जब नीना ने कहा कि, “अब मैं जवाब ढूंढने नहीं... हिसाब चुकाने चलूंगी।”

तो वॉल ने उसके कंधे थपथपाए और यकीन दिलाया कि वो साथ है। कुछ देर में जब माहौल थोड़ा सही लगा तो वॉल नीना से बोली, “थोड़ी देर आराम करो फिर निकलते हैं।”

 

चारों ओर घना सन्नाटा था। कहीं दूर रात में झींगुरों की आवाज़ और बहुत हल्के-हल्के किसी मशीन के घूमने की भनभनाहट जैसे अंधेरे में कोई नज़रें गड़ा कर देख रहा हो। बीच-बीच में पत्तों की सरसराहट, जैसे कोई छिपकर चल रहा हो।

 

नीना एक पत्थर के सहारे बैठी थी, उसकी बाईं आंख अब स्थिर थी लेकिन अंदर कुछ हलचल सी बनी हुई थी। उसकी आँखों में नीला प्रकाश झिलमिलाया जैसे कोई डेटा प्रोसेस हो रहा हो। वह हर पल कुछ न कुछ स्कैन कर रही थी - हर पेड़, हर झाड़ी, हर संदिग्ध आवाज़।

तभी वॉल धीरे फुसफुसाते हुए बोली, “नीना...सो तो नहीं गई? सुनो कुछ तो है आस-पास। मुझे अच्छा नहीं लग रहा। मेरा थर्मल सेंसर कुछ अजीब सी हलचल दिखा रहा है – बहुत छोटी, लेकिन तेज़ गति से हरकत।”

नीना साँस रोककर सतर्क लहजे में बोली, “तुम्हारा अंदाज़ा सही होता है, वॉल... चलो निकलते हैं। वो सिर्फ एक नहीं हैं... मुझे कम से कम तीन अलग-अलग फ्रीक्वेंसी मिल रही हैं।”

 

वॉल ने अपने जैकेट से एक छोटा सा डिवाइस निकाला और उसे अपनी कलाई पर बांध लिया। डिवाइस पर लाल बत्ती जलने लगी – एक इंफ्रारेड जैमर। उसकी दूसरी जेब से उसने एक चाकू निकाला जिसका ब्लेड चमक रहा था - कार्बन-फाइबर, बिना धातु का, किसी भी डिटेक्टर से बचने के लिए।

दोनों लड़कियाँ घुटनों के बल झुककर चुपचाप झाड़ियों के बीच से बाहर निकलने लगीं। पत्तों के बीच से रेंगते हुए, हर कदम पर रुकरुक कर। तभी वॉल के पैर के नीचे एक टहनी टूटी और आवाज़ गूँज उठी। दोनों जम गईं। कुछ ही सेकंड बीते थे कि एक तीखी इलेक्ट्रॉनिक बीप की आवाज़ हवा में गूंजी - पहले एक, फिर दूसरी, फिर तीसरी।

 

नीना आंखें ऊपर उठाकर ऊंची आवाज़ में बोली, ये ड्रोन अभी भी यहीं हैं।”

 

ऊपर तीन ड्रोन मँडरा रहे थे — उनके नीचे से स्कैनिंग लाइटें गिर रही थीं, जैसे जंगल को चीरती कोई चेतावनी। एक ड्रोन पेड़ों के ऊपर से नीचे आया, उसकी लाल लेज़र लाइट नीना के माथे पर पड़ी। ड्रोन के नीचे से एक छोटा सा कैमरा निकला, जिसके लेंस चमक रहे थे।

वॉल घबराकर बोली, “भागो!!”

 

एक ड्रोन ने उनकी दिशा में फायर किया — तेज़ चटक के साथ एक छोटी सी मिसाइल छूटी। नीना और वॉल तेजी से एक सूखी झाड़ी के पीछे कूद गईं। गोली ज़मीन में लगी, धूल और चिंगारी उड़े। ब्लास्ट से आस-पास के पत्ते और छोटी टहनियां बिखर गईं।

नीना ने धूल से भरी आँखों को पोंछते हुए कहा,

उधर पहाड़ी की तरफ़! वहां पत्थरों की लाइन है, शायद छिपने को कुछ मिल जाए!”

