माई - “बिटिया तुम ठीक तो हो ना?” (माई श्री के सर पर हाथ फेरते हुए पूछती हैं।)
 

श्री - “हाँ माई.. मैं ठीक हूँ।”
 

माई - “तुम आराम से बैठो यहीं.. हम काढ़ा बना कर लेकर आते हैं.. रवि तुम भी बैठो, तुम्हारे लिए भी चाय लाते हैं..”
 

श्री बैठी-बैठी शाम से लेकर अभी तक होने वाले सभी घटनाओं के बारे में एक-एक कर सोचने लगती है। पहले उसका ध्यान दूसरी बोट में सवार वसन पर जाता है जिसके हाथ में उसका कैमरा था और फिर उसका ध्यान माई के कहने पर रवि के क्लिनिक पहुँचने पर जाता है। इतने में माई काढ़ा और चाय बना कर ले आती हैं। श्री काढ़े का कप हाथ में ले लेती है और धीरे-धीरे पीने लगती है। वहीं रवि चाय पीते-पीते.. माई को सब कुछ बता रहा है। चाय खत्म होते ही रवि चला जाता है और अब माई कुर्सी घुमा कर श्री की ओर मुँह कर बैठ जाती हैं।
 

माई - “क्या सोच रही हो?”
 

श्री - “माई.. मुझे अभी पूरे दो दिन भी नहीं हुए हैं और इतना सब कुछ हो गया। पता नहीं अब और क्या - क्या होगा मेरे साथ..”
 

माई - “अच्छा सोचोगी तो अच्छा होगा.. और ये बनारस है बिटिया.. ये दिन नहीं पलों को संजोने वाला शहर है और तुम कहती हो कि बस दो दिन हुए.. ”
 

श्री - “पर माई.. कितना कुछ गड़बड़ सा हो गया मेरे साथ तो.. पहले सामान चोरी हुआ और फिर कैमरा और फिर पूरी की पूरी मैं ही पानी में गिर गई..”
 

माई श्री का हाथ अपने हाथों में ले लेती हैं और आराम-आराम से उस पर खोपरे का तेल लगाते हुए कहती हैं, “ठीक हो जाएगी ये चोट.. ”
 

श्री - “हम्म्म..” (श्री उदास है।)
 

माई - “बिटिया.. यदि गौर करें तो देखो पहले तुम्हारा सामान चोरी हुआ पर फिर मिल भी गया। फिर आज तुम्हारा कैमरा चोरी हुआ… एक बात बताओ, कैमरा क्यों चोरी हुआ?”
 

श्री- “वो बोट वाले ने ध्यान नहीं दिया.. और दूसरी बोट पर सवार किसी अजनबी ने उठा लिया.. ”,
श्री माई के पैरों की ओर देख कर कहती है।
 

माई - “अब इस ही सवाल का जवाब हमारी आँखों में देख कर बताओ बिटिया..”
 

श्री माई की ओर देखती है और कहती है,
 

श्री - “मेरी केयरलेसनेस की वजह से। आइ  शुडन्ट हैव पुट इट देयर "
 

माई श्री की ओर देख कर मुस्कुराती हैं और फिर दूसरे हाथ में तेल लगाने लगती हैं,
 

माई - “देखो, कितना आसान है.. पहली बार की चोरी ने सिखाया कि अजनबी लोगों के साथ संभल कर रहना है.. और अपने सामान की सुरक्षा अच्छे से करनी है, दूसरी बार की चोरी ने सिखाया लापरवाही मुश्किल में डाल सकती है इसलिए सतर्क रहना है.. संभल कर रहना है और युन डूब जाने ने सिखाया.. कि खुशी में बेसुध नहीं होना है, आपा नहीं खोना है.. क्योंकि अधिक मात्रा में कुछ भी हो, हमारे लिए हानिकारक हो सकता है।”
 

श्री चुपचाप बस माई को सुन रही है और फिर जब माई की बात पूरी हो जाती है तो वह उनके गले लग जाती है।
 

श्री - “मैं बहुत डर गई थी माई.. मुझे तो लगा था कि अब पता नहीं बचूंगी भी या नहीं..”
 

माई - “ऐसे कैसे कुछ होने देते हम आपको.. बिटिया हैं ना आप हमारी.. और काशी की मेहमान। काशी आपको बहुत कुछ सिखाने वाली है बिटिया इसलिए बिल्कुल तैयार रहिए और एक बार यदि किसी गलती से आपको कुछ सीखने मिले तो उसका आगे के लिए ध्यान रखिए.. ”
 

श्री - “जी माई। वैसे हम आप से एक बात पूछें माई।”
 

माई हाँ में सर हिलाती हैं और फिर श्री झट से पूछ लेती है कि कैसे उन्होंने रवि को उसे लेने पहुँचाया। क्या वो जानती थी कि श्री किसी मुश्किल में है।
इस पर माई पहले आसमान की ओर देखती हैं और फिर श्री से पूछती हैं,
 

माई - “तुमे घर वापस नहीं आना था क्या बिटिया? वहीं क्लिनिक में रहना चाहती थी?”
 

