Ep 15 - Punishment

स्टोर के दरवाज़े पर कुछ सूट पहने सीनियर मैनेजमेंट के स्टाफ खड़े थे। उनमें सबसे आगे स्टोर मैनेजर था जिसके चहरे पर सख्त भाव थे।

"यहाँ क्या तमाशा चल रहा है?" उसने गरजकर पूछा।

दरअसल ये लोग काफी देर से बाहर खड़े थे। सब कुछ देख रहे थे, लेकिन व्योला ने साफ मना कर दिया था अंदर आने से। इसलिए मजबूरी में दरवाज़े पर ही चुपचाप तमाशा देख रहे थे। लेकिन जब बात हद से गुज़रने लगी, तब धैर्य का बांध टूट गया।

"सर, ये वही लड़की है जो—"

"मैं सब जानता हूँ," store मैनेजर ने सबको चुप करा दिया।

 

फिर उसने व्योला की तरफ झुककर सिर झुकाया,

 

"व्योला मैम, हमें माफ़ कीजिए। हमारे स्टाफ ने जो बदसलूकी की है, उसकी पूरी ज़िम्मेदारी हमारी है।"

यह सुनकर एक पल को सभी चौंक गए। और स्टाफ एक-दूसरे की ओर देखने लगे।

वही विशाल और प्राची का चेहरा भी सफेद पड़ गया।

मैनेजर ने बिना रुके कहा, "इन सभी स्टाफ को तुरंत यहाँ से निकाला किया जाता है। और अगर आप चाहें, तो हम इनके खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई भी  कर सकते हैं।"

व्योला ने सबकी डरी-सहमी शक्लें देखीं। होंठों पर हल्की मुस्कान आई।

"ज़रूरत नहीं," उसने ठंडे स्वर में कहा,

"बस इतना चाहती थी कि इनकी अक्ल ठिकाने आ जाए। हर ग्राहक की इज्ज़त करना सीखें, चाहे वो छोटा हो या बड़ा।"

मैनेजर ने सिर झुका कर कहा, "आपकी बात एकदम सही है, मैडम। और हम इसका पूरा ख्याल रखेंगे।"

उसे पहले भी तिरस्कार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इतना घटिया  व्यवहार उसने पहली बार देखा था। अब जब शान्विक ने खुद कहा था कि वह यहाँ की लेडी बॉस हैं तो फिर वह इन घमंडी लोगो को यहाँ हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेगी।

तभी वहां पर उस मॉल का MD आया। वो कुछ काम से बाहर गए थे। उन्हें पता नहीं था कि व्योला और उनके प्रेसिडेंट के बीच क्या रिश्ता था, लेकिन उन्हें ये ज़रूर पता था की “असिस्टेंट रजत ने खुद उन्हें कॉल करके कहा था कि इस लेडी का खास ध्यान रखा जाए। किसी भी हालत में उसे नाराज़ न किया जाए!”

और अब ये छोटे-मोटे कर्मचारी उनकी इंसल्ट कर रहे थे. इस मामले को जल्दी से न संभाला गया, अगर मामला बिगड़ा, तो उसकी नौकरी गई समझो। यह सोचते ही उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

 

"ये सब बकवास क्या है?"

वो व्योला के पास आया और गुस्से से भरी आवाज़ में वहां के एम्प्लाइज से कहने लगा,  "मिस व्योला हमारे मॉल की स्पेशल गेस्ट हैं! तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई इन्हें परेशान करने की?"

 

"सर…?!"

जैसे ही उन्होंने मॉल के MD को देखा, सभी कर्मचारी तुरंत डर गए।

एक स्टाफ ने हिम्मत जुटाकर कहा, "सर आपको कुछ गलतफहमी हुई है। हमने मिस प्राची का कोई अपमान नहीं किया। वो तो हमारी वीआईपी कस्टमर हैं, हम कैसे उन्हें बदनाम कर सकते हैं?"

MD ने सख़्त स्वर में कहा, "तो अभी-अभी मैंने जो कुछ सुना, वो क्या था?"

वही स्टाफ फिर बोली, "सर, शायद आपने पहचानने में गलती कर दी है। हमारी वीआईपी तो मिस प्राची हैं, न कि ये चोर व्योला। सर, आप बिलकुल सही वक्त पर आए हैं। हमें पूरा यक़ीन है कि व्योला ने कुछ चुराया है। आपको तुरंत उसकी तलाशी लेनी चाहिए, ताकि वह कुछ लेकर भाग न जाए!"

