अर्जुन की मुट्ठियाँ सख्ती से भींच गईं। "अगर हम सच कहेंगे तो शायद आप और भी ज़्यादा टूट जाएंगी। लेकिन हम अब और आपसे कुछ नहीं छिपा सकते।" इतना कहकर अर्जुन ने एक पल की चुप्पी के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी। अर्जुन के आगे के शब्द सुनकर ध्रुवी अपनी जगह ही रुक गई।

 

अर्जुन (कोरे भाव से): आप जिसे अब तक सच मान कर जी रही हैं, असल में वो सब कुछ एक झूठ है!

 

ध्रुवी पलटी और उसने अर्जुन की ओर देखा। उसकी आँखें लाल थीं, थकी हुई, टूटी हुई।

“क्या सच्चाई, अर्जुन?” उसकी आवाज़ बर्फ-सी ठंडी थी। “वो जो आपने आज दिखाई... या कुछ और भी बाकी है?”

अर्जुन ने गहरी सांस ली, फिर उसकी ओर एक कागज़ बढ़ाया।

ध्रुवी (असमंजसता से): ये क्या है?”

अर्जुन (कोरे भाव से): आर्यन का प्रोफाइल। पूरा बायोडेटा, पिछली पहचान, तुमसे कहा गया था कि वो एक अनाथ है... लेकिन सच्चाई ये है, ध्रुवी, कि..…

ध्रुवी (धड़कते दिल के साथ): कि?

अर्जुन (एक गहरी सांस लेकर): उसे मैंने भेजा था ध्रुवी..... उसका आपसे मिलना, टकराना..... आपसे मोहब्बत होना..... कुछ भी इत्तेफाक नहीं था..... सब कुछ प्लान था।

ध्रुवी की साँस अटक गई। वो जैसे बिल्कुल सन्न रह गई। अविश्वास से मानो जैसे उसके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई थी।

ध्रुवी (अविश्वास से): क.....क्या..... बक.....बकवास है ये।

अर्जुन (गंभीरता से): यही सच है ध्रुवी.....।

अर्जुन का लहज़ा बेहद शांत था, लेकिन उसकी आँखों में वो आंधी थी जो उसने छिपा रखी थी। 

अर्जुन (अपनी बात जारी रखते हुए): हमें आपको महल में लाने के लिए एक रास्ता चाहिए था — एक भरोसा, एक सहारा। और आर्यन वो सहारा था... जिसे आपके करीब भेजा गया..... एक मोहरा।

ध्रुवी को ऐसा लगा जैसे ज़मीन उसके पैरों के नीचे से खिसक गई हो।

ध्रुवी (ना में गर्दन हिलाते हुए): झू.....झूठ... ये सब झूठ है..।

अर्जुन (गिल्ट भरे भाव से): काश ये झूठ होता..... “काश आर्यन वाकई आपसे प्यार करते। मगर उन्होंने सिर्फ हमारे प्रति अपनी वफादारी निभाई.....वही किया, जो हमने उनसे करवाया। आपके दिल में जगह बनाना, आपको यकीन दिलाना कि कोई तो है जो आपके साथ है... ताकि आप उनके ज़रिए धीरे-धीरे इस महल की और हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन कर हमारी उलझन सुलझा सकें।

अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी का वजूद कांप उठा..... उसने बहती आँखों के साथ ज़ोर–ज़ोर से ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए..... कांपते लहज़े में अपनी चुप्पी तोड़ी।

ध्रुवी (अर्जुन की बात नकारते हुए): तू.....तुम झु.....झूठ बोल रहे हो..... मेरा आर्यन मेरे साथ हरगिज़ ऐसा नहीं कर सकता..... व.....वो तो मुझे बहुत चाहता है।

अर्जुन (एक पल को गिल्ट से अपनी आँखें बंद करते हुए): ध्रुवी..…

ध्रुवी (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): नहीं.....झूठे हो तुम..... ज़रूर.....ज़रूर ये तुम्हारी कोई नई साज़िश..... कोई नया प्लान है।

अर्जुन (मिले–जुले भाव से): हम जानते थे आप हमारी बात पर यकीन नहीं करेंगी..... (एक पल रुक कर ध्रुवी का हाथ थामते हुए)..... चलिए हमारे साथ.....।

 

इतना कहकर अर्जुन ध्रुवी को अपने साथ कमरे से बाहर की ओर ले गया। जबकि ध्रुवी बस उसके साथ चले जा रही थी जैसे अर्जुन के लफ्ज़ों का बोझ संभालने की जद्दोजहद में उलझी थी! 

