अगले दिन सुबह फोन बजते ही मीरा की आंख खुल गई...जैसी उसे आशंका, सुबह होते ही फोन बजना शुरू हो जाएगा और वही हुआ। मीरा के शरीर में सनसनाहट दौड़ गई....जरूर न्यूज पेपर में वह सबकुछ छप गया होगा….हे भगवान आर्यन तो कह रहा था कि ऐसा कुछ नहीं होगा, मैंने उसपर भरोसा भी कैसे कर लिया?
मीरा की हिम्मत नहीं हो रही थी कि फोन उठा ले...न जाने किसका होगा, उसकी किसी फ्रेंड का, किसी रिलेटिव, मम्मी-पापा, या फिर ऑफिस से, हो सकता है सोसाइटी में से किसी का हो। मीरा बेड पर ऐसे पड़ी हुइ थी मानों किसी ने उसे बेड से बांध दिया हो।
तभी डोर बेल भी बज उठी….मीरा का दिल जोरो से धड़का, जरूर सोसाइटी के लोग होंगे….हे भगवान अब क्या करूं? मीरा किसी तरह हिम्मत कर के उठी, फोन उठाकर देखा तो मारिया का फोन था। क्या उसे भी मेरे और आर्यन के बारे में पता चल गया.?
वह तो मुझ पर बरस उठेगी....यह क्या कर दिया तूने मीरा? हमारे सारे प्लान की धज्जियां उड़ा दी, अब तो तू उस चीफ के सामने आर्यन की गर्लफ्रेंड बनकर आ गई। पैसा देखा नहीं कि अपना मकसद भूल गई….पैसा होता ही ऐसा है किसी का भी इमान डोल जाए....तू मेरी आखिरी उम्मीद थी, पर तूने सबकुछ खत्म कर दिया।
डोरबेल फिर से बजी, मीरा का ध्यान भंग हुआ....मारिया के फोन ने रिंग करना बंद कर दिया था।
’’मैं मारिया की फटकार नहीं सुन सकती, मैं उससे अगर कुछ कहूंगी भी तो शायद वह न माने…भला वह क्यों मानेगी? हम एक दूसरे को कितना जानते हैं, केवल एक ही तो मुलाकात हुई है।
डोरबेल लगातार बज रही थी...मीरा किसी तरह डोर तक पहुंची और पूछा, ‘’कौन है?‘’
‘’अरे मेमसाहब मैं हूं, उषा, आपकी कामवाली।‘’
मीरा ने राहत की सांस ली और दरवाजा खोल दिया…वह बड़े ही अजीब नजरों से मीरा को सिर से लेकर पांव तक देखते हुए बोली, ‘’क्या बात है मेमसाहब, आपकी तबीयत तो ठीक है ना.? इतना टाइम क्यों लगाया दरवाजा खोलने में, आज से पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ आप एक ही बार में दरवाजा खोल देती थी।‘’
मीरा अपने चेहरे का पीसना पोछते हुए बोली’’ वो एक्चुली रात को घर देर से लौटी थी तो नींद नहीं खुली।‘’
‘हां हां ठीक है, पहले आपके लिए कॉफी बना दूं या घर की सफाई कर दूं?‘’
‘’पहले कॉफी ही बना दो।‘’
‘ठीक है मेमसाहब।‘
उषा किचन में चली गई..…मीरा ने सतर्क दृष्टि से अपने फ्लैट के बाहर बने बाकी सारे फ्लैट पर नजर डाली, रोज की तरह हर घर के सामने सन्नाटा पसरा था....घर के अंदर लोग अपने रोजमर्रा के कामों में लगे थे।
मीरा ने राहत की सांस तो ली, पर मन ही मन कहने लगी कि क्या किसी ने न्यूज पेपर नहीं देखा या फिर किसी ने उस बिजनेस वाले पेज पर ध्यान नहीं दिया होगा, हो सकता है क्योंकि बिजनेस का पेज तो बहुत से लोगों के लिए बोरिंग पेज ही होता है। पर कब तक यह सब छुपा रहेगा?...अभी नहीं तो दोपहर तक या फिर शाम तक लोगों की नजरों में तो मैं आ ही जाऊंगी।
मीरा ने अपने घर के सामने पड़े न्यूज पेपर को देखा पर हिम्मत नहीं हुई कि वह उठाकर अंदर ले आए। उसका मन हुआ कि वह अपना बोरिया बिस्तर समेंटे और ऐसी जगह चली जाए जहां उसे कोई जानता या पहचानता न हो।
तभी फिर से मारिया का फोन आया, मीरा फिर से घबरा उठी..समझ में नहीं आ रहा था कि वह मारिया के गुस्से का क्या जवाब दे?
