कभी यूं ही बैठे-बैठे अचानक हमें किसी पुराने हीरो की याद आ जाती है, जो एक वक्त पर हमारे दिलों में बसता था। याद आती है वो फिल्म जिसमें उस एक्टर ने ऐसा धांसू रोल किया था कि हर जगह बस उसी की चर्चा थी, लेकिन फिर... कुछ सालों बाद वो हीरो कहीं गुम सा हो गया। न कोई नई फिल्म, न ही कोई इंटरव्यू, जैसे वो अचानक इस चमकती-दमकती इंडस्ट्री से गायब ही हो गया हो। 
क्या आपके साथ भी कभी ऐसा होता है, जब आप सोचते हों कि “अरे, वो हीरो कहां चला गया?”
ये सब सोचते हुए ये भी महसूस हुआ होगा आपको की कभी-कभी इंसान अपना ही सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है। जलन, अहंकार, और गलत फैसले उसे, उसकी खुद की बर्बादी की तरफ धकेल देते हैं और जब तक ये समझ आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। 
अंश चोपड़ा के साथ भी ऐसा ही हुआ। जो कभी इंडस्ट्री का सबसे चमकता सितारा हुआ करता था, आज खुद अपनी गलती के बोझ तले दबा हुआ है। 
आईये जानते हैं कि अंश के साथ लाइब्रेरी में अभी क्या हो रहा है.. 
लाइब्रेरी की छत इतनी ऊंची है कि उसका अंत दिखता ही नहीं है, और वो दीवारें... उन पर फैले हुए जालों के पीछे से, जैसे किसी पुराने युग की कहानियां सरसराती हुई आवाज़ में फुसफुसा रही हों। 
अंश का मन धीरे-धीरे उस अंधेरे में डूबता जा रहा है, जैसे हर कदम उसे और गहरे रहस्य की ओर ले जा रहा हो।
अंश अचानक खुद को एक अंधेरे कमरे में खड़ा पाता है। चारों तरफ़ घना अंधेरा और एक सिहरन भरी ठंडक। सामने एक पुरानी फिल्म रील चलने लगती है। उसकी आंखों के सामने धुंधली तस्वीरें उभरने लगती हैं—वो तस्वीरें, जिनमें उसकी ज़िंदगी के सबसे अच्छे और सबसे बुरे, दोनों पल कैद हैं।

अंश: "ये सब क्या है? मैं यहां कैसे आया?"

उस मंज़र को देखकर अंश की धड़कनें तेज़ गईं हैं। उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा और फिर उसकी आंखों के सामने उसका अतीत तैरने लगता है, किसी फिल्म की तरह। वो देखता है कि कैसे एक समय पर उसकी ज़िंदगी चकाचौंध से भरी थी, और अब सब कुछ बिखर चुका है।
फिल्म रील की हल्की आवाज़ सुनाई पड़ती है और स्क्रीन पर तस्वीरें धीरे-धीरे उभरने लगती हैं। एक चमकती पर्सनैलिटी—अंश रेड कार्पेटपर, फैंस की भीड़ से घिरा हुआ, कैमरों की फ्लैश लाइट्स की चमकती रोशनी के बीच खड़ा पोस मार रहा है। 

अंश को वो फिल्म उस वक़्त में ले गयी, जब अंश चोपड़ा बॉलीवुड का सबसे बड़ा नाम था। वो हर फिल्म में चमकता था, उसकी एक मुस्कान पर लाखों लोग दीवाने हो जाते थे। वो रेड कार्पेट पर चलता था तो लोग उसे देखकर चीखते थे। उसके ऑटोग्राफ के लिए लड़कियां तो क्या, लड़के भी पागल हो जाते थे। उसकी हर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाती थी। प्रोड्यूसर्स की पहली पसंद ही अंश हुआ करता था। हर किसी को अंश के साथ ही काम करना था। 

अंश: "वो दिन... कितने सही थे। हर तरफ सिर्फ मेरा ही नाम था। मैं सुपरस्टार अंश चोपड़ा था। द अंश चोपड़ा!"