 

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महल के पुराने हिस्से में एक छोटा सा तहखाना था — जिसे अब केवल rarely इस्तेमाल किया जाता था। दीवारें सीलन से भरी थीं और वहाँ रखे पुराने फर्नीचर की लकड़ी भी घुटन भरी गंध छोड़ रही थी। अर्जुन ने ध्रुवी को वहीं लेकर आया था। ध्रुवी चौंकी नहीं थी। कमरे का दरवाज़ा ज़र्र-से खुला था। उसे लग रहा था शायद अर्जुन कोई और परत खोलेगा अपनी साज़िश की — मगर जो इस वक्त उसके सामने खड़ा था, उसे देख उसकी धड़कनें थम गईं थीं।

ध्रुवी (दुनिया जहां के इमोशंस के साथ): आ.....आर्यन?

 

आर्यन वहीं खड़ा था — निगाहें झुकी हुई, चेहरा थका हुआ, जैसे जज़्बात के किसी तूफान में घसीटा गया हो।

अर्जुन (गंभीरता से): हम चाहते हैं कि अब आपको सच उसी की ज़ुबानी सुनना चाहिए..... जिसके साथ आपने ये झूठ जिया..... (एक पल रुक कर)....... “बोलो आर्यन, क्यों और कैसे आपने ध्रुवी से नज़दीकियां बढ़ाईं?”

अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी फ़ौरन ही आर्यन की ओर भागी।

ध्रुवी (बहती आँखों के साथ): नहीं कुछ मत कहना आर्यन..... तुम्हारा सच जानने के लिए मुझे तुम्हारी आँखें काफी हैं..... मुझे पता है ज़रूर अर्जुन ने मेरी ही तरह..... तुम्हें भी डराया धमकाया होगा..... मैं सब ठीक कर दूंगी..... (बेसब्री भरे भाव से)..... बस एक बार कह दो ये सब झूठ है आर्यन।

आर्यन ने ध्रुवी की बात सुनकर अपनी नज़रे फेर ली..... गिल्ट बहुत छोटा शब्द था जो वो इस वक्त महसूस कर रहा था।

आर्यन (गिल्ट भरे भाव से): माफ़ करना ध्रुवी..... ( उसकी आवाज़ कांप रही थी)..... में.....मैंने वो सब अर्जुन के कहने पर किया था... तुम्हारे पास जाना, तुमसे दोस्ती करना, तुम्हारा भरोसा जीतना — सब उनका प्लान था। मैं... मैं सिर्फ एक मोहरा था।

ध्रुवी पीछे हट गई, जैसे किसी ने उसके सीने में छुरा घोंप दिया हो। वो वहीं ठिठक गई। लेकिन वो अपने भरोसे को अभी भी टूटने नहीं देना चाहती थी..... या यूं कहें कि वो इस झूठी ख़ुशफहमी से कभी बाहर ही नहीं आना चाहती थी।

ध्रुवी (भावुकता से): न.....नहीं... नहीं आ.....आर्यन... प्लीज़ ऐसा मत कहो...मैं मर जाऊंगी।

ध्रुवी की बात सुनकर अर्जुन और आर्यन दोनों के चेहरों पर गिल्ट के भाव गहरे हुए थे..... ध्रुवी की साँस थमी।

उसके होंठ कांपे — “आर्यन...”

हर दीवार, हर छाया उसे जैसे आगाह कर रही थी — "मुड़ जा, जो जानने जा रही है, वो तुझे जला देगा" लेकिन अब लौटना मुमकिन नहीं था। आर्यन की आँखें सूनी थीं, होंठों पर गिल्ट की चुप्पी थी। 

“क्या... एक भी पल... एक भी स्पर्श... एक भी कसम सच्ची नहीं थी?.....” ध्रुवी ने टूटे हुए लहज़े में कहा।

गिल्ट से आर्यन की आँखें भर आईं, मगर उसने चेहरा छुपा लिया — “तुमसे मोहब्बत करने का नाटक... मेरा काम था। मैं... सिर्फ एक किरदार निभा रहा था तुम्हारे विश्वास की कहानी में।

"झूठ है!" ध्रुवी चीख पड़ी। उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे, जैसे कोई बवंडर उसका सीना फाड़ कर बाहर आ रहा हो। “तुम झूठ बोल रहे हो आर्यन! कह दो अर्जुन ने मजबूर किया है तुम्हें! कह दो... ये सब एक खेल है!”

