हिना के बेटे में अनिकेत ने ऐसा कुछ देखा था, जिससे वो चौंक गया था। उसके दिल की धड़कनें बढ़ी हुई थी , वो अपनी चेयर से उठा और तेज़-तेज़ कदमों से चलता हुआ स्ट्रीमिंग रूम से बाहर निकल गया।

उधर मैच अपने पूरे शबाब पर था। पाकिस्तानी पंजाब वॉरियर्स की पूरी टीम 161 रन पर ऑल ऑउट हो चुकी थी। सिंध इलेवन को जीत के लिए 20 ऑवर में 162 रन चाहिए थे। सिकंदर ने अपनी टीम को मोटिवेट करते हुए कहा, “लड़कों, 162 रन कोई बहुत बड़ा स्कोर नहीं है। आसानी से चेस किये जा सकते हैं, बस हमें विकेट बचाकर खेलना है। विकेट रहेंगे तो इस स्कोर को हम बहुत आसानी से चेज़ कर लेंगे।”

हालांकि वो ये बात बहुत अच्छीं तरह जानता था कि पीच अब स्लो हो गयी थी और रन बनने बहुत मुश्किल होंगे, लेकिन इतने भी मुश्किल नहीं थे कि बने ही न। मैच स्टार्ट हुआ और पहले ही 1 ऑवर में ही उसके 2 मेन प्लेयर्स ऑउट होकर पवेलियन लौट चुके थे। उसकी टीम की शुरुआत ज़्यादा अच्छी नहीं हुई थी।

उधर अनिकेत स्ट्रीमिंग रूम से निकल कर बाहर जाकर खड़ा हो गया। स्टेडियम जैसा शोर उसके अंदर भी हो रहा था। वो उस सच को जानने के लिए बेताब हो गया था, जिसे हिना उससे छुपा रही थी। उसको शक तो पहले से ही था, मगर आज उसका शक, हक़ीक़त में बदल चुका था। वो बार-बार बस एक ही बात बड़बड़ा रहा था,

Aniket (chatter) - तुमने मुझे धोखा दिया है। मैंने तुम्हें क्या समझा और तुम क्या निकली। मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया था। तुमसे मैंने कभी कुछ नहीं माँगा, पर आज तुमने ये साबित कर दिया कि सच्चें प्यार के बदले इस दुनिया में सिर्फ़ धोखा ही मिलता है।

वो ग़ुस्से में बस बड़बड़ाये जा रहा था। दिल का दर्द जब हद से ज़्यादा बड़ा तो वो अपने दर्द को संभाल नहीं पाया और आँखों से आँसू फूट पड़े। आँसूओं का खारा समंदर भी उसके अंदर मचल रहे तूफ़ान को सहन नहीं कर पाया और वो बेहोश होकर गिर गया।

आख़िर भारत के इंदौर शहर का रहने वाला अनिकेत रंधावा और पाकिस्तान के कराची की हिना खान के बीच ऐसा क्या था? जो अब तक हमारे सामने नहीं आ पाया था। हिना कौन सा भयानक सच छुपा रही थी उससे, जिसे जानकर वो बेहोश हो गया था। सवाल बहुत थे और ज़वाब हमें अनिकेत और हिना की लाइफ की बंद किताब को पढ़कर ही मिल सकते थे। इसके अलावा हमारे पास और कोई ऑप्शन नहीं। तो चलिए, खोलते हैं दोनों की लाइफ की बंद क़िताब और जानते हैं दोनों की लव स्टोरी की अनोखी दास्ताँ।

भारत का दिल कहें जाने वाले मध्य-प्रदेश की सबसे क्लीन सिटी इंदौर में बना है मेघदूत गार्डन। बस उसी गार्डन के सामने की एक बिल्डिंग में रहती थी अनिकेत की पूरी फैमिली। जब भी कोई उससे उसके घर का एड्रेस पूछता, तो बस एक ही एड्रेस बताता,

Aniket (young age) - मेघदूत के सामने आकर कॉल कर लेना,  पिक करने आ जायेगा तेरा भाई।

