जब वान्या को पता चला कि उसके पापा के पैर paralyzed हो गए हैं, तो वो सदमे में चली गयी| ये सोच कर ही उसके दिल की धडकनें बढ़ रही थी कि उसके पापा आज के बाद कभी भी चल नहीं पाएंगे| कुछ देर बाद, डॉक्टर ने वान्या को उसके पापा से मिलने की परमिशन दे दी| मिस्टर रायज़ादा बेड पर लेटे हुए थे और उनके दोनों पैरों पर पट्टी बंधी हुई थी| वान्या उनके पास गयी और उनके सिर पर हाथ सहलाने लगी| मिस्टर रायज़ादा ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और वान्या की तरफ़ देखा। उन्होंने धीरे से वान्या का हाथ पकड़ा और चूम लिया| वान्या की आँखों में आँसू देख, मिस्टर रायज़ादा भी इमोशनल हो गए।

मिस्टर रायजादा (धीरे से) -  तुम्हारी आँखों में आँसू? किसने रुलाया तुमको?

वान्या (डांटते हुए) – ये आंसू आप की वजह से हैं पापा। आप ध्यान क्यों नहीं रखते अपना? आप को मना किया था कि रेनोवेशन के काम से दूर रहिये लेकिन आप मेरी बात मानते ही कहाँ है? आप जानते हैं कि आपको बुखार भी आ जाता है तो मैं स्ट्रेस में आ जाती हूँ और यहाँ डॉक्टर कह रहे हैं कि आप के पैर paralyzed हो गए हैं| आप को पता भी है इस वक्त मेरे ऊपर क्या गुज़र रही है?

वान्या ने फ़ौरन अपने पापा के मुंह पर हाथ रख दिया और उन्हें आगे बोलने से रोका दिया| वो हमेशा अपने इमोशंस को कंट्रोल कर के रखती थी लेकिन आज वो खुद को रोक नहीं पायी| वान्या अपने पापा के गले लग गयी और रोने लगी| इस समय मिस्टर रायज़ादा खुद बहुत तकलीफ में थे लेकिन उन्हें वान्या के लिए हिम्मत दिखानी पड़ी। उन्हें जिस पल अपने पैरों के बारे में पता चला था, उन्हें खुद से ज़्यादा वान्या की चिंता सताने लगी थी। वो जानते थे कि वान्या के लिए ये न्यूज़ डाइजेस्ट कर पाना बहुत मुश्किल होगा।

मिस्टर रायजादा (मुस्कुराते हुए) – मुझे माफ़ कर दो बेटा| मेरी लापरवाही की वजह से ही आज मेरी ऐसी हालत हो गयी है लेकिन तुम मुझे डांटना बंद करो| मैं तो ये सोच-सोच कर ही परेशान हो रहा हूँ कि आज के बाद मैं कभी चल नहीं पाऊंगा| ऐसा लग रहा है मेरी सिर्फ बॉडी जिंदा है और आत्मा मर चुकी है लेकिन मुझे पता है कि ये सब ज़िंदगी का हिस्सा है। मेरे पैर काम नहीं करेंगे, लेकिन मेरा दिमाग तो सही सलामत है न? तुम भी तो मेरे पास हो, मेरी हिम्मत हो तुम वान्या।

मिस्टर रायज़ादा जानते हैं कि वान्या उनसे कितना प्यार करती है| जैसे तैसे कर के वो वान्या को शांत करवाने की कोशिश करते रहे। भूमिका दूर खड़ी उन दोनों को देख रही थी| बाप-बेटी के प्यार को देखकर उसकी भी आँखें भर आयी थी| मिस्टर रायज़ादा ने भूमिका को अपने पास बुलाया| भूमिका उनके पास गई और बोली, “आप के एक्सीडेंट के बारे में सुनकर बहुत बुरा लगा अंकल। वैसे आप फ़िक्र मत करिए, वान्या आप को किसी भी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने देगी| वो आप से बहुत प्यार करती है और आप को बिलकुल भी परेशान नहीं होने देगी| मुझे पता है कि वो आपको जल्दी ठीक कर के मानेंगी।”