"हाँ सर, इसी ने चोरी की है!"

"हमें पुलिस बुलानी चाहिए। चोरों से घृणा होनी चाहिए!"

यह सुनते ही शशांक के माथे से पसीना टपकने लगा। मन में हज़ारों गालियां दीं इन बेवकूफों को। अब तो उसकी नौकरी पर ही बन आई थी!

"चुप रहो सब!"

अचानक विशाल आगे आया। चेहरा गंभीर था। "व्योला ऐसी लड़की नहीं है। मैं इस पर भरोसा करता हूँ।"

इतना कहकर उसने व्योला की तरफ देखा, और उसकी आँखों में थोड़ी चिंता थी।

"व्योला, अगर तुम्हें कपड़े चाहिए थे, तो तुम मुझसे कह सकती थीं, मैं..."

उसके शब्द अधूरे ही रह गए। व्योला ने उसकी तरफ एक बार भी नहीं देखा। वो शशांक की ओर मुड़ी और दृढ़ स्वर में कहा:

"अब आप क्या करेंगे?"

"अगर आपके मॉल में ऐसे ही घमंडी और दूसरों को नीचा दिखाने वाले लोग काम करेंगे, तो फिर आपको अपना रिक्रूटमेंट टीम चेंज करनी होगी।"

शशांक ने तुरंत सिर हिलाया,  "हाँ, हाँ, मिस व्योला, आप बिलकुल सही कह रही हैं। यह सब हमारी रिक्रूटमेंट टीम की गलती है। मैं उन्हें इसकी सजा जरूर दूंगा। लेकिन आप शांत हो जाइए, मैं अभी के अभी इन सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहा हूँ। और भविष्य में ये इस मॉल में कभी काम नहीं कर पाएँगे।"

उसने व्योला के सामने लगभग 90 डिग्री झुककर माफ़ी माँगी।

उसका विनम्र और डर से भरा बेहेवियर देख कर उन एम्प्लाइज के चेहरों पर डर दिखने लगा।

यह क्या हो रहा था? शशांक सर इस लड़की के लिए इतने respectful क्यों थे? क्या वह बस एक गरीब-सी लड़की नहीं थी? और अभी-अभी MD ने इन्हें नौकरी से निकालने की बात भी कही थी?
 

कुछ ही देर पहले ये लोग कितने घमंडी थे। अब इनके चेहरे का रंग उड़ गया था और चेहरे पर घबराहट साफ़ दिख रही थी।

 

“MD सर, हम...” वे डरते हुए बोले।

 

“तुम लोग, तुरंत यहाँ से निकल जाओ!” 

MD शशांक इतने ग़ुस्से में थे कि उनका सामान्यतः शालीन स्वभाव गायब हो गया था। उन्होंने ग़ुस्से में उन्हें डांटते हुए कहा, “हमारे मॉल में तुम जैसे घटिया स्टाफ के लिए कोई जगह नहीं है!”

 

“MD सर, हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। प्लीज़ हमें एक और मौका दें।”

 

“हाँ सर, हम ये नौकरी नहीं खोना चाहते। हम इस मॉल में पाँच-छह साल से काम कर रहे हैं और हमें यहाँ सब कुछ बहुत पसंद है। प्लीज़ हमें मत निकालिए, हमें इस नौकरी की ज़रूरत है।”

 

वो लोग गिड़गिड़ाने लगे और वहाँ से जाने से इनकार कर दिया।

 

बिग शॉट के अंडर आने वाली सभी इंडस्ट्रीज़ में कर्मचारियों को मिलने वाले फायदे बाकी कंपनियों से कहीं बेहतर थे। उन्होंने पहले भी दूसरे मॉल्स में काम किया था, लेकिन यहाँ जैसी सुविधाएं उन्हें कहीं और नहीं मिली थीं। अगर वे यहाँ से चले जाते, तो फिर ऐसा अच्छा काम कहाँ मिलेगा?
 

शशांक को डर था कि इनकी बेवकूफी की वजह से अब उसे भी जॉब से न निकाल दिया जाए। इसलिए चाहे वो लोग कितनी भी विनती कर लें, शशांक ने कोई रहम नहीं दिखाया।

 

काफी देर तक वो लोग गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन जब उन्हें कोई असर होता न दिखा, तो उन्होंने व्योला की ओर देखा जो एक ओर खड़ी थीं, फिर उनकी आँखों में अचानक चमक आ गई।

 

उन्हें अभी भी यह समझ नहीं आया था कि व्योला के सामने MD इतने विनम्र क्यों हो गए थे। लेकिन अब वे सब निकाले जा रहे थे क्योंकि उन्होंने व्योला की बेइज़्ज़ती की थी। अगर वे उनसे माफ़ी माँग लें, तो शायद उन्हें नौकरी पर रहने का मौका मिल जाए?