उसके पापा कम उम्र में ही एक रोड एक्सीडेंट में दुनिया छोड़ के जा चुके थे, और अपने पीछे छोड़ गए थे, 2 बेटे और पत्नी को। उसके बाद उसकी गवर्नमेंट टीचर माँ ने ही दोनों भाइयों की परवरिश की थी. बचपन में अपने मोहल्ले का सबसे शरारती बच्चा, बड़ा होते-होते कुछ ज़्यादा ही बड़ा और मेच्योर हो गया था। पढ़ने-लिखने में होशियार अनिकेत ने मासकॉम में  ग्रेजुएशन पूरी की, तब तक उसके बड़े भाई, ईशान रंधावा भी सरकारी आदमी हो चुके थे। उसकी माँ, रितु रंधावा, उसको भी गवर्नमेंट जॉब के लिए मोटिवेट करती थी, लेकिन उसको कुछ ख़ास लगाव था नहीं सरकारी जॉब से।

बाद में जब वो थोड़े दिन ख़ाली जेब दोस्तों के साथ इंदौर की गलियों में भटका, तो उसको समझ आ गया कि खाली जेब लाइफ नहीं चल सकती। उसने दोस्तों को बाय-बाय बोला और इंदौर छोड़कर जॉब की तलाश में दिल्ली आ गया। स्टार्टिंग में कुछ साल एक न्यूज़ चैनल में जॉब की और बाद में क्रिकेट में इंट्रेस्ट था तो नोएडा की एक स्पोर्ट्स कंपनी “स्टम्पिंग” में स्पोर्ट्स प्रॉड्यूशर बन गया।

अनिकेत की एक ख़ासियत उसको अपने कलीग से अलग बनाती थी और वो थी उसकी जुझारु पर्सनालिटी। उसकी इसी ख़ासियत की वजह से स्पोर्ट्स मीडिया जैसी चैलेंजिंग फिल्ड में भी वो अपना नाम बनाने में सफ़ल रहा था।

संडे को वो थोड़ा लेट ही उठता था। ऐसे में सुबह-सुबह अपने मोबाइल पर एक दोस्त का कॉल देखकर वो इरिटेट होकर नींद में बड़बड़ाया और कॉल कट करके फिर से सो गया। शायद आज उसकी क़िस्मत में सोना लिखा ही नहीं था। थोड़ी देर बाद फिर से उसका कॉल आया तो इस बार उसने कॉल उठा लिया,

Aniket (sleepy) - गुरु, संडे को तो सो जाने दिया कर यार सुकून से, क्या आफ़त आ गयी सुबह-सुबह? 

उधर से उसके दोस्त की घबराई हुई आवाज़ ने उसकी सारी नींद उड़ा दी थी। उसकी बात सुनकर अनिकेत उठ कर बैठते हुए बोला,

Aniket (shocked) -  “व्हॉट? दिल्ली में कम्युनल राइट्स? कब हुआ ये सब?

“अभी सुबह-सुबह ही हुआ भाई. कोई गलतफ़हमी हुई और बात धीरे-धीरे इतनी बड़ी कि पथराव शुरू हो गए, फिर केरोसिन बॉम्ब कार्स पर फेक दीये। भाई मैं फँस गया हूँ यहाँ। मुझे निकाल यहाँ से कैसे भी ।” उसके दोस्त की बातें उसको एक के बाद एक शॉक दे रही थी।

Aniket (shocked) - तू पागल हो गया क्या? वहाँ लड़ाई-झगड़ों में क्या करने गया था तू? ज़रूर न्यूज़ कवर गया होगा? तू तो मीडिया से ही है, उसके बाद भी नहीं बच पा रहा, फिर मैं कैसे आ पाऊंगा?

“मेरे पास बाइक नहीं है यार। किसी तरह पहुँच तो गया था, पर अब वापस नहीं आ पा रहा हूँ, मैं वहाँ से किसी तरह सेफ जगह पर पहुँच कर तुझे काल करता हूँ, तू आ तब तक।” उसके दोस्त  वीरेंद्र ने कहा और कॉल कट हो गया। उसको समझ नहीं आ रहा था, वो जाये या फिर नहीं जाये?

