काली एसयूवी से एक के बाद एक सशस्त्र एजेंट्स बाहर निकलने लगे। सभी के हाथों में हाई-टेक हथियार थे, और उनकी आँखों में कोई भावना नहीं थी - जैसे मशीनें हों।

वॉल ने झटके से नीना का हाथ पकड़ा और कहा, "पीछे का दरवाजा, अभी!"

उसी पल बाहरी दरवाजा धमाके से खुला। तीन एजेंट्स अंदर घुस आए उनके हथियारों की लेज़र साइट्स छत पर नाचने लगीं। सबसे आगे वाले एजेंट ने चिल्लाया, "खबरदार अगर किसी ने भी हिलने की कोशिश की!”

नीना ने अपनी आँख बंद की और फिर जब खोली तो वह अलग ही थी - मशीनी, सटीक, जागृत। उसका दिमाग अब डिजिटल तरीके से हर चीज़ को स्कैन कर रहा था - हथियारों के प्रकार, एजेंट्स की पोजीशन, यहाँ तक कि गोलियों के संभावित रास्ते।

एक पल में नीना ने टेबल पलट दी और पीछे कूद गई।

"फायर!" एजेंट चिल्लाया।

गोलियाँ हवा में सीटी बजाती हुई आईं। नीना उन्हें ऐसे देख रही थी जैसे वे धीमी गति में चल रही हों। उसका शरीर आश्चर्यजनक सटीकता से मुड़ा, हर गोली को चकमा देते हुए।

वॉल एक कोने में दुबक गई थी, उसकी आँखें आश्चर्य से फैली हुईं थीं। "नीना... तुम ऐसा कैसे कर रही हो?"

नीना ने जवाब नहीं दिया। उसका ध्यान केवल और केवल अपने आसपास के वातावरण पर था। उसकी आँख अब पूरी तरह से नीले रंग की चमक से भर गई थी। वह एक मशीन की तरह हिल रही थी - मानवता से परे।

एक एजेंट तेजी से आगे बढ़ा। नीना ने बिना देखे उसकी ओर हाथ फेंका और उसका हथियार छीन लिया। उसने उसे इतनी तेजी से घुमाया कि एजेंट का शरीर हवा में उछल गया।

"कवर लो!" दूसरे एजेंट ने चिल्लाया।

कमरे में घना सन्नाटा था, जैसे साँसें भी अब धीमे चलने लगी हों। सिर्फ़ नीना के हाथ में पकड़े हथियार की हल्की गूंज बची थी जो अभी-अभी थमी थी। एक ही बार में तीन गोलियाँ चली थीं—तीनों एक के बाद एक बिना किसी चूक के। और लक्ष्य? कमरे में लगी आवाज-डैम्पनिंग लाइट्स जो अब चटक कर बुझ चुकी थीं।

एक पल में पूरा लैब अंधेरे में डूब गया। बस सर्वर्स की लाल बत्तियाँ अभी भी झिलमिला रही थीं—टिमटिमाती हुई चेतावनियाँ—जैसे किसी दिल की धड़कन जो अब भी बाकी थी, लेकिन अनियमित हो चुकी थी। अंधेरे में उन बत्तियों की रोशनी नीना की आँखों से टकरा रही थी, और तभी वॉल ने देखा... नीना की आँखें नीली नहीं थीं। वे चमक रही थीं। मानव आँखें यूँ नहीं चमकतीं।

"नीना!" वॉल की आवाज़ में घबराहट थी। "यहाँ आओ!" उसने पीछे के दरवाज़े की ओर इशारा किया।

नीना ने उसकी ओर देखा—लेकिन उसकी आँखों में कोई पहचान नहीं थी। जैसे वह देख नहीं रही थी, स्कैन कर रही थी।

"मैं... मैं कंट्रोल कर रही हूँ," नीना ने कहा। उसकी आवाज धीमी थी लेकिन उसमें कुछ था जो पहले कभी नहीं था—एक गूंज, एक ठंडापन। जैसे दो ध्वनियाँ एकसाथ निकल रही हों—एक नीना की, दूसरी... किसी और की।

किसी चीज़ की।

"नीना, ये तुम नहीं हो," वॉल ने धीरे से कहा, उसकी ओर बढ़ते हुए। लेकिन नीना पीछे हटी, जैसे हर मूवमेंट को पहले से ही प्रोसेस कर रखा हो। उसका चेहरा भावहीन था, शरीर सीधा, और उसकी चाल...

