आज की सुबह वैभव के लिए थोड़ी सुकून भरी थी। पिछली रात रेणुका से बात करने के बाद वो आजाद महसूस कर रहा था। इस आजादी का जश्न मनाने के लिए उसने तय किया कि आज वो अपने ही शहर में सोलो ट्रिप पर निकलेगा। हमें अक्सर लगता है कि हम अपने शहर को बहुत अच्छे से जानते हैं क्योंकि हम तो यहीं पैदा हुए, पढे लिखे, सपने देखे लेकिन शायद कुछ चीजें अभी भी हम अपने ही शहर के बारे में नहीं जानते। वैभव भी आज अपने शहर को फिर से जानने के लिए ready था। जल्दी उठकर उसने एक छोटी सी लिस्ट बनाई। उस लिस्ट में उसने भोजपुर, सैर सपाटा, और कुछ आसपास के इलाकों नाम और वहाँ करने वाली activities लिख लीं।

फिर वो लट्टू काका के साथ किचन में घुस गया और अपनी favorite dishes बनाने में उनकी हेल्प करने लगा।

कुछ देर बाद रेणुका और अम्मा भी हॉल में नाश्ता करने के लिए आ गए। वैभव ने रेणुका से कल रात जो कहा था, उसके बाद रेणुका दुखी तो थी, लेकिन बाद में जब उसके पति अशोक की तस्वीर की माला रेणुका के हाथ में गिरी, तो वो समझ गयी कि वो सही रास्ते पर है।

वैसे वो वैभव और अम्मा, दोनों को ही इस बारे में कुछ नहीं बताना चाहती थी। इसलिए वो वैभव के सामने नॉर्मल behave करती रही। वैभव रेणुका को अच्छे से जानता था, वो समझ रहा था कि रेणुका ऐसे तो शांत नहीं होने वाली, पक्का उसके दिमाग में कुछ खुराफात चल रही है।

वैसे वैभव आज किसी कीमत पर स्ट्रेस नहीं लेना चाहता था। इसलिए उसने अपनी मां की हरकतों को एक दिन के लिए इग्नोर करने का सोचा।

वहीं अम्मा आज फिर रेणुका की किसी भी बात का डायरेक्ट जवाब नहीं दे रही थी। उनके दिमाग में रेणुका के अफेयर वाली बात का बहुत  गहरा असर हो रहा था। वैभव अम्मा को देखकर समझ गया कि दाल में कुछ तो काला है।

नाश्ता करने के बाद रेणुका अपने कमरे में चली गई। उसे आज पार्लर जाना था पर वैभव की चिंता उसे बहुत  ज्यादा सता रही थी, इसलिए वो तैयार होकर पहले अपने पति की तस्वीर के सामने खड़ी हो गई और उनसे बातें करने लगी।

रेणुका (थोड़ी खुश होकर) - अशोक, कल वैभव की बातें सुनकर मुझे लगा था कि शायद मैं जो कर रही हूं वो गलत है, पर आपके इशारे से मैं समझ गई हूं कि इस रास्ते पर आप भी मेरे साथ हैं और आप तो कभी कोई गलत फैसला ले ही नहीं सकते।

रेणुका को अब अपना रास्ता हर मायने में सही लग रहा था। इसलिए उसने सोच लिया कि वो पहले से और भी ज्यादा चौकन्नी रहेगी और उसे जहां भी कोई लड़की पसंद आएगी, वो बिना देर किये उसे वैभव से मिलवा देगी।

दूसरी तरफ वैभव ने जब देखा कि नाश्ता करने के बाद अम्मा अभी भी हॉल में ही बैठी है तो उससे रहा नहीं गया और उसने जाकर अम्मा से पूछ लिया,

वैभव – अम्मा ,सब ठीक है ना? मैं  आपको कुछ दिनों से देख रहा हूं ,आप थोड़े दुखी लग रहे थे।

अम्मा वैभव को देखकर मन ही मन सोचने लगी,

अम्मा ( मन में) – एक ये है जो मेरे बारे में इतना सोचता है और एक वो रेणुका है जिसे किसी की नहीं पढ़ी।