Aniket (thinking) - जाना तो पड़ेगा। वीरेंद्र के लिए तो जाना ही पड़ेगा। एक ही तो ऐसा दोस्त हैं मेरा, जो कभी, किसी काम के लिए मना नहीं करता।

उसने जाने के लिए डिसाइड किया ही था कि, तभी उसकी मम्मी का कॉल आ गया। उसकी मम्मी ने सन्डे को इतनी सुबह इससे पहले कभी कॉल नहीं था, इसलिए वो आज पहली बार मम्मी का कॉल देखकर सोच में पड़ गया था। उसने जल्दी से कॉल उठाकर झूठ बोलते हुए कहा,

Aniket (fast) - मम्मी में शाम को बात करूँगा आपसे। अभी मुझे अर्जेन्ट में ऑफिस जाना है। बॉस ने अर्जेन्ट में बुलाया है।

अभी उसकी बात ख़त्म भी नहीं हुई थी कि उधर से उसकी मम्मी ने जल्दी से कहा, “बेटा आज संडे है। इतना भी क्या अर्जेन्ट है कि एक दिन भी सुकून से सोने नहीं देते तुझे?”

Aniket (cool) - नहीं मम्मा, ऐसा कुछ नहीं है। संडे को मैं रेस्ट ही करता हूँ। आज कुछ अर्जेंट काम आ गया है, बस इसलिए बुलाया होगा।

“आग लगे ऐसी नौकरी को। छोड़ दे नौकरी। इंदौर में ही कुछ न कुछ कर कर लेना। सारी दुनिया तो काम-धंधें के लिए अपने शहर आती है और तू हैं कि इतना दूर जाकर रह रहा है। तेरे बॉस से बात कराना मेरी।” उसकी मम्मी की मासूमियत देखकर उसको हँसी आ गयी थी।

Aniket (laugh) - यार मम्मी आप क्यों हँसा रही हो मुझे सुबह से। आप ये बताइये, आपने कॉल क्यों किया इतनी सुबह? कुछ अर्जेंट था क्या?

“हां बेटा अर्जेन्ट तो था। तू ऐसा कर ऑफिस से 2-4 दिन की छुट्टी लेकर घर आ जा। मैंने इसीलिए तुझे कॉल किया था। अब ये मत पूछना कि काम क्या हैं? बस मैंने बोल दिया न काम हैं, तो फिर काम है।” उसकी मम्मी ने उसको सोच में डाल दिया था। न तो वो ऑफिस से छुट्टी ले सकता था और न ही अपनी मम्मी को मना कर सकता था और न ही ये पूछ पा रहा था कि इतना अर्जेंट काम क्या है?

Aniket (confused) - ठीक है मम्मी, मैं बॉस से बात करके आपको कल बताता हूँ, पर आज तो मुझे जाना पड़ेगा।

इतना बोलकर अनिकेत ने कॉल कट किया और अपने दोस्त को दिल्ली से निकालने के लिए निकाल गया। थोड़ी देर में उसकी शारेड लोकैशन पर पहुँच और अपने दोस्त को वहाँ से निकाल लाया।

अगले दिन अनिकेत सुबह 10 बजे ऑफिस पहुँचा तो उसके ऑफिस का पूरा माहौल ही अलग था. स्टार्टिंग में उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि बॉस उसके कलीग्स की सुबह-सुबह क्लास क्यों ले रहे हैं? उसका बॉस प्रखर पांडे अपने केबिन में उसके कलीग्स पर चिल्लाकर बोल रहा था, “तुम लोगों को वहाँ जाने में क्या प्रॉब्लम है? तुम्हारी सेफ्टी की ज़िम्मेदारी मेरी रहेगी। ख़र्च भी कंपनी देगी। इस तरह तो तुम लोग इंडिया से बाहर स्पोर्ट्स कवर ही नहीं करोगे? तब तो चल गई ये कंपनी। किन बेवकूफों को काम पर रख रखा है मैंने भी। मैं लास्ट वार्निंग दे रहा हूँ, या तो वहां जाकर गेम कवर करो या फिर अपना रिज़ाइन रेडी रखो। मैं स्पोर्ट्स चैनल से एडवांस पेमेंट ले चुका हूँ। ऐसे ही नहीं जाने दूँगा मैं, समझे।”

अनिकेत को अभी तक भी मामला समझ नहीं आया था। उसके सीनियर और ऐज में बड़े जितने भी लोग थे, उन लोगों ने इंडिया से बाहर किसी गेम को कवर करने के साफ़ इंकार कर दिया था। वे रिज़ाइन देने के लिए भी रेडी थे, मगर उस जगह पर जाना उनको मंज़ूर नहीं था, उसको बस इतना ही समझ आया था।