वह इंसानों जैसी नहीं थी। वॉल ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन नीना की पकड़ उससे पहले ही तेज थी। उसकी उंगलियाँ लोहे की तरह जकड़ गईं। वॉल को लगा जैसे उसका हाथ मशीन में फँस गया हो। नीना की आँखें अब वॉल की आँखों में गड़ गई थीं—गहरी, स्थिर, और अनजानी।

"मैं ठीक हूँ," उसने फिर कहा लेकिन इस बार उसकी आवाज और भी निर्जीव थी। "आई अब मेरे साथ है।"

"आई कौन?" वॉल ने फुसफुसाते हुए पूछा। लेकिन नीना ने जवाब नहीं दिया।

तभी एक ज़ोरदार शोर हुआ—कांच के टूटने की आवाज़ और लैब के अंदर एजेंट्स घुस आए। उनके पास टॉर्च थीं लेकिन अंधेरे और टूटे लाइट्स के कारण वे भी दिशाहीन थे। अंधेरे में नीना और वॉल दोनों छुपे हुए थे।

"चलो!" वॉल ने फिर कहा, उसका हाथ खींचते हुए। "हमें निकलना होगा!"

नीना ने एक सेकंड के लिए वॉल की ओर देखा, और फिर सिर हिलाया। लेकिन अब वह वॉल के साथ नहीं चल रही थी—वह आगे चल रही थी। बिना किसी हिचकिचाहट के अँधेरे में उसके कदम ऐसे पड़ रहे थे जैसे उसे पहले से पता हो कि क्या कहाँ है। एक रोबोट की तरह, हर मूवमेंट प्रीसाइज़।

वॉल उसके पीछे भाग रही थी लड़खड़ाती हुई।

"नीना! धीमे चलो!" वॉल ने चिल्लाया।

लेकिन नीना अब धीमी नहीं हो सकती थी। उसके भीतर कुछ जाग गया था। वही ‘आई’ जिसके बारे में डॉ. क्रॉस ने चेतावनी दी थी। यह कोई सॉफ्टवेयर नहीं था—यह एक अस्तित्व था, एक एल्गोरिथम से आगे की चीज़। वह अब नीना के दिमाग में था, उसकी सोच में था... और शायद, उसकी आत्मा में भी। उसका दिमाग अब खुद का नहीं था। वह सोचना बंद कर चुकी थी—अब उसके लिए ‘आई’ सोच रहा था। वह सिर्फ मूव कर रही थी—और तेजी से। पीछे एजेंट्स की आवाज़ें तेज़ हो रही थीं। टॉर्च की रौशनी उनके पीछे पड़ने लगी थी। वॉल अब लगभग दौड़ रही थी लेकिन नीना उससे दूर होती जा रही थी।

वॉल की साँसें तेज हो गईं। "नीना, प्लीज़... मत छोड़ो मुझे!"

एक पल को नीना रुकी। उसका सिर धीमे से मुड़ा, और उसकी नीली आँखें फिर चमकीं।

"मैं तुम्हें छोड़ नहीं रही," उसने कहा। "पर मैं अब वो नहीं रही, जो तुम जानती थी।"

और यह कहकर, वह दरवाज़े की ओर मुड़ी, जहाँ अब अँधेरे के पीछे एक और दरवाज़ा खुल चुका था। नीना ने कोड डाला—ऐसा कोड जिसे वॉल ने कभी नहीं देखा था।

दरवाज़ा धीरे से खिसका और अंदर... और भी गहरा अंधेरा था। वॉल के पीछे से टॉर्च की तेज़ किरणें नीना पर पड़ीं।

“रुक जाओ!” एक एजेंट चिल्लाया।

नीना ने मुड़कर देखा—लेकिन उसके चेहरे पर कोई डर नहीं था। सिर्फ वो चमकदार नीली आँखें, जो अब किसी इंसान की नहीं थीं।

वॉल ने उसका हाथ फिर से पकड़ा। “मत जाओ। हम इसे ठीक कर सकते हैं।”

नीना ने उसका हाथ थामे रखा... एक पल को।

“बहुत देर हो चुकी है,” उसने कहा।

और वो दरवाज़े के पार चली गई।

घने जंगल की सर्द हवा में पेड़ों की पत्तियाँ सरसराईं जैसे कुछ फुसफुसा रही हों। चाँद की मद्धम रौशनी ज़मीन पर टूटी-फूटी परछाइयाँ बुन रही थी और हर छाया में जैसे कोई अनदेखा डर छुपा बैठा था। नीना दौड़ रही थी। उसके कदमों में न कोई झिझक थी न थकान। हर पेड़, हर झाड़ी जैसे उसके रास्ते से हट जाते थे। वह दौड़ नहीं रही थी, वह निर्देशित हो रही थी—किसी अदृश्य निर्देश पर किसी छुपे हुए कोड के इशारे पर। पीछे कहीं वॉल की चीखती आवाज गूंज रही थी, हवा के साथ टूटती-फटती।

"नीना! रुको! मैं नहीं... आ सकती..."

