दिल्ली की ठंडी रात थी। आसमान पर बादल छाए हुए थे और NGO की इमारत में हल्की रौशनी के बीच सन्नाटा पसरा हुआ था। सभी बच्चे सो चुके थे, लेकिन मेल्विन की आँखों में नींद नहीं थी। मन में कुछ हलचल थी, एक बेचैनी जो लगातार उसे अंदर से कुरेद रही थी। जब भी वो कुछ नया पता करता उसे ऐसा महसूस होता कि उसे कितना कम पता था।

प्रतियोगिता के दौरान बच्चों के बीच रहते हुए उसने कई अनकहे शब्द सुने थे, कुछ अधूरे इशारे देखे थे। मी, शिवानी और कुछ अन्य बच्चों की आँखों में कुछ छिपा हुआ दर्द था, जो हँसी के पीछे छुपा था। मेल्विन जानता था कि कुछ तो है… कुछ ऐसा जो किसी ने जानबूझकर छुपाया है।

वो NGO की वेबसाइट पर बैठा डेटा खंगाल रहा था। पुराने आर्काइव्स, डिलीटेड फोल्डर्स, रिकॉर्डिंग्स... अचानक उसकी नज़र एक लॉक्ड फोल्डर पर पड़ी — नाम था "Siya Final Log"। उसने कुछ पुरानी स्क्रिप्ट्स और पासवर्ड रिकवरी ट्रिक्स से फ़ोल्डर को खोलने की कोशिश की। घंटों की मशक्कत के बाद, फोल्डर खुला… और उसमें एक मात्र वीडियो था। फ़ाइल का नाम था — "Siya_Last_Message.mp4"

मेल्विन ने अपने लैपटॉप पर हेडफोन लगाए और वीडियो प्ले किया।

एक कमरा… हल्की रौशनी… और एक 24-25 साल की लड़की—सिया—सामने बैठी थी। आँखों में डर और होंठों पर कांपती हुई सच्चाई।

"मुझे नहीं पता मैं कल ज़िंदा रहूंगी या नहीं," सिया कह रही थी, "लेकिन अगर आप ये वीडियो देख रहे हैं, तो समझिए मैं कुछ बड़ा देख चुकी हूँ।"

उसने धीरे-धीरे कैमरे की ओर झुकते हुए कहा, “ये संस्था, जहाँ मैं बड़ी हुई, जहाँ मुझे खाना, कपड़ा और पढ़ाई दी गई… यह संस्था जिसने मुझे इतना बड़ा जर्नलिस्ट बनाया, मुझे कहते हुए शर्म आ रही है कि वही संस्था दरअसल बच्चों के ऑर्गन का व्यापार कर रही है। यह जैसी बाहर से दिख रही है वैसी ही नहीं। यह बाहर से भले बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना दिखाती है पर अंदर से उनके लिए बच्चे सिर्फ और सिर्फ एक टेस्ट सब्जेक्ट हेज। लैब में पाए जाने वाले चूहों की तरह।”

मेल्विन हक्का-बक्का रह गया।

सिया का चेहरा अब और गंभीर था, "मैं यहाँ के बच्चों के पालन पोषण रख रखाव को लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाने आयी थी। खास तौर पर आरव नाम के बच्चे पर। पर यहाँ जो मुझे पता चला, उसने मेरा दिल झकझोर कर रख दिया है। यहाँ बच्चों को गोद देने के नाम पर गायब किया जाता है। और कुछ के साथ… और भी बुरा होता है। मैंने अपने दो दोस्तों को देखा… एक दिन थे, अगली सुबह नहीं। जब मैंने सवाल उठाया, तो मुझे धमकी दी गई। और जब मैंने जांच पड़ताल करने शुरू की तो मुझ पर हमले होने लगे। अभी मेरे घर को आग लगा दिया गया है। मैं नहीं जानती की मैं बच भी सकूँगी की नहीं। अगर बच गयी तो भगवान की दया से। अगर नहीं बची तो समझ लेना कि…"

