विक्रम ने अपनी टीम के लिए एक योद्धा और एक सायबर एक्सपर्ट तो चुन लिया था, लेकिन अभी उसकी टीम अधूरी थी। अब एक ऐसा व्यक्ति चाहिए था जो युद्ध के मैदान में न सही लेकिन दिमाग की जंग में माहिर हो। एक ऐसा व्यक्ति जो रणनीति में माहिर हो । उसी समय, विक्रम के सामने आया एक नाम—मीरा जोशी।

एक पूर्व डिफेंस एनालिस्ट, मीरा जोशी, ऐसी रणनीतियों रचती थी जो न केवल दुश्मनों को मात देती थी बल्कि देश को अनगिनत बार संकट से बचाती भी थी। जब विक्रम ने मीरा की पिछली जिंदगी के बारे में पढ़ा, तो उसे समझ में आ गया कि मीरा को अपनी टीम में लेना कितना जरूरी था।

मीरा का जन्म एक अमीर और शिक्षित परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने उसे बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया लेकिन मीरा की असली प्रेरणा उसकी दादी थी। जब मीरा छोटी थी,  उसकी दादी उसे महाभारत की कहानियाँ सुनाया करतीं थीं। मीरा का ध्यान उन कहानियों में चक्रव्यूह रचना और युद्ध की रणनीतियों पर ज्यादा जाता था। "युद्ध जीतने के लिए ताकत से ज़्यादा ज़रूरी होती है एक मजबूत रणनीति, एक बड़िया चक्रव्यूह" - मीरा अक्सर अपनी दादी से कहा करती थीीं। यही सोच मीरा के बचपन में बस गई। वह हमेशा मानती थी  कि अगर रणनीति सही हो, तो युद्ध शुरू होने से पहले ही जीत लिया जा सकता है।

मीरा की पढ़ाई के दिन इस तरह गुजरे, जैसे वह किसी मिशन पर हो। मीरा का ज्यादातर समय लाइब्रेरी में बीतता था, जहाँ वह अलग-अलग युद्धों के बारे में किताबें पढ़तीं। देश-विदेश में हुए ऐतिहासिक युद्धों का अध्ययन करना, उनकी वजहों और नतीजों को समझना, और उनसे सबक लेना—यह मीरा का जुनून था।

इसके साथ-साथ मीरा को चेस खेलने में भी बहुत रुचि थी। चेस के खेल ने उसके दिमाग को और भी तेज़ बना दिया। उसकी चालें इतनी सटीक होती थी कि ज़्यादा देर उसके सामने कोई टिक नहीं पाता था। खेल हो या युद्ध का मैदान, मीरा यह समझने की कोशिश करतीं कि हार और जीत के पीछे कौन से कारण छिपे हैं।

युद्ध और रणनीति के प्रति इस गहरी रुचि ने मीरा को आर्मी में डिफेंस एनालिस्ट बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने इस सपने को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत की। आखिरकार, मीरा ने अपने करियर में ऐसी ऊंचाई हासिल की, कि जहाँ उनकी रणनीतियों ने देश को बार-बार बड़े संकटों से बचाया। उनका दिमाग किसी कंप्यूटर से कम नहीं था—हर कदम सोचा-समझा, हर फैसला तर्कपूर्ण।

आर्मी में शामिल होने के बाद, उसके वार प्लांस ने कई लड़ाइयों का रुख पलटा, और उसने अपनी योजनाओं से लगभग हर बार जीत दिलाई। सिर्फ़ आर्मी के बटैलियन में ही नहीं, बल्कि अपने घर में भी मीरा हमेशा सबसे समझदार और सुलझी हुई मानी जाती थी।

मीरा ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही विक्रम के साथ काम किया था। वह डिफेंस एनालिस्ट के रूप में विक्रम के लिए रणनीति तैयार करती थी। विक्रम को आज भी याद था कि मीरा की बनाई हुई रणनीतियों ने कई बार असंभव परिस्थितियों में जीत सुनिश्चित की थी।

आर्मी में शामिल होने के एक साल बाद, मीरा की मुलाकात हुई मेजर यश से। यश अपनी टीम के एक जांबाज लीडर थे, और मिशन में साथ में काम करते हुए धीरे-धीरे उनका रिश्ता प्यार में बदल गया।