वॉल अपनी कलाई के डिवाइस को देखकर जोली, “हां जल्दी करो,जैमर सिर्फ दो मिनट और चलेगा...।”

दोनों जान बचाकर भाग रही थीं। नीना आगे-आगे, वॉल थोड़ी पीछे — उनके पैरों के नीचे की मिट्टी ढलान पर फिसल रही थी। हर कदम पर पत्थर लुढ़क रहे थे, जो उनके पीछे ड्रोन को सिग्नल दे रहे थे। आसमान में अब पांच ड्रोन थे - दो नए जुड़ गए थे।

 

तभी एक और शॉट चला, इस बार ज़्यादा शक्तिशाली। वॉल के कंधे से स्किन छिल गई, उसकी त्वचा के नीचे से तारों जैसी चमकदार रेखाएँ दिखीं। वो चीखी और घुटनों के बल गिर पड़ी। 

वॉल दर्द से कराह उठी, "आह... नीना! मेरा कंधा...।”

 

नीना पीछे मुड़ते हुए बोली, “रुको! मैं यहीं हूँ!”

नीना भागकर वापस आई, वॉल को अपने कंधे से सहारा दिया और उसे खींचकर पास की चट्टान की ओट में ले गई। एक ड्रोन ने चट्टान के ऊपर से झांका, उसकी लाल आँखें उन्हें ढूंढ रही थीं। 

नीना ने वॉल के कंधे की तरफ देखा - उसके कंधे से खून निकल रहा था, वह तो शुक्र था की गोली सिर्फ हल्का सा छू कर गई थी।

 

नीना ऊपर देख कर बोली, “ड्रोन  कभी भी हमें ढूंढ सकते... हमें कहीं सेफ जगह छुपना होगा।

वॉल हांफते हुए बोली, “मैं जानती हूँ... एक रास्ता है... मैदान के उस पार... क्रॉस का बंकर... जहां हमें जाना है।

जैसे ही वे मैदान की तरफ बढ़ीं, आसमान और खुल गया — खतरा और भी ज्यादा। ड्रोन उन पर फोकस कर चुके थे। एकदम से सभी ड्रोन एक पैटर्न में उड़ने लगे - हर ड्रोन के नीचे से लाल लेज़र की रेखाएँ एक जाल बुन रही थीं।

 

नीना फिक्र से, “वे हमें ट्रैप कर रहे हैं! इंटरलॉकिंग फायरिंग पैटर्न! तुम्हारे पास एक मिनट है... कहां है वो बंकर?

 

वॉल ने अपनी कलाई से एक नक्शा प्रोजेक्ट किया - एक थ्रीडी (3 D) होलोग्राम जिसमें उनकी लोकेशन और मैदान के बीच एक चमकता बिंदु था।

 

नीना अपनी बाहें फैलाकर वॉल को ढकती हुई भागी, गोलीबारी अब और तेज़ थी। कुछ फायर ज़मीन के करीब गिरे, एक ने पास की झाड़ी को जला दिया। आग तेज़ी से फैलने लगी - हर तरफ धुआं। नीना और वॉल हर तरफ से घिरती जा रही थीं।

 

तभी आसमान से एक बड़ा शैडो उतरा - एक बड़ा ड्रोन, पहले वालों से बहुत बड़ा। उसके नीचे से एक नेट निकला, जो उनकी तरफ फेंका गया। नीना ने फटाफट अपनी जेब से चाकू निकाला और नेट को काट डाला, लेकिन इस बीच एक और फायरिंग हुई जो उसके पैर को छूकर निकली।

 

वॉल घबराई हुई बोली, “हम ज्यादा दूर नहीं जा पाएंगे... नीना... वो वहीं है!”

