सदमें में मीरा कुछ समय तक बुत की तरह राघव के चार मंजिला घर के सामने खड़ी रही। यह कोई छोटी बात नहीं है…शर्मा फैमिली रातों रात कहीं चली गई और किसी को कुछ पता ही नहीं। शर्मा फैमिली शहर की नामी फैमिली में से एक है।
यह बात मीडिया में नहीं फैली या फिर उन लोगों ने किसी कारण ही खुद को अंडरग्राउंड कर लिया है, वैसे तो मीडिया उनके आगे पीछे घूमते रहते हैं।
उसी समय बादल के गरजने की तेज आवाज हुई, उस गार्ड ने मीरा से कहा, ‘’दीदी बारिश होने वाली है, घर चली जाइए, कुछ पता चलने पर मैं आपको बता दूंगा।’’
मीरा भी जैसे होश में आई…शोभित अंकल को फोन करना होगा।
आटो पकड़ने के लिए मीरा रोड की ओर जाने लगी कि तभी उसे सामने वह वाइन शॉप दिखी जहां वो अपनी शादी टूटने का गम भुलाने गई थी और उसके बाद एक बड़ा हंगामा हो गया था।
वह राजवीर किस हक से मुझे अपने घर ले गया, उससे भी मैं हिसाब चुकता करूंगी।
तभी बारिश की तेज बौछार ने मीरा को पूरी तरह भिगो दिया। ‘’मुझे छाता लेकर आना चाहिए था।‘’ मन ही मन कहकर मीरा ने अपना पर्स देखा कि वह तो ठीक से बंद है वरना फोन भीगने का डर था।
वह एक घने पेड़ की आड़ में खड़ी हो गई...इन बारिश की बूंदो और मिट्टी की सोंधी खुशबू से उसे कुछ याद आ गया।
राघव से दूसरी मुलाकात ऐसी ही बारिश में तो हुई थी...
पर वह बेमौसम बारिश थी, वह बारिश से बचने के लिए एक शेड के नीचे खड़ी थी, राघव अपने जिम से निकल रहा था, खूब एक्सरसाइज करने से पसीने में तर था। उसे बारिश पसंद थी जिम के बाहर हो रही बारिश में हाथ फैलाकर खुद को भिगो रहा था, उसके लम्बे बाल चिपक गए थे और तब अचानक उसकी नजर मीरा पर पड़ी।
ए हाय, पहचाना मुझे...वह मीरा के पास आकर बोला।
मीरा के पेट में खलबली होने लगी ऐसा लगा जैसे कलेजा ही बाहर आ जाएगा।
यह तो वही है न्यू ईयर और काव्या की बर्थडे पार्टी वाला...राघव.....इसे भला मैं कैसे भूल सकती हूं। न्यू ईयर स्टार्ट होने के कुछ देर पहले ही पापा मुझे लेने आ गए थे, पापा का इतना डर था कि यह भी नहीं बोल सकती थी पापा पंद्रह मिनट और रूकने दो ना, पर पापा के लिए तो यह आधी रात का समय हो गया था और यह पहली बार था जब मीरा इतनी रात को इतनी देर तक बाहर अकेली रही थी।
न्यू ईयर जैसी चीजें पापा नहीं मानते थे।
बाद में राघव को उसने बहुत मिस किया…काव्या से पूछने की हिम्मत नहीं कर पाई कि राघव कौन है, वह कहां रहता है? काव्या इस चीज को मजाक बनाकर रख देती।
‘मैं राघव...उस दिसम्बर की नाइट, न्यू ईयर पर हम मिले थे.....राघव ने शेड के नीचे खड़ी मीरा का ध्यान भंग किया।
मीरा झेप गई, जी याद आया, कैसे हैं आप?
‘मुझे तो लगा आप मुझे पहचान ही नहीं पाएंगी।
मीरा मुसकुराने लगी, इस बारिश में भीगकर वह और भी दिलकश लग रहा था।
उस रात राघव ने स्वेटर जैकेट पहन रखा था, आज उसने स्लीवलेस टीशर्ट और लोअर पहन रखा था। कसा हुआ शरीर और हाथ की हरी नसें स्पष्ट दिखाई दे रही थी।
मीरा को खुद पर शर्म आ रही थी कि वो एक लड़के को ऐसे घूर रही है…मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, यह गलत है…’’
उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह राघव से आगे क्या कहे, कुछ भी तो नहीं जानती मीरा उसके बारे में!
