एपिसोड – 24: Raaz
“रेबेका का बॉयफ्रेंड! मैं नहीं मानता इस बात को।” पीटर ने कहा जब वे वापस घर को लौट रहे थे। मुंबई शहर धीरे–धीरे अपनी रफ्तार पकड़ने लगा था।
“पूरा दिन निकल चुका। न मिस रेबेका का कुछ पता चला और न ही उनके बारे में हम कोई जानकारी इकट्ठी कर सके।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “जो भी पता चला, उसने हमारे पूरे दिन की मेहनत को बेकार साबित कर दिया।”
“मैंने गार्ड से इसका फोन नंबर ले लिया है। सब आगे की जानकारी वही हमें देगा। मुंबई में इस तरह गायब हुए लोगों में से कुछ ही लोग दोबारा मिल पाते हैं।” मेल्विन ने कहा, “क्या रेबेका उनमें से एक होगी?”
“मेल्विन, हमें रामस्वरूप जी को कॉल करके बात करनी चाहिए।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “जरा मालूम तो चले, आखिर सनशाइन इंटरनेशनल स्कूल से उन्हें क्या पता चला।”
“मैं कॉल लगाता हूं उन्हें।” पीटर ने इतना कहकर अपनी जेब से मोबाइल फोन बाहर निकाल लिया। फिर उसने रामस्वरूप जिनका नंबर अपने फोन पर डायल किया। दो–तीन घंटी बजने के बाद रामस्वरूप जी ने कॉल पिक किया।
“हेलो पीटर!” रामस्वरूप जी ने कॉल उठाते ही कहा, “हमें कुछ जानकारी मिली है सनशाइन इंटरनेशनल स्कूल से।”
“क्या, सच में?” पीटर ने खुशी से चीखते हुए कहा, “बताइए, क्या पता चला है आपको रामस्वरूप जी?”
इससे पहले कि रामस्वरूप जी पीटर को कुछ बताते लक्ष्मण ने उनके हाथ से फोन ले लिया।
“इतना खुश होने जैसी कोई बात नहीं है पीटर!” लक्ष्मण ने मुस्कुराते हुए कहा, “दरअसल हमें जो पता चला है उसे सुनकर मेल्विन शायद बर्दाश्त न कर पाए।”
“क्या मतलब है तुम्हारा?” पीटर ने गुस्से में पूछा, “और तुम हमेशा नेगेटिव बातें ही क्यों करते हो?”
“मैं कोई नेगेटिव बातें नहीं करता पीटर!” लक्ष्मण ने भी गुस्से में कहा, “मैं हमेशा सही बात करता हूं। अब भी मैं तुमसे एक सच्ची और सही बात बताने वाला हूं।”
“लक्ष्मण, चुप हो जाओ!” रामस्वरूप जी ने उसे समझाया, “क्यों बात बिगाड़ने वाला काम करते हो?”
“इसमें बात बिगाड़ने जैसा क्या है पिताजी?” लक्ष्मण ने पूछा, “उल्टा अगर हमने मेल्विन को ये सच्चाई नहीं बताई तो मेल्विन जरूर कल को हमसे सवाल कर सकता है कि अगर हमें ये बात मालूम थी तो हमने उसे क्यों नहीं बताई।”
तभी मेल्विन ने पीटर से फोन लेते हुए लक्ष्मण से पूछा, “क्या बात है लक्ष्मण? तुम क्या कहना चाहते हो, कहो।”
मेल्विन की हड़बड़ाहट सुनकर लक्ष्मण को मजा आने लगा था। वो बोला, “मेल्विन, मैंने तुमसे पहले ही कहा था। ये उम्र प्यार–व्यार करने का नहीं है। तुम एक अच्छे कार्टूनिस्ट हो। बेकार में इन सब चक्करों की वजह से तुम्हारे आर्ट पर बुरा असर पड़ेगा।”
“मुद्दे पर आओ लक्ष्मण!” मेल्विन ने कहा, “क्या बताना चाहते रहे थे तुम?”
“मिस रेबेका के बारे में हमें एक महत्वपूर्ण जानकारी मिली है जिसे सुनकर तुम शायद यकीन नहीं करोगे।” लक्ष्मण ने एक और भूमिका जोड़ते हुए बताया, “मिस रेबेका का यहां स्कूल के एक टीचर से चक्कर चल रहा है। मामला सीरियस है।”
मेल्विन ने जब ये सुना तो उसके हाथ–पांव सुन्न पड़ गए। एक ही दिन में उसे रेबेका के बॉयफ्रेंड के बारे में दूसरी बार सुनने को मिला था।
“मेल्विन, झूठ है ये!” पीटर ने कहा।
“पीटर, ये सच है!” लक्ष्मण ने तुरंत कहा।
“तुम्हें कैसे पता कि मामला सीरियस है लक्ष्मण?” रामस्वरूप जी ने फिर लक्ष्मण को टोकते हुए पूछा, “क्या तुमने कभी रेबेका को किसी के साथ देखा है? या यूं ही ख्याली पुलाव पका रहे हो?”