भूमिका की बात सुनकर मिस्टर रायज़ादा मुस्कुराने लगे| मानो उन्हें सच पता हो, फिर भी वो भूमिका की इस बात पर यकीन करना चाह रहे हों।

ऐसे ही मिस्टर रायज़ादा का हॉस्पिटल में एक हफ्ता गुज़र गया और फिर डॉक्टर ने उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज दे दिया| घर जाने के लिए वान्या ने अपने पापा के लिए व्हील चेयर मँगवाई थी, जिसे देख मिस्टर रायज़ादा उदास हो गए लेकिन फिर उन्होंने वान्या का चेहरा देखा और खुद को समझा लिया। वान्या, और मिस्टर रायज़ादा के पीए ने मिल कर उनको व्हीलचेयर पर बिठाया और  उन्हें घर ले आए। जब वे रूम में पहुंचे तो मिस्टर रायजादा मन ही मन सोचने लगे कि अब से उन्हें बेड से उठने के लिए किसी ना किसी की मदद की जरूरत पड़ेगी| अब उनकी आगे की ज़िन्दगी इसी बेड पर बीतने वाली थी| उनका चेहरा देख कर लग रहा था कि वो बहुत घबराये हुए हैं| उन्हें अपने बिज़नस की भी बहुत चिंता हो रही थी क्योंकि एक बहुत बड़ी डील होनी है जिसके लिए उनके हर एम्प्लॉयी की मेहनत और फ्यूचर दांव पर लगा था। उन्होंने तय किया कि अब वो अपने बिज़नस की पूरी ज़िम्मेदारी वान्या को सौंप देंगे| उन्होंने वान्या को अपने पास बुलाया और कहा,'' वान्या मेरी बात गौर से सुनो| अब से कंपनी को तुम्हें ही संभालना है| मैं इस हालत में कभी भी ऑफिस नहीं जा पाउँगा| तुम्हें कोई भी प्रॉब्लम होगी तो मैं बैठा हूँ| मैं यहाँ बैठ कर तुम्हारी हेल्प करता रहूँगा| हालाँकि मैं जानता हूँ कि तुम इतनी होनहार हो कि तुम्हें मेरी हेल्प की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी|''

इतना कहकर मिस्टर रायज़ादा मुस्कुराने लगे लेकिन उनकी आँखों में दर्द झलक रहा था, जो वान्या समझ गई थी। वो सोचने लगी कि वो ऐसा क्या कर सकती है जिस से उसके पापा की आगे की ज़िन्दगी थोड़ी आसान हो जाए| वो अपने पापा को किसी भी तरह की तकलीफ से अब गुजरने नहीं देना चाहती थी, इसीलिए उसने सोचा कि वो पापा की देखभाल के लिए एक attendant रखेगी।

वान्या – आप चिंता मत कीजिए।  मैं कंपनी का सारा काम संभाल लूँगी| आप सिर्फ आराम कीजिये| मैं अभी एजेंसी से बात करती हूँ और आप के लिए एक caretaker  हायर करती हूँ| आपको किसी भी चीज़ की चिंता करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

मिस्टर रायजादा (परेशान होकर) – caretaker  की क्या जरूरत है वान्या? मैं सब कुछ खुद मैनेज कर लूँगा| वैसे हमारे घर में हेल्पिंग स्टाफ तो है न? वो सब मेरी हेल्प कर देंगे|

मिस्टर रायज़ादा के मना करने पर भी वान्या उन्हें बार- बार समझाने लगी कि घर का हेल्पिंग स्टाफ उनकी इस कन्डिशन को संभालने के लिए ट्रेंड नहीं है। जब मिस्टर रायज़ादा नहीं मान रहे थे तो वान्या ने उनको डांटते हुए कहा,

