Aniket (serious) - उसका नाम माहिरा खान है।

उसने अपनी पसंद की लड़की का नाम बताया। लड़की का सुनते ही उसकी मम्मी सहम कर सोफ़े पर बैठ गयी। अनिकेत का चेहरा अभी ही serious था। उसकी मम्मी ग़ुस्से में उसको बस घूरे जा रही थी। वो उनके पास गया और उनका हाथ पकड़कर समझाने की - कोशिश करने लगा,

Aniket (serious) - लेकिन इसमें प्रॉब्लम क्या है? आख़िर हम दूसरे से प्यार करते हैं। हम इंसान को कब तक कास्ट, धर्म, रंग-रूप के अकॉर्डिंग जज करते रहेंगे? मैंने बोल दिया, मैं शादी करूंगा तो उसी से, वरना नहीं करूँगा।

रितु, मूर्ति की तरह चुपचाप बैठी हुई थी। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसका बेटा  ऐसा नहीं था, फिर अचानक इतना कैसे बदल गया? वो सोच रही थी, “ज़रूर उस लड़की ने ही मेरे बेटे पर जादू-टोना किया होगा। मेरा बेटा मुझसे पूछे बिना एक पैर आगे नहीं बढ़ाता, फिर इतना बड़ा डिसीज़न कैसे ले सकता है?”

उन्होंने अपने बेटे की ओर देखा। वो उनको ही देख रहा था। उन्होंने ग़ुस्से में बोला, “ठीक है। तुझे जो अच्छा लगता है, तू वो कर, पर एक बात याद रखना। अगर तूने उस लड़की से शादी की, तो तेरा और हमारा रिलेशन हमेशा के ख़त्म हो जायेगा। तेरे पापा और मैं बहुत धार्मिक लोग है। मांस-मछली खाने वाले लोग मेरे घर में पैर भी नहीं रख सकते।”

अनिकेत क्या बोलता? उसने फिर से उनका हाथ पकड़ा और अपने मज़ाक का सच बताते हुए कहा,

Aniket (polite)  - मम्मी मैं आपसे मज़ाक कर रहा था। मेरा किसी लड़की के साथ कोई चक्कर नहीं है। आप बार-बार मुझसे शादी का बोल रही थी, इसलिए मज़ाक में बोल दिया था। आप टेंशन मत लो, आपकी मर्ज़ी के बिना आपका बेटा किसी से ही शादी नहीं करेगा। आप तो एक बार बोल दीजिये, मैं पूरी लाइफ शादी ही नहीं करूँगा। इस चैप्टर को यही close कर दो, वरना next time दूसरा बहाना ढूंढ के लाऊँगा मैं।

मम्मी का ग़ुस्सा थोड़ा कम हो गया था, मगर उनको उस पर अभी भी पूरी तरह यकीन नहीं था। उनको लग रहा था कि मेरा ग़ुस्सा देखकर अनिकेत अब मुझसे झूठ बोल रहा है। उन्होंने उसको कसम देते हुए कहा, “अनु तुझे मेरी कसम है। तू ऐसा-वैसा कोई भी कदम नहीं उठाएगा, वरना तू समझ लेना फिर।”

Aniket (smile)  - मैं सच बोल रहा हूँ। आपको लगता है मैं ऐसा करूँगा?

बोलते हुए अपनी मम्मी की गोद में सर रख दिया। वो पाकिस्तान जाने से पहले उनसे आख़िरी बार मिल रहा था। उसने इमोशनल होकर सोचा,

 

Aniket (thinking)  - पाकिस्तान ट्रिप के बारें में मम्मी को बता दूँ  क्या? नहीं, वो फ़ालतू में टेंशन लेगी। वहां से न्यूज़ भी हमेशा बम ब्लास्ट की ही आती है। उनको फ़िक्र रहेगी मेरी।

अनिकेत घर आने से पहले VISA documentation का काम पूरा करके आया था। उसको पता था कि VISA अप्रूव होने में अच्छा ख़ासा टाइम लगने वाला था। ऑफिस में अभी वर्क लोड भी नहीं था, इसलिए वो अभी 2 दिन और इंदौर में ही रुकने वाला था। रात को खाना खाकर वो टैरेस पर घूमने निकल गया। काफ़ी देर वो टैरेस पर टहलता रहा और नीचे आने वाला था, तभी उसके पास उसके बॉस का कॉल आ गया। इतनी रात को अचानक बॉस का कॉल देखकर उसको डाउट हो रहा था। वो कॉल उठाना नहीं चाहता था, मगर फिर कुछ सोचकर उसने कॉल उठा लिया,

