कुछ क्षण सदमें में रही मीरा को कुछ समझ ही नहीं आया, शरीर की ताकत मानों निचुड़ सी गई थी...वह कुछ विरोध ही नहीं कर पाई। उन लोगों ने मीरा को बड़ी ही आसानी से घसीटकर उसके फ्लैट से बाहर निकाला....उनकी आपस की बातें मीरा के कान में पड़ रही थी।
‘’सावधानी से ले चलो इसे...बॉस ने इसे सही सलामत लाने के लिए कहा है, हम इसे लिफ्ट से लेकर जाएंगे।‘’
‘’अगर लिफ्ट में कोई हुआ तो..?’’.लड़की ने पूछा।
‘’तो हम उसे गोली मार देंगे…यह रिवाल्वर यूं ही नहीं लेकर आए हैं हम।‘’
‘’बॉस ने हमसे कहा है कि इस लड़की को चुपचाप लाना है, आसपास किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए, अगर हम खून खराबा करेंगे तो पूरी सोसाइटी को पता चल जाएगा।‘’
उनकी बातों से मीरा को इतना अंदाजा तो हो गया था कि उसे किडनैप कर के ले जाया जा रहा है.....पर कौन? और किस लिए? उसकी किसी से क्या दुशमनी थी? यह बॉस कौन है?
‘’थैंक गॉड लिफ्ट खाली है....आई होप बेसमेंट में कोई ना हो‘’ उन किडनैपरों मे से एक ने कहा।
फिर किसी दूसरे ने कहा, ‘’अगर होगा तो भी हम उसे गोली मार देंगे।‘’
‘’तुम बार-बार गोली मारने की बात क्यों करते हो?’’
‘’क्योंकि जब से मैंने बॉस के लिए काम करना शुरू किया है मैंने किसी का मर्डर नहीं किया।’’
‘’मौका मिल जाएगा...’’ एक लड़की की आवाज जिसने मीरा को पकड़ रखा था सुनाई दी।
‘’वैसे जानेमन तुम कितने मर्डर कर चुकी हो?‘’
वह लड़की बोली, ‘’सात महीने से बॉस के लिए काम कर रही हूं....ऑलमोस्ट डेली एक मर्डर तो कर ही देती हूं।‘
यह सब बाते सुनकर मीरा की हालत पतली हुई जा रही थी…वह पूरी तरह से हेल्पलेस और बेबस थी। चिल्ला नहीं सकती थी, हाथ पैर नहीं मार सकती थी। वैसे भी अगर उसके हाथ पैर बंधे भी नहीं होते तो भी वह इन हट्टे-कट्टे गुंडे जैसे दिखने वाले आदमियों से मुकाबला कर ही नहीं सकती थी।
‘’कौन हैं ये लोग और मुझे कहां ले जा रहे हैं?‘’
मीरा को बेसमेंट में लाया गया, उन गुंडों मे से एक ने दूसरे से कहा, ‘’चेक करो कि हमारी कार के आस-पास तो कोई नहीं है।‘
‘’जी सर।‘’
शायद यह इन सारे गुंडो का लीडर था...हे भगवान ये लोग मुझे कहां ले जा रहे हैं, क्या करने वाले हैं मेरे साथ?
उसे कार में बैठा दिया गया...मीरा को महसूस हुआ कि दोनों लड़कियां उसके अगल-बगल बैठी हैं।
एक लड़की ने ड्राइविंग सीट पर बैठे गुंडे से कहा, ‘’जल्दी चलो…कुछ ही सेकेंड में बेसमेंट में लगा सीसीटीवी स्टार्ट हो जाएगा और हमारी कार का नंबर रिकार्ड हो जाएगा, हम ज्यादा देर तक इस बिल्डिंग की सीसीटीवी हैक नहीं कर सकते।‘’
‘’बस जानेमन, अभी निकलते हैं यहां से।‘’
उस लड़की ने खीजकर गाड़ी चला रहे उस शख्स से कहा, ‘’अब तुम मुझे जानेमन कहना बंद करोगे या तुम्हारा भेजा उड़ा दूं, मैं किसी की जानेमन नहीं हूं और ना ही कभी बनूंगी।‘’
कार में सन्नाटा पसर गया…कोई कुछ नहीं बोला.…कार अपनी फुल स्पीड से चल रही थी।
कार किस जगह जा रही थी मीरा को बिल्कुल भी अंदाज नहीं था...पांच सालों में मीरा मुंबई की कई जगह और सड़कों को पहचान गई थी, शायद ये लोग नहीं चाहते थे कि मीरा उस जगह को पहचाने जहां उसे ले जाया जा रहा है। समय का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था, पर शायद घंटे भर से भी ऊपर हो गया था।
मीरा सोचने लगी की कौन हो सकता है.? मैंने किसी का क्या बिगाड़ा है.? तभी जैसे उसके दिमाग में बिजली दौड़ गई...कहीं वह अमित बजाज तो नहीं?