वान्या (डांटते हुए) – मैंने डिसीजन ले लिया है कि एक caretaker  आप के साथ रहेगा और आप की देखभाल करेगा और अब आप मुझसे बहस नहीं करेंगे।

मिस्टर रायजादा (हँसते हुए) – पता ही नहीं चलता कि मैं तुम्हारा बाप हूँ या तुम मेरी माँ हो। इतना तो तुम्हारी माँ भी मुझे नहीं डांटती थी जितना तुम मुझे डांटती हो| ठीक है बाबा, तुमको जो सही लगे वो करो अपने पापा के लिए। मैं कुछ भी नहीं कहूँगा। बस, मेरी वजह से अपने आपको परेशान मत करना।

वान्या ने मिस्टर रायज़ादा की बात पर सिर हिलाया और कमरे से बाहर चली गई। उसने एक एजेंसी में कॉल किया और अपने बेस्ट caretaker ्स को भेजने के लिए कहा। वान्या के कहने पर एजेंसी ने पांच लड़के सेम डे ही रायज़ादा हाउस भेज दिए। हज़ार सवाल जवाब करने के बाद, वान्या को पाँचों में से एक भी लड़का अपने पापा के लिए कुछ खास नहीं लग रहा था| एक केयर टेकर ने चौबीस घंटे काम करने से मना कर दिया| वान्या ने उसको तुरंत वापस भेज दिया| बाकी के चार में से उसने राजेश नाम के लड़के को सिलेक्ट कर लिया, वो भी इस शर्त पर कि अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो वो उसे तुरंत निकाल देगी और उसकी एजेंसी की शिकायत करेगी। राजेश बिना देर किये उसी दिन काम पर लग गया|

वान्या (स्ट्रिक्टली) – तुम्हें हर पल पापा के पास रहना है| उन्हें किसी भी तरह की प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए| नींद में भी तुम्हारा ध्यान मेरे पापा पर ही होना चाहिए, समझे?

राजेश ने डरते हुए हामी भरी| मिस्टर रायजादा अपनी बेटी के एफर्ट्स देख कर खुश थे| वो सोचने लगे कि वान्या उनका कितना ख्याल रखती है| इस सब के बीच, वो अपने आपको तो भूल ही गई थी और उस डील को भी, जो इस समय उनके बिज़नस के लिए इम्पॉर्टन्ट थी। मिस्टर रायजादा ने वान्या को ऑफिस जाने के लिए कहा| वो अपने पापा को छोड़ कर कहीं नहीं जाना चाहती थी लेकिन काम भी जरुरी था| उसने राजेश को मिस्टर रायजादा का ध्यान रखने के लिए कहा और ऑफिस चली गयी| वहीं राजेश आया तो काम के लिए था लेकिन वान्या का आलीशान घर देखकर उसकी नियत बिगड़ गयी| उसने आज से पहले इतना बड़ा घर नहीं देखा था|

वान्या के जाने के बाद, मिस्टर रायजादा सो गए। राजेश उनके रूम में यहां-वहां कीमती चीजें ढूँढने लगा| कमरे में खटपट से मिस्टर रायजादा की आँख खुली| उन्होंने राजेश को आवाज़ लगाई।

मिस्टर रायजादा (नींद से जागते हुए) – राजेश सुनो, मुझे वाशरूम यूज़ करना है।

मिस्टर रायजादा की आवाज सुनकर राजेश चौकन्ना हो गया| उसने मिस्टर रायजादा को उठने में हेल्प की और उन्हें व्हीलचेयर पर बिठाया| राजेश उन्हें वाशरूम तक ले गया और वापस बेड पर लाकर लिटा दिया| मिस्टर रायजादा की पूरी बॉडी में दर्द था| वो वान्या से दर्द को छुपा रहे थे क्यूंकि वो उसे परेशान नहीं करना चाहते थे| जैसे तैसे वो फिर से सो गए।

