इत्तेफाक से कुछ ऐसा हुआ। अर्जुन के सामने एक ऐसी राह आ गई जिसने पल भर में उसकी मुश्किलें तुरंत ही दूर कर दीं। आखिर में अर्जुन ने फैसला कर लिया था कि उसे आगे अब क्या करना है और कैसे उसे अपने मकसद में कामयाब होने के लिए ध्रुवी को अपने प्लान में शामिल करना था।
अर्जुन (राहत भरे भाव से): आर्यन, आर्यन ही इस मुश्किल का हल बनेंगे।
यह इत्तेफाक था या किस्मत की मेहरबानी कि अर्जुन जब अपनी उलझन में उलझा हुआ था, तो आर्यन उसी दिन अपनी आगे की पढ़ाई की प्रक्रिया के चलते लंदन से आया था। और उसे देखते ही जैसे अर्जुन को अपनी सारी परेशानियां तुरंत ही सुलझती हुई नज़र आईं। आखिर में अर्जुन ने फैसला कर लिया था कि अब आर्यन का इस्तेमाल करके वह ध्रुवी तक पहुँचेगा। इसी के चलते अर्जुन आर्यन से मिला।
अर्जुन (आर्यन की ओर गंभीर भाव से): याद है आर्यन, एक बार आपने हमसे कहा था कि ज़िंदगी के किसी भी मोड़ पर हमें आपकी ज़रूरत होगी, तो आप हमारी मदद ज़रूर करेंगे?
आर्यन (सहज भाव से): हाँ, हुज़ूर, याद है मुझे। और यह सब मैंने सिर्फ़ कहने भर के लिए नहीं कहा था, बल्कि मैं वाकई आपके एहसानों के बदले अपनी वफ़ादारी के रूप में जान भी दे सकता हूँ।
अर्जुन (एक आस भरे लहजे से): तो समझिए आर्यन, कि वह वक्त आ गया है जब आपको हमारे प्रति अपनी वफ़ादारी साबित करनी है।
आर्यन (पूरी दृढ़ता के साथ): आप बस हुक्म कीजिए हुज़ूर, मैं अपनी बात से हरगिज़ मुकरूँगा नहीं।
अर्जुन ने आर्यन की दृढ़ता देख कुछ पल तक गहरी नज़रों से उसे देखा और फिर अनाया से लेकर ध्रुवी तक अर्जुन ने आर्यन को सारा किस्सा कह सुनाया।
आर्यन (गंभीरता से): यह सब तो मैं समझ गया हूँ हुज़ूर, लेकिन इस सब में मैं आपकी क्या और कैसे मदद कर सकता हूँ?
अर्जुन (सहजता से): आर्यन, इस सब में सिर्फ़ और सिर्फ़ आप ही हमारी मदद कर सकते हैं क्योंकि हम इस मामले में किसी और पर हरगिज़ भरोसा नहीं कर सकते।
आर्यन (कुछ असमंजसता से): लेकिन मुझे करना क्या होगा हुज़ूर?
अर्जुन (आर्यन को समझाते हुए): जो कुछ हम आपसे कहने जा रहे हैं वह सब आसान नहीं है, लेकिन हमें यकीन है कि आप इस सब में ज़रूर कामयाब हो जाएँगे।
आर्यन (हौले से अपना सिर हिलाते हुए): जी, आप पहले बताएँ तो सही कि क्या मसला है?
