका के इस फैसले से थोड़ा डर गई थी। वह थोड़ी देर तक सोचती रही कि कैसे कोई एक नज़र में ही किसी को अपनी बहू बना सकता है? उसके मन में कई सवाल उठ रहे थे और वह परेशान हो गई थी पर उसे यह भी पता था कि उसके पापा शायद इस शादी के लिए तुरंत हां कर देंगे, इसलिए उसने अपनी छोटी बहन को कैसे भी करके इस बात को संभालने के लिए कहा। उसकी छोटी बहन ने भी उसे तसल्ली देकर कहा, "दीदी!, तुम चिंता मत करो, मैं सब संभाल लूँगी।"
इसके बाद, उस लड़की ने अपने कुछ भरोसेमंद दोस्तों को फोन किया। वह जानती थी कि उन दोस्तों की मदद से ही वह इस मुश्किल घड़ी से खुद को बचा सकती है। उसने अपने दोस्त से फोन पर कहा, "प्लीज़, मुझे अभी मेरे घर लेने आ जाओ। मुझे लगता है कि पापा मेरी शादी उस पागल औरत के बेटे से जबरदस्ती करवा देंगे।"
दोस्त ने भी कह दिया कि वो तुरंत उसके घर पहुँच रहे हैं।
वहीं रेणुका ने लड़की के पापा से थोड़ी देर बात करने के बाद लड़की से मिलने की इच्छा जताई। लड़की के पापा ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिल्कुल, मैं आपको मेरी बड़ी बेटी से मिलवाता हूँ।"
लड़की के पापा ने अपनी छोटी बेटी को आवाज लगाई, "रिया, ज़रा अपनी दीदी को ले आओ।"
छोटी बेटी रिया तुरंत कमरे की खिड़की के पास गई और अपनी बड़ी बहन को धीरे से आवाज़ लगाकर घर के पीछे वाले रास्ते से उसे जाने का इशारा किया।
वो लड़की अपनी बहन रिया का इशारा पाते ही तुरंत घर के पीछे वाले रास्ते से बाहर की तरफ निकल गई। रिया ने पहले अपनी बहन को खिड़की से बाहर जाने दिया और फिर उसके बाद ही हॉल की तरफ गई।
जब रिया हॉल में आई, तो रेणुका उसे देखकर मुस्कुराई लेकिन रिया ने रेणुका की ओर ध्यान तक नहीं दिया और सीधा अपने पापा के सामने जाकर खड़ी हो गई।
रेणुका को रिया का ये व्यवहार अच्छा तो नहीं लगा पर अभी वो इन सब बातों में वक्त बर्बाद नहीं करना चाहती थी। लड़की के पापा ने मुस्कुराते हुए छोटी बेटी को देखकर बोला… “बेटा , दीदी कहाँ हैं? रेणुका जी दीदी के लिए अपने बेटे का रिश्ता लेकर आई हैं!”
इसके जवाब में जब रिया ने बताया कि, “दीदी अभी घर पर नहीं है पापा! वो कुछ काम आ गया था तो उन्हें दोस्तो के साथ बाहर जाना पड़ा!”
रेणुका ये सुनते ही मायूस हो गई।
रेणुका – कोई बात नहीं भाई साहब , मैं कल फिर आ जाऊंगी!
वो इतना कहकर घर के बाहर जाने लगी, लेकिन लड़की के पापा ने उसे रोक लिया और कहा, "रेणुका जी, थोड़ा और बैठिए। मैं आपको अपनी लड़की के बारे में और बताना चाहता हूँ।"
रेणुका ने अपने कदम रोके और लड़की के पापा की ओर मुड़कर कहा,
रेणुका – "ज़रूर, मैं सुनना चाहती हूँ।"
लड़की के पापा ने उसकी बहुत सारी तारीफें कीं, उसकी सुंदरता, आदतें और पढ़ाई लिखाई के बारे में डींगें मारी। रेणुका उनकी बातें सुनकर प्रभावित हुई, लेकिन जब रात बहुत हो गई तो उसने लड़की के पापा से कहा,
रेणुका – "मुझे चलना होगा। बेटा घर पर राह देखता होगा। आपकी लड़की वास्तव में बहुत अच्छी है, मैं वैभव के लिए उसे देखने के लिए कल ही आऊंगी।"
लड़की के पापा ने मुस्कुराते हुए कहा, "आप ही का घर है, रेणुका जी। मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि मेरी लड़की आपके खानदान के लिए एकदम परफेक्ट रहेगी।"
फिर रेणुका मुसकुराते हुए वहाँ से चली गयी।
अपने पापा और रेणुका के बीच की इन मीठी बातों को सुन रिया का मन तो कर रहा था कि रेणुका को खूब खरी खोटी सुना दे पर वो बस अपने पापा की इज्जत में रेणुका से कुछ नहीं बोली!