“मिस रेबेका अक्सर उस म्यूजिक टीचर के साथ देखी जाती हैं। दोनों एक–दूसरे के साथ काफी टाइम स्पेंड करते हैं। इन सबका आखिर क्या मतलब निकलता है पिताजी?”
“कुछ मतलब नहीं निकलता।” रामस्वरूप जी कहा। इससे पहले कि वे आगे कुछ कहते मेल्विन ने पूछा, “म्यूजिक टीचर के साथ? आर यू स्योर?”
“हां, म्यूजिक टीचर के साथ।” लक्ष्मण ने कहा, “दोनों में काफी ट्यूनिंग है।”
“फिर तो रेबेका के एक नहीं, दो–दो बॉयफ्रेंड हैं लक्ष्मण।” मेल्विन ने कहा, तो पीटर, डॉक्टर ओझा और रामस्वरूप जी ये सुनकर चौंक उठे, “उसके एक बॉयफ्रेंड के बारे में हम उसके बंगले के गार्ड से सुनकर आ रहे हैं।”
मेल्विन ने जब ये कहा तो तो पीटर और डॉक्टर ओझा हंसने लगे।
“फिर तो दो नहीं, तीन बॉयफ्रेंड हुए मेल्विन!” पीटर ने कहा, “एक बॉयफ्रेंड के साथ तो हम सुबह से घूम रहे हैं। मिस रेबेका के फ्यूचर बॉयफ्रेंड के साथ।”
“अच्छा लक्ष्मण, मेरी मदद के लिए शुक्रिया!” मेल्विन ने कहा, “रामस्वरूप जी, आपका भी बहुत–बहुत शुक्रिया! मेरे ख्याल से सब हमें आज के लिए कोशिश बंद कर देनी चाहिए। हम स्कूल टाइम से घर भी पहुंचना है। मैं रेबेका के घर वालों के कॉन्टैक्ट में हूं। उन्होंने पुलिस को इस बात की खबर दे दी है। जैसे ही उन्हें कुछ पता लगेगा, वे हमें खबर कर देंगे।”
“ठीक है मेल्विन!” रामस्वरूप जी ने कहा, “तो फिर कल मिलते हैं। अपना ख्याल रखना।”
इतना कहकर रामस्वरूप जी ने कॉल कट कर दिया।
घर लौटकर मेल्विन लगातार रेबेका के बंगले के गार्ड के कॉन्टैक्ट में था। रात के करीब दो बजे तक मेल्विन ने उसे टाइम टू टाइम कॉल किया था। लेकिन दूसरी तरफ से उसे कुछ भी पॉजिटिव न्यूज सुनने को नहीं मिली।
मेल्विन पूरी रात सो नहीं सका था। अगले दिन सुबह जब उसकी मां का फोन आया तब मेल्विन बेड से उठा।
“हां बेटे, कैसे हो?” मेल्विन की मां ने पूछा, “मुंबई में अब मौसम कैसा है?”
“कल शाम तक तो ठीक था मां!” मेल्विन ने कहा, “आज का क्या हाल है, ये मुझे नहीं मालूम। देखना पड़ेगा।”
मेल्विन अपने बेड से उठकर बालकनी की तरफ आ गया था।
“मुंबई अपने पुराने रंग में आ चुकी है मां।” मेल्विन ने ये कहते हुए एक लंबी जम्हाई ली।
“मेल्विन, क्या तुम रात में फिर देर से सोए थे?”
“हां मां!” मेल्विन ने कहा, “दअरसल मैं पूरी रात सोया ही नहीं था।”
“क्यों?”
“कल की प्रचंड बारिश में मेरा एक दोस्त कहीं खो गया। अब तक उसका कहीं पता नहीं चल सका है।” मेल्विन ने बताया, “क्या… पीटर खो हो गया?” मेल्विन की मां ने लगभग चीखते हुए पूछा, “ओहो, कितना तो भला आदमी था वो।”
“मां, मैं पीटर की नहीं रेबेका की बात कर रहा हूं।” मेल्विन ने नींद में ही अपनी मां से कहा।
“किसकी?” मेल्विन की मां के कान खड़े हो गए थे, “ये रेबेका कौन है?”