Aniket (on call) - hello sir

“आने की तैयारी हो गयी तुम्हारी? सुनो मैंने तुम्हें ये बताने के लिए कॉल किया है कि उन लोगों ने एक ऑफिसियल मैसेंजिंग ग्रुप बनाया है। उस ग्रुप में PCL का सपोर्टिंग स्टॉफ रहेगा। मैं तुम्हारा नंबर add करा देता हूँ उसमें, अगर तुम्हें कुछ हेल्प लगे तो वहां के लोग तुम्हारी हेल्प कर देंगे।

Aniket (on call) - ok sir. No issue.

 

हां, एक बात और, तुम्हें कल ऑफिस आना होगा। मैं अपनी टीम को फायर करने वाला हूँ। तुम्हें अपने लिए एक नई टीम हायर करनी होगी, जो तुम्हारे साथ पाकिस्तान जा सके। मुझे ऐसे लोग नहीं चाहिए, जिनकी वजह से मेरा और company का नुकसान हो।  

उसके बॉस ने उसके कानों में 2 धमाके एक साथ किये थे। उसने तुरंत मोबाइल में टाइम देखा। उस समय रात के 10 बज चुके थे। इतनी रात को अर्जेन्ट में train में seat मिलना भी मुश्किल थी। उसने पेनिक होकर कहा,

 

Aniket (panic) - सर मैं अभी इंदौर हूँ। अभी रात के 10 बज रहे हैं। मैं कल मॉर्निंग में ऑफिस कैसे आ सकता हूँ? मेरी अभी 2 दिन की लीव भी बची है सर।

“मुझे पता है अनिकेत, तुम लीव पर हो। मैंने ही तो लीव अप्रूव की थी तुम्हारी। सिचुएशन ही ऐसी बन गयी है कि मुझे अर्जेन्ट कॉल करना पड़ा। हमारे पास ज़्यादा टाइम नहीं है। तुम कैसे भी कल ऑफिस पहुँचों और टीम बनाने के लिए हायरिंग स्टार्ट करो। एक काम करो। फ्लाइट से आ जाओ। इंदौर से दिल्ली की फ्लाइट चेक करो। टिकट का बिल कंपनी में लगा देना।”

इतना बोलकर उसके बॉस ने कॉल कट कर दिया। अनिकेत को समझ नहीं आ रहा था, वो क्या करे। कुछ भी हो, लेकिन कल ऑफिस तो जाना ही था। उसने तुरंत फ्लाइट चेक की। किस्मत से मॉर्निंग की   फ्लाइट में एक सीट अवेलेबल थी. उसने तुरंत टिकट बुक किया और राहत की साँस ली।

थोड़ी देर बाद ही उसके मोबाइल पर मैसेजिंग ग्रुप का नोटिफिकेशन भी आ चुका था। उसको PCL मैसेंजिंग ग्रुप में एड कर लिया गया था। क्यूरोसिटी के चलते उसने एप ओपन किया और उस ग्रुप के मेंबर्स की DP देखने लगा। वो थोड़ी देर स्क्रॉल करता रहा. उस ग्रुप में अधिकतर मेंबर्स उसको बहुत प्रोफेशनल लग रहे थे। 

अनिकेत मोबाइल रखने ही वाला था कि, तभी एक ख़ूबसूरत चेहरे पर उसकी नज़र आ कर रुक गयी। उस चेहरे की सादगी उसको अपनी ओर खींच रही थी। देखने में वो लड़की उसको 23-25 साल की किसी ख़ानदानी परिवार की लग रही थी। वो DP जूम करके कुछ देर देखता रहा और फिर मुस्कुरा दिया।

कल सुबह उसको ऑफिस के लिए निकलना था और वहां से सीधा पाकिस्तान। अपने शहर में उसकी ये लास्ट नाईट थी, इसलिए वो इंदौर को अपनी आँखों में कैद कर लेना चाहता था। “करियर की टेंशन लड़कों से उनका शहर छीन लेती है और शादी लड़कियों से। अनिकेत अपने शहर को देख रहा था। अपने उस शहर को, जहां उसका पूरा बचपन गुज़रा था। कितना वक़्त हो गया था उसको इंदौर छोड़े हुए, लेकिन आज भी इस शहर के एक-एक चौराहों के नाम, road map सब कुछ वो नींद में भी बता सकता था।