फिर अपनी होलोग्राम को देखते हुए बोली, “बस बीस कदम और! अगर हम वहां तक पहुंच गए फिर कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।”

नीना गुस्से में ड्रोन  की तरफ देखती हुई बोली, “ टाइम आ गया है इन आंखों के इस्तेमाल करने का एक बार फिर”  इतना कह कर उसने अपनी आंखों से ड्रोन की तरफ देखा और एक के बाद एक ड्रोन हवा में लहरा कर इधर-उधर होने लगे मानो वह जाम हो चुके थे।

 

वॉल ने मैदान के बीचोंबीच एक लोहे की सतह की ओर इशारा किया ,ज़मीन से चिपकी हुई, घास में छुपी हुई। ऊपर से देखने पर वह एक सामान्य पत्थर जैसी दिखती थी, लेकिन वॉल की हैकर नज़रों ने उसके अंदर के सर्किट को देख लिया था।

 

नीना दौड़कर उस तक पहुँची — वहाँ एक टच पैनल जैसा कुछ लगा था, जो मिट्टी और धूल से ढँका हुआ था। उसके चारों ओर मिट्टी में दबे तारों के जाल थे, जिनसे हल्की सी बिजली की तरंगें निकल रही थीं।

 

नीना चिल्लाई, “तुम्हारा लैपटॉप दो!”

वॉल ने अपनी बैग से एक मिनी लैपटॉप निकाला और नीना को दिया। नीना ने उसे टच पैनल से वायर से जोड़ा,उसके सिस्टम से चमकती हुई लाइनों का पैटर्न स्क्रीन पर दौड़ा। उसके आसपास आग और धुआँ फैलता जा रहा था, ड्रोन की आवाज़ें सिर के ऊपर और तेज़ होती जा रही थीं।मतलब साफ़ था और आ रहे थे।

 

कोड चलने लगा, स्क्रीन पर अक्षर तेज़ी से दौड़ने लगे। नीना की आँखें स्क्रीन पर जमी थीं, उसके हाथ तेज़ी से कीबोर्ड पर चल रहे थे। वॉल उसके पीछे खड़ी थी, एक हाथ से अपना घायल कंधा पकड़े हुए, दूसरे हाथ में एक छोटा सा डेटा स्टोरेज डिवाइस।

स्क्रीन पर लिखा आया-

"ऑथराईज़ेशन: डिनाइड"

(Authorization: Denied)

फिर एक झिलमिलाहट...

"बैक्डोर प्रोटोकॉल ऐक्टिव"

(Backdoor Protocol Active)

 

बाहर ड्रोन नीचे और नीचे आ रहे थे उनकी लाल बत्तियाँ अब बिल्कुल नज़दीक थीं। एक और फायरिंग हुई, इस बार एकदम पास। मिट्टी उड़ी, नीना और वॉल के चेहरे पर पड़ी।

नीना गंभीर लहजे में, “ओपन डैम इट,मैं वो सब्जेक्ट हूँ... जिसे तुमने अधूरा छोड़ा था…

उसकी आँखें अब पूरी तरह से नीली हो गईं, उसके सिस्टम से डेटा स्ट्रीम लैपटॉप में जाने लगा। उसकी आँखों से कोड लाइन्स उसके चेहरे पर प्रोजेक्ट हो रही थीं।

 

एक लंबी बीप...

फिर ज़मीन हल्की कंपन करने लगी। शटर धीरे-धीरे खिसकने लगा — नीचे एक गहरी अंधेरी सुरंग थी। ड्रोन की आवाज़ें अब सिर के ऊपर थीं, हवा में तेज़ हनहनाहट।

नीना ने वॉल को सहारा देते हुए उसे नीचे उतारा। वॉल के पांव सीढ़ियों पर रखते ही शटर के नीचे लाल लाइटें जलने लगीं - एक अदृश्य सुरक्षा सिस्टम सक्रिय हो गया। उनके पीछे लोहे का शटर अपने-आप बंद हो गया, ठीक उसी समय जब एक ड्रोन उनके ऊपर मंडरा रहा था।

शटर बंद होते ही घुप्प अंधेरा छा गया। दोनों की साँसें भारी थीं। नीना की आंख हल्की नीली रोशनी में चमक रही थी, वहीं वॉल हाथ में टॉर्च जलाकर दीवारें देख रही थी — चारों ओर ठंडे स्टील की दीवारें, स्क्रीन और केबल्स।