अर्जुन (मिले-जुले भाव से): आर्यन, आपको ध्रुवी की ज़िंदगी में शामिल होना होगा। उनका भरोसा जीतना होगा। उन्हें खुद का आदी बनाना होगा इस क़दर कि वह आपके लिए कुछ भी कर गुज़रने को तैयार हो जाएँ। आपके लिए कोई भी हद पार करने से पहले उन्हें सोचना ना पड़े।
आर्यन ने बड़े ही ध्यान से अर्जुन की बात सुनी। और उसकी बात सुनने के कुछ पल बाद तक भी, जब आर्यन खामोश रहा, तब आखिर में अर्जुन ने ही अपनी चुप्पी तोड़ी।
अर्जुन (परखती नज़रों से आर्यन की ओर देखकर): क्या हुआ आर्यन? क्या सोच रहे हैं आप? अगर आप यह नहीं करना चाहते, तो कोई बात नहीं। कोई ज़बरदस्ती वाली बात हरगिज़ नहीं है।
आर्यन (जल्दी से अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए): ऐसी कोई बात नहीं है हुज़ूर। (एक पल रुक कर) मैं बस यह सोच रहा हूँ कि जो सब आपने उस लड़की ध्रुवी के बारे में मुझे बताया, तो इतना आसान भी नहीं है उसे अपनी बातों में उलझाना।
अर्जुन (अपनी ठोड़ी को अपनी हथेली पर टिकाते हुए): हम्म, आसान तो बिल्कुल भी नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी हरगिज़ नहीं है। (एक पल रुक कर) वह एक चमकता सितारा है जिसकी रोशनी की चकाचौंध हर किसी की नज़रों में नज़र आती है। बस तुम्हें उस चकाचौंध, उस रोशनी को अनदेखा करना है।
आर्यन (असमंजसता से): मतलब?
अर्जुन (गहरी साँस लेते हुए): मतलब यह कि तुम्हें दूसरों से अलग नज़र आना है। उसे देखकर भी अनदेखा करना है। तुम्हारी नज़रों में जैसे उस रोशनी का कोई मोल, कोई ख़ासियत ही नहीं होगी। उसकी नज़रों में हर पल आकर भी, तुम्हें हर लम्हा उससे दूर ही रहना है। फिर देखना वह रोशनी, वह सितारा खुद तुम्हारे करीब आने के लिए तुम्हारा तलबगार बन जाएगा।
आर्यन (पूरे आत्मविश्वास के साथ): मैं समझ गया हूँ हुज़ूर कि मुझे क्या करना है और आप बिल्कुल निश्चिंत रहिए। मैं इस नेक काम में अपनी जान लगा दूँगा और हर कीमत पर कामयाब होकर ही लौटूँगा।
अर्जुन (कृतज्ञता भरे भाव से आर्यन को गले लगाकर): आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आर्यन। आप नहीं जानते आपने हमारी कितनी बड़ी मुश्किल को हल करने का रास्ता दिखाया है हमें। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आर्यन (मुस्कुरा कर): अरे नहीं, यह तो मेरा फ़र्ज़ था हुज़ूर।
इसके बाद अर्जुन ने आर्यन के साथ मिलकर अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया और पूरी तैयारी के बाद कुछ दिन बाद आखिर में वह दिन भी आ गया जब आर्यन का पहली बार ध्रुवी से सामना होना था।
अर्जुन (आर्यन से): आप तैयार हैं ना आज के लिए?
आर्यन (पूरे आत्मविश्वास के साथ): जी हुज़ूर, बस आप दुआ कीजिएगा कि मैं अपने मकसद में कामयाब होकर ही लौटूँ।
अर्जुन (आर्यन के कंधे थामते हुए): हमारी दुआ हमेशा आपके साथ है। ईश्वर आपको ज़रूर कामयाब करेंगे।
इसके बाद पूरी तैयारी के साथ आखिर में आर्यन कॉलेज गया और कॉलेज के मुख्य द्वार के बाहर खड़े होकर ध्रुवी की गाड़ी का इंतज़ार करने लगा। और कुछ दूरी पर उसे जैसे ही ध्रुवी की गाड़ी आती दिखी, तो फ़ौरन अंदर चला आया। तभी उसके फ़ोन की स्क्रीन पर अर्जुन का मैसेज फ़्लैश हुआ।
अर्जुन: ध्रुवी आ चुकी हैं… अब आगे आपको संभालना है… ऑल द वेरी बेस्ट।
आर्यन ने अर्जुन के मैसेज का जवाब दिया। इसके बाद वह अपने प्लान को पूरा करने की आवश्यकता से जानबूझकर ध्रुवी की गाड़ी से टकरा गया और यहीं से अर्जुन का मोहरा बनते हुए आर्यन ने अर्जुन के तैयार किए गए प्लान के अनुसार चाल चलते हुए ध्रुवी को धीरे-धीरे अपने प्लान में फँसा लिया और आज वह वक्त आ चुका था जहाँ वाकई ध्रुवी उसके लिए कुछ भी, किसी भी हद को पार करने की तीव्रता रखती थी।
(फ़्लैशबैक एंड)….!!!
