किटी पार्टी में अपने बेटे का मज़ाक उड़ता देख रेणुका का दिमाग खराब हो गया था। जब उसे कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपने डिटेक्टिव को एक रेस्टोरेंट में बुला लिया।

वहीं अम्मा, आराम करने के बाद मंदिर गईं और वहाँ से सब्ज़ी मंडी होते हुए वापस घर लौट रहीं थीं जब रास्ते में उनकी नज़र रेणुका की गाड़ी पर पड़ी। फिर रेस्टोरेंट के अंदर बैठी रेणुका भी उन्हें दिख गई। पहले तो अम्मा हैरान हुईं क्योंकि उसने उन्हें बताया था कि वो किटी पार्टी के लिए अपने सहेली के घर जा रही है फिर यहां कैसे? अम्मा ने तुरंत रामू को साइड में गाड़ी लगाने के लिए कह दिया।

वो मन ही मन कई सवालों से घिर गईं।

अम्मा (मन में)– ये मेरी बहू क्या गुल खिला रही है समझ ही नहीं आ रहा। यहां किस्से मिलने आयी होगी अब?”

ये सवाल सोचते हुए अम्मा ने थोड़ी देर गाड़ी के अंदर ही इंतेज़ार किया। कुछ देर बाद जब वो डिटेक्टिव वहां अपनी गाड़ी से आया और अंदर जाकर रेणुका के पास बैठ गया तो अम्मा को अपनी आंखों पर बिल्कुल भरोसा ही नहीं हुआ। वो रेणुका पर शक जरूर कर रही थी पर उन्हें रेणुका से ऐसी उम्मीद नहीं थी।

अम्मा (मन में) – रेणुका को थोड़ी भी शर्म नहीं लगी, यहां बेटे की शादी की उम्र है और ये अपने हाथ पीले करवाने की तैयारी कर रही है। ये परिवार की इज़्ज़त के बारे में सोचती भी है या नहीं?

अम्मा के मन में कई सवाल थे, लेकिन वो कुछ नहीं कह सकती थीं। इसलिए वो बस रेणुका पर नज़र रखे रहीं।

एक तरफ तो अम्मा को बहुत  ज्यादा गुस्सा आ रहा था, लेकिन वो सबके सामने कोई तमाशा नहीं करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने सबूत के लिए रेणुका की उस आदमी के साथ अपने फोन में एक तस्वीर ले ली।

अम्मा (मन में) – कलावती, रेणुका तो भूल गई है पर तू अभी भी घर की बड़ी है, इसलिए यहां तमाशा करने से बेहतर है रेणुका से घर जाकर इस बारे में बात की जाए!

अम्मा गुस्से में थी, इसलिए उन्होंने बिना रेणुका से मिले या तमाशा किए, रामू से घर की तरफ गाड़ी मोड़ने को कह दिया। कभी कभी घर के बड़े भी गलतियां कर देते है, जैसे अम्मा ने अभी की। अम्मा ने रेणुका से उसी पल सच जानने की जगह, मन में गलतफहमी पाल ली, जो आगे न जाने क्या तूफान लाने वाली है।

खैर, इधर डिटेक्टिव के आने के बाद रेणुका ने उसे अपनी perfect बहू वाली लिस्ट दी और उसे ऑर्डर  दिया कि वो कैसे भी करके शहर की सभी परफेक्ट लड़कियों को ढूंढे और उनका पूरा biodata निकलवाए। डिटेक्टिव ये सुनकर थोड़ा हैरान हुआ, लेकिन उसे क्या? उसे तो रेणुका से मोटी रकम मिल रही थी। रेणुका ने पैसे की एक गड्डी डिटेक्टिव के सामने सरका दी और कहा,

रेणुका – "किसी भी हालत में मुझे मेरी पसंद की लड़की चाहिए, वो भी जल्द से जल्द।”

इसलिए detective ने इसको अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा task मान कर काम शुरू कर दिया।

उसने चारों तरफ देखकर धीरे से पैसे अपनी जेब में रखे और रेणुका को भरोसा दिलाया कि सब हो जाएगा। ये सुनकर रेणुका की उम्मीद की बत्ती फुल पावर में जल उठी।

वहीं घर पर वैभव अपने कमरे में अभी भी पुराने चैट्स पढ़ रहा था कि तभी उसे किसी लड़की का अचानक फोन आया। लड़की बोली, “हेलो, क्या मेरी बात वैभव से हो रही है?”

वैभव – हां जी!