हां, हो सकता है…अभी दो दिन पहले तो वह अपनी बीमार मां को देखने के लिए एक हफ्ते के लिए जमानत पर बाहर आया है....तो क्या उसने पता लगा लिया है कि..निहारिका के साथ कौन कौन काम करता था? पर मैंने तो अमित को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है...केवल निहारिका मैम को हॉस्पिटल लेकर गई, उनकी देखभाल की और उनके घरवालों को सौंप दिया या फिर अपने साथ हुए उस कांड का बदला हमसे लेना चाहता होगा।
पर मैं ही क्यों?
हे भगवान…यह अमित बजाज क्या करेगा मेरे साथ? आर्यन तो कह रहा था कि अगर अमित बाहर आ भी गया तो कुछ नहीं कर पाएगा तो यह क्या है? उसकी तो सारी प्रापर्टी सील कर दी गई थी फिर ये कार और इतने बदमाश गुंडे, उनके पास बंदूके कहां से आई?
मुझे पहले ही एलर्ट हो जाना चाहिए था…अब क्या होगा? ऑफिस में किसी को पता भी नहीं चलेगा कि मैं कहां हूं? मैंने तो शांतनु को केवल मैसेज किया था कि मेरा आने का मन नहीं है, ओह गॉड काश में ऑफिस ही चली जाती....इस भयानक मुसीबत से तो बच जाती।
अचानक कार रूकी और मीरा को खींचकर बाहर निकाला गया…डर से कांपती और पसीने से भीगी मीरा का बहुत बुरा हाल था, कार में एसी चलने के बाद भी मीरा के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ था।
मीरा को लेकर एक चेयर पर बैठा दिया गया....किसी ने उसे निर्देश दिया....’’इसकी आंख की पट्टी खोल दो, मुंह का टेप हटा दो और हाथ की बंधी रस्सी भी खोल दो, अब हमें इससे कोई भी खतरा नहीं है।
‘’खतरा, मैं किसी के लिए क्या खतरा बन सकती हूं, अभी तो मेरी जान ही सांसत में हैं, सिर से लेकर पांव तक मैं ही खतरे में हूं‘’ मीरा ने मन ही मन कहा।
आदेश का पालन किया गया, अगले दो पल में मीरा की आखों से काली पट्टी हटाई गई.…मुंह का टेप बड़ी ही बेदर्दी से खींचा गया…मीरा के मुंह से आह निकल आई। कितने जालिम हैं ये लोग…मीरा के हाथ को खोलकर वह लड़की झटके से दूसरी ओर हट गई।
इतनी देर आंखें बंद रहने के कारण, सामने कुछ समय तक मीरा को धुंधला सा दिख रहा था, जब से साफ दिखने लगा तो मीरा को पता चला कि वह किसी फाइव स्टार होटल के आलीशान कमरे में है।
अब तो उसे पूरा अंदाजा हो गया था कि हो ना हो…यह अमित का ही काम है, ऐसे मंहगे होटल में वह ही किडनैप कर के ला सकता है।
मीरा तुरंत डरकर और हड़बड़ाकर खड़ी होने की कोशिश करने लगी। दोनों लड़कियों को छोड़कर बाकी जो गुंडे थे वे कमरे से बाहर निकल गए…दोनों लड़कियों के चेहरे पर अभी भी बिल्ली के मुखौटे वाला मास्क लगा था...ऐसा लग रहा था कि वे नहीं चाहती थी कि मीरा उन्हें पहचाने।
क्या मैं यहां से जिंदा बचकर जा पाऊंगी.?
वह अमित मेरे साथ क्या करने वाला है...क्या वह मुझे जान से मारेगा या फिर कहीं मेरे साथ कुछ ऐसा न करे जिससे मेरी पूरी लाइफ ही बरबाद हो जाए और मैं पूरी जिंदगी एक जिंदा लाश से बन जाऊं?