अनिकेत अपनी पुरानी यादों में खोया हुआ था। उसका बड़ा भाई कब आकर उसके पीछे  खड़ा हो गया था, उसको पता नहीं चला। “क्या सोच रहा है अनु”, बड़े भाई की आवाज़ से पुरानी यादों में खोया अनिकेत वापस terrace पर लौट आया। उसने ईशान को देखा और बोला,

Aniket (deep breathing) - मैं सोच रहा हूँ, वक्त कितनी जल्दी निकल जाता है न? ऐसा लगता है, जैसे अभी थोड़े दिन पहले की ही बात हो, जब मैं अपने दोस्तों के साथ पूरे इंदौर में घूमता रहता था। सब कुछ कितनी जल्दी बदल जाता है न?

उसके भाई समझ गया था कि वो कुछ दिनों बाद पाकिस्तान जाने वाला है, इसलिए आज थोड़ा इमोशनल हो रहा है। उन्होंने उसको समझाते हुए कहा, “वक़्त की यही तो एक सबसे बड़ी ख़ासियत होती है। वो कभी, किसी के लिए नहीं रुकता। चाहें कितना ही बड़ा आदमी क्यों न हो। इंसान सब कुछ ख़रीद सकता है, पर वक़्त नहीं ख़रीद सकता। वो न तो रिश्वत लेता है, और न ही मोहलत देता है। अनु तूने मुझे आज पाकिस्तान के ही एक बहुत बड़े शायर मुनीर नियाज़ी का एक शेर याद दिला दिया। वे कहते हैं,

“वक़्त किस तेज़ी से गुज़रा रोज़-मर्रा में 'मुनीर'

आज, कल होता गया और दिन हवा होते गए.”

Aniket (excited) - क्या बात है भईया। आज कल शेरों-शायरी में बड़ा इंट्रेस्ट आ रहा है आपको। भाभी को सुनाने के लिए ज़रूरत पड़ती होगी है न?

“बहुत बदमाश हो गया है तू? समझने लगा है सब” ईशान ने कहा और दोनों भाई ठहाका मारकर हॅंस पड़े। अनिकेत को अचानक मम्मी के साथ हुई कन्वर्सेशन याद आ गयी और वो सीरियस हो गया,

Aniket (excited)  - भईयाँ, आज मम्मी मुझसे लड़की देखने के लिए ज़िद कर रही थी। मैंने पीछा छुड़ाने के लिए मज़ाक़ में बोल दिया कि मुझे माहिरा नाम की एक लड़की पसंद है। सुनकर मम्मी मुझ पर तेज़ ग़ुस्सा हो गयी थी। बहुत कुछ सुना दिया था उन्होंने मुझे। अच्छा है कि ये रियलिटी नहीं है, वरना मार ही डालती वे मुझे। (upset) आपका इस बारें में क्या सोचना है?

“किसी भी चीज़ के लिए सोचना मेटर कहां करता है, एक्शन मेटर करता है। मैंने मम्मी की पसंद की लड़की से इंगेजमेंट कर ली। अब मैं कुछ भी सोचता रहूँ, उससे क्या फ़र्क पड़ने वाला है।”

“तू ज़्यादा मत सोच इन सब के बारें में। तेरी उम्र में इंसान थोड़ा क्रांतिकारी हो ही जाता है, लेकिन बाद में धीरे-धीरे उसकी सोच भी मेच्योर होने लगती है। चल अब बहुत टाइम हो गया। तुझे कल सुबह निकलना भी है, फ्लाइट में थक जायेगा। सो जाते हैं अब।” बड़े भाई ने शादी के मेटर पर अपने गोल-मोल ज़वाब से उसको अपनी सोच बता दी थी। वो भी उनके ज़वाब से काफ़ी हद तक एग्री कर रहा था।

Aniket (shocked)  - एक मिनिट। आपको कैसे पता कि मैं सुबह जाने वाला हूँ? मैंने तो अभी किसी को नहीं बताया।

“तू इतनी तेज़ आवाज़ में बात करेगा, तो नीचे आवाज़ नहीं जाएगी क्या? मम्मी ने बॉस के साथ तेरी कन्वर्सेशन सुन ली थी। ऑफिस का कॉल आने के बाद तू रुक जाये, ऐसा हो सकता है क्या? चल अब मम्मी वेट कर रही है तेरा।”