शादी के बाद, यश और मीरा की जिंदगी में एक खूबसूरत तालमेल था। यश जब भी किसी मिशन पर जाते, तो मीरा से उसके बारे में चर्चा जरूर करते। मीरा उसे अपनी जानकारी और अनुभव के आधार पर सलाह देती लेकिन यश अक्सर मीरा की रणनीतियों पर हल्के-फुल्के मजाक भी करते। एक दिन, जब यश ने मिशन से पहले मीरा से सलाह ली, तो मजाक में उसने कहा, मीरा, तुम सच में कमाल की रणनीतिकार हो लेकिन जरा ये बताओ—युद्ध में कब क्या हो जाए, कुछ पता नहीं। जब बात जान की हो, तो क्या कोई रणनीति सच में काम आती है? आखिर महाभारत में भी तो कौरवों के पास दुनिया के सबसे ताकतवर योद्धा थे। उनकी सारी रणनीतियां पांडवों के सामने धरी कि धारी रह गईं। फिर ये रणनीति बनाना किस काम का?"

यश के इस मजाकिया सवाल पर मीरा मुस्कुराई और बोली

मीरा: "मेरे प्यारे बुद्धू पतिदेव, आप शकुनि को तो जानते ही हैं, कौरवों के कपटी मामाजी। भले ही वो दुष्ट थे, लेकिन उनकी रणनीति बनाने की कला अद्भुत थी। उन्होंने अपनी बहन के पति के पूरे वंश को मिटाने की योजना बनाई, और उसमें सफल भी हुए लेकिन एक बात याद रखो—रणभूमि में युद्ध होने से पहले, मनोभूमि पर युद्ध खेला जाता है।" मतलब ये है कि युद्ध के मैदान में कदम रखने से पहले अगर आपकी रणनीति मजबूत हो, तो आधी जीत पक्की हो जाती है। अब बात रही कौरवों की हार की, तो इसके पीछे कई कारण थे और सबसे बड़ा कारण यह था कि पांडवों के साथ भगवान श्रीकृष्ण थे। जब भगवान खुद किसी युद्ध का हिस्सा हों, तो भला उन्हें कौन हरा सकता है?" वैसे भी, दुनिया में श्रीकृष्ण से बड़ा रणनीतिकार आज तक कोई नहीं हुआ। उन्होंने बिना हथियार उठाए सबसे खतरनाक युद्ध को जीतने की योजना बनाई। समझे, मेरे प्यारे पतिदेव?"

शादी के दो साल बाद, यश को अपनी टीम के साथ एक गुप्त मिशन पर जाना पड़ा। मिशन इतना गुप्त था कि यश ने मीरा को इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया। मीरा पहले से ही चिंतित थी, लेकिन उसकी चिंता तब और बढ़ गई जब दो महीने गुजर जाने के बाद भी यश और उसकी टीम की कोई खबर नहीं आई। अंत में, यश घर तो आया लेकिन तिरंगे में लिपटा हुआ। मीरा के लिए यह सदमा असहनीय था। उसकी दुनिया, जो प्यार और समझदारी से भरी थी, अब एक पल में टूट चुकी थी।

मीरा को बताया गया कि यश की मौत एक हादसा थी लेकिन मीरा का दिल इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था। अपने पति की मौत के पीछे के सच को जानने के लिए मीरा ने मिशन की रिपोर्ट को बारीकी से पढ़ना शुरू किया। दिन-रात लगाकर उसने रिपोर्ट्स के हर पन्ने को बड़े ध्यान से स्टडी किया।  

मीरा को यह पता चल गया था कि यह मिशन जिसपे यश गया था वह सिर्फ एक साज़िश थी और कुछ नहीं। मीरा ने अपनी खुद की जांच शुरू की। धीरे-धीरे उसने सबूतों का एक जाल बुनना शुरू किया।

जैसे-जैसे मीरा इस साज़िश की गहराई में गई, उसकी गतिविधियों पर कुछ लोगों की नजर पड़ गई। ये लोग उसकी हर हरकत पर निगाह रखने लगे। मीरा को धमकियां मिलने लगीं। फोन कॉल्स, गुप्त मेसेजेस और यहां तक कि उसके घर के बाहर अनजान चेहरों की मौजूदगी ने उसे डराना शुरू कर दिया। उसे साफ संकेत दिया गया कि अगर उसने इस मामले की तहकीकात बंद नहीं की, तो उसकी जान खतरे में पड़ जाएगी लेकिन मीरा के अंदर का जज्बा इन धमकियों से नहीं डगमगाया।  

विक्रम ने जितने भी रणनीतिकारों को करीब से नोटिस किया, उनमें मीरा जैसी काबिलियत किसी और में नहीं मिली। जब विक्रम मीरा के घर पहुंचे, तो मीरा ने बड़ी ही आदर के साथ उनका स्वागत किया।  