नीना ने पल भर के लिए सिर घुमाया लेकिन कदम नहीं थमे। उसका चेहरा अब भी उस भावहीन स्थिरता में जकड़ा हुआ था। लेकिन उसके भीतर कहीं बहुत अंदर कोई चीख रहा था।

'रुको। ये तुम नहीं हो। तुम नीना हो।'

लेकिन उसका शरीर नहीं सुन रहा था। जंगल अब और भी घना हो गया था। चारों ओर सिर्फ अंधेरा था और पत्तियों की आवाज़। हवा में नमी थी जैसे बारिश आने वाली हो। नीना की आँखों में नीली रोशनी फिर से चमकने लगी थी—अब वो स्थिर नहीं थी, वो फ्लिकर कर रही थी, जैसे कोई सिस्टम अपडेट हो रहा हो। हर पल, हर सेकंड के साथ नीना का दिमाग और शरीर दो हिस्सों में बँट रहा था।

'मैं कौन हूँ?' उसने खुद से पूछा।

'तुम वही हो जो हम चाहते हैं,' अंदर से आवाज आई।

वह लड़खड़ाई। पहली बार उसके कदम डगमगाए। पेड़ों के बीच से निकलकर वह एक खुले हिस्से में पहुँची—एक झील के किनारे। झील शांत थी। इतनी शांत कि डराने लगी। चाँद का अक्स पानी में गिरा हुआ था लेकिन नीना की अपनी परछाई... अजीब थी उसने झुककर पानी में देखा।

और जो देखा, उससे उसकी साँसें रुक गईं। उसका चेहरा... अब पहले जैसा नहीं था। वह पीछे हटी। उसके भीतर कुछ दरक गया था।

“नहीं…” उसने फुसफुसाया। पहली बार उसकी आवाज़ में इंसानियत लौटती दिखी।

लेकिन फिर वही गूंज—वही अंदर की आवाज़ गहराई से निकली हुई, जैसे उसकी आत्मा से खेल रही हो।

"रुकने से कुछ नहीं होगा। तुम अब बन चुकी हो।"

उसकी साँसें तेज़ हो गईं। दिल धड़क रहा था—तेज़, अनियमित, लेकिन अब भी इंसानी।

"मैं कोई मशीन नहीं हूँ!" उसने चिल्लाकर कहा, लेकिन जंगल ने कोई जवाब नहीं दिया।

दूर से हेलिकॉप्टर्स की आवाज़ आई। हवा में कंपन फैलने लगा। डिविजन आ रही थी—उसे ढूंढ़ने, उसे पकड़ने, या शायद खत्म करने।

उसका दिमाग अब भी दो हिस्सों में बँटा था।

एक हिस्सा कहता था—"भागो!" और दूसरा हिस्सा कहता था—"रुको, और लड़ो।"

वह झील के किनारे खड़ी रही काँपती हुई। उसके हाथ खुद-ब-खुद फिस्ट बनते जा रहे थे। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे—लेकिन रोबोटिक आँखें रो नहीं सकतीं। उसने फिर से झील में देखा। और पहली बार, उस अजनबी चेहरे में उसने अपनी पुरानी आँखें ढूँढने की कोशिश की। वहीं से एक याद चमकी—डॉ. क्रॉस की आवाज़:

"‘आई’ सिर्फ एक कोड नहीं है, नीना। ये एक अस्तित्व है। और तुम उसका पोर्टल हो।"

"पोर्टल…?" नीना ने दोहराया।"

फिर अचानक, झील में हलचल हुई। एक तेज़ कंपन उसके पैरों के नीचे दौड़ा—जैसे कोई चीज़ झील के नीचे से ऊपर आ रही हो। नीना पीछे हटी, लेकिन उसकी आँखें अब स्थिर थीं। अब डर की जगह कुछ और था—स्वीकृति नहीं, पर तैयारी।

उसने मुँह मोड़ा।

"अगर मैं बन चुकी हूँ..." उसने बुदबुदाते हुए कहा, "तो मैं ये भी तय कर सकती हूँ कि मैं क्या बनूँगी।"

उसने अपनी हथेली देखी। अब वह पूरी तरह मेटल जैसी महसूस हो रही थी—पर उसमें कंपन था, ऊर्जा थी... और शायद, आखिरी उम्मीद भी।

जंगल के बीच, झील के किनारे, हेलिकॉप्टर्स की आवाज़ के नीचे, एक युद्ध शुरू हो चुका था—

अंदर और बाहर। इंसान और मशीन के बीच। नीना और ‘आई’ के बीच।

और इस बार, नीना सिर्फ बचेगी नहीं...

