अनिकेत का बॉस उसकी शर्त सुने बिना ही ख़ुश हो गया था। उसको पाकिस्तान भेजने के लिए वो उसकी एक क्या दस शर्तें मानने के लिए भी तैयार था। उसने ख़ुश होकर पूछा, “कैसी शर्त?”
(Aniket) - मेरी शर्त ये हैं कि मेरा पैकेज़ डबल कीजिये। साथ में मेरा और मेरी फैमिली का life insurance करना होगा कंपनी को।
वो डबल क्या ट्रिपल सैलरी करने के लिए भी रेडी हो जाता, लेकिन अनिकेत के कहने पर उसने थोड़ा सोचने का ड्रामा किया और फिर ख़ुश होकर सैलेरी डबल करने के लिए हामी भर दी, साथ में Insurance के लिए भी तुरंत मान गया.
उसने पाकिस्तान जाने के लिए VISA अप्लाय कर दिया था। वहां जाने से पहले एक बार वो अपने घर जाना चाहता था। उसके बॉस को उसकी लीव एप्लीकेशन अप्रूव करने से कोई प्रॉब्लम नहीं थी, मगर फिर भी अप्रूव करने के पहले उसने अनिकेत के सामने एक शर्त रखते हुए कहा, “वैसे तो मुझे तुम्हें लीव देने में कोई प्रॉब्लम नहीं, मगर मेरी भी एक शर्त है।”
Aniket (confused) - कैसी शर्त सर?
“देखो फैमिली का प्रेशर अच्छों-अच्छों को कर लेता है। तुम्हारी फैमिली ने अगर तुम्हें पाकिस्तान जाने से रोका तब तुम क्या करोगे?” उसके बॉस ने उसको सोचने पर मज़बूर कर दिया था। वो अपनी फैमिली को कैसे हेंडल करेगा, ये तो उसने सोचा ही नहीं था। बॉस के कैबिन में खड़ा होकर वो सोच रहा था और उसका बॉस उसका कन्फ़्यूज़्ड चेहरा देख रहा था। बॉस ने उसको एक आइडिया देते हुए कहा, “मेरी बात मानों और पाकिस्तान जाने से पहले अपनी फैमिली से न ही मिलो तो अच्छा है। मेरी बात का गलत मतलब मत निकालना, मैं तुम्हें वहां कुर्बान होने नहीं भेज रहा। मैं तुम्हें वहां एक ख़रोंच भी नहीं आने दूंगा, ये मेरा तुमसे वादा है।”
अनिकेत को उसकी बात सुनकर पहली बार वहाँ जाने से डर लगा था। उसको लग रहा था, वो किसी कंट्री में नहीं बल्कि Amazon के जंगलों में जा रहा था। काफ़ी सोचने के बाद उसने कहा,
Aniket (confident) - ओके सर, आप लीव अप्रूव कीजिये। मैं मेरी फैमिली को इस बारे में कुछ बताऊँगा ही नहीं।
इतना बोलकर वो अपने बॉस के केबिन से बाहर आया तो, उसके सीनियर उसी को देखकर हँस रहे थे। वो पहले से ही अपने डिसीज़न पर रिग्रेट फील कर रहा था। अब उसको एहसास होने लगा था कि शायद उसने पाकिस्तान जाने के लिए हाँ करके बहुत बड़ी मिस्टेक कर दी थी। उसके एक सीनियर ने उसको इशारा देकर अपने पास बुलाया और कहा,
“बॉस ने तुझे मुर्गा बना दिया। हम बेवकूफ़ थोड़ी न थे। हमने उनके मुँह पर ही मना कर दिया था। भाई एक बार अमेज़न के जंगलों से इंसान बचकर वापस आ सकता है, लेकिन पाकिस्तान से नहीं। जब वहां रहने वाले लोग ही वहां सैफ़ नहीं है, फिर तू कैसे सैफ़ रहेगा? किसी दिन लादेन-वादेन का आदमी तुझे उठा ले गया? तो फिर क्या कर लेगा तेरा डबल सैलरी पैकेज?”