उसकी आँखें भर आईं, "अगर ये रिकॉर्डिंग कभी बाहर आई, तो मेरा यह संदेश है उस भले इंसान को जो इसे इस वक़्त सुन रहा है। अगर यह रिकॉर्डिंग 6 मई 2025 से पहले देखी जा रही है तो अब भी आपके पास मौका है इसे रोकने का, कुछ करने का। इस NGO में एक सीक्रेट कमरा है जहां मेडिकल के फाइल्स है वहाँ आरव से जुड़े दस्तावेज पड़े हुए हैं, वही आरव जिसने एक नई दुनिया की चाह में इस संस्था में कदम रखा था। उससे जुड़े फाइल्स को खोजिए। इसे दुनिया तक पहुँचाइए। मेरे जैसे और भी हैं, जो आज भी चुप हैं। उनकी आवाज़ बनिए।"

वीडियो वहीं खत्म हो गया।

मेल्विन की सांसें तेज हो गई थीं। उसका दिमाग सुन्न पड़ गया था।

"Organ smuggling…?" उसने बुदबुदाते हुए फाइलों को फिर से देखा। साथ ही कुछ स्कैन किए हुए डॉक्युमेंट्स भी थे — बच्चों के मेडिकल रिकॉर्ड, NGO के फंड ट्रांजेक्शन, और एक डॉक्युमेंट जिसमें 'external transfers' की बात की गई थी।

यह सब पक्के सबूत थे कि कुछ बहुत ही गंदा खेल NGO की दीवारों के पीछे चल रहा था।

सुबह होते ही मेल्विन ने साहस कर संस्था के प्रमुख मिस्टर वर्मा से मिलने की सोची। वो अगले ही दिन उनके केबिन की और रुख किया जो आज अखबार पढ़ने में व्यस्त थे। 

"मिस्टर वर्मा," मेल्विन ने धीमे स्वर में कहा, “इस कंपटिशन में आपके सहयोग का मैं बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ। आपने और आपकी संस्था ने अच्छा सहयोग किया।”

"यह तो हमारा फ़र्ज़ है।"- मिस्टर वर्मा ने कहा। 

"वैसे आपसे एक सवाल पूछनी थी।" -मेल्विन ने कहा। 

"जी कहिए।"- मास्टर वर्मा ने कहा। 

"आपका वो प्रसिद्ध बच्चा कहाँ है, आरव! जिसकी बदौलत यह संस्था इतना फेमस हुआ। अगर वो होता तो…"- इससे पहले की मेल्विन कुछ कह पाता। 

"ओह्ह मिस्टर मेल्विन। मुझे दुख है कि आपको उस घटना को लेकर जानकारी नहीं दी गयी। हमारा प्यारा बच्चा आरव अब ईश्वर के शरण में है। अभी कुछ ही महीने पहले एक दुर्घटना के दौरान सीढ़ी से नीचे गिरकर उसकी मौत हो गयी।"- उसने कहा। 

"अच्छा। यह तो बेहद दुखद है। तो क्या मैं उससे जुड़े कुछ मेडिकल फाइल्स देख लूँ?"- मेंल्विन ने कहा। 

"अरे आप तो पीछे ही पड़ गए। ऐसा लग रहा आप हम पर शक कर रहे हैं। देखिए वो फाइल तो हम आज ही आपको दे दें पर समझिए, एक संस्था के तौर पर हमें भी कुछ कानूनी प्रक्रियाओं को मानना पड़ता है आप समझ ही सकते हैं। अगर आप वे कागज़ात देखना ही चाहते हैं तो आप हमें सरकारी आर्डर दिखाइए, हम आपको वे कागज़ दे देंगे।"- मिस्टर वर्मा ने कहा। 

"अरे नहीं नहीं। मैं भला उन कागजों का क्या करूँगा। वो हमें भी अपने कंपनी में एक प्रोटोकॉल को मानना पड़ता है इसलिए मैंने ऐसा कहा, वैसे मुझे उन कागजों की कोई जरूरत नहीं।"- मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा। 

"चलिए ठीक है। वैसे क्या मैं आपकी और कोई मदद कर सकूँ तो बेझिझक बताइए।"- मिस्टर वर्मा ने कहा। 

"नहीं ऐसी कोई खास मदद तो नहीं चाहिए थी लेकिन संस्था के बच्चे बार बार सिया दीदी, सिया दीदी कह रही थी। हम जल्द ही बच्चों के साथ एक ग्रुप फ़ोटो लेने वाले हैं, अगर उसमें उनकी प्यारी सिया दीदी हो तो ये तस्वीर और भी ज्यादा यादगार रहेगी। आपको क्या लगता है?"-मेल्विन ने कहा। 