दूसरी तरफ, अम्मा और रामू ट्रैफिक की भीड़ में फंस गए थे, जिसकी वजह से वे रेणुका की गाड़ी से बहुत दूर रह गए। थोड़ी देर तक रेणुका की गाड़ी को ढूंढने के बाद, रामू ने आखिरकार उसे एक घर के बाहर देखा। उसने अपनी गाड़ी को पास ही में एक बड़े पीपल के पेड़ के नीचे रोक दिया, ताकि वे रेणुका की हरकतों पर नज़र रख सकें।
अम्मा रेणुका को तो उस घर के अन्दर जाते नहीं देख पाई पर रेणुका जिस लड़की को देखने के लिए उस घर में गई थी, उसे जरूर अम्मा ने उस घर से बाहर जाते हुए देख लिया। हालांकि उनका ध्यान रेणुका के अफेयर पर इतना ज्यादा था कि वो अभी अपना ध्यान किसी भी कीमत पर किसी और जगह नहीं भटका सकती थी।
एक तरफ वो लड़की अपने दोस्तों की कार में बैठ रही थी और दूसरी तरफ रेणुका घर के मेन गेट से बाहर आ रही थी। अचानक जब रेणुका की नज़र उस लड़की पर पड़ी तो वो बहुत हैरान रह गई, वो लड़की कार में रेणुका की आंखों के सामने से वहां से चली गई। लड़की ने भी रेणुका को देख लिया था पर उसने उसे नज़र अंदाज कर दिया। रेणुका को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अभी उसके साथ हुआ क्या? इस वजह से वो कुछ देर उस जगह पर खड़ी की खड़ी रह गई।
वहीं अम्मा रेणुका को देखकर गाड़ी में छुप गई, और जैसे ही रेणुका अपनी कार के पास पहुंची तो अम्मा ने रामू से कह कर फिर से रेणुका की कार के पीछे जाने को कह दिया!
रेणुका फिर सीधा अपने घर की ओर निकल गई। अम्मा ने रामू से कहकर कार को घर के थोड़ी दूरी पर थोड़ी देर रुकवा दिया, ताकि वो रेणुका के साथ घर न पहुंचे। जब रेणुका घर के अंदर चली गई तो अम्मा भी रामू के साथ घर आ गई।
रेणुका रास्ते भर बस यही सोचती रही कि आखिर जो उसने कुछ देर पहले देखा और सुन, वो था क्या? वो एक अजीब सी परेशानी में फंस गईं थी, जिस तरीके से वो लड़की उसकी आंखों के सामने से गई और उसकी छोटी बहन ने बर्ताव किया, उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वो वैभव से उस लड़की को मिलवाना चाहती थी पर अब रेणुका को वो लड़की वैभव के लिए सही नहीं लग रही थी!
जैसे ही रेणुका अंदर गई, वो हॉल के सोफे पर जाकर बैठ गई। थोड़ी देर बाद जब अम्मा आई तो अम्मा रेणुका से बिना बात किए अपने कमरे में चली गई। रेणुका को अम्मा का ये व्यवहार बहुत अटपटा लगा पर अभी रेणुका के दिमाग में कई और भी सवाल थे जिसकी वजह से उसने इस बात को नजरअंदाज कर दिया।
थोड़ी देर बाद वैभव अपने कमरे से बाहर आया और रेणुका को देखकर वो भी अपने कमरे की तरफ जाने लगा।
रेणुका – वैभव ,इधर आओ!
वैभव अपनी मां की बात सुनकर उनके पास बैठ गया। रेणुका ने आज की पूरी बात जब वैभव को बताई तो वैभव को बहुत गुस्सा आया। फिर रेणुका धीरे-धीरे बड़बड़ाने लगी,
रेणुका – वो लड़की क्यों अपने दोस्तों के साथ घर के पीछे वाले रास्ते से जा रही थी, और उसकी बहन ने तो कहा था कि वो अपने दोस्तों के साथ पहले ही जा चुकी थी फिर जब मैं घर से बाहर आई, वो तब कार में जाकर कैसे बैठी… ये भी तो हो सकता है वो घर आ गई हो और आ कर फिर से कहीं जा रही हो?
इस बात को सुनकर वैभव का खून खौल गया पर उसने ज्यादा कुछ कहने की जगह बस इतना कहा,
वैभव ( गुस्से में)– मां,आपको समझ नहीं आ रहा! वो लड़की वहीं थी जब आप उसके घर गए थे, वो आपके आने के बाद घर से बाहर गई है!
रेणुका (परेशान) – अरे, वो ऐसा क्यों करेगी ?
वैभव ( गुस्से में) – आपको क्या लगता है?
रेणुका इस बात पर एक दम चुप हो गई। वो समझ गई थी कि उसकी दूसरी पसंद भी उसकी होने वाली बहू नहीं बनने वाली। वो वहां से उठकर अपने कमरे की तरफ चली गई!
क्या रेणुका इस दूसरी असफलता के बाद अपनी परफेक्ट बहू ढूंढ पाएगी? क्या वैभव अपनी मां की इन हरकतों से तंग आकर उठाएगा कोई बड़ा कदम? जानेंगे परफेक्ट गृहलक्ष्मी के अगले एपिसोड में!
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.