ज़िंदगी के सफर में, हर इंसान को अपनी राह खुद बनानी पड़ती है।  

कभी वो राह हमारे सपनों से जुड़ी होती है, तो कभी उन रिश्तों से, जो हमारे दिलों में गहरी छाप छोड़ जाते हैं।  

आज की कहानी उन किरदारों की है, जो इस सफर में अपने रास्ते तलाश कर रहे हैं—राज और संजना।  

श्रेया की गैरमौजूदगी ने इन दोनों की जिंदगियों में एक खालीपन छोड़ा था।  

लेकिन इसी खालीपन ने उन्हें अपनी पहचान तलाशने का motivation भी दिया था।

 

श्रेया के जाने के बाद, राज ने खुद को पूरी तरह अपनी आर्ट में डूबा लिया था।  

उसके स्टूडियो में हर कोने में कैनवस रखे हुए थे—कुछ अधूरे, तो कुछ रंगों से भरे।  

हर ब्रश स्ट्रोक में, हर रंग में, राज ने अपनी फीलिंगस के रंग भरे थे।  

 

Raj (to himself, thoughtfully): "श्रेया, तुम शायद मुझसे दूर हो, लेकिन तुम्हारी इमेज हर जगह है।  

मेरी पेंटिंग्स में, मेरी सोच में, और मेरे दिल के हर कोने में।"  


राज ने श्रेया को अपनी inspiration बना लिया था।  

उसकी पेंटिंग्स में वो एहसास था, जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।  

श्रेय के साथ बिताए गए लम्हों से लेकर, श्रेया की मुस्कान तक—उसकी हर पेंटिंग एक कहानी कह रही थी।  

 

राज की मेहनत और उसकी आर्ट को एक नई पहचान मिलने वाली थी।  

शहर के एक मशहूर आर्ट गैलरी के मालिक ने उसकी पेंटिंग्स की exhibition लगाने का proposal दिया था।  

राज को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी paintings को इतना बड़ा platform मिलेगा।  

 

उधर, संजना के अपने ही struggles थे।

श्रेया की हिम्मत ने उसे भी अपने सपनों को पकड़ने का हौसला दिया था।  

संजना ने भी एक इंटरनेशनल इंटर्नशिप के लिए apply कर चुकी थी।  

लेकिन संजना का ये फैसला उसके परिवार के लिए एक बड़ा झटका था।  

संजना एक traditional middle class family से थी, जहाँ बेटियों से उम्मीद की जाती थी कि वो घर के पास ही रहें और परिवार की देखभाल करें।  

संजना के पिता, जो अपने विचारों में सख्त थे, को ये खबर बर्दाश्त नहीं हो रही थी।    

उन्होंने संजना से पूछा कि ये सब क्या है? विदेश जाने की क्या जरूरत है? यहाँ भी तो नौकरी मिल सकती है!  

तो संजना ने जवाब दिया:

Sanjana (calm but firm):  "पापा, ये सिर्फ नौकरी का सवाल नहीं है। ये मेरी तरक्की, मेरे सपनों का सवाल है।  

ये इंटर्नशिप मेरे करियर को एक नई दिशा दे सकती है। और आप ही तो हमेशा कहते हैं कि मेहनत का फल बड़ा होता है।"  

इस पर भी पापा नहीं माने उन्होंने कहा:  बड़ी बातें करना आसान है, संजना। पर क्या तुमने सोचा है कि वहाँ अकेले कैसे रहोगी? और लोग क्या कहेंगे?

तब संजना का जवाब था:  

Sanjana (with quiet determination):  "पापा, लोग हमेशा कुछ न कुछ कहते हैं। लेकिन अगर मैंने उनकी परवाह की, तो मैं कभी आगे नहीं बढ़ पाऊंगी।  

आपने और माँ ने मुझे हमेशा अपनी पहचान बनाने की सीख दी है। अब जब मैं वो करना चाहती हूँ, तो आप मुझे क्यों रोक रहे हैं?"  

