“हेलो मेल्विन!” मेल्विन की मां की आवाज फोन पर गूंजी, “क्या कह रहे थे तुम?”

मेल्विन जैसे नींद से जाग उठा था। उसे लगा कि उसने अपनी मां को रेबेका के बारे में सबकुछ बता दिया है। 

“कुछ नहीं मां! वो दरअसल मुझे ऑफिस का एक काम याद आ गया था। मैं फोन रखता हूं मां। आपसे बाद में बात करूंगा।” मेल्विन डर गया था। फोन कट करके उसने लम्बी लम्बी सांसें ली।

शादी का दिन, एक चमकदार धूप वाली सुबह के साथ शुरू हुई। एक ही दिन में होने वाली दो शादियों की वजह से उत्साह था। लोकल ट्रेन अंधेरी स्टेशन पर रुकी जहां डेस्टिनेशन वेडिंग का प्लान था, जो लक्ष्मण और पीटर दोनों के घर के करीब था।

“मैं ये सब नहीं संभाल सकता!” मेल्विन ने पीटर को अपने हाथ में लिए सामान को उसे थमाते हुए कहा। उसने अपने कदमों में जोश भरते हुए बाहर कदम रखा। पीटर की शादी के लिए उसने जो सफ़ेद शेरवानी चुनी थी, वो उसके लंबे, दुबले शरीर के साथ पूरी तरह से मेल खा रही थी। वो अपने आपको घबराहट से बचा नहीं सका, क्योंकि उसे आगे होने वाले दोहरे उत्सव के बारे में सोचना पड़ा - पीटर की खूबसूरत डायना से शादी और लक्ष्मण का अपनी बचपन की प्रेमिका से मिलन। प्लेटफ़ॉर्म पर रंग-बिरंगे फूलों की भरमार और हवा में चंदन और मसालों की खुशबू थी।

जैसे ही मेल्विन भीड़ के बीच से गुज़रा, उसने अपने ट्रेन के साथियों के जाने-पहचाने चेहरे देखे। पीटर, उसका सबसे करीबी दोस्त, अपनी टाई से बेचैन होकर परेशानी में डूबा हुआ था।

“इन सबकी क्या जरूरत थी मेल्विन!” पीटर ने उसके हाथ से सामान लेते हुए कहा।

“ये लव अरेंज वेडिंग है पीटर! तुम डायना को भगाकर शादी नहीं कर रहे हो। मैंने और रामस्वरूप जी ने मिलकर ये सब प्लान किया है।”

डॉ. ओझा, अपनी आँखों में उदासी के बावजूद एक सौम्य मुस्कान के साथ एक दृढ़ व्यक्ति, पीटर के बगल में खड़े थे। रामस्वरूप जी उन्हें ज्ञान और सांत्वना के शब्द दे रहे थे।  वे मजबूती के साथ शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। बावजूद इसके कि स्टेशन पर कभी-कभार हंसी की आवाज़ें गूंज रही थीं। यहीं से सबको वेडिंग साइट पर जाना था। मेल्विन के इंतजार में सब रुके थे। उस पर कई जिम्मेदारियां थीं।

दूल्हा लक्ष्मण, एक शानदार मैरून शेरवानी में बिल्कुल किसी रियासत का राजकुमार दिख रहा था। उसका चेहरा खुशी और उत्साह से भरा हुआ था। उसे देखकर एक महीने पहले की यादें ताज़ा हो गईं, जब डॉ. ओझा के परिवार पर एक दुखद घटना घटी थी, जब एक दुखद सड़क दुर्घटना में उनके बेटे की मौत हो गई थी। ये एक दुखद याद दिलाता है कि जीवन में अजीबोगरीब उतार-चढ़ाव के साथ खुशी और दुख का मिश्रण होता है।

मेल्विन अपने दोस्तों के पास आया, तो लक्ष्मण की आँखें चमक उठीं। 

"आखिरकार, तुम यहाँ हो, मेरे दोस्त!" लक्ष्मण ने मेल्विन की पीठ थपथपाते हुए कहा, "मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था। अब तुम ही मेरी घबराहट को शांत करो।”

“क्या बात है?" मेल्विन ने उसे देखते ही पूछा।

“बात ये है कि लक्ष्मण चाहता है कि आज का दिन हमारे जीवन का सबसे अच्छा दिन बनाया जाए। सबसे पहले, हम लक्ष्मण की शादी में धूम मचाएंगे। फिर सबको मेरी शादी में शामिल होना है! मैं नहीं चाहता कि रात–रात सब थक जाएं।"