‘’नहीं नहीं....मुझे छोड़ दो...प्लीज मुझे छोड़ दो....मैंने कुछ नहीं किया है.। अगर आपके बॉस कहेंगे कि मीरा तुम यह मुंबई शहर छोड़कर चली जाओ तो मैं चली जाऊंगी…
मीरा मरने से नहीं डरती थी.…अगर अमित केवल उसे गोली मार देता या जिंदगी भर के लिए किसी कैदखाने में सड़ने के लिए छोड़ देता तो शायद वह अमित के गुंडो से छोड़ देने की रिक्वेस्ट नहीं करती, पर यहां तो उसके साथ शायद कुछ भयावह होने वाला था।
मीरा दरवाजे की ओर दौड़ी, पर वह तो लॉक था....उसे खोलने के लिए एक कार्ड की जरूरत थी जो मीरा के पास नहीं इन लड़कियों के पास था। बुरी तरह हताश मीरा जोर-जोर से दरवाजा पीटने लगी।
दोनों लड़कियां शांत खड़ी थी और कुछ समय तक मीरा की यह हरकत देखने के बाद उसके पास आकर बोली, ‘अगर तुम्हारी नौंटकी खत्म हो गई हो तो चलें बॉस के पास....उन्हें और भी काम है…उन्हें तुम्हारे जैसे और भी लोगों से हिसाब चुकता करना है।
मीरा की सांसे ऊपर नीचे होने लगी.…मेरे जैसी और से क्या मतलब है? क्या ये लोग निका ब्रांड के स्टाफ की बात कर रहे हैं?
शांतुन.....निधि.....राशी और बाकी लोग.….क्या उन सबको भी उठवाएंगे और इसी होटल में लाकर..?
नहीं नहीं यह नहीं हो सकता है….वे लोग तो ऑफिस में हैं इसलिए तो अभी तक बचे हुए हैं…मैं घर में थी, अकेली…यह सब इन लोगों ने पता लगा लिया होगा....हे भगवान काश मैं खुद को और उन लोगों को बचा पाती...सबकुछ खत्म हो गया।
मीरा उस कमरे का मुआयना करने लगी, कमरे में बने ग्लास विंडो से उसने देखा कि अगल बगल बहुत बड़ी बड़ी इमारतें बनी हुई हैं...वह होटल के बहुत ऊंचे फ्लोर पर है, शायद दस या बारहवीं मंजिल होगी।
अगर किसी तरह मैं यहां से कूद जाऊं तो, जिंदा तो नहीं बचूंगी पर जो हादसा मेरे साथ होने वाला है उसके बाद भी कहां जिंदा रह पाऊंगी?
एक लड़की ने मीरा का हाथ पकड़ा और वह मीरा को इसी कमरे में बने दूसरे दरवाजे की ओर ले जाने लगी।
मीरा का मन हुआ कि वह इन लड़कियों के सामने गिड़गिड़ाकर बोले, ‘’एक लड़की होकर दूसरी लड़की के साथ ऐसा कैसे होने दे सकती हो?‘’
पर जब वे कार में बैठकर मीरा को यहां ला रही थी तभी मीरा को उनकी बातों से अंदाजा हो गया था कि ये दोनों लड़कियां लड़कों से भी ज्यादा क्रुर और हार्टलेस हैं…जो हर दूसरे और तीसरे दिन एक कत्ल करती हैं, उनसे रहम की भीख मांगना बेमानी है। शायद अमित ने इन्हें ऐसी ही ट्रेनिंग दे रखी होगी, सामने भले ही वह लड़की हो उसके ऊपर दया बिल्कुल भी नहीं करनी है।
दरवाजे के पास पहुंचकर मीरा के आगे खड़ी लड़की ने एक खास अंदाज में दरवाजा खटखटाया.....शायद यह उसका कोड वर्ड था।
फौरन दरवाजा खुल गया, मीरा ने देखा.…दरवाजा खोलने वाला आदमी छ: फीट से भी ऊंचा था, टकला, सांवला, बदसूरत मोटी नाक के नीचे बेढंगी सी मोटी मूंछ, चेहरा चेचक के दाग से भरा था, गाल के दाहिनी ओर बड़ा सा कट का निशान था।
पहली ही नजर में वह किसी पौराणिक कहानी का राक्षस लग रहा था।
मीरा के पूरे नस में बिजली सी दौड़ गई…क्या ये लोग मुझे इस आदमी को सौंपने वाले हैं? वह मीरा को देखकर मुस्कुराया.…वह शैतानी मुस्कुराहट थी। इस होटल का यह पहला इंसान था जिसके चेहरे पर कोई मुखौटा नहीं था….लेकिन मुखौटे वाले गुंडो से कहीं ज्यादा भयानक था।
आगे वाली लड़की ने उस मोटे आदमी को कुछ इशारा किया, जिसके जवाब में उस आदमी ने सहमति में अपना सिर हिलाया...जैसे केवल इशारा ही उसके सबकुछ समझने के लिए काफी हो, वह एक ओर हो गया.…दोनों लड़कियां मीरा को लेकर आगे बढ़ी, इस रूम के अंदर एक और दरवाजा था।