राघव ने कहना शुरू किया…एक्चुली मैं आप से फिर से मिलना चाहता था। काव्या से आपके बारे में पूछा तो वह आपके बारे में बताने से साफ मुकर गई, बोली सोचना भी मत मीरा के बारे में, तुम्हें नहीं पता वह क्या चीज है और उसके पापा तो तुम्हें अपने घर के सामने वाले पीपल के पेड़ पर उल्टा लटका देंगे।‘’
सुनकर मीरा शर्म से पानी हो उठी, काव्या को यह सब नहीं कहना चाहिए था…माना की मेरे पापा सख्त हैं, लड़के से केवल दोस्ती ही रखने को कहते हैं। उनके साथ घूमने को मना करते हैं, देर रात बाहर रहने के लिए मना करते हैं, पर पीपल के पेड़ पर उल्टा लटकाने की बात...ऐसा तो मेरे पापा कभी नहीं कर सकते हैं।
वह भी राघव से कुछ कहना चाहती थी…बताना चाहती थी कि इन दो महीनों में वह राघव के लिए कितनी बेचैन रही थी, जनवरी के महीने में जहां कहीं भी अलाव जलते देखती थी तो उसे राघव की याद आ जाती थी...ऐसा लगता वह राघव के साथ बैठकर रोमांटिक बाते करते हुए आग ताप रही है...गुनगुनी गर्माहट, लुभावनी ठंड और सामने एक हैंडसम लड़का यह भी किसी रोमांटिक डेट से कम नहीं था।
कहीं दूर से हार्न की आवाज मीरा की इन मीठी यादों से उसे खींच रहा था, कहीं दूर बहुत दूर...कोई उसे आवाज लगा रहा था…मीरा…मीरा…कार के अंदर आ जाओ...भीग जाओगी…मुझे एक बात पता चली है।’’
शेड के नीचे खड़ी मीरा राघव को ताकती हुई उसके शरीर के पसीने, बारिश और डियो की मिलीजुली खुश्बू में खोई थी।
मीरा....क्या तुम ठीक हो, अब फिर से वह हार्न सुनाई दी’’
सामने मुसकुराता खड़ा राघव जैसे धीरे धीरे धुंध में बदलने लगा, वह गायब हो गया, जैसे अभी सामने उसका कोई वजूद ही नहीं था…अरे नहीं ऐसे कैसे राघव जा सकता है, मुझे अभी उससे बहुत सारी बातें करनी है, मुझे बताना है कि मैं उसे देखने के लिए कितनी बेचैन थी।
कार के हार्न की आवाज अब लगातार आ रही थी, मीरा जैसे गहरी नींद से जाग उठी, सामने कार में शोभित अंकल बैठे थे…वो ही बार बार हार्न दे रहे थे। मीरा ने अपने चारों ओर देखा, वह शेड नहीं पेड़ के नीचे खड़ी थी, सामने वीरान पड़ा राघव का घर उसे चिढ़ा रहा था।
अरे नहीं मैं तो राघव की फैमिली से मिलने आई थी…यह मुझे बार बार क्या हो जाता है, मैं दिन में खड़े बैठे होकर सपने देखने लगती हूं...अतीत वाकई में बहुत अजीब होता है, इंसान को दुख से उभरने ही नहीं देता है।’’ वह अपने आप को बचाते हुए कार में बैठ गई।
कहां खोई थी...मैं कब से हार्न दे रहा हूं।‘
मीरा शर्मिंदा थी, वह बता नहीं सकती थी कि वह क्या सोच रही थी।
मैं समझ सकता हूं कि तुम्हारे लिए मुश्किल भरा समय है, पर ऐसे परेशान होने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है, तुम्हारा अंदाजा एकदम सही था, राघव को तुम्हें छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।
छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था...यह आप क्या कह रहे हैं अंकल, किसने किया कब किया...राघव ने मुझे कुछ बताया क्यों नहीं?"
अब राघव जैसा करोड़पति…उसे दुश्मनों की कमी होगी क्या, बिजनेस वर्ल्ड के बारे में तुम शायद ही थोड़ा बहुत जानती होगी।’’
‘’हां मैं जानती हूं, अपने प्रोडक्ट को नंबर वन बनाए रखने के लिए बहुत कम्पटीशन करना होता है।’’
इसके अलावा भी बहुत कुछ...चोरी छिपे बिजनेस आइडिया चुरा लेना, मार्केटिंग प्लान की जानकारी हासिल करना, हनीट्रैप के बारे में भी तुमने बहुत कुछ सुना होगा...’’
मीरा ने कहा, ‘’हां जानती हूं…किसी लड़के को अगर फंसाना हो तो उसके पास सुंदर लड़की को भेजा जाता है और जानकारी निकलवा ली जाती है।‘’
‘’इसके अलावा भी बहुत से काम होते है, ‘’
‘’ क्या राघव को किसी ने हनीट्रैप में फंसाया है?’’.
‘’नहीं, राघव को नहीं फंसाया गया था, बल्कि राघव के कारण कोई फंस गया था।‘’
‘’नहीं नहीं अंकल राघव ऐसा नहीं कर सकता है...वह इतना नीचे नहीं गिर सकता कि बिजनेस में मुनाफा कमाने के लिए किसी लड़की का इस्तेमाल करे...’’