उसके सामने एक लंबा गलियारा था, जिसके अंत में एक दरवाज़ा था - उस पर क्रॉस का नाम लिखा था।

नीना धीरे बोली, “हम आ गए... डॉ. क्रॉस... अब जवाब देने की बारी तुम्हारी है।”

नीना उसे जगह को ध्यान से देखी हुई बोली, “पहले ये जगह कोई केमेस्ट्री कोई लैब थी।”

वॉल ने बताया, “नहीं... ये लैब नहीं थी... ये एक वॉर रूम था।”

दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ती हैं ,बायीं तरफ कुछ टूटे हुए मॉनिटर, दायीं तरफ एक ग्लास चेंबर जिसके अंदर झुलसे हुए मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स।

नीना सोचते हुए बोली, “यहाँ कुछ... बहुत गड़बड़ हुई है।”

वॉल ने एक कंसोल की डस्ट साफ की, लैपटॉप को उसमें प्लग किया। स्क्रीन पर कुछ कोड्स और एक्सेस डिनाइड जैसे मैसेज ब्लिंक करने लगे।

वॉल बड़बड़ाते हुए बोली, “ज़्यादातर फाइल्स... करप्टेड हैं। कुछ भी नहीं मिल रहा।”

नीना ने बेकाबू लहजे में कहा,  “कोई तो लॉग... कोई डेटा... कुछ तो?”

 

वॉल चिढ़ कर बोली, “जैसे... कोई सब कुछ क्लीन कर गया हो। हमारे आने से पहले। यहां तक आने की मेहनत बर्बाद हुई हमारे हाथ कुछ नहीं लगा। अब हम यहां टाइम वेस्ट नहीं कर सकते हमें यहां से चलना चाहिए।”

 

बाहर हल्की सी गूंज सुनाई दी — एक ड्रोन की आवाज़ जो बहुत पास से गुज़रा। शेल्टर की छत थोड़ी सी कांप गई।

वॉल आगे बोली, “वो अभी भी यहीं हैं... हमें थोड़ी देर यहीं रुकना होगा।”

अचानक — दीवारों पर लगी सभी लाइट्स एक साथ फ्लैश होने लगीं। अलार्म जैसी बीप्स शुरू हो गईं। नीचे की ज़मीन में कंपन होने लगी।

 

नीना ने तेज़ी से चारों ओर देखते हुए कहा, “शीट शायद हम ट्रिगर हो गए हैं... ये कोई फेलसेफ सिस्टम है...।”

 

दीवार पर एक स्क्रीन अपने आप ऑन हो गई — उसमें कुछ अजीब धुंधले चेहरे फ्लैश हुए, जैसे रिकॉर्डिंग से मिटाए गए अतीत के भूले हुए दृश्य।

वॉल हड़बड़ा कर बोली, “हमें निकलना होगा, वरना हम यहीं मर जाएंगे!”

 

नीना हड़बड़ाहट में पीछे की एक टेबल से टकराई — नीचे कुछ गिरा। वो झुकी तो देखा — एक टूटी हुई माइक्रोचिप, उसके कोनों पर खून के धब्बे। चिप हल्की चमक रही थी।

नीना उसे उठाते हुए बोली, “रुको... ये क्या है?”

 

वॉल ने चीखते हुए कहा, “नीना, अभी इन सबका टाइम नहीं है!चलो।”

नीना ज़िद करती बोली, “बस एक मिनट वॉल! इसे लैपटॉप में लगाओ!”

 

वॉल झल्लाते हुए बोली, “नीना... मैं नहीं…”

नीना आंखों में जुनून के साथ बोली, “प्लीज... बस ये एक बार चेक करो।”

वॉल ने चिप को अपने लैपटॉप में इन्सर्ट किया। स्क्रीन पर कुछ सेकंड्स तक कुछ भी नहीं हुआ... फिर-

 

अक्सेसिंग: प्रोजेक्ट मिराज 

सब-फाइल्स: सब्जेक्ट लॉग्स - 002 टू 017 

(Accessing: Project Mirage)

(Sub-File: Subject Logs - 002 to 017)

 

नीना धीरे, से भी,ये... क्या है?”