रात हो चुकी थी, वान्या काम ज्यादा होने की वजह से ऑफिस से देरी से निकलने वाली थी| राजेश ने सोचा कि मौके का फायदा उठाया जा सकता है| उसने देखा कि मिस्टर रायजादा गहरी नींद में सोये हुए हैं। उसने उनके कमरे की अलमारी खोली और अंदर रखा कुछ कैश निकालने लगा। उसने अपने बैग में कैश भरा और दबे पाँव कमरे से बाहर निकलने लगा। उसी वक्त वान्या घर पहुँच गई। वो सीधा अपने पापा से मिलने के लिए उनके कमरे में पहुंची| तभी उसकी नज़र राजेश पर गयी| वान्या ने उसके हाथ में बैग देखा तो उसे रोक लिया,

वान्या(पूछताछ  करते हुए ) –  राजेश, ऐसे दबे पाँव कहाँ जा रहे हो? और ये.. इस बैग में क्या है? दिखाओ मुझे..

वान्या को देखकर राजेश डर गया| वान्या उसके पास आती उस से पहले ही वो भागने लगा| वान्या भी उसके पीछे-पीछे भागने लगी| वो घर में मौजूद सर्वेंट्स को आवाज देने लगी| उनमें से दो लोगों ने राजेश को पकड़ लिया| वान्या ने उसके हाथ से बैग लिया| जब उसने बैग खोलकर देखा तो वो हैरान हो गयी| उसने राजेश को खींच के एक थप्पड़ मारा।

वान्या (गुस्से में) – तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर में चोरी करने की? तुम्हें तो अभी पुलिस के हवाले करती हूँ| तुम पर यकीन कर के मैंने तुम्हें पापा की जिम्मेदारी सौंपी थी लेकिन तुम मेरे ही घर में चोरी कर रहे थे| सच में आदमी पर भरोसा ही नहीं करना चाहिए|

राजेश वान्या के सामने हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगने लगा। कुछ देर बाद पुलिस आयी और राजेश को गिरफ्तार कर के ले गयी| वान्या, राजेश की हरकतों की वजह से काफी डर गयी थी| उसे अपने पापा की चिंता होने लगी। उसे लगने लगा कि कहीं किसी और की नियत बिगड़ गई और उसने उसके पापा के साथ कुछ कर दिया तो वो क्या करेगी? अगली सुबह जब मिस्टर रायज़ादा ने राजेश को अपने पास नहीं देखा तो उन्होंने वान्या से उसके बारे में पूछा| वान्या ने राजेश की सच्चाई बताई तो मिस्टर रायजादा भी हैरान रह गए| वो दोबारा वान्या को caretaker  रखने के लिए मना करने लगे।  वान्या सोच में पड़ गयी कि उसे क्या करना चाहिए| उसे अब किसी भी caretaker  पर भरोसा नहीं था लेकिन उसके पापा का ध्यान रखने के लिए भी किसी की जरुरत तो थी ही। ऑफिस का काम वो छोड़ नहीं सकती थी वरना वो खुद ही अपने पापा का ख्याल रख लेती| वो सोच ही रही थी तभी एक सर्वेन्ट आया और बोला कि उससे मिलने कोई आया है। वान्या ने उसे कमरे में लेकर आने को कहा।

वरुण –  हाय, आई एम वरुण! मैं caretaker  की पोस्ट के लिए आया था| सॉरी मैं कल आ नहीं पाया|

वान्या ने दरवाज़े की ओर देखा तो एक तेज़ हवा का झोंका आया और उसके बाल उड़ने लगे| वो अपने बाल सँभालते हुए वरुण की ओर देखने लगी|

क्या वरुण एक अच्छा caretaker बन पाएगा? वरुण वान्या की ज़िन्दगी में कौन सा तूफ़ान लेकर आएगा? 


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

     

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