अंश अपनी यादों में खोया ही हुआ था कि फिल्म की रील पर उसकी सबसे हिट फिल्म का सीन दिखाई देता है। रेड कार्पेट, चमकदार लाइट्स, उसके चारों ओर चीखते फैंस। 
अंश के अतीत का वो वक़्त चल रहा है जब उसका करियर आसमान छू रहा था। वो हर फिल्म के पोस्टर पर था, हर अवॉर्ड शो में उसकी ही चर्चा होती थी लेकिन इस कामयाबी की चकाचौंध के पीछे उसकी असल ज़िंदगी में अंधकार भी पनप रहा है, जिसे वो खुद भी नज़रअंदाज कर रहा है।
धीरे-धीरे स्क्रीन पर अंश की चमकती हुई मुस्कान फीकी पड़ने लगती है। वो हंसी, जो कभी सबकी फेवरेट हुआ करती थी, अब जैसे धुंधली होती जा रही है। कैमरे की फ्लैश लाइट्स, जो कभी उसकी हर अदा को कैद करती थीं, अब मद्धम पड़ने लगी हैं।
अचानक स्क्रीन पर अंश का जीवन एक नया मोड़ लेता है—शराब, ड्रग्स और ईर्ष्या ने उसकी ज़िंदगी को घेर लिया है। उसे दूसरों की कामयाबी से दिक्कत होने लगी है। उसकी आंखों में जलन है, और वो धीरे-धीरे अपनी खुद की कामयाबी को नज़रअंदाज़ करता जाता है।

अंश: "क्यों? क्यों हर कोई मेरी जगह ले रहा था? ये मेरा वक्त था... मेरा नाम था। उन लोगों का नहीं.."

अंश, अब धीरे-धीरे उस जलन की आग में झुलसने लगा। उसके अंदर एक अजीब सी बेचैनी घर करने लगी। इंडस्ट्री में नए चेहरे आ चुके हैं —टैलेंट से भरे फ्रेश चेहरे। लोग अब उनकी बातें करने लगे हैं, उनकी तारीफें करते नहीं थकते और यही बात अंश को सबसे ज़्यादा चुभने लगती हैं। 
एक वक्त था जब फिल्में अंश के नाम पर चलती थीं, लोग कहानी से ज़्यादा अंश को देखने थिएटर जाते थे लेकिन अब उसे ऐसा लगने लगा कि उसकी जगह लेने वाले और लोग आ गए हैं। उसकी तारीफों की जगह अब वो नए चेहरे लेने लगे हैं।
उसे ये बात हजम नहीं हो रही कि जो लोग कभी उसकी परछाई में खड़े रहते थे, वो अब बड़े-बड़े बैनरों पर चमकने लगे हैं। यही चुभन उसे अपनी बर्बादी की ओर खींचने लगती है। शुरुआत हुई शराब से—हर बार थोड़ा सा गुस्सा और जलन बुझाने के लिए वो शराब का सहारा लेने लगता है। धीरे-धीरे, वो इस आग में पूरी तरह जलने लगता है। उसे लगने लगा कि ये नशा उसे उन कड़वी हकीकतों से दूर कर देगा, लेकिन असल में वो और ज्यादा डूबने लगा। उसने शराब के साथ ड्रग्स लेना भी चालू कर दिया। 
स्क्रीन पर अंश की कई पार्टियों के दृश्य चलते हैं। हर पार्टी में शराब, ड्रग्स और उस चकाचौंध के बीच अंश का डूबता हुआ करियर साफ दिखाई दे रहा है। उसकी जलन और घमंड उसे नशे में धकेलते जा रहे हैं। धीरे-धीरे, वो फिल्मों के सेट पर लेट आने लगता है, और उसकी लापरवाही उसकी फिल्मों पर असर डालने लगती है और जब वो सेट पर आता है, तो उसका बिहेवीयर ऐसा हो जाता है कि लोग उससे बात करने से भी कतराने लगते हैं।
उसकी बातों में अब न वो नरमी है, न ही प्रोफेशनल अंदाज़। उसकी जगह अब सिर्फ घमंड, गुस्सा, और बुरी तरह से झलकता नशा दिखाई देता है।
निर्देशकों से बहस करना, प्रोड्यूसरों को इंतजार कराना, और सह-कलाकारों के साथ बदतमीज़ी करना—ये सब अब उसके लिए रोज़मर्रा की बात हो गई है।
एक समय था, जब अंश को इंडस्ट्री का सबसे सफल एक्टर कहा जाता था लेकिन अब, नशे ने उसकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उसकी हर गलती उसे उसकी बर्बादी के और करीब ले जा रही है।
अंश स्क्रीन पर देखता है कि कैसे उसकी शराब और ड्रग्स की लत ने उसकी ज़िंदगी को खत्म कर दिया। वो फैंस की नज़रों में गिरता चला गया। इंडस्ट्री में उसकी इमेज पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। 