अम्मा ने वैभव के सिर पर हाथ रखकर कहा,

अम्मा – बेटा एक बात मुझे परेशान कर रही थी।

वैभव बड़े ध्यान से अम्मा की बात को सुनने लगा पर जब अम्मा ने कहा,

अम्मा – मुझे लगता है रेणुका का किसी आदमी से चक्कर चल रहा है।

ये सुनकर तो वैभव के तोते ही उड़ गए। वो तो सोच रहा था कि सास बहू  की कोई तू तू मैं मैं हो गयी होगी जिस वजह से अम्मा तुनक गयी हैं पर अम्मा की तो कोई और ही कहानी चल रही थी। वैभव जानता था कि अगर उसने तुरंत रेणुका का साथ दिया तो अम्मा उसे कभी भी कुछ नहीं बताएगी इसलिए वैभव को शांति से पहले उनकी पूरी बात सुनना ही सही लगा।

धीरे-धीरे अम्मा ने एक-एक करके जब रेणुका के फोन में मैसेज देखकर हंसने से लेकर रेस्टोरेंट में किसी से मिलने जाने तक की बातें बताई तो एक पल को वैभव भी दुविधा में पड़ गया।

अम्मा ( हैरान और गुस्से में) – पता नहीं कैसी कैसी जगह पर जा रही थी रेणुका , एक घर के पीछे के दरवाजे से तो एक लड़की भागी मेरे सामने। तू ही बता कौन शरीफ लड़की घर के पीछे के दरवाजे से जाती है। मैं  कह रही हूँ वैभव तेरी मां बिगड़ गई है।

वैभव पहले तो सारी बातों को ध्यान से सुन रहा था पर जैसे ही घर के पीछे से भागी लड़की की बात उसने सुनी तो उसे समझ आया की ये बात उसी लड़की की हो रही है जिसके घर रेणुका रात में रिश्ता लेकर पहुंची थी। वो जानता था कि अम्मा वैभव की बात पर भरोसा नहीं करेगी। उन्हें लगेगा वैभव बस अपनी मां का साथ दे रहा है इसलिए वैभव ने एक ट्रिक अपनाई। उसने अम्मा से कहा,

वैभव – अम्मा मुझे भी आपको कुछ बताना है , मैं  कल ही बताना चाहता था पर कल आप थक गए तो मैं नहीं बता पाया।

अम्मा – तुझे भी रेणुका पर शक हुआ ना? तूने उसे कहाँ देखा? उस आदमी को देखा जिसके साथ वो घूम रही है आजकल?

इस पर वैभव हल्के से मुस्कुराया और उसने अम्मा को रेणुका की परफेक्ट बहू डायरी, शादी में मिली उस लड़की और सब्ज़ी  मार्केट वाली लड़की के बारे में शॉर्ट में बताया ताकि अम्मा उस बात को समझने के लिए तैयार हो जाए। ये सुनकर अम्मा को यकीन हो गया कि रेणुका सच में पागलखाने जाने के लायक हो गई है पर जब वैभव ने हर बात डीटेल में बतानी शुरू की तो अम्मा को सारी बातों में कुछ समानताएं मिली। जब अम्मा ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए जो उन्होंने अभी तक घास चरने के लिए भेज दिए थे, तो उन्हें समझ आया कि वो सारे incidents तो उन्होंने भी होते देखे और समझा कि रेणुका का affair चल रहा है। सब्ज़ी  मार्केट में रेणुका का मुस्कुराना, उस लड़की के घर आधी रात में रिश्ता लेकर जाना जो लड़की घर के पीछे वाले दरवाजे से भाग रही थी। उन्हें ये सब तो समझ आ गया पर अभी भी वो उस आदमी को नहीं पहचान पा रही थी जो restaurant में दिखा था। उन्हें थोड़ा शक हुआ कि शायद ये आदमी वही था जिसे रेणुका ने उस लड़की के पीछे लगाया था पर उन्हें अभी भी पूरी तरह से यकीन नहीं था। तो उन्होंने बिना देर किए वैभव को अपने फोन में वो फोटो दिखाई जिसमें रेणुका उस आदमी से मिल रही थी।

वैभव – ये कौन है अम्मा!

अम्मा – क्या पता, कल मैंने रेणुका को इससे मिलते हुए देखा था! कही ये वही आदमी तो नहीं जो रेणुका के लिए उस लड़की के पीछे गया था? मुझे लगा कि इसी के साथ रेणुका का टांका भिड़ा है।

वैभव ने बिना देर किए अपने कुछ दोस्तो को फोन किया और फोटो को क्रॉप करके उस आदमी की तस्वीर उन्हें भेज दी।

