इतना कहकर ध्रुवी वहाँ से उठी और अपने कमरे में जाने लगी। किन्तु दरवाज़े पर जाकर वह कुछ सोचकर रुकी और कुछ कहने के लिए अर्जुन की ओर पलटी।

 

ध्रुवी (अर्जुन की दिशा में पलटकर, बिना किसी भाव के): “जहाँ भी जाना हो, बता दीजिएगा। मैं तैयार रहूँगी।”

 

इतना कहकर ध्रुवी वहाँ से चली गई और अर्जुन उसे एकटक देखता रह गया। ध्रुवी की आर्यन के प्रति मोहब्बत की ऐसी दीवानगी और जुनूनियत देखकर अर्जुन कहीं न कहीं हैरान था। ध्रुवी अपने कमरे में आई और उसने अपनी नम आँखों को अपने हाथों से पोंछा। एक गहरी साँस लेकर उसने खुद को सामान्य करने की पूरी कोशिश की। कुछ देर बाद वह कामयाब भी रही। कुछ पल बाद ध्रुवी ने लैपटॉप उठाया और सोफ़े पर बैठ गई। उसने वही वीडियो क्लिप्स देखनी शुरू की जो उसने कल अधूरी छोड़ी थीं। आज भी कल की तरह यही प्रक्रिया उसने अपनाई और अनाया की ज़िन्दगी से जुड़ी सारी चीज़ों को बारी-बारी से देखने लगी।

 

अगले चार-पाँच दिन इसी प्रक्रिया में गुज़र गए। ध्रुवी सुबह उठती और पूरा दिन अनाया की ज़िन्दगी के पन्नों को पलटने में व्यस्त रहती। पूरा दिन अनाया से जुड़ी चीज़ों और उसके बारे में जानकारी हासिल करती रहती। यहाँ तक कि उसे अपने खाने-पीने का भी होश नहीं रहता था। उसकी इस लगन और शिद्दत को देखकर अर्जुन अब भली-भाँति समझ चुका था कि ध्रुवी की यह लगन और शिद्दत सिर्फ़ आर्यन की वजह से ज़िंदा है और ध्रुवी की इस लगन और शिद्दत के तार सीधे तौर पर आर्यन से ही जुड़े हुए थे। पूरा एक हफ़्ता गुज़र चुका था और अर्जुन द्वारा ध्रुवी को दी गई अनाया की सारी यादें, उसकी ज़िन्दगी के बारे में सारी जानकारी ध्रुवी ने बखूबी पढ़ ली थी, देख ली थी और समझ भी ली थी।

 

अब वह धीरे-धीरे उन सारी चीज़ों को अपने अंदर लाने की पूरी कोशिश में थी और वह दिन पर दिन कामयाब भी हो रही थी। अनाया कैसे चलती थी, कैसे खाती थी, कैसी रहती थी या कैसे बोलती थी, यह सब ध्रुवी अब लगभग न सिर्फ़ समझ चुकी थी बल्कि इन सब बातों पर वह अपनी ज़िन्दगी में सीधे तौर पर अमल भी कर रही थी। अर्जुन को भी यकीन हो चला था कि आख़िरकार वह वक़्त आ गया है जब ध्रुवी इस काम को बखूबी तरीके से करने के लिए तैयार हो चुकी है। इसी के चलते अर्जुन ध्रुवी से मिलने उसके कमरे में पहुँचा।

 

अर्जुन (ध्रुवी की ओर देखकर): "हमें लगता है कि हम जिस काम के लिए आपको यहाँ लाए थे, अब उसे करने के लिए आप पूरी तरह तैयार हो चुकी हैं। (एक पल रुककर) तो हम कल ही रायगढ़ के लिए निकलेंगे। आप तैयार हैं ना?" ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनकर सिर हां में हिला दिया। अर्जुन (एक पल रुककर): “ठीक है फिर, आप तैयार रहिएगा। कल हमें निकलना है और कल से ही आपकी असली परीक्षा शुरू भी होगी।”

 