अंश: "मैंने सब कुछ खो दिया... मेरी फिल्में, मेरे फैंस, मेरी पहचान।"

स्क्रीन पर वो पल चलता है जब अंश ने अपने करियर की सबसे बड़ी फिल्म के सेट पर शराब पीकर शूटिंग में देरी कर दी थी। उस दिन मीडिया ने उसकी हालत का मज़ाक उड़ाया, और वहीं से उसकी हार की कहानी शुरू हुई।
स्क्रीन पर हल्की-हल्की चीखें गूंजने लगीं, जैसे कोई पुराना किस्सा फिर से जिंदा हो रहा हो। धुंधले फ्रेम में मीडिया रिपोर्ट्स चमकने लगीं, उनकी आवाज़ें साफ सुनाई दे रही हैं—सिर्फ अंश के नाम की चर्चा, लेकिन अब तारीफों में नहीं, बल्कि विवादों में।
अंश की आंखों में अब भी अपनी सबसे बड़ी गलती के दृश्य साफ दिखाई दे रहे हैं। स्क्रीन पर दिखता है कि कैसे एक इवेंट के दौरान, उस से एक नए एक्टर की तारीफ़ बर्दाश्त नहीं हुई। उसने उस एक्टर की बेइज्जती करने की कोशिश की, और फिर पार्टी में नशे में धुत्त हो कर हरकतें करने लगा। 

अंश: "मुझे समझ नहीं आता कि मैंने उस टाइम ऐसा क्यों किया था? उस.. उस एक्टर ने मुझसे अच्छे से बात की, और मैंने उसके साथ इतना बुरा कर दिया।"

वो चीखना चाहता है, चिल्लाना चाहता है कि ये सब बंद हो जाए लेकिन रील बिना रुके चलती जा रही है, और अंश अपनी बर्बादी का मूक दर्शक बना उसे देखने पर मजबूर है। 
फिर अचानक से रील रुक जाती है। 

अंश: "आखिर क्यों मुझे किसी और की कामयाबी से इतनी जलन हुई?कोई मेरे सवालों का जवाब दो.. प्लीज़ कोई मुझे बताओ, मैं इसे कैसे सही कर सकता हूँ?"

अंश की आंखों से आंसू बह रहे हैं। उसे एहसास हो चुका है कि उसने अपने हाथों अपनी सक्सेस, अपने सपने का गला घोंटा है। 
अचानक स्क्रीन पर अंधेरा छा जाता है, और अंश फिर से लाइब्रेरी में लौट आता है। उसका शरीर कांप रहा है, उसकी सांसें उखड़ रही हैं। उसने अपनी बर्बादी को फिर से जिया था, और अब उसे समझ आ चुका है कि उसकी सारी गलतियां उसकी खुद की वजह से हैं।

अंश: "मुझे वापस जाना है, मुझे उस गलती को सही करना है। प्लीज़ मुझे एक मौका दे दो। प्लीज़!"

लाइब्रेरियन की छाया फिर से उभरती है। वो उसे बेरहमी से देख रही है जैसे उसे अंश के आँसुओ से कोई फर्क ही नहीं पड़ता। 

लाइब्रेरियन: "तुमने अपने फैसलों से अपनी बर्बादी चुनी थी लेकिन अभी भी सब कुछ बर्बाद नहीं हुआ है। तुम अब भी बहुत कुछ बदल सकते हो, अंश।"

अंश: "हाँ, मैं बदलना चाहता हूँ। मुझे बताओ मैं क्या करूँ? मैं अपनी जान लगा दूंगा।”
लाइब्रेरियन: "इतनी भी क्या जल्दी है? सही वक्त आने दो, सब पता चल जाएगा तुम्हें।"  
अंश उसकी बात सुनकर चुप हो जाता है। उसे समझ आ चुका है कि वो अपनी ही गलती से इस हाल में पहुंचा है और अब उसे इस सच्चाई का सामना करना है। 
क्या अंश अपने गुज़रे हुए कल का सामना कर, उसे ठीक कर पाएगा?
क्या वो उन पलों को दोबारा जीने की हिम्मत जुटा पाएगा?
या लाइब्रेरी उसे हमेशा के लिए कैद कर लेगी? 
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

 

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