उस सीनियर की बातों ने उसको और ज़्यादा डरा दिया था. उसके सीनियर उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर हँस रहे थे। Actually में वो चाहते ही नहीं थे कि वो पाकिस्तान जाये, और फिर उनका जूनियर होके उनसे ज़्यादा सैलेरी में काम करे। इसलिए वो उसको कुछ ज़्यादा ही डरा रहे थे।
अनिकेत अब कन्फ्यूज्ड था। अब वो न तो बॉस से मना कर सकता था और न ही पाकिस्तान जाना चाहता था। पहले उसने सोचा किसी बीमारी का बहाना बना देगा। बाद में उसने अपना ये आइडिया भी ड्राप कर दिया। अचानक बीमार होने का आइडिया उसको सही नहीं लगा। उसने अपने आप को इंजर्ड करने की भी कोशिश की, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया।
ऑफिस से छुट्टी लेकर वो सीधे अपने घर, इंदौर गया, तो इस बार एक अलग ही अनिकेत घर आया था। उसका बड़ा भाई, ईशान उसको देखते ही समझ गया था कि वो किसी बात को लेकर कन्फ्यूज़न में है। उन्होंने एक दिन शाम को उससे मेघदूत गार्डन में घूमने चलने के लिए कहा। उसकी लाइफ की कई शामें इसी गार्डन में घूमने और उसके सामने की चौपाटी पर चाय पीते हुए गुज़री थी, फिर वो कैसे मना कर सकता था।
दोनों भाई गए तो शाम को वहां भीड़ कुछ ज़्यादा ही बढ़ गयी थी। इतने लोग देखकर तो अनिकेत भी चौंक गया था। उसने दूर तक नज़र दौड़ाकर लोगों को देखते हुए कहा,
Aniket (shocked) – भईया, आज कल यहां भीड़ कुछ ज़्यादा ही नहीं रहने लगी है? इतने लोग तो छप्पन दुकान और सराफ़ा भी नहीं जाते होंगे, जितने यहाँ चौपाटी पर दिख रहे हैं।
बड़े भाई मुस्कुरा दिए, “अब पॉपुलेशन बढ़ेगी तो लोग तो बढ़ेंगे ही न अनु? क्लीन सीटी बनने के बाद से अपने इंदौर ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अब यहां जॉब भी है और बिज़नेस के चांसेस भी, ओर इसलिए पॉपुलेशन भी बहुत तेज़ी से बढ़ रही है इंदौर की। तू भी यही पर सेटल हो जा। मम्मी भी तो ऐसा ही चाहती है।”
वो क्या ज़वाब देता? बस मुस्कुरा कर रह गया था। उसकी ख़ामोशी ने अपने भाई को ज़वाब दे दिया था। दोनों गार्डन के एक कोने में जाकर बैठ गए। वो अपनी ही दुनिया में खोया हुआ, गार्डन में घूमते बच्चों को देखता रहा। ईशान उसको बहुत ध्यान से देख रहा था. आख़िर में उसने पूछ ही लिया,
“क्या बात है अनु? किसी बात से परेशान लग रहा है”, उसके भाई ने पूछा, तो वो झेंप गया। बाहर से ख़ुश और नॉर्मल दिखने की कोशिश करता हुआ बोला,
Aniket (trying to be happy ) - नहीं तो भिया, मैं कहां परेशान हूँ।
“मैं तेरा बड़ा भाई हूँ। तुझसे 4 साल ज़्यादा दुनिया देखी है मैंने। चल अब बता क्या बात है?” बड़े भाई ने उसको डांटते हुए पूछा तो इस बार उनकी नज़रें झुक गयी। वो बताना भी नहीं चाहता था और छुपाना भी नहीं चाहता था। उसका भाई, एक तरह से उसका दोस्त भी था और उसका पिता भी। उनसे छुपाना उसने सही नहीं समझा। उसने अब डिसाइड कर लिया था कि जो बड़े भाई बोलेंगे वही करूंगा। वे जाने से मना कर देंगे, तो नहीं जाऊँगा, फिर भले उसके लिए नौकरी भी क्यों न छोड़नी पड़े।
Aniket (confused & scared) - Actually में बात ये है कि मेरे बॉस मुझे 2 मंथ के लिए पाकिस्तान भेजना चाहते हैं। मैं जाने के लिए कमिटमेंट भी कर चुका हूँ, पर अब समझ नहीं आ रहा कि जाना चाहिए या नहीं? बस इसी लिए थोड़ा कन्फ्यूज़्ड और परेशान हूँ।
उसको लगा था कि पाकिस्तान के बारे में सुनते ही भईया बखेड़ा खड़ा कर देंगे और इमोशनल ब्लैकमेल करने लगेंगे, पर उसकी उम्मीद से अलग वे ख़ामोश बैठकर उसकी आँखों का डर देखते रहे। अनिकेत उनको ही देख रहा था। उनकी ख़ामोशी उसको और ज़्यादा डरा रही थी। आख़िर में उन्होंने अपनी ख़ामोशी तोड़ी और पूछा, “पर वहां भेज क्यों रहा है तेरा बॉस तुझे? आई मीन कुछ इवेंट वगैरह है क्या वहां पर?”