आर्यन (अर्जुन को अपनी ही सोच में गुम देखकर): अब तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है ना हुज़ूर?
अर्जुन (गंभीर भाव से): नहीं, अभी तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है, लेकिन…
आर्यन (अर्जुन की अधूरी बात को दोहराते हुए): लेकिन क्या?
अर्जुन (एक गहरी साँस लेकर): लेकिन यह कि हम सोचते हैं कि जब ध्रुवी सारा सच जानेंगी, उन्हें हकीकत मालूम होगी, तो क्या वह कभी हमें माफ़ भी कर पाएँगी?
आर्यन (ध्रुवी को याद करते हुए): यह तो मैं भी सोचता हूँ हुज़ूर, क्योंकि जो भी हो, मैंने उसके दिल से, उसके जज़्बातों से खेला है। उन्हें छला है।
अर्जुन (उलझन भरे भाव से): हम्म, जिसका कारण हम हैं।
आर्यन (गिल्ट भरे भाव से): जितना मैंने उसे जाना है, वह दिल की एकदम साफ़ है हुज़ूर, और जब उसे सच पता चलेगा, तो पता नहीं वह कैसे रिएक्ट करेगी, कैसे इस सच को बर्दाश्त करेगी। (एक पल ठहर कर) और शायद उसके दिल से खेलने के लिए, मैं भी खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा।
अर्जुन (खिड़की के पास जाते हुए): सच कहें आर्यन, तो ध्रुवी और उन्हें दिए धोखे का सोचकर, हमें ख़्याल आता है कि हम यह खेल यहीं ख़त्म कर दें। बस अनाया से किए वादे की वजह से हर बार मजबूर हो जाते हैं हम।
आर्यन (अर्जुन के कंधे पर हाथ रखते हुए): आप चिंता मत कीजिए हुज़ूर, आप ज़रूर महारानी सा से किए वादे को निभाएँ। बस कुछ दिनों की बात है, फिर हम मिलकर ध्रुवी को सब सच बता देंगे। (एक पल रुक कर) और फिर ऊपर वाला भी जानता है कि शायद हमारा तरीका ग़लत हो सकता है, लेकिन हमारी नियत बिल्कुल ग़लत नहीं है।
अर्जुन (टाइट लिप स्माइल के साथ): थैंक्यू सो मच आर्यन, आप नहीं होते, तो शायद यह कभी पॉसिबल ही नहीं होता। हम सदा आपके ऋणी रहेंगे।
आर्यन (सहज भाव से): ऐसा मत कहिए हुज़ूर, यह तो मेरा फ़र्ज़ था, और ध्रुवी की बात तो वह शुरुआत में शायद ज़रूर गुस्सा करेगी, लेकिन जब उसे इस सबके पीछे का मकसद मालूम होगा, तो वह ज़रूर समझेगी।
अर्जुन (हौले से सर हिलाते हुए): काश! कि ऐसा ही हो, वरना इस अपराधबोध के चलते हम सुकून से जी नहीं पाएँगे।
आर्यन (सांत्वना भरे भाव से): यकीन रखें हुज़ूर, ऐसा ही होगा।
जवाब में अर्जुन बस मुस्कुरा दिया। कुछ देर बाद आर्यन से विदा लेकर अर्जुन वहाँ से चला गया। अर्जुन वापस घर पहुँचा तो ध्रुवी तैयार थी जो असल में ध्रुवी लग ही नहीं रही थी। वह बिल्कुल अनाया की तरह दिख रही थी, या यूँ कहें कि अनाया ही बन चुकी थी।
अर्जुन (मन में): ऐसा लग रहा है जैसे हमारे सामने इस वक्त अनाया ही खड़ी हैं।
ध्रुवी ने अनाया की तरह ही शाही पोशाक और ढेर सारे गहने पहने हुए थे। माथे पर चंद्रबिंदी के साथ उसने अपनी मांग में गहरा लाल सिंदूर सजाया हुआ था जो उस पर बहुत फब भी रहा था। कुल मिलाकर आज ध्रुवी बिल्कुल किसी शाही ख़ानदान की महारानी लग रही थी। अर्जुन ने उसे देखा तो वह कुछ पल तक स्तब्ध ही रह गया।
ध्रुवी (अर्जुन से): हम अनाया जी की तरह लग रहे हैं?