इतना कहकर अर्जुन जाने लगा तो ध्रुवी ने उसे टोका। अर्जुन ने ध्रुवी के मुँह से अपना नाम सुना तो वह फ़ौरन रुक गया। क्योंकि पिछले एक हफ़्ते में ध्रुवी ने सिर्फ़ उतना ही जवाब दिया था जितना अर्जुन ने उससे पूछा होता था। वर्ना आगे से कभी भी ध्रुवी ने खुद अर्जुन से बात नहीं की थी। आज इतने दिनों बाद जब ध्रुवी ने उसे टोका तो वह फ़ौरन रुक गया और ध्रुवी के चेहरे के भाव और इमोशन्स को देखकर ही उसकी बात का मतलब बिना उसके कुछ कहे समझ गया था। इसलिए उसने ध्रुवी के कुछ बोलने से पहले ही अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उसकी बात का जवाब दे दिया।

 

अर्जुन (अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, बिना किसी भाव के): “अच्छे से जानते और समझते हैं हम कि आप क्या कहना चाहती हैं। (एक पल रुककर, ध्रुवी के चेहरे पर आई उत्सुकता और चिंता को भापते हुए) हम बिलकुल भी नहीं चाहते कि आप यह काम शुरू करने से पहले थोड़ी भी चिंतित हों या किसी और परेशानी या उलझन में उलझी रहें और लोगों को आप पर शक करने या उंगली उठाने का एक भी मौका मिले। इसीलिए कल सुबह जाने से पहले आप अपनी तसल्ली और खुशी के लिए एक बार अपने आर्यन से मिल सकती हैं।”

 

ध्रुवी (एक हल्की राहत भरी साँस लेते हुए): “थैंक्यू!”

 

अर्जुन (ध्रुवी की बात का कोई जवाब दिए बिना, बिना किसी भाव के): “रात बहुत हो चुकी है। आप सो जाइए। सुबह हमें जल्दी निकलना है।”

 

ध्रुवी (अपना सिर हां में हिलाते हुए): “हम्मम!”

 

इसके बाद अर्जुन बिना एक पल भी रुके ध्रुवी के कमरे से बाहर निकल गया और उसके जाने के कुछ बाद ध्रुवी भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गई। कुछ देर यूँ ही सोचते रहने के बाद ध्रुवी ने साइड टेबल से अपना फ़ोन उठाया और फ़ोन की गैलरी खोलकर उसमें से आर्यन की तस्वीर निकाल कर, आर्यन की तस्वीर को देखते हुए, उस पर प्यार से उंगलियाँ फिराते हुए, मिले-जुले भाव के साथ उसकी तस्वीर एकटक देखने लगी। और फिर कुछ पल बाद उसकी तस्वीर को दर्द और सुकून के मिले-जुले भाव के साथ अपने सीने से लगाकर ध्रुवी ने अपनी आँखें मूँद लीं।

 

काफ़ी देर की जद्दोजहद के बाद आख़िरकार वह नींद के आगोश में चली गई, इस सोच के साथ कि कल सुबह से उसकी ज़िन्दगी एक नए सफ़र पर, एक नया मोड़ लेने वाली है और न जाने अब उसकी किस्मत उसे कौन से नए रंगों और सफ़र से मिलाने वाली है और न जाने अब आने वाला वक़्त और उसकी किस्मत उसे इस सफ़र पर कहाँ ले जाने वाले हैं। ध्रुवी ने अपनी आँखें मूँद लीं और काफ़ी देर की जद्दोजहद के बाद आख़िरकार वह नींद के आगोश में चली गई। अगली सुबह ध्रुवी की नींद खुली तो उसने एक सरसरी नज़र कमरे में डाली और फिर कुछ पल बाद जल्दी से, उत्सुकता भरे भाव के साथ बिस्तर से नीचे उतरी। उसके चेहरे के हाव-भाव से यह साफ़ तौर पर जाहिर हो रहा था कि उसकी यह उत्सुकता आर्यन से मिलने के लिए थी।ध्रुवी जल्दी से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में गई और नहा कर बाहर आई। उसने जल्दी-जल्दी अपने बालों का रफ़ू-जुड़ा बनाया और फिर जल्दी से नीचे आई। उसने देखा कि रोज़ की तरह अर्जुन नाश्ते की टेबल पर बैठा, उसका इंतज़ार कर रहा था।

 

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