उषा किचन से झांक रही थी, उसे बड़ा ही अजीब लग रहा था कि मीरा अपने हाथ में फोन लेकर भी रिसीव नहीं कर रही है, ‘’अरे मेमसाहब फोन उठाइए ना, कब से बज रहा है, क्या सोच रही हैं?‘’
‘’हां हां मेरे ऑफिस से फोन है, तू जल्दी से कॉफी बनाकर ला‘’ कहकर मीरा ने फोन कान पर लगा लिया…अपने आप को मारिया से जली कटी सुनने के लिए पूरी तरह से तैयार कर लिया था।
‘’हैलो मीरा, गुड मार्निंग कैसी हो?‘’ मारिया की आवाज में नरमी और दोस्ताना भरा स्वर था।
‘’मैं एकदम ठीक हूं मारिया, तुम बताओ कैसी हो? माउंट आबू ठीक से पहुंच गई ना?’’
‘हां हां एकदम ठीक हूं, मैं यहां के एक पुराने न्यूज पेपर प्रिंटिंग ऑफिस में खड़ी हूं, यहां लगभग तीस से चालीस साल पुराने न्यूज पेपर भी मिल जाते हैं तो मुझे लगता है कि आठ साल पहले चीफ के एक्सीडेंट वाली न्यूज भी मिल जाएगी।
मीरा ने केवल हूं कहा।
‘’देखती हूं, क्या जानकारी मिलती है?‘’
मीरा ने पूछा, और कुछ पता चला चीफ के बारे में?‘
मारिया ने कहा, ‘’नहीं, अभी तो कुछ नहीं…इतना ही पता चला कि कल वह ताज होटल गया था किसी नए बिजनेस डील के लिए बस।‘’
‘’और कुछ…?‘’
और कुछ मतलब क्या..? मारिया ने लापरवाही से पूछा।
‘’मेरे कहने का मतलब है कि उस बिजनेस डील के बारे में और कुछ सुनने को मिला..? कौन-कौन लोग आए थे वहां? क्या-क्या हुआ..? चीफ का एक्चुअल नाम क्या है? तुमने….तुमने आज का न्यूज पेपर पढ़ा क्या?‘’
‘’हां हां पढ़ा तो है, बिजनेस के बारे में कुछ खास नहीं छपा।
मीरा को सुखद आश्चर्य हुआ, ‘कोई फोटो वोटो तो नहीं छपी है?
‘’कैसी फोटो?‘’ मारिया ने पूछा।
इन बिजनेस पार्टी में बड़े-बड़े लोगों की गर्लफ्रेंड आती रहती हैं, उनकी....मीरा अपने बारे में जानना चाह रही थी।’’
मारिया ने कहा, ‘’तू पागल है क्या.? वहां केवल बिजनेस की बातें होती हैं, गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड की नहीं, अच्छा चल मैं फोन रखती हूं, कोई नई जानकारी मिलेगी तो बताऊंगी।‘’ कहकर मारिया ने फोन काट दिया।
मारिया की बातों से उसे थोड़ा सूकुन मिला पर अंदर ही अंदर यह डर लग रहा था कि मारिया तो राजस्थान में है, बिजनेस पार्टी तो मुंबई में हुई थी, तो यहां के लिए यह बड़ी खबर है राजस्थान के लिए नहीं।
मीरा ने डोर खोलकर झट से अपने दरवाजे के बाहर पड़े न्यूज पेपर को उठा लिया...हमेशा वह पहले देश दुनिया की चटपटी खबरें, फिल्मों से रिलेटेड या फिर खेल जगत से रिलेटेड न्यूज पढ़ती थी...बिजनेस न्यूज में उसका कोई इंटरेस्ट नहीं था, पर आज बड़ी ही बेसब्री से उसने बिजनेस वाला पेज खोला।
पेज खोलते ही जैसे उसे दुनिया भर का सुख मिल गया, फोटो तो छपे थे...आर्यन का भी था...एक जगह इंद्राणी दत्ता भी हाथ में वाइन का गिलास लिए खड़ी थी, कुछ और बिजनेसमैन थे जिन्हें कल मीरा ने करीब से देखा था। मीरा जल्दी-जल्दी उस पेज पर छपी सारे बड़ी छोटी न्यूज पढ़ने लगी।
थैंक गॉड मेरी एक भी फोटो नहीं है और ना ही मेरे नाम की चर्चा है।
आर्यन का नाम दो जगह आया है, पर उनकी गर्लफ्रेंड जैसा नाम कुछ भी नहीं है, बाकी और केवल रोजगार बढ़ाने की बातें, नई कम्पनियां खोलने, निवेश करने, देश का उघोग ऊचाई पर ले जाने की बातें थी।