अर्जुन (ध्रुवी की आवाज़ पर अपनी सोच से बाहर आते हुए): हम्म, एक पल को हम ही धोखा खा गए थे। (एक पल रुक कर) आप तैयार हैं? चलें?
ध्रुवी (हाँ में सर हिलाते हुए): हम्म, चलें।
आखिर में इसी के साथ वह दोनों रायगढ़ के लिए निकल पड़े। कुछ घंटों के इस लगातार सफ़र में दोनों के बीच बस ख़ामोशी पसरी रही और फिर आख़िरकार एक लंबे सफ़र के बाद रायगढ़ के शाही चमचमाते सफ़ेद संगमरमर महल के सामने जाकर उनकी गाड़ी रुकी जिसकी ख़ूबसूरती देखते ही बनती थी। लेकिन ध्रुवी की नज़रें महल को ना देखकर बस शून्य को निहार रही थीं। उसे यूँ खुद में खोया देखकर आखिर में अर्जुन ने अपनी चुप्पी तोड़ी।
अर्जुन (सामने की ओर देखते हुए): हम जानते हैं आप यह सब मजबूरी में कर रही हैं, लेकिन हम भी मजबूर हैं अपने प्यार के हाथों, उससे किए वादे की ख़ातिर, और प्यार के लिए कुछ भी कर गुज़रने की चाह क्या होती है, यह आपसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता।
अर्जुन की बात पर जब ध्रुवी ने कोई जवाब नहीं दिया और उसको अभी भी ख़ामोश देखकर अर्जुन ने एक गहरी साँस लेकर फिर से अपनी बात कहनी जारी रखी।
अर्जुन (ध्रुवी को ख़ामोश देखकर): जानते हैं इस वक्त आपको हमारी कही हर बात बेमानी लगेगी, पर बस हम आपसे इतना ही कहेंगे, इतनी ही गुज़ारिश करेंगे कि गाड़ी से बाहर क़दम रखते ही आप आने वाले कुछ अरसे के लिए ध्रुवी के अस्तित्व को बिल्कुल भूल जाएँगी और सिर्फ़ इतना याद रखेंगी कि आप अनाया हैं, अनाया सिंह राणावत।
ध्रुवी (हाँ में अपनी गर्दन हिलाते हुए): हमें अच्छे से याद है कि हमें क्या करना है और हमारा मक़सद क्या है।
अर्जुन (कृतज्ञता से): बेहद शुक्रिया। (एक पल रुक कर) आइए, बाहर सब हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।
अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी। इसी के साथ अर्जुन और ध्रुवी गाड़ी से उतरे। ध्रुवी ने एक नज़र इस विशाल और भव्य महल को देखा और फिर बिना किसी प्रतिक्रिया के वह अर्जुन के पीछे चल पड़ी। और जब जैसे ही ध्रुवी ने अर्जुन के पीछे महल की पहली सीढ़ी पर क़दम रखा, तो अचानक ही उसे ऐसा लगा जैसे उसका नाम पुकारते हुए एक तेज़ हवा जैसा कोई झोंका उसे छूकर गुज़रा हो।
ध्रुवी (डर से चौंक कर पीछे मुड़ते हुए): क्या था यह?
ध्रुवी पीछे मुड़ी, पर वहाँ कोई नहीं था। ध्रुवी ने अपने डर को वहम समझकर एक गहरी साँस ली और जैसे ही वापस जाने के लिए मुड़ी, कि अचानक ठीक उसके सामने एक बड़ा सा काला साया आ खड़ा हुआ जिसके काले स्याह बाल हवा में साँप की भाँति लहरा रहे थे और उसका चेहरा उसके बालों की आड़ में छिपा था। चेहरा ना दिखने के बावजूद भी सामने का नज़ारा बेहद डरावना था और उस साये को देखते ही ध्रुवी एकाएक डर से अपनी आँखों पर अपनी दोनों हथेलियाँ रखते हुए ज़ोर से चीख पड़ी।
ध्रुवी (डर से चिल्लाते हुए): आआअअअअअअसअ!
(तो आपको क्या लगता है क्या है यह? ध्रुवी का वहम? किसी का साया? या कोई अनदेखी साज़िश?)
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