“हमसे ज्यादा तुम्हें ये कोशिश करनी है कि रात तक तुम थक न जाओ। वर्ना डायना थके हुए आदमी के पास ज्यादा टिकेगी नहीं।”

 हँसी-मज़ाक का दौर शुरू हो चुका था। हाल ही में हुई क्षति के बोझ से डॉ. ओझा की आँखें नम हो गईं। मेल्विन ने उनके कंधे को थपथपाया। 

"तुम्हारा साथ एक उपहार है, मेल्विन!" उन्होंने गर्मजोशी से भरी आवाज़ में कहा, "आज नई शुरुआत का दिन है, और मैं आप सभी के साथ होने के लिए आभारी हूँ।"

ट्रेन ने सीटी बजाई, जो उसके प्रस्थान का संकेत था। अपनी घड़ियों पर एक जल्दी से नज़र डालने पर, उन सब को एहसास हुआ कि उन्हें समय पर पहली शादी में पहुँचने के लिए जल्दी करनी होगी। हमेशा समय के पाबंद रामस्वरूप जी ने अपने हाथों से ताली बजाई। 

"और देर नहीं, दोस्तों! दुल्हनें इंतज़ार कर रही हैं, और यूनके भूखे पेट भी!"

जैसे ही वे भीड़ भरी सड़कों से गुज़रने वाली टैक्सी में सवार हुए, माहौल हल्का होता गया और मज़ाक-मस्ती होती रही। डॉ. ओझा ने युवा जोश के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करते हुए कहा, "अगर टैक्सी हमें वहाँ नहीं पहुँचाती, तो मुझे यकीन है कि लक्ष्मण की घबराहट हमें वहाँ पहुँचा देगी!" समूह में ठहाके लगे और ड्राइवर भी हँसने लगा, उसकी आँखें रियरव्यू मिरर में चमक रही थीं, “आज उसके एक लाख दाव पर लगे हैं। तुम्हारे जूते की कीमत क्या है लक्ष्मण?”

“4 हजार। और मैं जूता चुराई 10 हजार से ज्यादा नहीं देने वाला।”

टैक्सी पहले पीटर की शादी स्थल पर पहुँची, जो एक भव्य पुरानी हवेली थी, जिसमें फूलों और रोशनी से सजा एक विशाल लॉन था। नज़ारा बहुत ही शानदार था। वे सभी आने वाले पल के महत्व को महसूस करने से खुद को रोक नहीं पाए। दो शादियाँ, दो यात्राएँ और एक अविस्मरणीय ट्रेन की सवारी जिसने उन्हें एक साथ ला खड़ा किया था।

 

पहली शादी एक सामाजिक संदेश का मामला था, जिसमें पारंपरिक ईसाई डांस और हँसी हवा में गूँज रही थी। लक्ष्मण, अपने शेरवानी में, मेल्विन से फुसफुसाया, "मुझे उम्मीद है कि मेरी शादी इस शादी से डबल शानदार होगी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि ये आज हो रही है!"

मेल्विन ने फिर से उसकी पीठ थपथपाई। 

"बहुत जल्द तुम यकीन करोगे।" मेल्विन ने उसे मुस्कुराते हुए आश्वासन दिया, "बस सारे रिचुअल्स एक बार पूरी हो जाने दो। अगर जूता चुराई एक लाख देना पड़ा तो तुम्हें न सिर्फ यकीन होगा, बल्कि तुम इस शादी को जिंदगी भर भूल भी नहीं पाओगे।"

जैसे-जैसे उत्सव आगे बढ़ता गया, मेल्विन और उसके दोस्तों ने खुद को ढोल की ताल पर नाचते हुए पाया और मेहमानों के लिए रखी गई शानदार दावत का आनंद लिया। ताज़े बने समोसे की खुशबू और गुलाब जामुन की मिठास हवा में भर गई, जो धूप और गुलाब जल की खुशबू के साथ मिल गई। मेल्विन को पहली बार रेबेका के साथ कुछ एंजॉय के पल गुजारने को मिले थे।

शहनाई की आवाज़ तेज़ हो गई, जो पीटर की शादी की शुरुआत का संकेत थी।  

दूसरी शादी भी पहली शादी जितनी ही खूबसूरत थी, लक्ष्मण की होने वाली पत्नी अपने खूबसूरत दुल्हन के लहंगे में एक स्वप्न परी की तरह दिख रही थी। मेल्विन खुद को गर्व महसूस करने से नहीं रोक पाया जब उसने लक्ष्मण को उस महिला के साथ वचनों का आदान-प्रदान करते देखा जिसने उसका दिल जीत लिया था।

