मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों! 

शहर में जब भी किसी की सगाई या ब्याह होता है तो लोग बड़ी कंजूसी से इनवाइट करते हैं। सिर्फ गिने-चुने खास लोगों को ही बुलाया जाता है और उसपर भी आरएसवीपी करना होता है, अगर आप आरएसवीपी नहीं करते हैं तो आपका शादी में आना अमान्य हो जाता है। हमारे गांव बखेड़ा में ऐसा नहीं होता। यहाँ इनविटेशन कार्ड नहीं छपते। पंचायत बुलाकर पूरे गांव को सामूहिक न्यौता दिया जाता है वह भी बिना किसी आरएसवीपी के। गांव में हलवाई प्लेट्स के हिसाब से नहीं बल्कि गांव की जनसंख्या के हिसाब से पैसे चार्ज करता है। यहाँ कोई बैनक्वेट हॉल या होटल में फंक्शन नहीं होता। बल्कि गांव के सबसे बड़े घर को ही होटल की तरह सजाया जाता है और वहीं सब मेहमानों की खातिरदारी की जाती है। यहाँ शहर की तरह डीजे नहीं लगता। यहाँ लगता है अंग-अंग में जोश भर देने वाला ऑर्केस्ट्रा! शहर में बारातियों के स्वागत में रोज़ वाटर छिड़का जाता है। गांव में बारातियों के स्वागत में हवाइ फायर किए जाते हैं! जब तक बारात में एक दो को गोली ना लग जाए तब तक लगता ही नहीं है कि ब्याह हुआ है। शहर की शादियों की तरह यहाँ सिज़लर, पिज्जा और चिली पनीर नहीं मिलता। यहाँ मिलता है लाल ग्रेवी में वेज और नॉन वेज, ऑरेन्ज ग्रेवी में वेज और नॉन वेज और अगर ज्यादा फैंसी ब्याह हो तो कभी कभी पिंक ग्रेवी भी रख लेते हैं। शहर की तरह यहाँ विलायती दारू नहीं बल्कि देसी महुआ चलती है वो भी बिना सोडा के। ऐसा ही रंग बिरंगा महौल चल रहा है रामू सिंह की बिटिया की सगाई में जो हो रही है हरिश दद्दा के घर में। सगाई के लहंगे में दुल्हन इतनी सुंदर लग रही है तो शादी के जोड़े में तो गजब ही लगेगी। रामू सिंह के होने वाले दामाद.. माफ़ कीजिएगा हमारे गांव में दामाद जी का नाम नहीं लिया जाता.. हाँ तो दामाद बाबू अपनी लाल पीली फूलों वाली चमचमाती शर्ट में किसी भोजपुरी फिल्म के हीरो से कम नहीं लग रहे हैं। चारों तरफ खुशियों का महौल है। सरपंच रामु सिंह की बिटिया की सगाई में सारा गांव मजे कर रहा है सिर्फ शौर्य को छोड़के। शौर्य जो कि वेटर बनकर पूरे गांव को ठंडा सर्व कर रहा है, उसकी आँखें दरअसल गांव से भागने का रास्ता ढूंढने में लगी हुई हैं। शौर्य जानता है कि ये गोल्डन अपॉर्च्युनिटी है उसके लिए अपने दादा जी की नजरों से बचकर गांव से भाग जाने की, पर इतनी भीड़ में उसके लिए भाग पाना मुश्किल है क्योंकि यहाँ हर कोई उसे उसके दादा जी के नाम से पहचानता है। तभी शौर्य की नजर पड़ी कुर्सी पर बैठे मुंह फुलाए बैठे हुए एक अंकल पर। जिनकी सेवा में आधा गांव खड़ा था। फिर भी वो किसी बात से खुश ही नहीं हो रहे थे। उसने ललिता दीदी से पूछा..

शौर्य: ललिता जी ये आदमी कौन है जो इतने खुशी के मौके पर मुंह फुलाए बैठा हुआ है?

ललिता: ये लड़के के फूफाजी हैं।

शौर्य: तो ये मुंह फुलाकर क्यों बैठे हैं?