Aniket (explained) - हां। आई. पी. एल की तरह ही इस साल से पाकिस्तान भी एक क्रिकेट लीग स्टार्ट कर रहा है। मेरी कंपनी ने उसके advance payment ले लिया है, इसलिए वो लोग मुझे वहां भेजना चाहते हैं।
ईशान हंस पड़ा। अनिकेत उसके हँसने का कारण समझ नहीं पाया और कंफ्यूज़न में उसके चेहरे की और देखने लगा। उसने हँसी रोककर कहा, “क्या कमाल का पड़ोसी मुल्क है यार अपना भी। उसकी इकोनॉमी उससे संभल नहीं रही, पर हर काम में इंडिया की बराबरी ज़रूर करना है उसको। ख़ैर अगर कंपनी भेज रही है, तो फिर जाना चाहिए तुझे। इसमें इतना डरने की क्या बात है? वहां तो बाहर के प्लेयर भी रहेंगे न? तो सिक्योरिटी तो टाइट रहेगी ही न?”
Aniket (relax) - हाँ सिक्योरिटी तो रहेगी ही। मैं तो बस आप लोगों की वजह से डर रहा था। अब आपकी परमिशन मिल गयी मुझे तो फिर किस बात का डर। कसम इंदौरी पोहे की, डरता थोड़ी न हूँ मैं।
“अनु! मैं, पड़ोस की आंटी के साथ मंदिर जा रही हूँ, फिर बैठकर बातें करेंगे। अभी तो रुकेगा न थोड़े दिन और? 2 दिन ही तो हुए है तुझे आये हुए।” मम्मी ने पूछा तो मोबाइल चलाते हुए ही उसने ज़वाब दिया।
Aniket (denied) - नहीं मम्मी। कल फिर से जाना है मुझे। आप रोज़ ही तो मंदिर जाते हो, अब तो भगवान भी थक गए होंगे रोज़-रोज़ आपको देखकर।
“फ़ालतू बात मत किया कर अनु, ख़ुद तो कुछ करता नहीं। तुझसे कितनी बार बोला है, भगवान को लेकर मज़ाक मत किया कर।” मम्मी हर बार की तरह आज फिर चिढ़ गयी थी। अनिकेत ने उनको और ज़्यादा चिढ़ाने के लिए कहा,
Aniket (tease) - हाँ। जाइये, जाइये। पंडित के घर पैदा हुआ हूँ मैं। अब जल्दी जाइये वरना भगवान नाराज़ हो जायेंगे।
“पता नहीं किसने नौकरी पर रख लिया इस बेवकूफ़ को, अक़्ल-वक्ल तो इसमें हैं नहीं....आ रही हूँ मैं अभी। आज जल्दी ही आ जाऊंगी।”
अनिकेत की मम्मी ने जल्दी ही लौटकर आने का बोला था, मगर पूरे 2 घंटे बाद वापस आई थी। उन्होंने आते ही देखा, अनिकेत वापस जाने के लिए पैकिंग कर रहा था। उनको कुछ समझ नहीं आया और दरवाज़े से अंदर आते हुए पूछा, “ये क्या कर रहा अनु तू? अब ये मत बोलना कि वापस जाने के लिए पैकिंग कर रहा हूँ।”
Aniket (serious) - मम्मी बॉस का कॉल आ गया। मुझे आज ही वापस निकलना होगा शाम की ट्रैन से। 2 दिन रुक तो गया हूँ। आपने मुझे कुछ बताया भी नहीं, मुझे किसलिए बुलाया था यहाँ? पर कोई बात नहीं, अब तो जा ही रहा हूँ मैं।
उसकी मम्मी हाथ में पूजा की थाली लेकर उसको पैकिंग करते हुए देखते रही। उन्होंने उसको 4-5 दिन की लीव पर आने का बोला था। 2 दिन बाद ही उसको फिर से जाते देख अब नाराज़ हो गयी थी। उसने अपनी माँ को मूर्ति की तरह खड़े देखकर पूछा,
Aniket (serious) - क्या हो गया मम्मी? ऐसे क्यों देख रहे हो आप मुझे? अब जाना तो पड़ेगा न?