जूता चुराई की रस्म जोरों पर थी, लक्ष्मण की बहनें और चचेरे भाई शार्क की तरह उसके चारों ओर चक्कर लगा रहे थे। उनकी आँखें शरारत से चमक रही थीं। 

“तैयार हैं न आप जीजाजी!” एक साली ने चिढ़ाते हुए लक्ष्मण से कहा, “आपके साथ क्राइम को अंजाम दिया जा चुका है। आपके एक लाख के जूते अब हमारे पास है।”

“एक लाख!” सब ये सुनकर चौंक गए।

जूता चुराई का रिवाज काफी सरल था। दूल्हे के जूते बहनों द्वारा छिपाए गए थे, और दूल्हे को उन्हें वापस पाने के लिए फिरौती देनी होती है। ये एक मज़ेदार परंपरा थी जो आमतौर पर हंसी-मज़ाक और हल्की-फुल्की नोकझोंक में खत्म हो जाती थी, लेकिन आज, लक्ष्मण की एक साली ने कुछ और ही योजना बनाई थी।

"जी हां, एक लाख रुपये!" उसकी साली ने मात्र चार हज़ार की कीमत वाली जूते की जोड़ी को दिखाते हुए कहा। उसके होठों पर एक आत्मसंतुष्ट मुस्कान थी। भीड़ में हड़कंप मच गया।  लक्ष्मण के परिवार ने एक दूसरे को हैरानी से देखा, जबकि दुल्हन पक्ष के लोग इस मांग की दुस्साहसता पर हंस पड़े।

 हमेशा समस्याओं का समाधान करने वाला व्यक्ति रहे मेल्विन ने कमरे के दूसरी तरफ से स्थिति को भांप लिया। उसे पता था कि लक्ष्मण का परिवार एक लाख आसानी से अफोर्ड कर सकता है, लेकिन उस पर जिम्मेदारी थी कि वो लक्ष्मण को इस मुसीबत से बाहर निकाले। 

मेल्विन मुस्कुराता हुआ उस साली के पास गया। उसके दिमाग में विचारों की बाढ़ आ गई। 

"वाह, एक लाख, है न?" मेल्विन ने कहा, सिचुएशन को हर संभव हल्का रखने की कोशिश करते हुए, "लेकिन लक्ष्मण की कीमत इससे कहीं अधिक है!" मेल्विन ने उसे आँख मारी। ये उम्मीद करते हुए कि वो उसकी बात समझ जाएगी, "इसके बजाय कुछ और सौदा कैसे हो सकता है?"

साली ने आश्चर्य से भौंहें उठाईं। वो भी अब शरारत के मूड में आ गई थी।

"तुम्हारे पास क्या है?" उसने चुनौती दी।

मेल्विन ने अपनी जेब से हाथ डाला और एक मुड़ा हुआ एक रुपये का नोट निकाला। उसे बड़े ही शानदार ढंग से आगे बढ़ाया।  

"क्या ये ठीक रहेगा? साथ ही मैं तुम्हारी शादी में तुम्हारे साथ नाचने का वादा भी करूंगा?"

कमरे में हंसी की लहर दौड़ गई  दुल्हन के रिश्तेदारों के सख्त चेहरे भी नरम पड़ गए। साली ने उसकी ओर देखा। उसके चेहरे पर कोई रिएक्शन नहीं था।

"तुम्हें लगता है कि तुम चतुर हो, है न?"

"चतुर?" मेल्विन ने जवाब दिया, उसकी मुस्कान अब भी चेहरे पर बनी रही, "मैं सिर्फ़ चतुर नहीं हूँ। मैं आपको अपनी बात सच साबित करके दिखाऊंगा। ये सिर्फ फिजूल गप्प नहीं है।" वो नाटकीय प्रभाव के लिए रुका, फिर बोला, "लेकिन यहाँ असली मूल्य को न भूलें। ये जूते उस यात्रा का प्रतीक हैं जो लक्ष्मण अपनी नई दुल्हन, यानी आपकी बहन के साथ करने वाला है। एक यात्रा जो इस एक रुपये के नोट के उलट, वास्तव में अमूल्य है।"