 

उन्होंने अपनी अकड़ को साइड में रखा और व्योला के सामने जाकर रोते हुए माफ़ी माँगने लगे।

 

“व्योला मैम, हमसे गलती हो गई, प्लीज़ हमें माफ़ कर दीजिए, हम दोबारा कभी ऐसा नहीं करेंगे।”

 

“व्योला मैम, माफ़ कीजिए, हमने आपकी बेइज़्ज़ती जानबूझकर नहीं की थी। आप तो बहुत अच्छी हैं, प्लीज़ हमें माफ़ कर दीजिए। हमें बदलने का एक मौका दीजिए।”
“व्योला मैम, आप महान हैं, प्लीज़ हमें माफ़ कर दीजिए।”

 

इन लोगों को रोते देख कर भी व्योला के मन में ज़रा भी दया नहीं आई। और आती भी क्यों? उन सबने उसे चोर कहा था। वो कोई महान इंसान नहीं थी कि जिन लोगों ने उसकी इतनी इंसल्ट की थी, उन्हें माफ़ कर दे।
 

अगर वो उन्हें माफ़ कर देती तो वह खुद मूर्ख कहलाती। और वैसे भी, वह ऐसे लोगों को बहुत अच्छी तरह जानती थीं। इंसान की फितरत बदलना मुश्किल होता है। ये लोग स्वार्थी और घमंडी होते हैं, जिन्हें बदला ही नहीं जा सकता।
 

उसने उन्हें ग़ुस्से से देखा और कहा, “मैं तुम्हें माफ़ नहीं करूंगी। आज का सबक ये है कि कभी भी किसी को उसके लुक्स से जज मत करना।”

 

इतना कहकर उन्होंने उन शॉप असिस्टेंट्स की ओर दोबारा देखा तक नहीं और शशांक की ओर मुड़ते हुए बोलीं, “मि. शशांक, आगे आप संभाल लीजिए।”

 

“ठीक है, ठीक है,” MD ने तुरंत सिर हिलाते हुए कहा।

 

“व्योला मैम, आप निश्चिंत रहें, इन्हें मैं हैंडल कर लूंगा और आपको फिर से शिकायत का मौका नहीं दूंगा।”

 

व्योला ने हल्के से सिर हिलाया और वहाँ से जाने लगी।

 

जब शॉप असिस्टेंट्स ने देखा कि माफ़ी माँगने का भी कोई असर नहीं हुआ, तो उनके चेहरे और सफ़ेद पड़ गए।

 

अब उन्हें अपने किए का पछतावा हो रहा था।

 

उन्हें लगा था कि यह व्योला एक सीधी-सादी, कमज़ोर लड़की है जिसे आसानी से दबाया जा सकता है। लेकिन किसे पता था कि उसका बैकग्राउंड इतना बड़ा होगा!

 

यह सोचकर कि उन्होंने सिर्फ़ प्राची को खुश करने के चक्कर में खुद को इस हालत में पहुँचा दिया, उनमें से कुछ ने अब प्राची से उम्मीद लगाई।

 

“प्राची मैम, हमने आपकी फ्रेंड की बेइज़्ज़ती सिर्फ इसलिए की क्योंकि हम आपकी मदद करना चाहते थे। अब आप ही हमें बचा सकती हैं।”

 

“हाँ, प्राची मैम, प्लीज़ अपनी फ्रेंड से हमारे लिए बात कीजिए न।” शॉप असिस्टेंट्स प्राची से मदद की भीख माँगने लगे।

 

व्योला को जाते देख, प्राची पूरी तरह हैरान रह गई। उसने हैरानी से विशाल का हाथ कसकर पकड़ लिया और कहने लगी, “बेबी, ये सब क्या हो रहा है?”

 

वह तो बस मौके का फायदा उठाकर व्योला को नीचा दिखाना चाहती थी।

 

लेकिन अब...