आर्यन ने गहरी सांस लेते हुए गिल्ट में डूबे लहज़े के साथ एक बार फिर अपनी चुप्पी तोड़ी। उसके चेहरे पर वो मोहब्बत नहीं थी जो ध्रुवी ने हर शाम देखी थी। अब वहाँ एक अजनबी खड़ा था। 

“माफ़ कर देना ध्रुवी,” उसकी आवाज़ रेत पर चलते पैरों जैसी थी। “मैंने जो भी किया... तुमसे जो भी रिश्ता बनाया... महज़ वो सब अर्जुन का प्लान था..... वो सब सिर्फ एक छल था।

ध्रुवी जैसे इस सच की चोट से फ़ौरन ही ज़मीन पर गिर पड़ी थी। उसके होंठ खुले थे लेकिन आवाज़ गुम हो चुकी थी। बाहर कहीं दूर तूफ़ान गरज रहा था — जैसे आसमान भी किसी साज़िश के उजाले से कांप रहा हो। महल के सबसे पुराने हिस्से में, जहाँ कभी राजाओं की तलवारें सजती थीं, अब एक घुटन भरा सन्नाटा पसरा था। वही जगह चुनी गई थी — एक सच्चाई को ज़हर की तरह परोसने के लिए।

आर्यन (मद्धम लहज़े से): प्लान के मुताबिक हमें तुम्हें यकीन दिलाना था कि तुम अकेली नहीं हो। कि तुम्हारे आस-पास कोई है जो तुम्हें समझता है, तुम्हारे दुःख में तुम्हारे साथ है… ताकि तुम महल तक पहुँच सको। ताकि तुम अर्जुन की बातें सुनो। ताकि… यह सब सम्भव हो सके।

ध्रुवी की आँखों में वो चमक बुझने लगी जो आर्यन को देखने भर से चमक उठती थी। ध्रुवी अब थरथर कांप रही थी। उसने दीवार का सहारा लिया। उसकी साँस जैसे किसी ने छीन ली हो। ध्रुवी वहीं ज़मीन पर बैठी सिसक पड़ी। आँसुओं का सैलाब उसकी आँखों से नहीं, रूह से निकल रहा था।

“क्यों?” ध्रुवी का गला सूख गया था, “क्यों किया मेरे साथ तुम दोनों ने ये सब?..... क्यों आखिर?

ध्रुवी के सवाल पर अर्जुन उसके पास आया, पर उसके कदम धीमे थे — मानो इस अपराधबोध से वो घुटा जा रहा हो।

अर्जुन (अपना सच कहते हुए): क्योंकि अगर हम सीधे तौर पर आपसे मदद मांगते तो आप कभी राज़ी नहीं होतीं।

ध्रुवी का सिर घूम रहा था। वह काँपती हुई खड़ी हुई। उसकी आँखें आर्यन से एक आखिरी सफ़ाई माँग रही थीं। ध्रुवी की आँखों में आँसू थे। मगर वह रोई नहीं। उसकी साँस भारी हो चुकी थी।

ध्रुवी (बिखरे हुए लहज़े के साथ): तो ये सब — जो मैं समझती रही — प्यार, साथ, वफ़ा… वह सब एक घिनौना मज़ाक था?” उसकी आवाज़ अब टूटी हुई थी, “एक खेल… जिसे तुम दोनों ने खेला, और मैं मोहरा बनी?”

आर्यन ने आँखें झुका लीं। “मैंने जो कुछ भी किया, उसमें मेरी भावना नहीं थी। सिर्फ एक जिम्मेदारी थी — अर्जुन की दी हुई जिम्मेदारी।

“क्यों?” ध्रुवी ने चीखते हुए पूछा। “क्या मैं कोई खेल थी? कोई ताश का पत्ता? क्यों किया ये सब?.....” ध्रुवी ने बिखरे हुए वजूद के साथ आर्यन के कॉलर को झकझोरते हुए सवाल किया।

अर्जुन चुपचाप खड़ा था। उसके चेहरे पर पछतावे की परछाईं थी।

आर्यन ने धीरे से कहा, “ताकि तुम अर्जुन पर भरोसा कर सको… ताकि तुम इस महल में टिक सको… ताकि तुम यहां आकर सब संभाल लो।