"ओह तब तो आप काफी गलत वक़्त पर आए हैं। कुछ दिन पहले आते तो यह मुमकिन भी था। पर अभी फिलहाल सिया की दिमागी हालत ठीक नहीं है। और उससे अभी मिलना ठीक नहीं होगा। आप अगली बार आइएगा न। अगली बार सबकी उनसे जरूर भेंट हो जाएगी।"- मिस्टर वर्मा ने मुस्कुराते हुए फिर कहा। 

"चलिए ठीक है। अगर फिर दोबारा आना हुआ तो फिर मुलाकात होगी।"- उसने इस बार बात को टालना ही ठीक समझा। मेल्विन अब समझ चुका था कि बात को आगे बढ़ाना मुसीबत को दावत देने के बराबर होगी इसलिए उसने बात को यहीं खत्म कर दिया और एकांत खोजबीन का निश्चय किया। 

मेल्विन ने तय किया कि अब वो खुद अकेले इस रहस्य से पर्दा उठाएगा। उसने एक छोटा कैमरा और ऑडियो रिकॉर्डर हमेशा अपने पास रखना शुरू किया।

वो चुपचाप संस्था की पुरानी बिल्डिंग की तलाशी लेने लगा। एक रात, जब सब सो रहे थे, वो बेसमेंट की ओर गया। वहाँ एक पुराना स्टोर रूम था—धूल और जाले से भरा।

लेकिन उस कमरे की दीवारों के पीछे एक दरवाज़ा था, जिसे पर्दे से छुपाया गया था।

उसने चुपके से दरवाज़ा खोला—एक लंबा अंधेरा कॉरिडोर था, जिसकी दीवारों पर मेडिकल चार्ट्स लगे थे। अंदर कुछ फ्रीज जैसे डिब्बे रखे थे— जो कि सारे खाली थे। मेल्विन को वहाँ कुछ मिला तो नहीं पर वो समझ गया कि यहाँ कुछ तो खिचड़ी पक रही है। पर उसे साबित करने के लिए उसके पास सबूत नहीं है इसलिए उसने शांति का रास्ता चुना। पर वो यह नहीं जानता था कि उसकी ऐसी हरकतें किसी का ध्यान उसकी तरफ खींच रही थी। कोई था जो मेल्विन कि हर एक गतिविधि पर नजर गाड़े हुए था। 

उसने अकेलेपन में एक अनजान व्यक्ति को फोन किया। 

"हेलो।"- दूसरी तरफ से आवाज आई। 

"आपका अंदाज़ा सही निकला। लगता है उसे हमारे गतिविधियों को लेकर शक हो गया है।"- उसने कहा। 

"मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि सावधान रहने। पर तुमलोग मेरी बात सुनते कहाँ हो।"- दुज़री तरफ से आवाज आई। 

"लेकिन बॉस। अब करना क्या है?"- उसने पूछा। ।

"करना क्या है? उस पर नजर रखो। और जब तुम्हें लगे कि वह एक खतरा बन रहा है तो तुम पहले से जानते हो कि तुम्हें क्या करना है। तुंम्हारे हाथ खुले छुरे हैं।"- दुसरी तरफ से आवाज आई।

"जी बॉस।"- अनजान शख्स ने इतना कहकर फोन काट दिया।

अब मेल्विन के पास सिया का वीडियो, उसके मेडिकल रिकॉर्ड्स, और NGO की असली सच्चाई थी। पर उसे पता था कि यदि उसने जल्दबाज़ी की, तो उसके पास भी सिया जैसी हालत हो सकती है। उसने तय किया कि वो इस सच्चाई को मीडिया तक पहुँचाएगा—लेकिन सतर्कता के साथ। 

वहीं मेलविन भी यह बात मिस्टर कपूर को कहना चाह रहा था लेकिन बार-बार उन्हें कॉल करने की कोशिशों के बाद भी उसका नेटवर्क नहीं लग रहा था अतः उसने अंत हार मिल गयी। मजबूरन प्रतियोगिता के दिन और बढ़ गए इससे मेल्विन के मन में एक अलग तरह की ख़ुशी थी जिसका मुख्य कारण वो बच्ची मी थी जिसको लेकर मेल्विन के मन में खुशी थी। 