स्क्रीन पर अलग-अलग सब्जेक्ट्स की फोटोज़ — उनके कोड नेम्स, डेटा, और फाइनल स्टेटस।

 

स्टेटस: टर्मिनटेड 

स्टैटस: फेल्ड न्युरल सिंक 

स्टैटस: सब्जेक्ट डिसिसिड 

(Status: Terminated)

(Status: Failed Neural Sync)

(Status: Subject Deceased - Internal Hemorrhage)

 

नीना ने स्क्रीन पर नीचे स्क्रॉल किया — हर एक में उसकी जैसी ही आंखें। वही साइबरनेटिक इम्प्लांट, वही ब्लूप्रिंट्स।

वॉल कांपती आवाज़ में भी, “ये सब... तुम जैसे थे।”

नीना फुसफुसाते हुए बोली, “और अब... सिर्फ मैं बची हूँ।”

वॉल ने धीरे से कहा, “नीना... तुम सिर्फ सब्जेक्ट नहीं हो... तुम आखिरी गवाह हो।”

 

नीना थरथराती आवाज में बोली, “अब मैं समझती हूँ... कि क्यों सब कुछ मिटा दिया गया…”

स्क्रीन पर अंतिम सब्जेक्ट की फोटो धीरे-धीरे ग्लिच होने लगी — चेहरा टूटने लगा, फिर ब्लैंक।

 

नीना स्क्रीन को घूर रही थी। उसकी सांसें तेज़ थीं।

नीना खुद से बोली, “क्यों मरे सब? क्यों सिर्फ मैं बच गई?”

 

वॉल ने फाइल्स पढ़ये हुई कहा, “इन सब पर भी वही साइबर्टेक प्रोसेस हुआ था। सब को तुम्हारी तरह आंख दी गई थी… लेकिन वो ज्यादा दिन नहीं टिक पाए।”

नीना अब धीरे-धीरे पीछे हट रही थी, उसकी आंखें अब लैपटॉप की स्क्रीन पर नहीं थीं — बल्कि दीवार पर, खाली हवा में कहीं उसे घूर रही थीं।

 

उसके दिमाग़ में एक आवाज़ गूंज रही थी —

“तू बाक़ी जैसी नहीं है…”

“तू चुनी गई है…।”

“तेरे पास वो है… जो किसी और के पास नहीं था…।”

 

वॉल ने पूछा, “नीना? सब ठीक है?”

नीना पलटी और मुस्कुरा दी।

नीना नरम धीमी आवाज़ में बोली, “सब ठीक है… मैं बस कुछ सोच रही थी…।”

 

उसकी मुस्कान में कोई ठहराव था। जैसे कोई खुद को समझा रहा हो, या फिर छुपा रहा हो। वॉल लैपटॉप बंद कर के बोली, “ चलो अब हमें जल्दी निकलना होगा। ये जगह सेफ नहीं लग रही।”

 

तभी उसकी बायीं आंख की नीली रौशनी तेज़ हुई। एक अजीब-सी बीप उसके कानों में गूंजने लगी। वॉल ने पूछा, “नीना...? क्या हुआ?”

नीना ने सिर पकड़ा। सब कुछ धुंधला दिखने लगा। नीना गड़बड़ाती आवाज़ में बोली,वॉल... मुझे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा।”

वॉल घबराकर पास आ कर बोली, "तुम्हारी आंखें... नीना... तुम्हारी आंखें ब्लिंक कर रही हैं...।”

नीना अब स्क्रीन की जगह छत को देख रही थी, फिर वॉल की तरफ — लेकिन सब कुछ खिंचता, मरोड़ता, फटता हुआ सा लग रहा था।

नीना पीछे खिसकती हुई बोली, “वॉल... ये आंखें... ये... मेरे दिमाग़ में कुछ कर रही हैं...!

 

 

क्या नीना की आंखें उसके दिमाग को कंट्रोल में कर रही है? क्या नीना खुद को खो देगी? क्या होगा जब वॉल को सच्चाई पता चलेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए “कर्स्ड आई।“

 

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