नैना की टांगे बुरी तरह कांप रही थी...वह उस खतरनाक औरत के सामने खड़ी थी जिसका दूसरा नाम ही दहशत था...कई लोग तो उसके सामने आने से पहले मौत को गले लगाना पसंद करेंगे।उससे कहा गया था कि मीरा से मिलने के बाद तुम सीधा फार्महाउस चली आना, पर नैना पार्टी करने चली गई। 

 

‘’तुम्‍हें मैंने राघव की पत्‍नी इसलिए नहीं बनाया कि तुम केवल अय्याशियां करो, कुछ काम भी करना होता है।‘’ औरत नैना पर दहाड़ी। 

‘मैम....मैम मैंने तो वही सब किया जो आपने कहा था, अब राघव जी के दिल में जगह तो नहीं बना सकती।‘’ 

वह औरत फुंफकार उठी, मैंने कब कहा कि तुम राघव के दिल में जगह बनाओ...यह तो तुम सात जन्‍मों में भी नहीं कर सकती। 

‘’मैंने तुम्‍हें मीरा को तोड़ने के लिए कहा था, मुझे वह रोती हुई दिखनी चाहिए थी पर यह देखो वो कितना हंस रही है मुस्‍कुरा रही है। 

कहकर उस औरत ने नैना को एक टीवी में शापिंग मॉल का सीसीटीवी फुटेज दिखाया जिसमें मीरा अपनी मां, बुआ और पिंकी के साथ इन्‍जॉय कर रही थी, कठपुतली डांस को तालियां बजाकर इंजाय कर रही थी, स्‍टालिस्‍ट ड्रेस अपने ऊपर लगा-लगाकर देख रही थी और फूड कोर्ट में अपने पसंदीदा खाने का लुत्‍फ उठा रही थी।

‘’तुम्‍हें यह सब देखकर लग रहा है कि उसे तुम्‍हारी इस हरकत से चोट पहुंची है, तुमने एक बार भी पीछे मुड़कर देखा कि मीरा की क्‍या हालत हुई है, कुछ नहीं कर पाई तुम…जाओ यहां से, जब तक राघव नहीं मिल जाता कहीं छिप जाओ, जब तक मैं न कहूं सामने मत आना।’’ 

फिर वह औरत अपने एक आदमी से बोली, ‘’शापिंग मॉल के बाहर जहां मीरा और नैना टकराए थे उसकी सीसीटीवी फुटेज भी अपने कब्‍जे में ले लो, क्‍या पता मीरा की फैमिली सच का पता लगाए, हमें राघव और नैना के रिश्‍ते की सच्‍चाई छिपानी होगी, उनसे दो कदम आगे रहना होगा।‘’ 

जी मैडम! 

 

रात के समय मीरा सबके साथ घर वापस आई, उसके चेहरे पर उसकी पुरानी प्‍यारी मुस्‍कान वापस लौट आई थी। उसकी मुसकुराहट देखकर अनुज बुरी तरह चिढ़ गया, कहां तो उसने इसका उल्‍टा सोचा था और कहां यह एकदम पासा उल्टा पड़ गया।

अमरीश को थोड़ा सूकुन मिला कि चलो मीरा अपना ध्‍यान दूसरी ओर लगाने की कोशिश तो कर रही है, बस यह वापस जॉब ज्‍वाइन कर ले जो उसने राघव से शादी करने से पहले छोड़ दी थी…शादी के बाद से राघव का अपना खुद का बिजनेस था जिसे मीरा को भी संभालना था। 

अनुज का चिढ़ना मीरा ने भांप लिया था, नीता तो तनाव में थी और रेनू उलझन में पर मीरा ने सबको कसम दे दी थी कि मॉल के बाहर हुई घटना की जिक्र किसी से न करें।

रात को खाने के समय सब एक साथ बैठे थे, अनुज ने मीरा से पूछा, ‘’तो शाम कैसी बीती तुम लोगों की, मॉल में सबकुछ कैसा था।‘’

वे कुछ और जानना चाहते थे पर सीधे-सीधे नहीं पूछ सकते थे।

नीता हिचकिचाई, उन्‍हें नैना की याद आ गई जो खुद को राघव की पत्‍नी बता रही थी। 

मीरा अपने मामा से सख्‍त नफरत करने लगी थी, वह मन ही मन बोली, आप जो चाहते हैं, वह मैं आपको नहीं करने दूंगी, आप मेरी मां, पापा और फैमिली से क्‍यों नफरत करते हैं यह तो मैं बाद में पता कर के रहूंगी पर सबसे पहले आप अभी जो चाहते हैं वो मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा, आप मुझे खून के आंसू रूलाना चाहते हैं ना…अब मैं भी आपका चैन सूकुन छीन लूंगी और इसकी शुरूआत अभी इसी डाइनिंग टेबल से होगी।’’ 