कल की पार्टी और वहां के माहौल को देखकर तो लग ही नहीं रहा था कि वहां ऐसी भी कोई बातें चल रही थी या फिर हो सकता है कि यह सब कहीं और चल रहा होगा…’
उधर माउंट आबू में मारिया उस न्यूज पेपर प्रिंटिग हाउस के सामने खड़ी थी...प्रिंटिंग हाउस क्या था? वह एक जर्जर इमारत थी जो राम भरोस चल रही थी....हालत देखकर लग रहा था कि यह किसी भी समय गिर सकती है, यह कभी राजस्थान के किसी रजवाड़े का महल रहा होगा, पर अब तो यहां प्रिंटिंग का काम चल रहा है।
मारिया एक कम्प्यूटर आपरेटर के पास पहुंची और सीधे-सीधे अपनी डिमांड जाहिर कर दी। वह आपरेटर मुंह फाड़े मीरा को देखने लगा जैसे मीरा ने यह प्रिंटिंग प्रेस ही दान में मांग ली हो।
‘’क्या कहा आपने, आठ साल पहले का न्यूज पेपर…पर क्यों?‘’
‘’सवाल पूछना तुम्हारा काम नहीं है, मुझे पेपर चाहिए।‘’
‘’पर इतना पुराना पेपर शायद ही हो हमारे पास।‘’
‘’क्यों नहीं हो सकता है, तुम लोगों के पास तो आजादी के दिन वाला भी न्यूज पेपर है।‘’
‘’उसकी बात अलग है, वह तो हमारे देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, उस दिन का न्यूज पेपर तो रखना बनता है पर आप जिस समय और जिस महीने की बात कर रही हैं, उस टाइम तो ऐसा कुछ खास नहीं हुआ था।‘’
‘’खास नहीं हुआ था लेकिन मुझे पेपर चाहिए, मैं पैसे देने को तैयार हूं।‘’
मारिया को पता था, नोटों की गड्डी देखते ही आपरेटर के सुर बदल जाएंगे। नोटों का बंडल ललचाई नजरों से देखते हुए आपरेटर ने मारिया से पूछा, ‘’दिसंबर महीने की किस डेट का पेपर चाहिए आपको?‘’
मारिया ने कहा, ‘’वह तो मुझे याद नहीं है, आप ऐसा कीजिए मुझे उस साल दिसंबर महीने के सारे पेपर दे दीजिए, मुझे जो चाहिए होगा मैं ढूंढ लूंगी।‘’
आपरेटर ने कंधे उचकाए और खड़े होकर आंखो से उन नोट की गड्डी की ओर इशारा किया जिसे मारिया ने अभी तक पकड़ रखा था, मारिया ने वह गड्डी आपरेटर की ओर बढ़ा जी, आपरेटर ने झट से गड्डी थामी और मेज के नीचे से एक जूट का थैला निकाला, उसमें उसका लंच बाक्स रखा था, लंच बाक्स उसने टेबल पर रख दिया और नोट की गड्डी जूट के थैले में भरकर इधर-उधर देखा कि किसी ने उसे पैसे लेते तो नहीं देखा।
उसने जूट की वह थैली अपने सीने से चिपकाते हुए मारिया से कहा, ‘’देखिए मोहतरमा, मैं उस महीने के सारे न्यूज पेपर यहां तो नहीं ला सकता हूं, आपको उस जगह ले चलता हूं…जहां वे पेपर रखें है, दिसंबर महीने के सारे पेपर में से आप खुद छांट लीजिए, यहां लाने का मतलब है बेवजह फैलान करना।‘’
मारिया ने कुछ सोचकर कहा, ‘’ओके, चलिए।‘’
आपरेटर उस थैले को अपने सीने से ऐसे दबाए हुए था जैसे वह उसकी जान से भी ज्यादा प्यारी चीज हो, वह सतर्क होकर अपने दोनों ओर काम रहे लोगों को देख भी रहा था।
बेसमेंट में पहुंचकर उसने मारिया से कहा, ‘’आप यहीं रूकिए मैं अभी चेक कर के आता हूं।‘’
उस बेसमेंट में अजीब सी सीलन और बदबू थी, मारिया ने रूमाल निकालकर नाक पर रख लिया, ऐसी सेचुएशन में मारिया को सिगरेट की तलब होने लगती थी…उसने अपने पर्स से सिगरेट का एक पैकेट निकाला, अपने होंठो से लगाकर लाइटर जलाकर कश लेने लगी, कश लेते-लेते वह इस एक्सीडेंट के बारे में सोचने लगी, जो उसे जॉन ने बताया था, तभी उसकी आंखो में चमक आ गई।