और श्री ना में सर हिला कर माई को यूं बच्चों की तरह देखने लगती है,
 

श्री - “आप बातें घुमाने में नंबर वन हैं माई.. अच्छा अब चलिए खाना खाते हैं। आइ ऐम सो हंगरी ”
 

माई श्री को कपड़े बदल कर नहाकर आने को कह कर खाना लेने चली जाती हैं और फिर कुछ देर बाद दोनों आराम से बैठ कर दाल खिचड़ी खाती हैं। इसके बाद, श्री माई को अपने कमरे में ले आई है और लैपटॉप पर आज के खींचे हुए सभी फोटोज दिखा रही है।
 

माई - “कितने सुंदर - सुंदर फोटो हैं बिटिया.. तुम्हारी ये कला तो बड़ी अच्छी है.. ओओ ये देखो ये औरत सीढ़ियों पर बैठी कितनी सुंदर लग रही है.. हमारा भी ऐसा फोटो खींचना..”
और ये कहते ही माई की आँखें गीली हो गईं।
 

श्री - “मैं तो आपको अपने साथ ले जाने वाली हूँ माई.. कितनी सुंदर हैं आप और फिर बनारस की खूबसूरती.. जोड़ी एकदम हिट है.. प्लीज आप उदास ना हो माई। कुछ याद आया आपको?”,
पूछते हुए श्री माई के हाथ में रुमाल रख देती है।
 

माई - “ऐसे छाव से फोटो खींचाए ना जाने कितने साल हो गए। मुनना की याद आ गई एकदम से.. एक ही तो फोटो है उसके साथ हमारा…. चलो छोड़ो ये सब.. और दिखाओ ना बिटिया। खूब सुंदर फोटो हैं..”
 

श्री एरो की दबाती जाती है और एक के बाद एक फोटो स्क्रीन पर बदलती जाती है। इसी क्रम में एक फोटो वसन की आ जाती है और माई पूछ लेती है,
 

माई - “ये कौन है? कितना सुंदर लग रहा है.. चेहरे पर खूब तेज है इसके।”
 

“वसन..” श्री के मुँह से एकदम से वसन का नाम निकल जाता है।
 

“वसन.. मम्म.. , जानती हो?”, माई पूछ कर श्री की ओर देखने लगती हैं।
 

श्री पहले थोड़ा इधर-उधर देखती है और फिर हिचकिचाते हुए बताती है,
 

श्री - “हाँ जानती हूँ.. मेरा मतलब है कि यहीं मिला.. थोड़ी बहुत बातचीत हुई। ऐकचूली  ना माई ही हेलपड मी मैंनी टाइम्स , उसने बहुत मदद की मेरी। अच्छा लड़का है।”
 

माई - (माई श्री के मजे लेती हुई कहती हैं), “मम्म अच्छा लड़का .. अभी माई मुझे पूरे दो दिन भी नहीं हुए और एक अच्छे लड़के ने मेरी बहुत मदद कर दी।”
 

श्री - “क्या माई.. आप भी ना.. कुछ और ही समझ रहे हो। वैसे कुछ नहीं है..”
 

और   बस इस हंसी ठिठोली के बाद माई अपने पूजा पाठ के लिए चली जाती हैं और श्री अपने बेड पर लेट जाती है। वह जब होता है ना ऐसा कि कुछ ना होने पर भी कोई आपको छेड़ता है तो आपका ध्यान उस ओर जाने लगता है। वैसे ही कुछ अभी श्री के साथ भी हो रहा है। माई के यूं उसे छेड़ने के बाद, वह वसन के बारे में सोच रही है और होने वाली हर मुलाकात की एक-एक फ्रेम उसकी आँखों के सामने आ रही है।
 

तभी श्री का फोन बजता हैं 

श्री मम्मी - “हेल्लो..”
 

श्री - “हैलो अम्मा.. कैसे हो?”
 

श्री मम्मी - “हम अच्छा.. हाउ आर यू ?”


श्री - “ओह्हो वाह अम्मा.. हिंदी सीख रही हो.. बहुत अच्छा। हम भी अच्छा। गुड.. गुड।”
 

श्री मम्मी - “और.. वाराणसी कैसा? हैव यू गॉट अ प्लेस टू स्टे देयर ?”