ललिता: अरे फूफाजी लोगों की तो पहचान ही उनके फूले हुए मुंह से होती है! इट इज़ देयर आधार कार्ड! हर खुशी के मौके पर बेवजह नाराज होना हर फूफा का धर्म है और आज ये इसलिए नाराज हैं क्योंकि इनके पास नाराज होने की कोई वजह ही नहीं है। मेंटशन नॉट टू योर फादर का फादर- हरिश चाचा ने इनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी.. इसकी वजह से ये अपना फूफा धर्म निभा ही नहीं पा रहे।

यह सुनते ही शौर्य के दिमाग में एक ख़ुराफ़ाती आइडिया चमका और उसने सोचा क्यों ना फूफाजी को उनका फूफा धर्म निभाने का मौका दिया जाए! शौर्य ने चोरी-छुपे फूफाजी के पजामे से सुतली बम बांध दिया और आग लगाकर वहां से बिना किसी की नजर में आए भाग गया। जैसे ही सुतली बम के फटने की आवाज़ आई पूरे घर में सन्नाटा छा गया। फूफाजी के कान में धमाके से सीटी बज गई। हर कोई फूफाजी की ओर भागा। वैसे तो फूफाजी को एक खरोच भी नहीं आई थी, लेकिन बीइंग फूफा उनका फूफा धर्म था कि वह इस बात पे कलह करें, “रामू सिंह जी, ई है आपका बंदोबस्त! आप इहां सगाई के लिए बुलाए थे या दिवाली मनाने?”
रामू सिंह ने जवाब दिया, “देखिए फूफाजी नाराज़ मत होइए। लगता है किसी बच्चे ने मजाक किया है! आप काहे अपना मूड खराब करते हैं? लीजिए आप पेग मारीए।”
फूफाजी ने पेग बॉटम्स अप करके कहा… “मूड खराब ना करें! कैसी बात कर रहे हैं आप रामू सिंह जी! हम लड़के के फूफा हैं! हमारा तो जन्मजात मूड खराब रहता है! कोई हमारे पैर के पास परमाणु बम फोड़ गया और आप कह रहे हैं कि मूड खराब ना करें!”

रामू सिंह ने कहा, “कैसी बातें कर रहे हैं फूफाजी! सुतली बम को परमाणु बम बोल रहे हैं! परमाणु बम होता तो इस गांव बखेड़ा का अभी तक पोखरण बन चुका होता!”
फूफाजी तुनक के बोले, “अच्छा मतलब हम झूठ बोल रहे हैं! हम लड़के के फूफा हैं.. हमें परमाणु बम का धमाका सुनाई दिया तो मतलब परमाणु बम था! अगर आपको लगता है कि हम झूठ बोल रहे हैं तो हम झूठे होने के लांछन अपने सिर पे नहीं लेंगे! हम जा रहे हैं! आप खेलते रहिए ओपेनहाइमर ओपेनहाइमर! बना दीजिए गांव बखेड़ा का हिरोशिमा नागासाकी!”

फूफाजी ने एक और पेग मारा और बुआ का हाथ पकड़के सगाई से जाने लगे। उनका अपमान देखकर सभी लड़के वाले सगाई तोड़कर जाने लगे। सरपंच रामू सिंह जी को तो मिनी हार्ट अटैक ही आ गया। उनकी बिटिया की आँखों से आँसू बहने लगे और उसका सारा काजल खराब हो गया। पूरा गांव लड़के वालों को रोकने के लिए उनके पैरों में गिर गया। इतना उत्पात मचाने के बाद जब शौर्य ने देखा कि किसी का ध्यान उसकी तरफ नहीं है वह चुपचाप दबे पैर अपने दादाजी के घर से भाग गया। हमारे पूरे गांव को दुखी करने के बाद शौर्य बहुत खुश था क्योंकि फाइनली अब उसे गांव की धूल मिट्टी से आज़ादी मिलने वाली थी। वह गांव की कच्ची सड़क से मेन रोड की ओर जाने लगा, पर उसे नहीं पता था कि कोई उसका पीछा कर रहा है। शौर्य गांव के अंधेरे में भागता रहा और कोई उसका परछाईं की तरह पीछा करता रहा। शौर्य भागता भागता गन्ने के खेत में पहुँच गया था। तभी उसे रियलाइज हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है। शौर्य ने मुड़के देखा पर वहां कोई नहीं था।

शौर्य: लगता है मुझे गलत फहमी हुई है!