 

मीरा, अनुज के सवाल का जवाब देते हुए बोली, ‘’हां मामा, आज तो बहुत मजा आया, हमने बहुत दिन बाद इन्‍जॉय किया। आपको भी चलना चाहिए था, क्‍यों घर में बैठकर दिनभर बंदूक की नलियां साफ करते हैं और गोलियां भरते हैं।‘’ 

‘तुम्‍हारे मामा को तो इसी में मजा आता है।‘’ अनुज ने थोड़ी अकड़ के साथ कहा। 

‘’अरे हां आपकी बंदूक वाली बात पर याद आया, मॉल में अनन्‍या दी मिली थी।‘’ 

अनुज को मानो चार सौ चालीस वॉल्‍ट का झटका लगा हो, खाना गले में फंस गया, वे खांसने लगे पानी पीकर चोर नजरों से सबको देखने लगे, उन्‍हें इतना हैरान देखकर मीरा मन ही मन आनंदित हो उठी।

क.... कौन.... कौन अनन्‍या........पानी पीकर खुद को संयमित करते हुए अनुज ने पूछा। 

‘अरे वही अनन्‍या दी, राघव की बहन, आप उन से तो पर्सनली कभी नहीं मिले हैं शायद...वो जो उस दिन हम राघव के घर गए थे तो आपकी बंदूक देखकर सबसे ज्‍यादा जो डर रही थी अनन्‍या दी, वही मॉल में मिली थी...’’ 

नीता ने मीरा को डांटते हुए कहा, ‘’उस नकचढ़ी, घमंडी लड़की को अनन्‍या दी कहना बंद करो...वह मुझे शुरू से ही अच्‍छी नहीं लग रही थी, वह तो कभी नहीं चाहती थी कि तुम राघव की दुल्‍हन बनो और अब तो उसकी चाहत पूरी हो गई...हमने जब भी उसे गिफ्ट दिया मुंह बनाकर लेती थी और बाद में उसमें कई सारी कमियां निकालती थी।’’

‘’मैं तो तुम्‍हारे साथ ही थी, मुझे तो अनन्‍या दी नहीं दिखी थी।‘’ पिंकी ने हैरानी से मीरा को देखकर कहा। 

‘’तुम तो सूट और दुपट्टा लेने में बिजी थी, आर्ट और क्राफ्ट वाले स्‍टाल पर जब मैं सेल्‍फी लेने गई तब वे मुझे दिखी थी, वे आइसक्रीम वाले काउंटर पर थी, उनके साथ बड़ा ही हैंडसम बंदा था…बहुत ही खुश लग रही थी।‘’ 

‘ओह, जरूर उनका बॉयफ्रेंड होगा, बड़े बेशर्म लोग हैं, बेटा गायब है और बेटी अय्याशी कर रही है।‘’ नीता ने कहा। 

‘’हो सकता है, मैंने सोचा मैं उनके पास जाकर बात करूं, पर बाद में मन नहीं हुआ।‘’

अमरीश ने कहा, ‘कोई जरूरत नहीं है, राघव की फैमिली से कोई बात करने की। अब हमारा उन से कोई वास्‍ता नहीं, उनके घर की बेटियां किसी भी लड़के के साथ घूमें या भाग जाए हमें क्‍या।‘’

अनुज के माथे पर बल पड़ गए, ‘’अनन्‍या मॉल में थी किसी और के साथ पर उसने तो मुझे बताया था कि वह एक नया रेस्टोरेंट खोलना चाहती है, उसी के लिए नोएडा में किसी रिहायशी इलाके में जमीन देखने जाना है, क्‍योंकि नोएडा अब तेजी से डेवलप हो रहा है, लोग बस रहे हैं, कई सारी मल्‍टीनेशनल कम्‍पनियां खुल रही हैं, यूनिर्वसिटी बन रहीं हैं, स्‍कूल और हास्‍पिटल बन रहे हैं,  तो यहां रेस्‍टोरेंट के बिजनेस का अच्‍छा स्‍कोप है.…मुझे साथ ले जाने से मना कर दिया, कहने लगी कि बिजनेस का डील है, ठंडे दिमाग से काम करना होगा, वहां का माहौल टेंशन वाला होता है, बिजनेश पार्टनर, इन्‍वेस्‍टर से तीखी बहस भी हो जाती है, कहीं तुम्‍हारा दिमाग गरम हो गया, और तुमने बंदूक तान दी तो मैं तो आउट हो जाऊंगी’’ 

अनुज से अब अगला निवाला नहीं लिया जा रहा था, यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था, अनन्‍या ने उनसे झूठ बोला था…मुझसे झूठ बोलकर मॉल में घूमा जा रहा है। 

‘क्‍या हुआ मामा जी, आप खाना नहीं खा रहे हैं।‘’ 

अनुज की बेचैनी मीरा भांप गई थी, अनुज अब खाना नहीं खाना चाहता था, उसे अनन्‍या से बात करनी थी...’’ 