‘’तुम्हारा एक बहुत ही पुराना दोस्त है करन...क्या उसने तुम्हें राघव के बारे में कुछ नही बताया?’’
‘करन, नाम सुनते ही मीरा चौंक गई!
मीरा को ध्यान आया, अपनी लाइफ में वह केवल एक ही लड़के से दोस्ती कर पाई थी वह था करन…राघव से तो उसे सीधे प्यार ही हो गया था।
करन की पर्सनालिटी ही ऐसी थी कि पापा ने मीरा को करन से दोस्ती करने से नहीं रोका...गोल मटोल, भरा पूरा चेहरा, नाटा कद, आंखों में मासूमियत, चेहरे पर भोलापन, एकदम भोदूं किस्म का लड़का था। कई सारे पार्ट टाइम जॉब करता था और गर्वमेंट जॉब के लिए भी जगह जगह इंटरव्यू देता रहता था।
उसकी और मीरा की पहली मुलाकाल नौंवी क्लास में हुई जब एक मोटे लड़के ने क्लास में प्रवेश किया तो कई लड़कियां मुंह दबाकर हंसने लगी थी...कोई भी लड़का या लड़की उसे अपने साथ नहीं बैठा रही थी, तब मीरा ने एक किनारे होकर करन के लिए सीट खाली कर दी थी।
‘’तुम यहां बैठ सकते हो, मीरा की बेंच बड़ी थी, वह अपने खाली जगह पर अपना बैग रखती थी।
‘’करन को राघव के बारे में क्या पता है, और शायद आपको यह नहीं मालूम राघव की पूरी फैमिली कहीं गायब है।‘’
‘’गायब नहीं है, वे किसी अनुष्ठान के लिए चार दिनों से यमुना किनारे बने एक गेस्ट हाउस में रह रहे हैं।‘’
अनुष्ठान...कैसा अनुष्ठान?’’
वो उनका फैमिली मैटर होगा, हमें उनके पास चलना चाहिए...मुझे राघव के बारे में जानना है।‘’
‘’वो तो हम पता कर ही लेंगे…पर तुम सबसे पहले मुझे यह बताओ कि तुम राघव के बारे मे कितना जानती हो, उससे अक्सर कहां मिलती थी..’’
‘’मैं बहुत कुछ जानती हूं, वह अच्छा लड़का है और केयरिंग है...और और उसमें वो सारी खूबियां हैं जो हर एक लड़की अपने होने वाले पति में चाहती है। हम ज्यादातर पार्क में, मॉल में किसी रेस्टोरेंट या फिर ऐसे ही रोड के किनारे’’ ‘’
‘’क्या तुम्हें ऐसा कभी फील नहीं हुआ कि वह तुमसे कुछ छिपा रहा है या फिर तुम्हारे सामने जो राघव बैठा है उसका कोई और भी रूप हो सकता है?’’
‘’आप कहना क्या चाहते हैं…राघव मुझसे कुछ छिपा रहा था?’’
शायद हां, मजबूरी में सही…पर जो राघव तुमसे मिला करता था, जिससे तुम शादी करना चाहती थी…वह वास्तव में वैसा था ही नहीं, कुछ लोगों के कई मुखौटे होते हैं, यह मान लो कि राघव तुम्हारे सामने एक मुखौटा चढ़ाकर रहता था।‘
‘’आप मुझे उसके खिलाफ भड़का रहे हैं?’’
‘’नहीं, मुझे इससे क्या हासिल होगा...मैं खुद चाहता हूं कि राघव मिल जाए, सामने आने पर ही सच्चाई का पता चलेगा, इसके लिए हमें शर्मा फैमिली की गेस्ट हाउस जाना होगा।‘’
कहकर शोभित अंकल ने कार स्टार्ट कर दी थी।
मीरा अजीब तरह की उलझन में पड़ गई, ‘’क्या सच में मैं राघव को नहीं जान पाई.…यह तो सच है कि मैं उसके काम को लेकर कभी पूछताछ नहीं करती थी, कभी उसके आफिस नहीं गई, उसका काम नहीं देखा, मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी। मैं दूसरी लड़कियों में से नहीं हूं जो अपने होने वाले पति के मामलों में टांग अड़ाए...राघव ने भी तो मुझसे कभी कुछ नहीं पूछा कि क्या मेरी लाइफ में कोई लड़का था या किसी और पर दिल आया था।’
करन से राघव का कैसे कान्टेक्ट हुआ, वह तो मेरी शादी में भी नहीं आ पाया था।’’
शादी का ध्यान आते ही मीरा की आंखे नम हो उठी…पता नहीं तुम मिलोगे भी या नहीं राघव...वो पल क्या हम कभी जी पाएंगे...क्या वे सपने साकार होंगे जो हमने साथ मिलकर देखे थे...मैं तुमसे हर बात शेयर करती थी...तुम भी तो मुझे बता सकते थे...ऐसी क्या मजबूरी थी?’’