मीरा: “प्रधानमंत्री जी की मौत के बारे में जानकर बड़ा दुख हुआ, सर... पर एक बात बताइए, सर .. आप यहाँ मुझसे मिलने क्यों आए हैं? अगर आप मुझे वापस मिलिट्री में ले जाने के लिए मनाने आए हैं, तो मुझे नहीं लगता कि मैं वहाँ लौटना चाहूँगी।”

मीरा के इस सीधे सवाल ने विक्रम को हैरान कर दिया लेकिन वह वहाँ एक जरूरी वजह से आए थे। उन्होंने जवाब दिया, 

विक्रम (शांति से): “माफ करना, मीरा। मैं इस तरह बिना बताए  आ गया..  और नहीं, मैं यहाँ आपको मिलिट्री में वापस ले जाने के लिए नहीं आया हूँ ।”

मीरा ने विक्रम को चाय का कप पकड़ाया और कुर्सी पर बैठते हुए शांत स्वर में कहा,

मीरा: "सर, मेरे पति की मौत एक हादसा नहीं थी। एक साजिश थी, जिसे किसी ने बहुत सोच-समझकर रचा था। उस रात मैं सो भी नहीं पाई थी, जब अचानक उनके मिशन के बारे में खबर आई। यश और उनकी टीम को सीरिया भेजा गया था, एक बेहद खतरनाक ऑपरेशन के लिए। उसे नाम दिया गया था ‘ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड’।" यश ने मुझे मिशन के बारे में ज्यादा नहीं बताया था। बस इतना कहा था कि यह मिशन आतंकवादी नेटवर्क को खत्म करने का है। उस नेटवर्क का ठिकाना सीरिया के रेगिस्तान में था लेकिन जो बात मुझे सबसे ज्यादा परेशान कर रही थी, वह यह थी कि यह ऑपरेशन अचानक, बिना पूरी तैयारी के शुरू किया गया था। यश को अचानक बुलाया गया, और मिशन की गुप्तता के चलते वह ज्यादा कुछ नहीं बोल सके। सर, मैंने यश के मिशन की रिपोर्ट को पढ़ा। मैंने हर एक लाइन को ध्यान से देखा और मुझे वह मिला, जो बाकी सब नजरअंदाज कर रहे थे। यहाँ, इस रिपोर्ट में लिखा है कि उनकी लोकेशन दुश्मनों को कैसे पता चली, इसका कोई सबूत नहीं है लेकिन अगर आप गौर से देखेंगे, तो साफ होगा कि उनकी टीम को रेगिस्तान के बीच में घेरने की सटीकता इतनी असामान्य थी कि यह अंदरूनी जानकारी के बिना संभव ही नहीं थी।  उनकी टीम में कोई गद्दार था और यही गद्दार दुश्मनों को हर जरूरी जानकारी दे रहा था। यश और उनकी टीम को पता भी नहीं चला कि उनके बीच एक छिपा हुआ दुश्मन है।

विक्रम: "तुम्हें यकीन है, मीरा?"

मीरा: “हां, सर और मैं यकीन ही नहीं, सबूत भी ला सकती हूँ। यश की मौत के पीछे एक साजिश थी, और वह साजिश यहीं हमारे बीच से निकली थी।”

विक्रम ने उन पेपर्स को ध्यान से पढ़ा। मीरा की रिसर्च डीप और एक्यूरेट थी। इसमें एक मजबूत अनैलिसिस साफ साफ दिखाई दे रहा था। विक्रम ने कागजों को एक तरफ रखा और मीरा की ओर देखा। उन्होंने गहरी सांस ली और बिना समय गवाएं सीधे कहा, 

विक्रम: मीरा, देश इस समय संकट में है और मुझे तुम्हारी जरूरत है। तुम्हारे पति का बलिदान इस देश के लिए था और अब तुम्हारे पास एक मौका है, इस साजिश को खत्म करने का। मैं तुम्हारी मदद करूंगा। क्या तुम मेरी टीम में जुड़ना चाहोगी?

मीरा:  "सर, अगर बात देश की सुरक्षा की है, तो मीरा जोशी अपनी जान देने के लिए भी तैयार है।"

विक्रम ने मुस्कुराते हुए मीरा की ओर हाथ बढ़ाया और कहा, "वेलकम टू द टीम, मीरा।" इसी के साथ विक्रम की टीम में एक और जीनियस शामिल हो गई। कौन होगा इस टीम में अगला? जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

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