 

संजना दूसरों को तो हमेशा हौंसला देती थी लेकिन उसने पहली बार अपने सपनों के लिए खड़ा होना सीखा था।  

मगर उसके पिता के लिए ये accept करना आसान नहीं था।  

 

संजना की लड़ाई केवल उसके परिवार से नहीं थी।  

वो अपने अंदर कि insecurities और डर से भी लड़ रही थी।  

ऐसे में, राज ने उसकी ज़िंदगी में एक दोस्त के रूप में जगह बनाई। श्रेया राज से अक्सर संजना के बारे में ज़िक्र करती रहती थी और संजना के सामने राज की बातें भी हो चुकी थी, तो राज और संजना थोड़ा बहुत एक दूसरे को जानते थे।  

Raj और Sanjana की पहली मुलाकात एक कैफे में हुई।  

Raj (teasingly): "तो, मैडम संजना, सुना है कि तुमने भी अब ‘foreign trip’ का मन बना लिया है?"  

 

Sanjana (rolling her eyes): "हां, लेकिन उससे पहले मुझे अपने घर की दीवारों को पार करना होगा। पापा तो जैसे मुझे कहीं जाने ही नहीं देंगे।"  

 

Raj (seriously): "संजना, मैं जानता हूँ ये सब कितना मुश्किल है।  

लेकिन जो लोग सच में बड़ा हासिल करना चाहते हैं, उन्हें ये लड़ाई लड़नी पड़ती है।  

श्रेया ने जो किया, वो सबके बस की बात नहीं है। लेकिन तुम भी उस हिम्मत को अपने अंदर लाओ।"  

Sanjana (smiling faintly): "तुम्हें लगता है कि मैं कर पाऊंगी?"  

Raj (firmly): "तुम कर सकती हो, और करोगी। बस खुद पर भरोसा रखो।"  

इसके बाद राज ने संजना को अपनी आर्ट exhibition के लिए इन्वाइट किया।  

उसकी exhibition के दिन, उसे उसके art के लिए शहर भर में appreciation मिला।  

आर्ट गैलरी में हर तरफ लोग उसकी पेंटिंग्स की तारीफ कर रहे थे।  

लेकिन राज का दिल कहीं और था।  

एक Art Critic ने राज की पेंटिंग देखकर कर कहा कि उसकी पेंटिंग्स देखकर ऐसा लगता है जैसे हर ब्रश स्ट्रोक एक कहानी कह रहा हो। इन पेंटिंग्स में जो इमोशन और गहराई है, वो किसी amateur artist के बस की बात नहीं है। फिर उसने पूछा कि राज की inspiration कौन है? ये emotions उसे कहाँ से मिलते हैं? तब राज ने गहराई से जवाब दिया।  

Raj (pausing thoughtfully, then smiling faintly): "Inspiration... ये हमेशा किसी एक चीज़ से नहीं आती। ये उन लम्हों से आती है, जो हमारी ज़िंदगी में कुछ बदलकर रख देते हैं। कभी किसी की हंसी से, कभी किसी की आँखों में छुपे दर्द से, और कभी उन खामोश बातों से, जो कहने की हिम्मत तो करती हैं, लेकिन कभी सुनी नहीं जातीं।"  

इस पर art critic ने एक observation दिया। उसने कहा कि राज कि की पेंटिंग्स में एक recurring theme है। उनमें बहुत personal और गहरी feelings झलकती हैं। ये सिर्फ imagination से नहीं आया लगता। उसने राज से उन लोगों के बारे में पूछा जिन्होंने उसे इतना deeply inspire किया है!  

तब राज ने कहा:

Raj (his smile fading slightly, voice soft): "कुछ लोग हमारे जीवन में सिर्फ आते नहीं हैं, वो हमारे भीतर अपना एक हिस्सा छोड़ जाते हैं। मेरी पेंटिंग्स का हर रंग उन लोगों से जुड़ा है, जिन्होंने मुझे बदल दिया। एक दोस्त, जिसने मुझे सपनों की ताकत दी। एक मुस्कान, जिसने मुझे बताया कि जिंदगी की सबसे छोटी खुशियाँ भी सबसे गहरी होती हैं।"  

तब उस आर्ट Art Critic ने तपाक से पूछा:   "क्या वो मुस्कान अभी भी आपकी जिंदगी का हिस्सा है?"  