लगभग पांच मिनट बाद आपरेटर आया उसने एक हाथ से वह जूट का थैला वैसे ही चिपका रखा था दूसरे हाथ में बहुत पुराने न्यूज पेपर का गटठ्रर था, वह मारिया को सिगरेट पीते देख हड़बड़ा गया, उसके लिए किसी औरत का शराब और सिगरेट पीना दुनिया के आश्चर्यों में से एक था, पर उसने खुद से कहा, ‘’मुझे क्या, कुछ भी करें, वह मारिया से बोला, ‘’लीजिए मैंडम जो साल आपने बताया है उसके दिसंबर महीने की पूरे इक्तीस दिनों के पेपर, और हां मैडम ध्यान रखिएगा की यह पेपर आपको लेकर नहीं जाना है, फोटो ले सकती हैं।‘’
मारिया ने थैंक्स कहा, वैसे वह उसे बताना भूल गई थी कि उसे दिसंबर फर्स्ट वीक के ही पेपर चाहिए थे, पर कोई बात नहीं…दस मिनट में ही मारिया ने वह पेपर निकाल लिए जिसमें माउंट आबू से रिलेटेड खबरे छपी थी।
शीर्षक था, ‘’माउंट आबू में भयानक कार एक्सीडेंट, एक की मौके पर ही मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल।
न्यूज के नीचे दो फोटो छपी थी…एक लड़के की और एक लड़के की.…न्यूज में लड़के का असली नाम नहीं छपा था, एक बदला हुआ नाम रख दिया गया था, शायद वह कभी चाहता ही नहीं था कि उसका असली नाम दुनिया को पता चले, पर लड़की का नाम था.….’नेहा भटनागर’ वह दिल्ली की रहने वाली थी, निहायत खूबसूरत, होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रही थी, बेचारी बेमौत मारी गई।
मारिया ने उस न्यूज पेपर की फोटो ले ली और वहां से गेस्ट हाउस की ओर निकल गई। मारिया माउंट आबू के एक गेस्ट हाउस में ठहरी थी, जहां चाय पानी का तो इंतजाम था पर ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का इंतजाम तो खुद ही करना था।
गनीमत थी कि सुबह चाय के साथ टोस्ट और बिस्किट मिल गए थे, मारिया के लिए वही भरपूर नाश्ता हो गया था।
प्रेस से गेस्ट हाउस की ओर निकलते समय उसने खाना आर्डर कर दिया था…गेस्ट हाउस तक पहुंचते-पहुंचते खाना तो आ ही जाएगा, खाना खाकर दिल्ली के लिए निकल जाऊंगी और इस नेहा भटनागर की हिस्ट्री खंगालने में लग जाऊंगी।
गेस्ट हाउस पहुंचकर मारिया सोफे पर धंस गई…उसे जॉन की बहुत याद आ रही थी, ’मैं तुम्हारी मौत का बदला लेकर रहूंगी, उस चीफ की भी वैसी ही मौत होगी जैसी तुम्हारी हुई है जॉन....चीफ के परिवार वाले उसका अंतिम क्रियाकर्म नहीं कर पाएंगे।‘’
तभी मारिया की उस गेस्ट रूम की बेल बजी, ‘’कौन है?‘’ मारिया ने अपनी नम आंखों को पोछते हुए पूछा।
‘’डिलीवरी बॉय मैम, आपका लंच।‘’
दरवाजा खोलने के लिए वह उठी, सामने डिलीवरी बॉय बड़ा-सा थैला लिए खड़ा था, शायद उसमें और भी कई लोगों के आर्डर होंगे। डिलीवरी बॉय ने मारिया को देखकर थैले में हाथ डाला और केवल एक सेंकेंड के अंदर उसका हाथ बाहर आया तो उसने अपने हाथ में साइलेंसर युक्त रिवॉल्वर पकड़ी हुई थी, जिसकी नली मारिया की ओर थी।
मारिया की आखें फट गई.....उसने मारिया पर फायर करने के लिए बंदूक मारिया की ओर तान दी।
क्या मारिया नेहा की बीती हुई जिंदगी के बारे में कुछ पता लगाकर चीफ तक पहुंच पाएगी?
मारिया क्या मीरा को सब बताने से पहले ही अपनी जान गवा देगी?
मीरा आर्यन को थैंक्स कैसे बोलेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
No reviews available for this chapter.