आगे वाली लड़की सावधानी से आगे बढ़ी और दरवाजे को धीरे से खोलकर अंदर देखा, उसने मीरा को पकड़ रखी लड़की को मीरा के साथ अंदर आने के लिए कहा और दरवाजे को पूरी तरह से खोल दिया। मीरा कसमसा उठी.…अपने आप को बचाने के लिए पूरी ताकत लगाकर चिल्लाने लगी।
उस लड़की ने तुरंत एक्शन लिया….ऐ चुप…वरना बॉस तूझे गोलियों से भून देंगे या फिर हम तूझे यहां से नीचे फेंक देंगे.…तेरे शरीर की हड्डियां कैसे टूटेगी और शरीर के टुकड़े कहां कहां छितराएगें, पुलिस के कुत्ते भी नहीं ढूंढ पाएंगे।
मीरा ने कहा, ‘’फेंक दो मुझे नीचे…..गोली मार दो…टुकड़े टुकड़े कर दो....भूखे जंगली कुत्तों के सामने डाल दो….पर प्लीज मुझे उनके पास मत ले जाओ।
मीरा का चीखना चिल्लाना सब बेकार गया।
अंदर वह रूम एक भव्य एयरकंडिशन सुईट जैसा था....एक से बढ़कर एक मंहगे डेकोरेट आइटम से रूम सजा हुआ था, फर्श शीशे जैसा चमक रहा था कि कोई उसमें अपना चेहरा भी देख ले...सामने एक बड़ी सी टेबल रखी थी और घूमने वाली काले रंग चेयर थी.….उस पर एक आदमी बैठा था…उसकी पीठ मीरा की ओर थी।
मीरा को उसकी बाई कलाई दिख रही थी…कलाई में उसने एक इंच मोटा गोल्ड ब्रेसलेट पहना था…हाथ की तीन ऊंगलिया हीरे की अंगूठी से जगमगा रही थी।
अब तो मीरा को कहीं से डाउट नहीं रहा कि यह अमित नहीं है....अपनी जान पहचान में मीरा इतने पैसे वाले आदमी से मिली है तो वह अमित ही था। वह शख्स उठा….अपना कोट ठीक किया और मीरा की ओर मुड़ा, यह क्या इसका चेहरा तो काले रंग के मास्क से कवर था।
कवर करने की क्या जरूरत थी…क्या मैं जानती नहीं हूं कि यह अमित बजाज ही है?
उस आदमी ने दोनों लड़कियों को आंखो के इशारे से बाहर जाने को कहा, लड़कियों ने तुरंत वही किया। मीरा को अपने पीछे दरवाजा बंद करने की आवाज आई…मीरा को लगा जैसे उसका कलेजा ही बाहर आ जाएगा।
‘’वेलकम मीरा....आखिरकार तुम मेरे पास पहुंच गई। कितने दिनों से तुम कोशिश कर रही थी, और आज कामयाब हो गई....’’
मीरा ने जैसे ही यह सुना...वह उलझन में पड़ गई। ‘’यह आवाज…यह आवाज तो अमित की नहीं है…यह शख्स अमित नहीं है.…कौन है यह?’’ मीरा के शरीर में कंपकंपी छूट गई।
वह आदमी धीरे-धीरे चलकर मीरा के पास आया, ’’क्या हुआ मीरा? तुमने मुझे पहचाना ही नहीं, मुझे लगा कि तुम मुझसे मिलकर खुश होगी....आखिर तुम मुझसे मिलने के लिए कितने जतन कर रही हो.…मारिया के साथ मिलकर दिनरात प्लानिंग कर रही हो।
‘’मारिया के साथ‘ सुनते ही मीरा मानो गहरे कुंए में जा गिरी....मारिया के बारे में तो केवल मुझे पता है इसे कैसे मालुम?
मीरा ने उसे ध्यान से देखा…उसकी आंखे, वे सुनहरी आंखे…..गुस्से से दहकती आखें…आंखों के ऊपर कटा हुआ वह निशान...यह आंख तो कुछ दिनों पहले देखी थी…..यह तो…यह तो, चीफ की आंखे हैं। वही चीफ जिससे मुझे प्यार का नाटक करना है….यह सोचते ही कि सामने खड़ा शख्स चीफ है, मीरा की जान उसके गले में अटक गई।
‘’इसने मुझे ढूंढ लिया..? हे भगवान अब तो सबकुछ खत्म हो गया।‘’
चीफ को मीरा और मारिया के प्लानिंग के बारे में कैसे पता चला?
क्या चीफ मीरा को खत्म कर देगा?
क्या अब चीफ का पर्दाफाश कभी नहीं हो पाएगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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