उसकी मम्मी अब सीरियस हो गयी थी, “अनु मुझे लगा था, तू 4-5 दिन के लिए आया है, तो तुझे ख़ुद ही पता चल जायेगा। अब तू जाने की ज़िद कर रहा है, तब तो तुझे बुलाने का रीज़न बताना ही पड़ेगा। (pause) Actually हमें तेरे लिए लड़की देखने चलना है। वो बस एक-दो दिन में कॉल करने की वाले है। मैं अभी उनको कॉल करके एक बार और पूछ लेती हूँ, कब आना है।”
इतना बोलकर रितु ने जैसे ही कॉल करने के लिए मोबाइल उठाया, उसने अपनी मम्मी के हाथ पकड़ लिए। उनकी बात सुनकर उसको एक सदमा सा लगा था। उसने सीरियस होकर कहा,
Aniket (serious) - मैंने कब बोला आपसे कि आप मेरे लिए लड़की देखो? मेरी अभी उम्र ही कितनी है? पहले भईया की शादी तो हो जाने दीजिये। अभी मैं ओनली 25 साल का हूँ। मैं अभी शादी-वादी के लिए रेडी नहीं हूँ।
“25 साल कोई कम उम्र नहीं होती है. ईशान की शादी भी अगले साल हो ही जाएगी। जिस लड़की की मैं बात कर रही हूँ, वो हमारी ही Cast की भी है और हम कहां तुझसे अभी शादी करने का बोल रहे हैं। अभी सिर्फ़ engagement, शादी तू जब बोलेगा, तब कर लेंगे।
वो जानता था शादियों के मामले में पूरे इंडिया की मम्मियां एक जैसी ही होती है. वे हर चीज में कॉम्प्रोमाइज़ कर सकती है, लेकिन बहु लाने में देरी उनको बर्दाश्त नहीं होती है। आख़िर उसको सीरियस लहज़े में झूठ बोलना पड़ा,
Aniket (serious) - मम्मी Actually बात ये हैं कि मैं किसी को पसंद करता हूँ और हम दोनों शादी करना चाहता है।
अपने बेटे को सीरियस देख उनको शॉक लगा था। रितु मिश्रा यूँ तो टीचर थी, लेकिन शादी-विवाह के मामलों में उनकी सोच थोड़ी पुरानी ही थी। उनको अपने कल्चर और customs से कुछ कुछ ज़्यादा ही लगाव था। अपने बड़े बेटे की बहू भी उन्होंने ही सिलेक्ट की थी, ऐसे में अपना छोटा बेटा उसकी पसंद की लड़की से शादी करेगा, ये बात उनके दिल में चुभी।
उन्होंने अनिकेत का दिल रखने के लिए न चाहते हुए भी पूछा, “पर बेटा शादी सिर्फ़ दो लोगों के बीच नहीं होती है, बल्कि दो परिवारों में होती है. इसलिए तो उसको बंधन बोला जाता है, क्योंकि वो दो परिवारों को जोड़ती है। पर ठीक है, अब जमाना ही बदल रहा है, तो हमें भी बदलना पड़ेगा। तू अपनी पसंद से कर लेना शादी, पर ये बता लड़की कौन है, कहाँ की है, किस कास्ट की है?
Aniket (serious) - मम्मी उसका नाम माहिरा खान है।
“क्या?” उसकी मम्मी ज़ोर से चिल्लाकर कहा और घबराकर धप से सोफ़े पर बैठ गयी।
क्या अनिकेत का मज़ाक समझ पायेगी उसकी मम्मी? एक मज़ाक का उसकी लाइफ में आगे चलकर कितना बड़ा इम्पैक्ट होने वाला था? क्या पाकिस्तान जाने के लिए मिल पायेगा visa अनिकेत को? वहां जाने के बाद उसके साथ ऐसा क्या होगा, जिससे बदल जाएगी उसकी पूरी लाइफ?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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