वो अम्मा के पास चुपचाप बैठा रहा और थोड़ी देर के बाद उसके एक दोस्त ने फोन करके उसे उस आदमी की पूरी कुंडली भेज दी। अम्मा भी वैभव की पहुँच देखकर एक पल को हैरान रह गई पर उस दोस्त ने जो details भेजी उसे देखकर अम्मा और वैभव दोनों ही हैरान रह गए। वैभव समझ नहीं पा रहा था कि रेणुका कैसे उसके लिए लड़की ढूंढने में किसी डिटेक्टिव की मदद ले सकती है। दूसरी तरफ अम्मा अपनी सोच पर शर्मिंदा हो रही थी। उनका मन खुद को ही काटने को दौड़ने लगा। जैसे वो खुद अपनी नज़र  में ही गिर गई थी।

कुछ देर बाद जब रेणुका तैयार होकर उनके सामने से जा रही थी तो उसने अम्मा और वैभव को साथ में देखा और उनके पास आ गयी। रेणुका जिद्दी कितनी भी हो, पर उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता जब कोई उससे नाराज़ हो और अम्मा के जवाबो से वो समझ गई थी कि अम्मा उससे किसी बात पर नाराज है। रेणुका के आते ही अम्मा की आंखे भर आई। उन्होंने ज्यादा कुछ तो नहीं बस रेणुका से इतना कहा,

अम्मा ( दुखी होकर) – रेणुका, हो सके तो मुझे माफ कर देना बेटा!

ये कहकर अम्मा अपने पछतावे के साथ अपने कमरे में चली गई। रेणुका समझ नहीं पाई तो उसने वैभव से पूछा,

रेणुका – अम्मा को क्या हुआ? माफ कर देना क्यों बोल के गयी?

वैभव ने बस हंस कर रेणुका को देखा और उन्हें गले लगाकर वहां से चला गया। रेणुका को कुछ समझ नहीं आया कि आखिर इन दोनों को हुआ क्या? उसके पार्लर की appointment का भी समय हो गया था इसलिए उसने बिना इस बारे में ज्यादा सोचे, पार्लर के लिए निकलना ही सही समझा। वैभव भी अपनी छोटी सी सोलो ट्रिप के लिए भोजपुर जाने के लिए निकल गया।

वहीं पार्लर पहुंचते ही रेणुका अपनी अपॉइंटमेंट आने का इंतेज़ार करने लगी। तभी वहां उसकी नज़र  पार्लर में आई एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी। लड़की की खूबसूरती और attractive personality ने रेणुका को पहली नज़र में ही इम्प्रेस कर दिया। रेणुका ने तीसरी बार सोचा कि यह लड़की वैभव है वैभव के लायक।

उसने लड़की से बात करने की कोशिश की और उसे पता चला कि लड़की का नाम निशा है। रेणुका ने निशा से वैभव के बारे में बात की और उसे बताया कि वह अपने बेटे के लिए बहू ढूंढ रही है।

निशा ने रेणुका की बात सुनी और मुस्कराई। रेणुका ने सोचा कि निशा वैभव के लिए शायद राज़ी हो गई है, क्योंकि लड़की हंसी यानि फंसी। तभी निशा ने कहा, “मैं आपको बताना चाहती हूं कि मेरी सगाई हो चुकी है।"

रेणुका को यह सुनकर झटका लगा गया। उसे विश्वास नहीं हुआ तो उसने फिर से निशा से पूछा,

रेणुका– "क्या तुम सच कह रही हो? नहीं, कह दो कि ये झूठ है।“

निशा हैरान हो हो गयी और बोली, “हां, मैं सच कह रही हूं। मेरी सगाई पिछले महीने ही हुई है।”

रेणुका को यह सुनकर बहुत  गुस्सा आया। वह पार्लर अपने facial के लिए आयी थी लेकिन निशा की सगाई हो चुकी है, ये सुनकर अपने face पर sad expressions लिए घर लौट गयी। रास्ते भर बस वो यही सोचती रही कि बस एक महीने से वो चूक गयी वरना निशा आज उसकी बहू बन जाती।

इधर रेणुका वैभव की शादी का सोचकर परेशान थी और उधर वैभव भोजपुर मंदिर में दर्शन करके बहुत  खुश था। वह अपने परिवार के शादी वाले दबाव से दूर, यहां अपने आप को समझने की कोशिश करने आया था पर एक ख्याल था जो उसके मन से अभी भी नहीं जा रहा था?

आखिर कौन स ख्याल परेशान कर रहा था वैभव को? आखिर कब तक ज़िद पर अड़ी रहेगी रेणुका और कब सुधरेगा माँ बेटे के बीच का रिश्ता?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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