और राज ने जवाब दिया:

Raj (pausing, his eyes reflecting both fondness and longing):  "वो मुस्कान अभी मेरी ज़िंदगी में नहीं है... लेकिन मेरी हर पेंटिंग में है। वो हंसी, वो बातें, वो पलों की मासूमियत—सब मेरे काम में जिंदा हैं। शायद इसलिए मेरी पेंटिंग्स को देखकर लोग कहते हैं कि उनमें इमोशन है, क्योंकि वो इमोशन सच्चे हैं। वो मेरे दिल से आए हैं।"  

राज की बातों में छिपा दर्द और उसकी आर्ट में झलकती feelings, दोनों ने हर किसी को impress किया।  

उसकी पेंटिंग्स सिर्फ रंगों का मेल नहीं थीं।  

वो उसके दिल की गहराई, उसके अधूरे एहसास, और उन यादों का पुल थीं, जो कभी खत्म नहीं हुईं।  

शायद यही उसकी कला की सबसे बड़ी ताकत थी—उसकी सच्चाई।  

 

लेकिन खुद राज की नज़रें गैलरी के कोने में लगी उस पेंटिंग पर थीं, जिसमें उसने श्रेया की मुस्कान को कैद किया था।  

उसके दिल में अभी भी वही गहरी भावना थी—श्रेया के लिए।  

आर्ट गॅलरी से राज का exhibition देखकर लौटने के बाद संजना ने आखिरकार अपने पिता को मनाने का फैसला किया।  

Sanjana (softly, but firmly): "पापा, मैं जानती हूँ कि आप मुझसे बहुत प्यार करते हैं। और आपकी चिंता भी सही है।  

लेकिन अगर मैंने अपने सपने पूरे नहीं किए, तो मैं कभी खुश नहीं रह पाऊंगी।  

आपने मुझे हमेशा सिखाया है कि हमें अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए।  

क्या आप आज मेरे साथ खड़े नहीं हो सकते?"  

संजना के पापा पुराने खयालों के थे। उनके हिसाब से ये सब बातें किताबों में और फिल्मों में अच्छी लगती हैं।  

हमारे समाज में लड़कियों की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी उनका घर होता है।  

उनके मुताबिक उन्होंने संजना को अच्छे संस्कार इसलिए दिए हैं, ताकि वो एक अच्छी housewife बन सके।  

घर संभालना, परिवार का ख्याल रखना, यही सबसे बड़ी कामयाबी है। पर श्रेया ने संजना को एक उड़ान भरने की हिम्मत दी थी।  

Sanjana (taken aback, her voice trembling but strong):  "पापा, क्या यही आप मुझे सिखाना चाहते थे?  

आपने हमेशा कहा था कि मैं जो भी बनना चाहूँ, उसके लिए मुझे मेहनत करनी चाहिए।  

अब आप मुझे यह क्यों कह रहे हैं कि मेरे सपनों का कोई मतलब नहीं है?  

पापा, एक लड़की का सपना सिर्फ उसके परिवार तक limited क्यों होना चाहिए?"  

यही संजना के परिवार की परंपरा थी।  

उसकी माँ ने अपने सारे सपने छोड़कर इस घर को संभाला, उसके दादा-दादी की सेवा की।  

और आज भी वो सबकुछ संभाल रही है।  

अगर उन्होनें ऐसा न किया होता, तो ये घर कभी टिक नहीं पाता।  

पापा ने संजना से ही पूछ लिया कि क्या उसे लगता है कि उसकी माँ ने कोई गलत फैसला किया?

Sanjana (her eyes filling with tears, her voice soft but steady): "पापा, माँ ने जो किया, वो हमारे लिए एक त्याग था।  

मैं उनकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ।  

लेकिन पापा, अगर मैं अपने सपनों को छोड़ दूँगी, तो क्या मैं खुश रह पाऊँगी?  

क्या आप खुश रह पाएंगे, ये जानते हुए कि आपकी बेटी अपनी पूरी ज़िंदगी सिर्फ यह सोचकर बिता रही है कि उसे कभी मौका ही नहीं मिला?"  