“रेबेका… कौन रेबेका?” मेल्विन ने कहा, “मैंने रॉबिन कहा है मां।”
नहीं बेटे, तुमने रेबेका ही कहा है। मैंने साफ-साफ सुना।” मेल्विन की मां ने कहा।
“अच्छा ठीक है, हो सकता है मेरे मुंह से ही रॉबिन की जगह रेबेका निकल गया हो।” मेल्विन ने कहा।
“तुमने अपने दोस्त के गुमशुदा होने की कंप्लेंट पुलिस स्टेशन में की न मेल्विन?” मेल्विन की मां ने पूछा।
“कल पूरा दिन मैं उसकी तलाश में भटकता रहा। बल्कि मेरे दोस्त भी मेरे साथ भटकते रहे। थक–हारकर आखिरकार उसके घर वालों ने पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट कर दी है।”
“इसलिए मैं तुमसे कल कह रही थी कि ऑफिस मत जाओ। अगर अपने दोस्त की जगह तुम गुमशुदा हो गए होते तो मेरा क्या होता मेल्विन?” मेल्विन की मां इमोशनल होते हुए बोले।
“मैं कहां खो जाता मां?” मेल्विन ने पूछा, “मैं तो खोना चाहता हूं लेकिन सब मुझे खोने से पहले ही ढूंढ लेते हैं।”
“क्या मतलब है तुम्हारा मेल्विन?” मेल्विन की मां ने हैरान होते हुए पूछा, “तुम ये कैसी बातें कर रहे हो।”
“मां, फोन रखो। जब तक मेरा दोस्त मिल नहीं जाता तब तक मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं करेगा।” मेल्विन ने कहा।
“ठीक है, अपना ख्याल रखना मेल्विन।” मेल्विन की मां ने कहा और फोन कट कर दिया।
मेल्विन ने फटाफट नाश्ता किया और तैयार होकर रेलवे स्टेशन पहुंच गया। वो आज रेलवे स्टेशन पर 10 मिनट पहले ही पहुंच गया था। वो 10 मिनट भी मेल्विन ने गिन–गिन कर बिताए थे।
प्लेटफार्म पर ट्रेन के रुकते ही मेल्विन बेचैनी से ट्रेन के अंदर घुसा।
“क्या कुछ पता चला मिस रेबेका का?” पीटर ने सबसे पहले मेल्विन से सवाल किया।
“नहीं। रेबेका का अब तक कोई पता नहीं चला है।” मेल्विन ने बताया, “मैं कल रात 2 बजे तक रेबेका के बंगले के निगरानी कर रहे गार्ड के कॉन्टैक्ट में था। उस वक्त तक रेबेका का कोई अता-पता नहीं चल सका था।”
“रेबेका सच में मिसिंग है मेल्विन। हमने ये सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है।” पीटर ने कहा।
“हमें आज स्टेज आर्टिस्ट और उस म्यूजिक टीचर से मिलना होगा पीटर। अब उन्हीं दोनों में से कोई रेबेका के बारे में हमें बता सकता है।”
रामस्वरूप जी और डॉक्टर ओझा अब तक उन दोनों की बातें चुपचाप सुन रहे थे। तभी राम स्वरूप जी ने कहा, “क्या आज भी काम पर जाने का इरादा नहीं है मेल्विन? आज अपने बॉस को क्या कहोगे तुम?”
“नहीं रामस्वरूप जी, मैं आज ऑफिस नहीं मिस करूंगा। अगर आज ऑफिस नहीं गया तो बॉस को मैं कुछ भी जवाब नहीं दे पाऊंगा।” मेल्विन ने कहा, “मैं तो ये कह रहा था कि ऑफिस के बाद हम शाम को मिलकर इन दो जगहों पर जाएंगे और उनसे मिलेंगे। न सिर्फ रेबेका कल से मिसिंग है बल्कि ये दोनों आदमी भी कल से मिसिंग है।”
“व्हाट?” डॉक्टर ओझा ने हैरानी से कहा। बाकी सब का भी यही हाल था, “क्या उस म्यूजिक टीचर और स्टेज आर्टिस्ट का भी कोई है तो पता नहीं है?”
