डरी हुई मीरा, सामने सो रहे आर्यन को देख रही थी। 

'इस बंगले में कोई और भी है, जब आर्यन यहां सो रहा है तो वह साया किसका था, मैंने महसूस किया था...वह मेरा भ्रम नहीं था…वह काला साया सूट बूट में था...मैंने खुद उसके जूतों की आवाज सुनी थी।'

क्‍या मुझे आर्यन को जगाना चाहिए? नहीं पहले मुझे एक बार और चेक करना चाहिए।' ये सोचकर मीरा ने आर्यन के रूम का डोर बाहर से धीरे से बंद कर दिया और अंधेरे में डूबे बंगले को ध्‍यान से देखा। 

यह बंगला भी तो भूलभूलैया जैसा था, जब से मीरा आई थी तो उसने केवल एक वॉशरूम, किचन, हॉल और डाइनिंग हॉल ही तो देखा था, आर्यन ने उसे पूरा बंगला दिखाने की जहमत भी नहीं उठाई और मीरा खुद भी इतनी ज्‍यादा इंटरेस्‍टेड नहीं थी…उसे वैसे ही यहां पर उलझन हो रही थी। 

 

मीरा फिर से उसी जगह पर आकर खड़ी हो गई...जहां से उसने जूतों की खटखट सुनी थी। आर्यन ने कहा था कि बंगले के बाहर उसके बाउंसर खड़े हैं, तो फिर अंदर कोई कैसे घुस सकता है?

वह बाकी के रूम और गैलरियां चेक करने लगी। सारे रूम खुले थे....हर एक रूम में एक शानदार बेड रखा था और बिल्‍कुल वैसा ही सजा था जैसा एक करोड़पति इंसान का घर होना चाहिए। मीरा बारह तेरह कमरे घूम चुकी थी…बंगले के हर कमरे की भव्‍यता से उसकी आंखे चुंधिया रही थी। 

इसके सामने तो फाइव स्‍टार होटल भी फेल है, इतने बड़े बंगले में तो वह रहता भी नहीं है तो क्‍यों नहीं इसे होटल बना देता? आसपास की लोकेशन भी अच्‍छी है और आर्यन को पैसा भी अच्‍छा मिलेगा...पर आर्यन को पैसे की क्‍या कमी है वह तो वैसे ही अरबपति है। 

मीरा एक रूम में पहुंची…उसने कमरे की लाइट जलाई, एक नजर भर देखने के बाद वह लाइट बंद करने ही वाली थी कि सामने कांच की बड़ी सी खिड़की की ओर उसकी नजर गई...यह बंगले के पीछे वाला हिस्‍सा था…जहां से समुद्र बहुत दूर तक दिखाई दे रहा था। 

समुद्र में ही एक लाल सी चीज चमक रही थी, मीरा को समझते देर नहीं लगी कि यह जरूर लाइट हाउस है....वह रोमांचित हो उठी और विंडो के पास आकर बड़े ध्‍यान से देखने लगी, तभी एक बड़ी सी शिप समुद्र के किनारे आती दिखी।

इतनी बड़ी शिप यहां पर..? पर यहां तो कोई बंदरगाह भी नहीं है.…फिर यह शिप क्‍यों आ रही है?

मीरा ध्‍यान से उस शिप को देखने लगी…शिप के रूकते ही कुछ लोग शिप की ओर दौड़े और उसमें से कुछ सामान उतारा जाने लगा। वह सामान बंगले के ही दूसरी ओर रखा जा रहा था।

‘’यह सारा सामान कहां रखा जा रहा है, यहां आसपास तो कोई ऐसा गोदाम जैसा तो कुछ नहीं था, क्‍योंकि जब मैं आर्यन के साथ यहां आई थी तो इस बंगले में घुसने से पहले चारों ओर देखा था, इस बंगले के अलावा दूर-दूर तक कोई एक झोपड़ी भी नहीं दिखाई दी थी। फिर यह किसका शिप है और किसका सामान है? मीरा का माथा ठनका...कहीं यह कोई इल्‍लीगल शिप तो नहीं है जो चोरी से इतनी रात को ऐसी सुनसान जगह पर रूकी है, जरूर इसमें कोई चोरी का सामान होगा, तभी तो ऐसी जगह पर सामान उतर रहा है।