अनुज ने कहा, ‘’अब भूख नहीं है, शाम को हैवी स्‍नैक्‍स ले लिए थे तो ज्‍यादा कुछ खाने का मन नहीं कर रहा है...मैं चलता हूं मुझे कुछ काम है।‘’ कहकर अनुज ने अपना खाना छोड़ा और ऊपर वाले कमरे में चला गया। 

अमरीश ताना मारते हुए बोले, ‘’इन्‍हें क्‍या काम है यहां, केवल बंदूक में गोलियां भरने और लोगों पर तानने के अलावा..।‘’

‘’वो आपकी आंखों में क्‍यों इतना खटकता है, इस मुश्‍किल समय में वह हमारे परिवार के साथ खड़ा है।‘’ नीता ने नाराजगी भरे स्‍वर में कहा। 

अमरीश मुंह बनाकर खाना खाने लगे, नीता अगर तर्क करना शुरू कर देगी तो जब तक जीत नहीं जाएगी रूकेगी नहीं। 

अमरीश चाहते थे कि अनुज यहां से चला जाए लेकिन मीरा नहीं चाहती थी। 

उसने अनुज के दिल में खलबली मचा दी थी, वे जरूर अनन्‍या को फोन करने गए होंगे सच पता चलेगा पर, अफसोस वे मुझसे आकर पूछ भी नहीं सकते हैं कि तुम तो झूठ बोल रही हो, अनन्‍या मॉल में थी ही नहीं।

पर अनन्‍या दी तो जरूर मुझसे पूछेंगी...मैं इसके लिए तैयार हूं…मुझे भी आप से बहुत कुछ जानना है आपका असली चेहरा सामने लाना है…पर सबसे पहले उस नैना से मुलाकात करना जरूरी है, यह जिसके भी इशारे पर हो रहा है उसे मैं बताना चाहती हूं कि मैं भी अब कुछ कुछ तुम्‍हारी तरह सोचने लगी हूं…या शायद तुमसे एक कदम आगे।‘’ 

मीरा को सुनना था कि मामा अनन्‍या से क्‍या बातें करेंगे। 

उसने जल्‍दी जल्‍दी खाना खत्‍म किया और नीता से बोली, ‘’मैं जरा छत पर टहलकर आती हूं।‘’ 

‘’आज छत पर टहलने का मन कैसे हो गया।‘’ 

‘’ठंडी हवा बह रही है, शाम का मौसम कैसा सुहाना सा था, जरूर रात में बारिश होगी।‘’ कहकर मीरा छत की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर चली गई। 

पहली मंजिल के कोने पर मामा का रूम था वहीं से सीढ़िया सीधे छत की ओर जाती थी। मीरा को इस समय कोई नहीं देख सकता था, अनुज के कमरे की लाइट जल रही थी, किसी से फोन पर बात करने की आवाज आ रही थी।

मीरा दबे पांव उनके रूम के दरवाजे के पास सटकर उनकी बातें सुनने लगी। 

मीरा का अंदाज सही था, वे अनन्‍या से ही बातें कर रहे थे, वे गुस्‍से में थे पर इतने धीमे बातें कर रहे थे कि नीचे कोई सुन नहीं सकता था, लेकिन रूम के बाहर खड़ी मीरा सुन सकती थी। 

अनुज फोन पर कह रहे थे, ‘’क्‍या बकवास कर रही हो तुम..मीरा झूठ क्‍यों बोलेगी…उसकी आंखें धोखा नहीं खा सकती हैं…म किसी लड़के के साथ आइसक्रीम खा रही थी, चिपककर खड़ी थी, ऐसा कोई बिजनेस पार्टनर के साथ नहीं करता। 

फिर शायद अनन्‍या ने उधर से कुछ कहा, इस पर मामा ने कहा, ‘’पागल हो गई हो, भूलकर गलती से भी मीरा से इस बारे में बात मत करना…हमने अपने रिश्‍ते को छुपाकर रखा है, अब हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे।’’ 

 

मीरा ने उस कार का नंबर याद कर लिया था, जिसमें नैना बैठकर आई थी, मैं जानती हूं कि मेरे मम्‍मी पापा कभी इसके लिए राजी नहीं होंगे क्‍योंकि अब वो राघव का नाम भी नहीं सुनना चाहते, पर मैं जानती हूं कि यह सब बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है…राघव किसी मुसीबत में हैं, नई नई चीजें सामने आ रही हैं, पर राघव क्‍यों नहीं आ रहा है...शोभित अंकल की मदद लेनी होगी।

वह कार किसकी थी यह पता चलते ही मैं उस नैना तक जरूर पहुंच जाऊंगी। 

अगले दिन मीरा मंदिर जाने के बहाने सुबह सुबह शोभित अंकल के घर पहुंच गई।

‘‘’आओ.....आओ बिटिया.......’’