लड़की ने जितने प्यार से पहली लाइन बोली थी, दूसरी लाइन से उसकी आवाज़ उतनी ही ज़्यादा बुलंद हो गई। उसने वैभव को सुनाना शुरू कर दिया। वैभव समझ नहीं पा रहा था कि वो कौन है पर वो लड़की तो जैसे कई सालों से भरी बैठी थी। बिना सांस लिए उसने ना जाने वैभव को कितनी बातें सुना दी जो वैभव को भी समझ नहीं आयीं। जब वो बोलते बोलते चुप हो गई तो वैभव ने आराम से पूछा,

वैभव – जी मैंने  पहचाना नहीं आपको! आप कौन बोल रहे हो?

लड़की ने बताया कि वो वही है जिसे रेणुका पिछली रात घर पर देखने और जबरदस्ती शादी का शगुन देने गयी थी।

उसका गुस्सा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था, “मुझे समझ नहीं आ रहा तुम में ऐसी क्या कमी है कि तुम्हारी मां इतनी बेसब्र होकर मेरे घर रिश्ता लेकर आ गई और रिश्ते तक तो फिर भी ठीक है ,उन्होंने मेरे पीछे आदमी तक लगा रखा था ताकि वो मुझपर नज़र  रख सके।

ये कह कर वो चुप हो गई, और वैभव ये सुनकर हैरान।

वैभव – कौन आदमी?

लड़की ने आगे कहा, “पता नहीं कोई आदमी था , मैंने देखा था तुम्हारी मां ने मेरी तस्वीर भी ली थी और उसके बाद मुझे मालूम चला कि उन्होंने मेरे पीछे एक आदमी लगा दिया था ताकि वो मेरे बारे में पता कर सके।”

वैभव बोलने लायक ही नहीं बचा था। ऐसा नहीं था कि उसे उस लड़की की बात पर भरोसा हो गया था पर बीते कुछ दिनों में रेणुका जैसी हरकतें कर रही थी, वैभव को उसकी बात माननी ही पड़ी।

उसने उस लड़की से सॉरी कहा लेकिन उस लड़की का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उसने वैभव से यहां तक कह दिया कि अब अगर आगे ये हुआ तो वो रेणुका के खिलाफ पुलिस complaint कर देगी। वैभव ने उसे भरोसा दिलाया कि आगे ऐसा कुछ भी नहीं होगा।

इसके बाद वैभव गुस्से में थोड़ी देर अपने कमरे में ही बैठा रहा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस situation में क्या करें। वो जानता था कि उसकी मां का उसकी शादी को लेकर दिन-ब-दिन पागलपन बढ़ता जा रहा था। वो बहुत  देर तक सोचता रहा फिर उसे बस एक ही रास्ता नज़र  आया।

वैभव गुस्से में कमरे से बाहर आया और अपनी मां को आवाज़ लगाने लगा। बाहर आकर उसने देखा कि मां तो अभी घर आई ही नहीं है और अम्मा अकेली चुपचाप हॉल में बैठी है। उसे उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो अम्मा के पास ही बात करने के लिए चला गया।  

वैभव ने अम्मा को आवाज़ लगाई लेकिन अम्मा तो गुस्से में फूली ही जा रहीं थीं।

वैभव – “अम्मा, मुझे आपसे मां के बारे में कुछ बात करनी थी।”

ये सुनते ही अम्मा ने कहा,

अम्मा – “मुझे भी!”

वैभव और अम्मा दोनों ही थोड़ी देर तो हैरान रह गए। फिर वैभव ने कहा,

वैभव – “अच्छा, आपको पता है कि मां मेरे लिए पूरे शहर में लड़की ढूंढ रही हैं?”

ये सुनकर अम्मा को थोड़ी राहत हुई कि कम से कम वैभव को रेणुका के अफेयर के बारे में नहीं पता और वो मन ही मन खुद से बुदबुदाने लगी,

अम्मा ( मन में) – “तेरे लिए लड़की नहीं, वो अपने लिए आदमी ढूंढ रही है। बुढ़ापे में जवानी चढ़ी हुई है उस बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम को!”

वैभव – अम्मा आपने कुछ कहा?

इस पर अम्मा ने ना में सिर हिला दिया। वैभव उन्हें पूरी बात बताना चाहता था पर उनके परेशान और थके चेहरे को देख, उसने अपनी बात को घुमा दिया और थोड़ी देर बाद अम्मा को आराम करने के लिए उनके कमरे में भेज दिया।

वैभव थोड़ी देर हॉल में ही रेणुका का इंतेज़ार करता रहा और जैसे ही उसने रेणुका की गाड़ी को आते हुए देखा वो अपने मन में सभी शब्दों को इकट्ठा करने लगा जो उसे अपनी मां से कहने थे। वैभव बहुत  गुस्से में था लेकिन मां तो मां होती है, उसके सामने वो गुस्सा दिखाना तो चाहता था पर रेणुका से कुछ गलत भी नहीं बोलना चाहता था।

उसके दिमाग में ये सब चल ही रहा था कि रेणुका भी तभी घर के अंदर आ गई। रेणुका को देखकर वैभव ने तुरंत उसे आवाज़ लगा दी।

वैभव –"मां मुझे आपसे जरूरी बात करनी थी।"

रेणुका ने वैभव के चेहरे पर गुस्सा देखा तो वो समझ गई कि वो कोई बॉम्ब फेंकूँ सवाल करेगा। रेणुका  उसके पास जाकर बैठ गई और कहा,

रेणुका: “हां बेटा, कहो क्या बात है?”