साली ने अपनी आँखें सिकोड़ लीं। उसके मेल्विन के प्रस्ताव पर विचार किया। मेल्विन उसके दिमाग में चल रहे विचारों को समझने की कोशिश कर रहा था। वो जानता था कि वो उसकी बातों में आ गई है।

"ठीक है " उसने आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए एक आह के साथ कहा, जिससे पता चलता था कि वो अपनी इच्छा के विरुद्ध हार मान रही थी,  "मैं दस हज़ार लूंगी, लेकिन सिर्फ़ तभी जब तुम अगले पाँच सालों तक हमारे यहां की हर शादी में मेरे साथ नाचने का वादा करो।"

भीड़ ने जयकारे लगाए, और लक्ष्मण के चेहरे पर स्पष्ट रूप से राहत दिखी। मेल्विन ने हँसते हुए सिर हिलाया। "ठीक है!" मेल्विन ने लक्ष्मण की पीठ थपथपाते हुए कहा, "अब, डीजे के ओवरटाइम के लिए पैसे लेने से पहले तुम्हारी शादी करवा देते हैं!"

संकट टलने के बाद, शादी का जश्न जारी रहा कि तभी रेबेका की नजर किसी पर पड़ी।

“मेल्विन!” रेबेका ने मेल्विन का ध्यान अपनी ओर खिंचते हुए कहा, “क्या वो वही है जिसकी तुम्हें तलाश थी?”

मेल्विन ने उस ओर देखा। रेबेका की आवाज और भी लोगों के कानों तक पहुंची थी। 

अचानक, भीड़ में सन्नाटा छा गया, क्योंकि एक कमज़ोर लंगड़ाता हुआ आदमी वहां सबको दिखाई दिया था। ये रघु था। वही रघु जिसके हाथ जख्म से सड़ रहा था। इस संघर्ष का दर्द उसके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था। उसकी आँखें भीड़ में किसी को खोज रही थीं। 

“हां, ये रघु ही है। लेकिन ये यहां क्या कर रहा है?”

जैसे ही उसकी नजरें मेल्विन से मिलीं, वो अथाह आँसुओं से भर गईं। मेल्विन ने महसूस किया कि उसका दिल दहल गया, क्योंकि उसने उस व्यक्ति को पहचान लिया। उसने अपने आपको एक बार मेल्विन के सामने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

मेल्विन भीड़ को चीरता हुआ उसके पास पहुँचा। 

"तो तुम रघु ही हो। जैसा कि मैंने पहले ही कहा था!" मेल्विन ने धीरे से कहा। उसकी आवाज़ फटी हुई थी, “तुम यहाँ क्या कर रहे हो?"

उस लंगड़े आदमी की नज़रें मेल्विन की आँखों में झांक रही थीं। उस गुस्से की कोई निशानी ढूँढ़ रही थीं जिसने उनकी पिछली मुलाक़ात को खराब कर दिया था। 

"मुझे तुम्हारी मां ने यहां का पता दिया है।" रघु ने कहा, उसकी आवाज़ कमज़ोर लेकिन दृढ़ थी, "मुझे आना ही था! तुम्हें देखने के लिए, मेरे भाई! मैं तुमसे माफ़ी माँगना चाहता था।"

रघु की वहां मौजूदगी की वजह ने मेल्विन को अंदर तक हिला दिया। उसे ऐसी भावनाओं का उफान महसूस हुआ जिसकी उसने उम्मीद नहीं की थी। उसने अपना पूरा जीवन अतीत से बचने में बिताया था। लेकिन आज उसके सबसे अच्छे दोस्त के जीवन के सबसे बड़ी ख़ुशी के दिन उसके अतीत ने उसे दबोच लिया था।

रघु ने मेल्विन का हाथ अपने हाथ में लिया, उसकी कागज़ी पतली त्वचा मेल्विन की मज़बूत पकड़ के बिलकुल उलट थी। 

"मैंने बहुत कुछ खो दिया है।" रघु ने कहा। उसकी आवाज़ अफ़सोस से भरी हुई थी, "लेकिन अब मैं यहाँ हूँ, और यही सबसे ज़्यादा मायने रखता है।"

मेल्विन आखिर रघु की बातों पर कैसे यकीन करेगा? क्या सचमुच उन दोनों के बीच भाई का रिश्ता था? रघु की मदद से मेल्विन के सामने और कौन कौन से राज खुलने वाले हैं? आखिर मेल्विन की मां ने रघु को मेल्विन का पता क्यों दिया था।

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