शोभित अंकल ने इस समय सफेद धोती पहन रखी थी, कंधे से लेकर कमर तक जनेऊ लटक रहा था, वे अपने घर में बने छोटे से मंदिर के सामने पानी से भरा लोटा और घंटी लेकर खड़े थे, इस समय पुलिस वाले नहीं बल्‍कि किसी मंदिर के पुजारी लग रहे थे। वे कड़क और अनुशासित पुलिस अफसर के साथ साथ धार्मिक कर्मकाण्‍ड वाले भी थे। 

लोग उनके बारे में हमेशा मजाक बनाते रहते थे कि शोभित अंकल रिटायर होने के बाद घर में नहीं बैठे रहेंगे, उन्‍हें किसी छोटे-मोटे मंदिर में पुजारी का काम तो मिल जी जाएगा।

मीरा ने शोभित अंकल को पहले तो अपने अनुज मामा और अनन्‍या के रिश्‍ते के बारे में बताया फिर नैना के बारे में।

सारी बात जानने के बाद शोभित ने गहरी सांस ली, वे हैरान थे कि मीरा अभी तक राघव में इंटरेस्‍ट ले रही है, वह उसे हर हाल में खोजना चाहती है, शोभित को लगा था मीरा टूट जाएगी…अपना दुख दूर करने कहीं बाहर चली जाएगी, पर ऐसा हुआ नहीं।

‘’मैं तो इस मामले को जितना सीधा समझता था यह उतना ही उलझता चला जा रहा है, तुम्‍हारे मामा तो छुपे रूस्‍तम निकले पर इतिहास गवाह है कि हमें गैरों से नहीं बल्‍कि अपनो से ही बहुत ज्‍यादा धोखा मिला है। 

तुम्‍हारी मां और मामा की हिस्‍ट्री में जरूर कोई बात है, तुम्‍हारी मां प्रतापगढ़ की है ना?

जी अंकल......मीरा ने कहा।

‘’सर बस राघव एक बार खुद सामने आकर कह दे कि हां नैना मेरी पत्‍नी है और मेरे साथ वह केवल एक टाइम पास कर रहा था तो मैं उसके रास्‍ते से हट जाऊंगी लेकिन अंकल मुझे लग रहा है कि वह बहुत बड़े मुसीबत में है, मुझे तो उस लेटर पर भी शक हो रहा है जो राघव के नाम से मुझे एक बच्‍चे के हाथों भिजवाया गया था। 

‘’तुम्‍हें राघव के पास्‍ट के बारे में कुछ पता है, तुम उसे कब से जानती हो?‘’ 

‘’तीन साल से, अब मुझे भी लगने लगा है कि कुछ तो ऐसा है जो मुझे अभी तक नहीं पता इसलिए मैं राघव के घर जा रही हूं, वहीं से कुछ पता चल सकता है।‘’ 

‘’ठीक है तुम जाओ, मैं भी कुछ जरूरी काम निपटाकर आता हूं।‘’

 

मीरा शर्मा मेंशन के सामने खड़ी थी, घर कुछ अजीब सा लग रहा था, मेन गेट पर शर्मा नाम का हमेशा लगा रहने वाला नेमप्‍लेट गायब था, लॉन में रखे पौधे सूख गए थे ऐसा लग रहा था कई दिनों से पानी नहीं दिया गया है, और पार्किंग एरिया गंदा लग रहा था।

गेट पर हमेशा एक सिक्‍योरिटी गॉर्ड बैठा रहता था जो हमेशा मीरा को नमस्‍ते बेटी फिर बाद में बहुरानी कहकर बुलाने लगे थे, वह भी गायब था। 

मीरा घर की बेल बजाती उससे पहले बगल वाले बंगले का गार्ड बाहर निकला…वह भी मीरा को पहचानता था "अरे मीरा दीदी आप…इस घर में तो कोई नहीं है।’’

मीरा को धक्‍का सा लगा......

कहां गए हैं सब लोग? 

पता नहीं दीदी...राघव भैया के गायब होने के दो दिन बाद ही एक रात पता नहीं सब लोग कहां चले गए, किसी को कुछ नहीं बताया और कुछ भी लेकर नहीं गए। 

 

अब मीरा राघव का पता कैसे लगाएगी? 

राघव का परिवार कहां गायब हो गया? 

नैना कौन है और राघव को अपना पति क्‍यों बता रही है?

मीरा कैसे पहुँचेगी सच तक? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
 

 

 

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