वैभव ने गहरी सांस ली और बोलना शुरू किया।

वैभव – “मां, मैं जानता हूं कि आप मेरे लिए लड़की ढूंढ रही हैं, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं ऐसी किसी भी लड़की से शादी नहीं करूंगा जो आप मेरे लिए चुनेंगी।”

रेणुका को यह सुनकर झटका लग गया।

रेणुका – "बेटा, मैं तुम्हारे लिए सबसे अच्छी लड़की ढूंढ रही हूं। तुम ही मुझे बताओ, क्या मैं तुम्हारे लिए कभी कोई गलत फैसला ले सकती हूँ?”

वैभव – “पापा मुझे हमेशा कहते थे कि मैं अपने दिल की सुनूं और अपने फैसले खुद लूं। मां, मैं अपने दिल की सुन रहा हूं और मुझे लगता है कि मैं अपनी life partner खुद चुन सकता हूं।”

रेणुका को यह सुनकर गुस्सा आया और वो हॉल में टंगी वैभव के पापा  की तस्वीर के सामने जाकर खड़ी होकर बोली,

रेणुका – “तुम्हारे पापा  यहां होते तो तुम्हें समझाते। तुम्हारे पापा  के कितने अरमान थे तुम्हारी शादी को लेकर, उन्होंने जाते जाते मुझे तुम्हारी शादी की जिम्मेदारी दी थी इसीलिए मैं ये सब कर रही हूँ। तुम मुझे ऐसे धोखा नहीं दे सकते वैभव! आखिर मेरा भी कोई हक है तुम पर या विदेश जा के तुमने ये हक किसी और को दे दिया है?”

वैभव –  "मां, कैसी बातें कर रही हो आप? मैं आपको धोखा नहीं दे रहा हूं और न ही मैं आपसे आपका कोई हक छीन रहा हूँ। मैं बस अपने दिल की सुनना चाहता हूं और अपने फैसले खुद लेना चाहता हूं। मैं आपको वादा करता हूं कि मैं जिसे पसंद करूंगा, वो इस घर के लिए सही ही होगी।“

रेणुका को वैभव की बातें सुनकर गुस्सा आया, लेकिन वो उसके सामने अपना गुस्सा नहीं दिखाना चाहती थी। इसलिए वो अपने कमरे में चली गई और वहां जाकर वैभव के पापा  की दूसरी तस्वीर के सामने खड़ी होकर कहने लगी,

रेणुका – "अशोक अब मैं क्या करूँ? हमारा वैभव तुम्हारी तरह समझदार नहीं है। मुझे लगता है,वो मुझे धोखा दे रहा है। तुम्हें पता है कि मैं उसके लिए ज़मीन आसमान एक कर रही हूँ लेकिन वो मुझ पर भरोसा नहीं करता। वो कहता है कि अपने दिल की सुन रहा है, लेकिन क्या उसका दिल सही है? अशोक वो बच्चा है अभी, उसे कोई भी चंट लड़की बहला सकती है। तुम्हारी तस्वीर देखकर मुझे लगता है कि तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो, लेकिन तुम क्यों नहीं बोलते? मैं तुम्हारी आवाज़ सुनना चाहती हूं, तुम्हारी सलाह लेना चाहती हूं। मैं जानती हूं कि तुम मुझे हमेशा सही सलाह देते थे, लेकिन अब तुम नहीं हो। मैं अकेली हो गई हूं, अशोक। मुझे बस इतना बता दो कि जो मैं  कर रही हूं, वो सही है या नहीं?”

ये कहते-कहते रेणुका रोने लगी और तभी हवा के एक झोंके से अशोक की तस्वीर पर चढ़ी माला रेणुका के हाथ में जाकर गिर गयी। रेणुका उसे देख बहुत  खुश हुई, उसे लगा जैसे उस माला का गिरना अशोक का  इशारा था।

क्या सच में वैभव अपने दिल की सुनने वाला है? क्या होगा जब रेणुका अपने मन की करेगी और वैभव अपने मन की? क्या इस बहू  ढूंढो अभियान और अपनी जिद में रेणुका खो देगी अपने बेटे को?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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