वो अपनी डेस्क पर जाकर अभी बैठा ही था कि बॉस की उस पर नज़र पड़ गयी। अब अनिकेत ही उसका आख़िरी भरोसा बचा था और उसके मना करने का मतलब था, कंपनी को करोड़ो का नुकसान। उसकी कंपनी “स्टम्पिंग” इंडिया में स्पोर्ट्स चैनल्स के लिए एक बहुत ही भरोसेमंद स्पोर्ट्स प्रोडक्शन हॉउस थी, जो नेशनल और इंटरनेशनल स्पोर्ट्स कवर करती थी। प्रखर पांडे “स्टम्पिंग” के फाउंडर भी थे और CEO भी। यानि उस कंपनी के लगभग 100 एप्लॉइज के - बॉस वो ही थे।

अनिकेत ने उनके कैबिन का डोर ओपन किया। उसके बॉस के चेहरे पर टेंशन साफ़ झलक रही थी। उनको पता था कि वो उनकी आख़िरी और एक ऐसी उम्मीद हैं, जिसकी उम्र को देखते हुए उसके नाज़ुक कंधों पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी देना ठीक नहीं है, मगर उनके पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था। डूबते को तिनके का सहारा समझ उन्होंने अनिकेत को चेयर पर बैठने का इशारा किया और उसको सिचुऐशन समझाते हुए बोले,

“मुझे नहीं पता तुम्हें पता हैं या नहीं? लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट लीग को कवर करने के लिए सभी ने अपने हाथ खड़े कर दिए। मैं अपना नुकसान तो कर नहीं सकता। तुम लोगों में से कोई भी वहां जाने के लिए रेडी नहीं हुआ, तो मैं सबको फायर कर दूंगा और नए लोगों को स्पेशली वहां रहकर काम करने की लिए ही हायर करूँगा।”

मुझे ये भी पता है कि अभी तुम्हारी उम्र भी कम है, तुम्हें अपने सीनियर्स के बराबर एक्सपीरियंस भी नहीं है, लेकिन ये तुम्हारे लिए एक बहुत अच्छी अपॉर्चुनिटी भी हैं। वहां जितना तुम 2 मंथ में सीख लोगे उतना तो तुम यहां 2 साल में भी नहीं सीख पाओगे।”

प्रखर पांडे, उसको मीठी-मीठी बातों के जाल में फँसाकर पाकिस्तान भेजना चाहते थे। जिस तरह के वहां के हालात और इंडिया से पॉलिटिकल इशू थे, उसके चलते वहां कोई नहीं जाना चाहता था। दूसरें लोगों की तरह पाकिस्तान का नाम सुनते ही अनिकेत को भी पसीना आ गया था। उसकी आँखों के सामने वो सब न्यूज़ घूमने लगी थी, जो आये दिन वहां से आती थी। बम ब्लास्ट तो वहाँ इस तरह होते थे, जैसे ब्लास्ट नहीं दिवाली के पटाखें हो। उसको पता था कि वहां न तो लॉ एंड आर्डर हैं और न ही उनके इंडिया के साथ अच्छें रिलेशन। क्या पता कब किसको सरबजीत की तरह जासूस घोषित करके फाँसी पर लटका दे और कब किसको पकड़कर जेल में डाल दे।

हालाँकि उसने अपनी लाइफ में डरना नहीं सीखा था, मगर वो इतना पागल भी नहीं था कि बहादूरी के नाम पर पागल कुत्ते के मुँह में अपना हाथ दे दे। प्रखर उसके चेहरे पर उड़ रही हवाइयाँ और पसीने की बूंदे देखकर समझ गए थे कि बाकी लोगों की तरह अनिकेत भी जाने से इंकार कर देगा।

अपने करोड़ो रूपये डूबने के ख़याल से ही उनको घबराहट होने लगी थी। ब्लड प्रेशर के पेशेंट पांडे जी के लिए इतनी टेंशन ठीक नहीं थी, इसलिए उसने कहा,

Aniket (confused) -  सर मैं जाने के लिए रेडी हूँ, बट आपको मेरी एक शर्त माननी होगी।

पांडे उसकी एक क्या, ऐसी दस शर्त मैंने के लिए रेडी थे। उन्होंने ख़ुश होकर पूछा, “कैसी शर्त?”

 

क्या पाकिस्तान जाने के लिए रेडी हो जायेगा अनिकेत? क्या उसको वहाँ जाने देंगे उसकी माँ और भाई? आगे कौन सा नया मोड लेने वाली उसकी लाइफ?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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