मुझे आर्यन को बताना चाहिए, वरना क्‍या पता किसी दिन पुलिस को इस जगह पर हो रहे इन सब कामों के बारे में पता चल जाए और आर्यन, उसका यह बंगला भी शक के दायरे में आ जाए। 

मीरा ने उस रूम की लाइटें बंद कर दी जिससे वे मजदूर जो शिप पर से सामान उतार रहे थे वे बंगले की जलती लाइट देखकर कहीं एलर्ट न हो जाए। 

मीरा सोच रही थी कि आर्यन के बाउंसर कहां है? क्‍या उन्‍हें यह सब नहीं दिख रहा है? 

उसी समय मीरा ने एक जानी पहचानी सी खुशबू महसूस की...वह खुशबू जिसने इधर कुछ समय से मीरा के दिल की धड़कनों को बेकाबू कर दिया था। मीरा ने कांच का वह विंडो धीरे से खिसकाया और पहले सामने देखकर नीचे देखने लगी...यह किस फूल की खूशबू हैं, पर नीचे गहरा अंधेरा था दूर सामने समुद्र की ओर ही लाइटों की रोशनी थी। 

हो सकता हो कि नीचे कुछ फ्रेंगरेंस वाले फूल हों, आर्यन के घर के आसपास तो कुछ भी हो सकता है, पर इसके बारे में मुझे आर्यन को बताना होगा, और उस काले साए के बारे में भी जो मैंने थोड़ी देर पहले ही महसूस किया था।

वह अनजानी खुशबू धीरे-धीरे गहरी होती जा रही थी...मीरा गहरी सोच में डूब गई कि कहीं तो इस खूशबू को फील किया है। तभी उसे अपनी गरदन पर किसी की गरम सांसो का अनुभव हुआ…मीरा की रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गई....कोई उसके पीछे था, एकदम करीब.....शायद आधा या एक इंच ही पीछे। 

हे भगवान कहीं यह वही आदमी तो नहीं है जिसे मैंने देखा था, इसे पता चल गया कि मैं इस बंगले में इसे ही ढूंढ रही हूं। कहीं…कही यह इसी शिप का कोई आदमी तो नहीं है, जो चोरी छिपे सामान उतार रहा हो, इस बंगले को देखकर कहीं इसे ऐसा तो नहीं लगा कि यहां उसके लिए कोई खतरा हो सकता है और इसलिए इसमें घुस आया हो, क्‍या इसे मेरे और आर्यन के बारे में पता चल गया? हे भगवान आर्यन के बाउंसर कहां है? आर्यन को उन्‍हें इस बंगले से बाहर दूर नहीं रखना चाहिए था, चोर डाकू तो कहीं से भी घुस सकते हैं। 

उन खुशबूदार गरम सांसो की गरमी से मीरा जैसे झुलसने सी लगी थी...वह बहुत ही ज्‍यादा करीब आ गया था।

इसे धक्‍का देकर रूम से निकलना होगा, मीरा ने मन ही मन कहा, और भगवान का नाम लेकर गहरी सांस लेने के बाद तेजी से पलटी, वह साया मानों पहले ही इसके लिए तैयार था। उसने मीरा की कमर पर अपनी दोनों बांहे रखकर खुद से सटा लिया...उसकी गरम और खुशबूदार सांसे मीरा की गर्म और घबराई हुई सांसो से टकरा गई, उसके होंठ और मीरा के होंठ बस छूते-छूते रह गए थे।

डर से मीरा चीखने ही वाली थी कि उस अजनबी ने मीरा के मुंह पर हाथ रखकर कहा, ‘’चुप एकदम चुप‘’ 

मीरा की आंखे बड़ी हो गई…यह तो आर्यन था।

तो यह जानी पहचानी खुशबू इसके शरीर से आ रही थी, पर यह इस रूम में कब और कैसे आ गया? इतना धीरे आया कि मीरा को पता ही नहीं चल पाया।  

मीरा का सारा डर, गुस्‍सा और खीज में बदल गया...उसने झट से आर्यन को खुद से अलग किया और नाराजगी भरे स्‍वर में बोली, ‘’यह क्‍या तरीका है किसी के पीछे आने का?‘’ 