“जी। हो सकता है, ये तीनों एक साथ मिसिंग है। या फिर ये भी हो सकता है कि ये तीनों एक साथ बिना किसी को भी बताए कहीं चले गए हैं।” मेल्विन ने इस बार बहुत दूर की सोचते हुए कहा।
“क्या बकवास है ये?” लक्ष्मण ने आज पहली बार कुछ बोलते हुए कहा, “मतलब तुम खड़े-खड़े यहां से कुछ भी अंदाजा लगाओगे और हम तुम पर यकीन कर लेंगे। तुम्हारा ये सब कहने का आधार क्या है मेल्विन?”
“आधार इतना सीधा और सिंपल होने के मौजूद भी तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है लक्ष्मण?” मेल्विन ने पूछा, “जब मैं कह रहा हूं कि रेबेका, म्यूजिक टीचर और स्टेज आर्टिस्ट कल सुबह के बाद से कहीं भी दिखाई नहीं दिए हैं तो तुम मेरी बात पर यकीन क्यों नहीं कर रहे हो। यहां से घर लौटने के बाद मैं शिवाजी मंडल ऑडिटोरियम गया था। वहां से मुझे पता चला कि वे दोनों वहीं पर काम करते हैं। वे दोनों भी सुबह से कहीं नहीं दिखाई दिए है ये जानकारी भी मुझे वहीं से मिली। और भी कुछ जानना है तुम्हें लक्ष्मण?”
लक्ष्मण ने इस बार कुछ नहीं कहा। तब पीटर ने पूछा, “अब हम मिस रेबेका को कहां ढूंढेंगे मेल्विन?”
“हमें सबसे पहले ये पता लगाना होगा पीटर कि क्या इन तीनों का एक साथ कल का कोई प्लान था? अगर था तो उस प्लान के बारे में हमें जानना होगा। अगर कहीं से हमें इस प्लान के बारे में पता चल जाए तो हम रेबेका तक आसानी से पहुंच जाएंगे।” मेल्विन ने कहा।
“इसका मतलब हमें इस म्यूजिक टीचर या फिर स्टेज आर्टिस्ट के घर जाना होगा। वहां से हमें ऐसा क्लू ढूंढकर निकालना होगा जिससे इन तक पहुंच जा सके।” पीटर ने अंदाजा लगाते हुए पूछा।
“सही समझा है तुमने पीटर।” मेल्विन ने कहा, “मैं अब भी स्योर नहीं हूं कि ये तीनों किसी मुसीबत में है या नहीं।”
“वे किसी मुसीबत में नहीं होंगे मेल्विन। भला तीन लोग एक साथ किसी मुसीबत में आए इसके चांसेस कम ही है।” रामस्वरूप जी ने कहा, “मुझे तुम्हारा ये विचार ठीक लगा मेल्विन। रेबेका के घर हमने पूछताछ कर लिया। अब इन दोनों के घर भी पूछताछ हो जाए तो हमें एक रास्ता दिखाई देगा।”
“तो फिर तय रहा, आज अपना–अपना काम खत्म करने के बाद हम वीटी से शाम के 6 बजे निकलने वाली लोकल ट्रेन पर मिलेंगे।”
मेल्विन ने कहा तो सबने अपना सर हां में हिला दिया। लक्ष्मण भी इसमें शामिल था।
ऑफिस पहुंचने पर मेल्विन का स्वागत मिस्टर कपूर ने किया। मिस्टर कपूर एक हफ्ते के लिए सिंगापुर गए थे लेकिन वो चौथे दिन ही लौट आए थे। मेल्विन को इस बात का शक पहले से ही था कि सिंगापुर एक हफ्ते के लिए जाना बस एक दिखावा है।
“हेलो मेल्विन, कैसे हो तुम?” मिस्टर कपूर ने मेल्विन को देखते ही पूछा, “मेरे पीछे तुमने ऑफिस काफी अच्छे से संभाला है। मुझे यकीन नहीं था कि तुम अपने काम के साथ-साथ ऑफिस का काम भी देख लोगे।”
“थैंक यू सर।” मेल्विन ने कहा, “आप सिंगापुर से जल्दी लौट आए।”
“आना ही था मेल्विन। वरना तुम अपने दोस्त की तलाश में न जाने कितने दिन ऑफिस बंक करते।सी मिस्टर कपूर ने कहा तो मेल्विन उसे हैरानी से देखने लगा।
आखिर मिस्टर कपूर को रेबेका के मिसिंग के बारे में कैसे जानकारी मिली? क्या इसके तार भी मिस्टर कपूर से जुड़े हुए थे? क्या मिस्टर कपूर मेल्विन पर लगातार नजर रखवा रहा था? क्या रेबेका सचमुच मिसिंग थी या फिर वो अपने दोस्तों के साथ कहीं गई हुई थी?
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