संजना के पापा को ये डर नहीं था कि वो नाकाम हो जाएगी।  

उन्हें डर था कि ये दुनिया उसे समझेगी नहीं।  

वो वहाँ अकेली कैसे रहोगी? अगर कुछ गलत हो गया तो?  

कौन उसका साथ देगा, जब उसे परिवार की ज़रूरत होगी?"  

 

Sanjana (moving closer, holding his hand): "पापा, अगर मैं हमेशा डरकर जीती रहूँगी, तो कभी कुछ नहीं कर पाऊँगी।  

आपने मुझे हमेशा हिम्मत दी है।  

क्या आप नहीं चाहते कि मैं अपनी ज़िंदगी में कुछ ऐसा करूँ, जिस पर आप गर्व कर सकें?  

मैं ये अकेली नहीं करूँगी, पापा। आपके आशीर्वाद के बिना कुछ भी संभव नहीं है।  

क्या आप मुझे उस हिम्मत से दूर कर देंगे, जो आपने ही मुझे दी है?"  

 

पापा। मैं आपको निराश नहीं करूंगी।  और जब भी आपको मेरी ज़रूरत होगी, मैं हमेशा आपके पास लौटकर आऊंगी। ये मेरा वादा है।"  

बाप-बेटी का ये रिश्ता, जो कभी सिर्फ परंपराओं और उम्मीदों से बंधा था, आज सपनों और प्यार के बीच का पुल बन गया।  

संजना के पिता का संघर्ष, अपनी परंपराओं और बेटी की खुशियों के बीच, उन्हें एहसास दिला गया कि एक सपने को पूरा होने देना सबसे बड़ा बलिदान भी हो सकता है।  

संजना के चेहरे पर आँसू थे, लेकिन उसकी आँखों में एक नई चमक भी थी—  

अपने सपनों की तरफ बढ़ने की हिम्मत, और अपने परिवार के साथ की ताकत।  

Exhibition के बाद से राज और संजना के बीच एक नई दोस्ती पनप रही थी।  

दोनों ने एक-दूसरे को सपोर्ट करना शुरू कर दिया था।  

Sanjana (to Raj, jokingly):  "तुम्हारी पेंटिंग्स तो मशहूर हो गईं। अब तुम्हें मुझे अपनी inspiration बनाना चाहिए।"  

Raj (laughing): "अगर मैंने तुम्हें अपनी inspiration बनाया, तो मेरी पेंटिंग्स में इतनी शरारत होगी कि लोग समझ नहीं पाएंगे!"  

राज और संजना की ये दोस्ती एक नई शुरुआत थी।  

दोनों ने महसूस किया कि ज़िंदगी की मुश्किलों का सामना करने के लिए एक सच्चे साथी की ज़रूरत होती है।  

उधर, श्रेया को लंदन  में रहते हुए राज की exhibition की खबर मिली।  

उसने उसे एक ईमेल भेजा।  

 

Shreya (in her email):  "राज,

तुम्हारी पेंटिंग्स ने कमाल कर दिया है।  

मैंने ऑनलाइन गैलरी में तुम्हारे काम को देखा, और मुझे बहुत प्राउड फ़ील हुआ।  

तुम्हारी हर पेंटिंग में जो गहराई है, वो कमाल की है।  

तुम्हें देखकर मुझे हमेशा motivation मिलती है। थैंक यू, मेरे दोस्त।"  

Raj (to himself, smiling):  "श्रेया, तुम्हारा ये मेल मेरे लिए उस हर तारीफ से ज्यादा खास है।"  

 

"राज और संजना ने अपनी राहों को चुन लिया था।  

श्रेया और संकेत भी अपनी-अपनी जिंदगियों को नए सिरे से तलाश रहे थे।  

इन चारों की कहानियाँ अब अलग-अलग दिशाओं में बढ़ रही थीं, लेकिन उनकी यादें और रिश्ते उन्हें जोड़कर रखे हुए थे।  

क्या इन नए रास्तों पर चलकर ये किरदार एक-दूसरे से फिर मिल पाएंगे?  

या उनकी जिंदगियाँ अब हमेशा के लिए अलग हो जाएंगी?  

 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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