अर्जुन (पछतावे भरे भाव से): हम जानते हैं ध्रुवी आपका गुस्सा जायज़ है। लेकिन इस सबमें आर्यन का कोई कुसूर नहीं है उसने ये सब हमारे कहने पर किया..... (एक पल रुक कर)..... शायद हमारा तरीका गलत था लेकिन हमारी नियत नहीं..... हम जानते हैं हम आपके असल कसूरवार हैं..... आप जो भी सज़ा देना चाहें हमें मंज़ूर होगी..... (धीमे लहज़े से)..... बस हमें माफ़ कर दीजिए।

“माफ़ी?” ध्रुवी की हँसी सूखी थी, “तुम्हारी माफ़ी मेरे टुकड़े जोड़ सकती है?..... (बिखरे हुए लहज़े से)..... मेरी मोहब्बत, मेरी मासूमियत, मेरा भरोसा… सब कुछ मिट्टी में मिला दिया तुम दोनों ने।

ध्रुवी की साँसें तेज़ थीं, दिल एक अजीब सी दरार में डूब रहा था। अर्जुन आगे बढ़ा उसने एक बार फिर अपनी चुप्पी तोड़ी।

 

अर्जुन (अनकहे भाव से): हम आपको झूठ में अंधेरे में नहीं रखना चाहते, ध्रुवी। ये सच्चाई जितनी भी दर्दनाक क्यों ना हो, कम से कम अब आपके पास भ्रम नहीं बचा।

 

आर्यन ने एक कदम आगे बढ़ाया। उसने बुझे मगर गिल्ट भरे भाव से ध्रुवी की ओर देखते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी।

आर्यन (बुझे भाव से): हमने ये सबकुछ जिस भी नियत से किया हो मगर हकीकत यही है कि तुम्हारे साथ गलत हुआ है। मुझे अफ़सोस है कि..…

ध्रुवी ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में एक सूना सा ठहराव था।

“अफ़सोस?” उसने धीमी, मगर तिरस्कार भरी आवाज़ में कहा। “तुम्हें अफ़सोस है? चलो अच्छा है, कम से कम तुम्हारे पास इतनी इंसानियत तो बची है कि झूठ बोलने के बाद तुम शर्मिंदा हो सको।”

आर्यन ने शर्मिंदगी से अपना सिर झुका लिया।

 

"तो तुम कभी मेरे थे ही नहीं..... सब सिर्फ़ एक साज़िश था?" उसकी आवाज़ में एक मासूमियत भरी तकलीफ थी..... "तुम दोनों एक जैसे हो," ध्रुवी फुसफुसाई — “सच की आड़ में झूठ का खेल खेलते हुए।”

वो अब तक आर्यन की यादों के सहारे जी रही थी — वो हर पल जो अब उसे झूठा लग रहा था। उसके कहे हर शब्द अब एक साज़िश मालूम हो रहे थे। और सबसे बड़ा झटका यह था कि जो इंसान उसे सच्चा लगा था, जिसके लिए उसने इतनी बड़ी कुर्बानी दी थी वही असल में सबसे बड़ा छल निकला।

 

“मुझे लगता था तुम वो इकलौता शख़्स हो जो मुझे बिना किसी लालच के देखता है…” वह बुदबुदाई, “पर तुम तो एक चाल का हिस्सा निकले.....जिसने मुझे ही मोहरा बना दिया।

 

आर्यन (अनकहे अपराधबोध के साथ): मैं सच में शर्मिंदा हूँ, ध्रुवी। अगर मैं वक्त लौटा सकता…

 

"तड़ककककककक".....।

 

आर्यन अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था..... कि एक तड़क की तेज़ आवाज़ वहाँ गूँजी। आर्यन जिसने ध्रुवी को समझाने की दरकार से उसका हाथ पकड़ना चाहा कि उसके धोखे से छलनी हुई ध्रुववी ने एक ज़ोरदार थप्पड़ आर्यन को रसीद कर दिया था। जिसके साथ ही आर्यन ने शर्म से अपनी नज़रे झुका ली थीं। और फिर, पहली बार, दीवान-ए-ख़ास में एक और आवाज़ गूँजी — एक टूटी हुई चीख।

 

“आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह”!

 

ध्रुवी ने अपनी दोनों हथेलियों से सिर थाम लिया और ज़मीन पर गिर पड़ी। 

 

 

(क्या ध्रुवी इतने बड़े धोखे को सह पाएगी? क्या वो अर्जुन और आर्यन के छल के लिए उन्हें माफ़ कर पाएगी..... और आखिर अब क्या फैसला होगा ध्रुवी का? .....जानने के लिए पढ़ते रहिए "शतरंज - बाज़ी इश्क़ की"!)

 

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