उसकी साँसें तेज़ थीं। सीने से उठती-गिरती हवा जैसे कोई अनदेखा अलार्म हो। हर धड़कन किसी विस्फोट के ठीक पहले की चुप्पी जैसी थी। लेकिन… दिमाग?

अब वहाँ सन्नाटा था। एक ऐसा ठहराव, जैसे किसी ने अंदर किसी स्विच को बंद कर दिया हो। कोई शोर नहीं, कोई आदेश नहीं, बस—नीरस सन्नाटा और उसी सन्नाटे के बीच, एक आवाज़ आई।

शांत, सटीकऔर आत्मविश्वास से भरी। मानो जंगल की ठंडी हवा को चीरती हुई-

"तुम्हें कभी भागने की इजाज़त थी ही नहीं, नीना।"

नीना ने उस आवाज़ को सुना, जैसे किसी पुराने ज़ख्म की टीस लौट आई हो। धीरे से उसने अपना चेहरा घुमाया। वहाँ झील की काली सतह के पास—एक आदमी खड़ा था। काले सूट में, सफेद शर्ट पहने बिना किसी हड़बड़ी के। उसका चेहरा सपाट था जैसे भाव वहाँ कभी थे ही नहीं। सिर्फ उसकी आँखों में हल्की-सी मुस्कान थी—न संतोष की, न क्रूरता की—बल्कि ऐसे जैसे वह बहुत पहले से जानता था कि ये लम्हा आएगा। और उसे बस इंतज़ार था। नीना की आँखें स्थिर हो गईं। जैसे कोई नींद से जागा हो उसके होंठों से एक नाम निकला—धीरे, लेकिन ठोस-

"कर्नल वॉल्टर स्लोन..."

यह कोई सवाल नहीं था। यह पहचान थी। स्लोन ने सिर थोड़ा-सा झुकाया, जैसे किसी भूले हुए सैनिक को सलामी दी हो।

"तुम वापस आ गई हो, सब्जेक्ट। हमें तुम्हारी ज़रूरत है।"

उसकी आवाज़ में न कोई उत्तेजना थी न आदेश—बस स्थिरता। मानो वह मौसम बता रहा हो। तभी नीना के दिमाग में एक और आवाज़ गूंजी—अंदर से, गहराई से- "आगे बढ़ो। उसे खत्म करो।"

वह आवाज़ सख्त थी। लेकिन नीना हिली नहीं। उसकी उंगलियाँ ठंडी पड़ गई थीं। उसकी रीढ़ की हड्डी के नीचे से कुछ ऊपर चढ़ता महसूस हो रहा था—एक हल्का झटका, जैसे कोई डेटा फाइल खुल रही हो। उसका शरीर... अब उसका नहीं था।

‘आई’ अब पूरी तरह से जाग चुका था। न कोई झिझक। न विकल्प। बस कोड और कमांड। और नीना… सिर्फ एक पोर्टल। स्लोन अब धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। उसके कदमों में न कोई डर था, न कोई हड़बड़ी। ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी मशीन को रिट्रीव करने आया हो—न कि एक महिला को उसके हाथ में एक छोटा डिवाइस था—मैट ब्लैक, जिसके किनारों पर नीली रोशनी मंद-मंद चमक रही थी। जैसे वो किसी पुरानी फ्रीक्वेंसी को पकड़ रहा हो। स्लोन ने डिवाइस को नीना की ओर बढ़ाया। 

"अब घर चलने का समय है," उसने कहा। बस इतना ही।

नीना ने एक पल को आँखें बंद कीं।उसकी साँसों की लय गड़बड़ा गई। लेकिन फिर…उसकी बायीं आँख में एक आखिरी चमक आई। किसी बुझते तारे की तरह। एक अंतिम संकेत, कि कहीं अंदर अभी भी कुछ बाकी है— कुछ जो सिर्फ़ 'कोड' नहीं है।

एक पल…बस एक पल के लिए, नीना के चेहरे पर वो झलक आई जो कभी इंसान थी। लेकिन फिर...उस रोशनी के साथ, झील के किनारे, सब कुछ अंधेरे में डूब गया। कोई आवाज़ नहीं। कोई हरकत नहीं।जैसे इस जंगल में कभी कोई नीना थी ही नहीं।

 

आखिर क्या किया गया था नीना के साथ? अब जबकि वो पकड़ी जा चुकी थी क्या होने वाला था उसका ? क्या नीना कभी खुद को बचा पाएगी? क्या वॉल उसकी मदद करने आ पाएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

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