यह क्‍या तरीका है आधी रात को किसी के घर का मुआयना करने का?‘’ आर्यन ने मीरा के सवाल का जवाब न देकर खुद ही उसके ऊपर सवाल दाग दिया। 

मीरा को कुछ शर्मिंदगी महसूस हुई…उसे सच में ऐसा नहीं करना चाहिए था, वह तो आर्यन की मेहमान थी, भले ही जोर जबदरस्‍ती से लाई गई मेहमान ही क्‍यों न हो? वह आर्यन की इतनी भी करीबी नहीं थी कि बिना उसकी इजाजत के उसके घर में ऐसे घूमें फिरे और वह भी तब जब घर का मालिक सो रहा था, पर वह ऐसा जानबूझकर नहीं कर रही थी, उसकी आदत नहीं थी किसी के घर में ताकझाक करने की। 

वह तपाक से बोली, ‘’मुझे हॉल में किसी के होने का शक हुआ....मेरा मतलब है कि इस बंगले में कोई और भी है जो हम पर नजर रखे हए है।‘’

‘’व्‍हाट, यह तुम कैसे कह सकती हो?  यहां मेरे और तुम्‍हारे सिवा कोई नहीं है। वैसे यह बंगला हाई सिक्‍योरिटी से लैस है, परिंदा भी यहां पर नहीं मार सकता है, बिना मेरी इजाजत के।‘’ 

‘’मैं सच कह रही हूं, यहां सच में कोई था....आप प्‍लीज पूरा बंगला चेक कर सकते हैं क्‍या?‘’ 

आर्यन ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’ओह, हो सकता है मेरा कोई बाउंसर हो, इस बंगले में एक सीक्रेट डोर है जो मेरे कुछ खास बाउंसर को पता है, जब मैं इस बंगले में रहता हूं तो वे कुछ दो चार घंटे में एक बार सीक्रेट डोर से आकर बंगले का चक्‍कर लगा जाते हैं। लेकिन केवल चार पांच सेकेंड के लिए, वह साया भी दो सेकेंड के लिए तुम्‍हारे पीछे से होकर गुजरा होगा।‘’ 

मीरा ने अविश्‍वास और हैरानी से आर्यन को देखते हुए हां में सिर हिला दिया। 

तो तुम इतनी जरा सी बात पर डर गई और पूरे घर का मुआयना करने लगी, अरे वह बाउंसर तो पांच सेकेंड में ही बंगले का चक्‍कर लगाकर वापस बाहर चला गया होगा, अब शायद अगले चार घंटे बाद दूसरा बाउंसर इस बंगले का चक्‍कर लगाने आए।‘’ कहकर आर्यन ने लाइट जला दी….मीरा ने खिड़की के बाहर देखकर कहा, ‘’प्‍लीज लाइट मत जलाइए, वे हमें देख लेंगे।‘’ 

‘’कौन....कौन हमें देख लेगा?‘’ 

मीरा ने खिड़की के बाहर उस बड़ी से शिप की ओर इशारा किया जिससे अभी भी सामान उतर रहा था। 

‘ओह वह, वह तो मेरा ही शिप है, और उसमें से जो सामान उतर रहा है वह मेरी ही टीवी कम्‍पनी का है।‘’ 

मीरा सुखद आश्‍चर्य में डूब गई....इस आदमी का अपना एक शिप भी है? इतना बड़ा शिप? 

टीवी कम्‍पनी…?’’ मीरा ने पूछा। 

‘’हां टीवी कम्‍पनी, तुम्‍हें तो पता ही होगा, ये सभी टीवी के पार्टस हैं, एक्‍चुली हम दुबई से टीवी के पार्टस मंगाते हैं और इंडिया में उससे टीवी बनाकर बेचते हैं, बनी बनाई टीवी चार गुनी मंहगी पड़ती है।‘’ 

‘’ओह, पर यह यहां ऐसे क्‍यों? मुझे लगता है कि यह इल्‍लीगल है, इतने बड़ी शिप से ऐसे सुनसान जगहों पर सामान तो नहीं उतरते‘’ 