श्री - “इट इस अ वेरी प्लेज़न्ट प्लेस अम्मा यू शुड कम . बहुत सुंदर है। हाउज़ अप्पा? और अक्का? अक्का गई?”
 

श्री मम्मी - “अप्पा इस फाइन. अक्का ऐट होम .सटेइंग फॉर दिस मन्थ . यू डोंट वरी जस्ट टेक केयर ऑफ योर सेल्फ ..”


श्री - “यस , अम्मा.. यू टू .”

माई हल्दी वाला दूध लेकर आई हैं और श्री के फोन रखते ही, दरवाजे पर खटखट कर अंदर आने को पूछती हैं..,
 

माई - “ये हल्दी वाला दूध लेकर आए हैं बिटिया.. दे दें या यहीं टेबल पर रख दें?”
 

श्री –(श्री उठकर बैठ जाती है,) “दे ही दीजिए माई..”
 

माई – (दूध का गिलास हाथ में थाम कर माई पूछती हैं,) “घर से फोन था?”
 

श्री- “हाँ… अम्मा का फोन था। जब से घर से बाहर रहना शुरू किया है.. यूं ही दो तीन दिन में एक आद कॉल हो जाता है..”
 

माई श्री के सर पर हाथ फेर कर चली जाती हैं और श्री एक बार फिर वसन के बारे में सोचने लगती है और सोचते-सोचते ही उसकी नींद लग जाती है।


पुलिस मैन - “चलिए .. चलिए.. आगे बढ़िए सब। यहाँ भीड़ नहीं लगानी..”, (पुलिस वाला जमा हुई भीड़ को हटा रहा है।)
 

वसन - “लगी तो नहीं ना तुम्हें?”
 

वसन स्कूटी उठाकर साइड में रखता है और श्री को हाथ दे कर उठने में मदद करता है।
 

श्री - “हाँ हाँ.. आइ ऐम फाइन ,थैंक यू .”
 

अपने दर्द को चेहरे पर ना दिखाने की पूरी कोशिश कर श्री उठ कर खड़ी हो गई है।
 

वसन - “देखिए.. आपको ज्यादा चोट आई है.. मैं छोड़ देता हूँ आपको। बताइए कहां जाना है..”
 

श्री, हाथ से सामने की ओर इशारा कर, स्कूटी के पास जाकर खड़ी हो जाती है और वसन की ओर देखने लगती है। वसन आता है, हेलमेट लगाता है और स्कूटी स्टार्ट कर श्री को पीछे बैठने को कहता है। श्री ने एक हाथ वसन के कंधे पर रख लिया है और दूसरे से स्कूटी का हैंडल पकड़ कर बैठ गई है। अब स्कूटी सड़क पर दौड़ रही है और सब कुछ स्लो मोशन में चल रहा है।

श्री- “आउच्ह..”
 

वसन - “सॉरी सॉरी सॉरी सॉरी.. तुम ठीक हो ना”,
 

वसन शीशे में से श्री को देखते हुए पूछता है। श्री उसी शीशे में देखकर हाँ में सर हिलाती है। फिर कसकर वसन को पकड़ लेती है…..
 

दरवाजे पर घंटी बजती हैं .. 


श्री एकदम से उठकर बैठ जाती है और जो कुछ भी अभी-अभी उसके साथ हुआ है उसे याद करने की कोशिश करती है।
 

श्री - “ऐसा सपना.. वसन और मैं स्कूटी पर.. बहुत ही अजीब था वो सब। ओooo मैन  पक्का ये सब माई की उन बातों की वजह से हुआ है.. मुझे तो पता भी नहीं, मैं उससे अब कभी मिलूंगी भी या नहीं.. कमऑन  श्री। तू ऐसी नहीं है.. इसलिए अब ये सपने से बाहर आ और उठकर रेडी हो जा..”,
 

खुद को समझाकर श्री जैसे ही पैर जमीन पर रखती है.. उसके पैरों में जोर से दर्द उठता है।
 

श्री - “आआआ.. ये सब क्या सच में हुआ था?... नहीं नहीं नहीं.. कल शाम की चोट है। सही हो जाएगी..”..
 

और  इस तरह श्री ने एक बार फिर खुद से ही खुद को समझा लिया है और फिर उठकर आराम-आराम से चलकर वॉशरूम में चली गई है।
 

पर क्या युन सपने में ही सिमट कर रह जाएगी श्री और वसन की ये कहानी या फिर टकराएंगे दोनों फिर एक बार और होगा कुछ ऐसा जो अब तक कभी नहीं हुआ।

 

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