यूँ ही एक रात जब वह कंप्यूटर रूम में अकेला था, तभी पीछे से किसी ने उस पर लोहे की रॉड से हमला किया। लेकिन सौभाग्य से, एक बच्चा—आर्यन—ने जो उस वक्त वही था, उसने समय पर शोर मचा दिया। हमलावर भाग गया, लेकिन मेल्विन समझ चुका था कि खेल अब खतरनाक हो चुका है। खैर, उससे तुरन्त सबने उसका हाल चाल पूछा और मिस्टर वर्मा ने भी उसे सुरक्षा का आश्वासन दिया। मेल्विन के बाकी साथी भी चिंतित थे उसने सबको आश्वसत किया कि वह पूरी तरह ठीक है लेकिन उस पर हो रहे हमलों का दौर नहीं थमा। 

प्रतियोगिता के दिन, मंच पर जाने से कुछ मिनट पहले उसके जूतों में कोई रासायनिक पदार्थ भर दिया गया था, जिससे उसके पैर जलने लगे। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी, दर्द सहते हुए भी वह मंच पर गया और बच्चों का मनोबल बढ़ाया।

इन हमलों ने मेल्विन को और मज़बूत बना दिया। उसने अपने टीम से कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह उन्हें खतरे में नहीं डालना चाहता था।

एक दिन तो हद ही हो गयी, मार्किट में समान लेने के दौरान जब वो किसी रास्ते से गुजर रहा था कि तभी एक तेज़ तर्रार गाड़ी उसके ठीक सामने से गुजरी, वहीं उसमें बैठा दुज़रे सवार ने उसके ठीक सामने एक लोहे का रॉड जोर से घुमाया लेकिन मेल्विन ने ऐन मौके पर फुर्ती दिखाई और तुरन्त उससे बच गया लेकिन इतने ही देर में वे बाइक सवार तुरन्त वहाँ से भाग खड़े हुए। लेकिन मेल्विन को सनक आ चुका था कि पानी अब सर से ऊपर जा चुका है इसलिए उसने पुलिस से भी मदद माँगी, वो पुलिस जो उसके हीरों के चोरी वाले वाक्ये से वाकिफ थी इसलिए उन्होंने भी इसे श्याम लाल के आदमी बता कर उसके झूठे सुरक्षा का आश्वासन देकर मामला रफा-दफा कर दिया। वहीं मेल्विन को भी समझ आ गया कि टेढ़ी उंगली से यह घी नहीं निकलेगी इसलिए उसने अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव लाया। उसने अपना भेस बदल लिया। उसे अभी भी लग रहा था कि उस पर हो रहे इतने हमलों के पीछे वही डिकोस्टा का हाथ है जो सही भी हो सकती थी और गलत भी। 

"तो यह प्रतियोगिता समाप्त हुई"- पीटर ने काम पूरा करते हुए कहा-"अब हमारे घर वापिस चलने का वक़्त आ गया है।" 

"अरे वाह। वक़्त कितनी तेज़ी से गुजरता है। यहाँ हमें ऐसा लगा ही नहीं कि हम पराए हैं। ईन्होंने अपना सारा ध्यान अपनों की तरह रखा।"-मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा। 

"बात तो तेरी सही है। लेकिन हर अच्छी चीजों का अंत होता है इसलिए अब हमें यहाँ से चलना होगा।"- पीटर ने कहा। 

"तुम सब जाओ लेकिन मैं थोड़े दिन बाद आऊंगा।"- मेल्विनने मुसकुराते हुए कहा। 

"सब समझता हूँ, तुम जरूर उसी गुमशुम बच्ची 'मी' के कारण यहाँ रुकना चाहते हो?"- पीटर ने पैनी नजर के साथ पूछा। 

"सच कहूं तो हाँ, वाकई मी के साथ कुछ और वक़्त बिताना चाहता हूँ। तुम लोग जाओ, मैं यहाँ कुछ दिन और रुकूँगा।"-मेल्विन ने कहा। 

"ठीक है भाई। हर तू इतना कहता ही है तो ऐसा ही सही।"- पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा- " ठीक है भाई। तू रुक जा।"- पीटर ने भी मुस्कुराते हुए कहा। 

और इस तरह मेल्विनने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी थी। 

 

क्या मेल्विन उस नवजीवन संस्था की गुत्थी को सुलझा पाएगा या बाकियों की तरह उसका भी वहीं हाल होगा। क्या वे बच्चे यूँ ही उनका शिकार बनते जाएंगे या फिर एक सुनहरा भविष्य उनका इंतजार कर रहा है। आखिर वह अनजान शख्स कौन था? और कयुनि वो मेल्विन के पीछे पड़ा था। जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

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