‘’कुछ इल्‍लीगल नहीं है, जमीन मेरी, शिप मेरा, बंगला मेरा, मजदूर मेरे, और मैं गर्वमेंट को करोड़ों का टैक्‍स भी तो देता हूं उसका कुछ नहीं क्‍या’’  आर्यन का स्‍वर कुछ कड़ा हो गया था, मीरा उसके बिजनेस पर एक तरह से उंगली उठा रही थी।

न जाने क्‍यों मीरा को यह सब फिर भी गलत सा लग रहा था...ऐसे रात को यूं सामान का उतारा जाना, यह सब दिन में भी तो हो सकता था।

‘’क्‍या सोच रही हो, तुम्‍हारी दोनों शंका के समाधान हो गए ना, एक तो वह अनजान साया जिसे तुम चोर समझ रही थी मेरा बाउंसर निकला और यह शिप मेरा अपना है।‘’ 

‘’हां, ओह सॉरी, ओके मैं रूम में जा रही हूं और सोने की कोशिश करती हूं‘’ कहकर मीरा अपने सामने खड़े आर्यन को लगभग हटाते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी। 

 

आर्यन ने उसका हाथ पकड़कर फिर से अपनी ओर खींचा, मीरा इसके लिए तैयार नहीं थी, वह हड़बड़ा गई और उसका सिर आर्यन के मजबूत सीने से जाकर टकरा गया...उसने फिर से मीरा को अपनी बांहो के घेरे में ले लिया। 

न जाने क्‍यों मीरा को आर्यन की यह हरकत अच्‍छी लगी…वह इस समय शायद इन्‍हीं बाहों के घेरे में इस मजबूत सीने में अपना सिर छुपाकर सोना चाहती थी, मीरा बस हल्‍का सा कसमसाई, उसने कुछ खास ताकत दिखाकर विरोध भी नहीं किया। 

जो विरोध था वह तो केवल दिखावे का था...वह कितनी देर आर्यन की बाहों में सिमटी रही उसे पता ही नहीं चला, वह इस खूबसूरत पल से बाहर नहीं निकलना चाहती थी, अब सचमुच उसकी आंखें भारी होने लगी थी। 

आर्यन ने उसे जरा भी डिस्‍टर्ब नहीं किया, शायद वह भी यही चाहता था कि मीरा उसके बाहों में ऐसे ही सिमटी रहे। 

शिप से आई आवाज ने मीरा का ध्‍यान भंग कर दिया…वह एक झटके में आर्यन से अलग हो गई और अपने बाल ठीक करते हुए खिड़की के बाहर देखने लगी।  

 

आर्यन ने मीरा के पास आकर धीरे से उसके कान में फुसफुसाकर कहा, ‘’तुमने मुझे बताया नहीं कि यह जगह और यह बंगला कैसा लगा?‘’ 

‘’अच्‍छा है, सबकुछ बहुत ही अच्‍छा है‘’ मीरा को खुद पर ही शर्मिंदगी हो रही थी, अभी कुछ समय पहले ही वह आर्यन को कोस रही थी, उसके अड़ियल और तानाशाही रवैये पर खीज रही थी और अब कैसे चिपककर लिपटी हुई थी। ये भी कोई तरीका हुआ भला?

‘’सबकुछ बोले तो, मैं समझा नहीं, क्‍या इन सबकुछ में मैं भी शामिल हूं?‘ 

मीरा ने शर्म से पलकें झुका ली, मेरा मतलब है यह लोकेशन...यहां के पेड़-पौधे, ये समुद्र और फूल....आगे बहुत कुछ बोलना चाहती थी पर वह रूक गई, उसे सच में आर्यन बहुत अच्‍छा लगने लगा था, पर वह कहना नहीं चाहती थी। प्‍यार में गहरी चोट खाई मीरा के लिए फिर से प्‍यार में पड़कर भरोसा करना बहुत कठिन था। 

 

क्‍या यह मीरा के नए प्रेम का आगाज है?

राघव जो आज भी मीरा को दीवानों की तरह प्‍यार करता है, उसे पता चलेगा तो उस पर क्‍या बीतेगी? 

क्‍या राघव का अधूरा प्‍यार आर्यन पूरा करेगा?

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत।

 

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