आधे घंटे की ड्राइव के बाद शर्मा गेस्ट हाउस आ गया, बारिश भी बंद हो चुकी थी...गेस्ट हाउस के गेट के बाहर खड़े गॉर्ड ने हाथ के इशारे से उन्हें रोका और पास आकर शोभित से कहा, ‘’इस समय शर्मा फैमिली का निजी अनुष्ठान चल रहा है, कोई बाहरी अंदर नहीं जा सकता।’’
शोभित ने अपना आई कार्ड निकालकर दिखाया आखिर पुलिस वाले को कौन रोक सकता है?
गॉर्ड ने सेल्युट किया और दूसरे गॉर्ड को संकेत करके गेट खोलने को कहा।
शोभित अंकल ने मीरा से पूछा, ‘’क्या तुम्हें राघव के इस गेस्ट हाउस के बारे में कुछ पता था...हर साल बिना किसी का बताए इस एकांत में ये लोग एक अनुष्ठान करते हैं...यह बताया था?’’
मीरा ने ना में सिर हिलाया, नहीं अंकल....’’
‘’बहुत सी चीजें हैं…जिनके बारे में राघव को तुम्हें बताना चाहिए था, पर नहीं बताया।’’
गेस्ट हाउस के पार्किंग में कार पार्क करने के बाद शोभित और मीरा उस ओर बढ़ने लगे जहां से उन्हें धुंआ उठता दिख रहा था.…शोभित ने मीरा को इशारा करते हुए कहा, ‘’इसी ओर सब लोग होंगे।’’
गेस्ट हाउस के बरामदे में यह अनुष्ठान चल रहा था, पंडित जी कोई मंत्र पढ़ रहे थे, बाकी घर के मेंम्बर हाथ जोड़े बैठे थे। शोभित और मीरा को देखकर शेखर की भंवे तन गई।
उन्होंने पंडित जी से कहा, ‘’पंडितजी एक मिनट रूकिए.....शोभित और मीरा को अपने पास आता देख.....शेखर झट से उठ खड़े हुए.....बाकी के फैमिली मेम्बर भी इन दोनों को देखकर चौंक गए।
सबसे ज्यादा हैरान और गुस्सा अनन्या हो रही थी, वह मीरा को जलती दृष्टी से देख रही थी…मीरा को समझ में आ रहा था कि कल रात मामा के साथ फोन पर झड़प के कारण वो ऐसा कर रही है.....पर अनन्या भी कितनी मजबूर थी चाहकर भी नहीं पूछ सकती थी कि तुमने कब मुझे मॉल में देखा, अनुज और मेरे रिश्ते में दरार क्यों डालना चाहती हो?
मीरा को तो केवल अपने मामा का मकसद और साजिश का पता करना था कि वे अपनी ही बहन के परिवार के दुश्मन क्यों बने हैं?
शेखर ने शोभित से कहा....क्या गॉर्ड ने आपको बताया नहीं कि यह एक पारिवारिक पूजा है, हम किसी को नहीं बुलाते।‘’
शोभित ने कहा, ‘’पुलिसवालों को कभी इन्विटेशन नहीं दिया जाता है, यह तो उनका अधिकार है कि वे कभी भी कहीं भी कुछ भी जांच करने के लिए पहुंच सकते हैं।‘’
‘’अच्छा....यहां आपको क्या चेकिंग करनी है?‘’
‘’कमाल है! जिस घर का बड़ा बेटा.…अपनी शादी के दिन से ही लापता है उनके घरवाले पूछ रहे हैं कि क्या चेकिंग करनी है।‘’
राघव अपने मन से गया है…वह बच्चा नहीं है कि कहां जा रहा है किससे मिलने जा रहा है ये सब चीजें पता करते रहें.…वैसे भी हमने कोई एफआईआर नहीं करवाई है, आप हमारे पूजा पाठ में दखल देकर अच्छा नहीं कर रहे हैं, धर्म के काम में बाधा डालना बहुत ही खराब बात है।‘’
‘’माना की आपने एफआईआर नहीं करवाई पर बहुत से लोग हैं जिन्हें राघव की फिक्र है, पुलिस को किसी भी मामले में दखल देने का अधिकार है।‘’
आखिर क्या है राघव का पास्ट?
करन को राघव के बारे में कैसे पता था?
अनुष्ठान हर साल क्यों किया जा रहा था?
जानने के लिए पढ़ते रहिए ‘बहुरूपिया मोहब्बत!’
No reviews available for this chapter.