 

सारा ध्यान तो व्योला पर ही चला गया था, जिसे प्राची एक्सेप्ट नहीं कर पा रही थी।

 

“मैम? ये व्योला को मैम क्यों कह रहा है?” प्राची ने विशाल से फुसफुसाकर पूछा।
कुछ पल को उसका चेहरा और भी डार्क हो गया। उसने सोचा, “मॉल के MD, व्योला के साथ इतना पोलाइट और respectful व्यवहार क्यों कर रहे हैं? यहाँ तक कि व्योला के लिए उन्होंने अपने स्टाफ को भी जॉब से निकाल दिया। आख़िर व्योला में ऐसा क्या है जो लोग उसके सामने झुक रहे हैं?”
 

विशाल भी स्पीचलेस था। उसने देखा कि व्योला दरवाज़े के पास थी।

 

“प्राची मैम, हमारी मदद कीजिए।”

 

क्लर्क्स अब भी प्राची से गिड़गिड़ा रहे थे।

 

प्राची इनकी शिकायतों से इतनी चिढ़ गई थी कि उसने चिढ़ते हुए कहा,

 

“तुम सबको नौकरी से निकाला गया है। इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मुझे परेशान मत करो, मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती।”

 

ये शॉप असिस्टेंट्स प्राची से इसलिए चिपके रहते थे क्योंकि वह एक VIP कस्टमर थीं और अक्सर उनके स्टोर से ही ड्रेस लिया करती थीं। लेकिन अब जब उन्हें निकाल दिया गया और प्राची भी उनकी मदद करने को तैयार नहीं थी, तो उनमें से कुछ अब बदतमीज़ी पर उतर आए।

 

एक स्टाफ ने ग़ुस्से से कहा, “आप ऐसा कैसे कर सकती हैं? अपना मतलब निकलते ही हमे भूल गई।”

 

“प्राची, हमें नहीं लगा था कि आप इतनी स्वार्थी होंगी।”

 

“प्राची, आज आपको हमें जवाब देना ही होगा।”

 

जब कुछ स्टाफ ने उसे घेर लिया और उसे घूरने लगे, तो वह डर के मारे विशाल की बाहों में सिमट गई, “विशाल बेबी... देखो न इन्हें…”

 

विशाल ने तुरंत उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। उसका चेहरा सख्त हो गया और उसने सख़्त लहजे में कहा, “तुम लोगों को निकाला गया है, इसमें प्राची का कोई हाथ नहीं है। क्या उसने तुम्हें बाहर निकाला? अब और परेशान किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!”

 

विशाल का चेहरा कठोर हो गया और उसका रौब वाकई डराने वाला लग रहा था। वो स्टाफ उसके स्टेटस की वजह से डर गए और ज़्यादा हंगामा करने की हिम्मत नहीं कर पाए। वे बस प्राची को नाराज़गी से घूरते रहे।

 

“तुम लोग अभी तक यहीं हो? चलो निकलो यहाँ से!”

शशांक ने कुछ शॉप असिस्टेंट्स की ओर इशारा कर ग़ुस्से में कहा, “मैंने फाइनेंस डिपार्टमेंट को बता दिया है, अपना पेमेंट लो और तुरंत निकलो।”

 

“शशांक सर...”

 

यह सुनकर एक शॉप असिस्टेंट्स कुछ कहने को हुई ही थी की उसकी बात बिच में ही काट कर शशांक ने कहा, "तुम लोग कुछ भी कर लो, अब कुछ नहीं होगा तुम्हारा! तुम लोगों ने मिस व्योला को नाराज़ करने की हिम्मत की! अकल नहीं है तुममें! फौरन दफ़ा हो जाओ यहाँ से!"

शॉप असिस्टेंट्स उदास हो कर वहाँ से चले गए।

शशांक उन दोनों की ओर देखा, जो अभी भी सदमे थे, और चुपचाप उनके लिए मन ही मन प्रार्थना की।

उसे विशाल और प्राची के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी थी।

वो एक प्रभावशाली इंसान माना जा सकता था। लेकिन president ग्रेवाल के सामने...? उसकी हैसियत तो ज़िक्र के लायक भी नहीं थी।

हालाँकि विशाल और उसके साथ खड़ी लड़की ने सीधे-सीधे व्योला को फँसाया नहीं था, पर उन्होंने उन् स्टाफ को जरूर उकसाया था।

शशांक ने उन्हें एक सहानुभूति-भरी नज़र से देखा और जाने के लिए मुड़ गए।

“मिस्टर शशांक...”

 

आखिर किसने रोका था शशांक को ? क्या होगा आगे? 

 

 

 

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