मॉर्निंग में दोनों भाई एयरपोर्ट के लिए थोड़ा जल्दी ही घर से निकल गए थे। अपने भाई को एयरपोर्ट पर ड्राप करने के बाद ईशान को अपने ऑफिस पहुँचना था। कार में बैठा अनिकेत पूरे रास्तें अपने शहर को देखता हुआ जा रहा था।

Aniket (memorized) - इंदौर कितना बदल गया है न? मुझे याद है, मैं जब अपने दोस्तों के साथ एयरपोर्ट तरफ़ बाइक से घूमने आया करता था, तब यहां हरा-भरा जंगल हुआ करता था, पर अब सब-कुछ बदल गया है यहां।

वो अपने कॉलेज के दिन और उस टाइम की मौज-मस्ती में डूबा हुआ था। इशान ने कार के ब्रेक लगाए, तब उसका ध्यान टूटा। वो लोग एयरपोर्ट पहुँच गए थे। इशान ने उससे फाइनल बाय बोलते हुए कहा,  “चल ध्यान रखना अपना। कुछ भी प्रॉब्लम हो तो मुझे कॉल कर देना। रात को कही मेरी बात पर ज़्यादा ध्यान मत देना। अपनी लाइफ इंजॉय कर। ऐसा कुछ हुआ तो मम्मी को मैं मना लूँगा।”

Aniket (emotional) - ठीक है भईयाँ। आप भी ध्यान रखिये अपना और मम्मी का भी। मैं पहुँचने के बाद कॉल करता हूँ आपको।

अनिकेत को ड्रॉप करके वो ऑफिस निकल गया था। उसने एक गहरी साँस ली और बोर्डिंग के लिए आगे बढ़ गया। अब से कुछ दिनों बाद उसको एक ऐसे सफ़र पर जाना था, जहाँ से दुनिया बदलने वाली थी। देश, लोग, बोली, शहर सब कुछ इंडिया जैसा होते हुए भी इंडिया से अलग होगा। सिक्योरिटी होने के बाद भी जहन में हर वक़्त एक अनजान डर बना रहेगा। अभी तो उसका VISA भी नहीं आया था और अभी से उसने न जाने क्या-क्या सोचना स्टार्ट कर दिया था। वो सोच रहा था,

Aniket (thinking) - पता नहीं पाकिस्तान के लोग मेरे साथ किस तरह पेश आयेंगे? मुझे किसी ने जानबूझकर किसी मामले में उलझाने की कोशिश की तो? मुझे वहां बहुत सेफ़्टी से रहना होगा। मैं ज़्यादा किसी पर बिलीव नहीं कर सकता वहां। अपने काम से काम रखूँगा बस।

“यात्रियों से रिक्वेस्ट हैं कि कुर्सियों की पेटी बांध लीजिये, कुछ ही देर में flight टेक ऑफ करने वाली है।” फ्लाइट अटेंडेंट के अनाउंमेंट से उसकी सोच की train हक़ीक़त मैं आकर रुकी। वो सीधा होकर बैठा और अपना सीट बेल्ट लगा लिया।

फ्लाइट टेक ऑफ कर चुकी थी। उसने अपने साइड में बैठे को-पैसेंजर को देखा। दिल्ली पहुंचने में 1 घंटे से ऊपर लगने वाला था। बातचीत करने के लिए उसने अपने को-पैसेंजर से पूछा,

Aniket (asking & slow) - आप भी दिल्ली जा रहे हैं?

उसने अनिकेत को देखा और हल्की स्माइल के साथ “हाँ” में सर हिला दिया।

Aniket (asking & slow) - इंदौर में कहां से है आप?

वो एक बिज़नेस मैगज़ीन पढ़ रहा था। अनिकेत के दोबारा पूछने पर उसने मैगज़ीन बंद की और अपने बारे में बताया, “नहीं। मैं इंदौर अपने मामू के घर आया था। वैसे मैं रहने वाला कराची का हूँ।”

Aniket (surprised) - व्हॉट?

कराची नाम सुनते ही इतनी ज़ोर से क्यों चौंक गया था अनिकेत? क्या पहुँच पायेगा वो सेफ्ली दिल्ली या फिर बीच में ही किसी अनहोनी का शिकार हो जायेगा? ऑफिस पहुँचने पर कौन सा सरप्राइस मिलने वाला थे उसे? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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