तभी उसे जोर-जोर से गन्नों के हिलने की आवाज़ आई। शौर्य घबराया। फिर उसने अपने दिल को दिलासा देते हुए कहा…

शौर्य: शायद कोई जानवर होगा!

जब गन्ने और ज़ोर से हिलने लगे तब डर के मारे उसकी हवा टाइट हो गई और वह फुल स्पीड से वहां से भागा। वह भागता रहा भागता रहा और इतना भागने के बाद वह लौट के वहीं आ गया जहां से वह भागके गया था। वह डर के मारे अंधेरे में गन्ने के खेत में राउंड एंड राउंड ही भागता रहा। गन्ने खेत में जोर जोर से हिलते रहे। शौर्य डर के मारे चिल्ला पड़ा। उसकी चींख सुनके गन्ने हिलने बंद हो गए और गन्नों के पीछे से एक लड़का और एक लड़की अपने-अपने कपड़े समेटे हुए वहां से भाग निकले। फिर शौर्य को समझ आया कि जिसे वह भूत समझ रहा था वह तो खेतों में दो बेचारे आशिक थे। वह क्या है ना गांव में शहरों की तरह होटल नहीं होते इसलिए खेतों का ही मोयो बनाना पड़ता है आशिकों को। शौर्य ने एक लंबी सांस ली और रिलैक्स हुआ। वह गांव से बाहर निकलने का रास्ता ढूँढने लगा। जैसे ही शौर्य मुड़ा उसने देखा कि लंबे बालों वाली चुड़ैल उसके सामने खड़ी है। जिसका कोई सिर नहीं है बस लंबे बाल हैं। ऊंचे ऊंचे गन्नों के बीच छोटी सी चुड़ैल देखकर शौर्य की कच्छे समेट पैंट फट गई और वह चिल्लाते हुए खेतों से टेक ऑफ कर गया। शौर्य इतनी स्पीड से भागा कि उसे कुछ नहीं पता चल रहा था कि वह किधर जा रहा है। वह बस भागता रहा भागता रहा। डर के मारे उसका अपने पैरों पर काबू नहीं रहा और वह अपनी स्पीड पे ब्रेक नहीं लगा पाया। वह भागता भागता सीधा सरपंच रामू सिंह जी से जाकर टकराया!
रामू सिंह ने पूछा, “बउआ पागल गए हो का? किससे भाग रहे हो?”

जब शौर्य ने मुड़के देखा तो उसके पीछे अब कोई भूत नहीं था। हांफते हुए शौर्य ने एक चैन की लंबी सांस ली। फिर उसे रियलाइज हुआ कि वह तो भागते-भागते वापस अपने दादाजी के घर में ही आ गया है। बताइए घोड़े की दौड़ टेबल तक हो गई।

शौर्य: नहीं किसी से नहीं भाग रहा था। मैं तो आपके पास आ रहा था रामू सिंह जी। आपको कंडोलेंस देने। आपकी बेटी की सगाई टूट गई ना!
 
रामू सिंह ने कहा, “बउआ शुभ-शुभ बोलो! कौन गोबरचट्टा कह रहा है कि हमारी बिट्टी की सगाई टूट गई? हमारी बिट्टी की सगाई तो खुशी खुशी हो भी गई।”
शौर्य ने स्टेज पर देखा जहां बिट्टी दामाद बाबू के साथ खड़ी मुस्कुराते हुए फोटो खिचवा रही थी। शौर्य को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ।

शौर्य: ... पर वो फूफाजी.. उन्होंने तो कलह कर दिया था ना! फिर सगाई कैसे हुई!

रामू सिंह ने बताया, “बउआ ऐसा कोई कलह नहीं जिसका इलाज तुम्हारे दादाजी के पास ना हो! तुम्हारे दादाजी ने दहेज में एक भैंस बढ़ाकर फूफाजी का गुस्सा शांत कर दिया। अब फूफाजी घर के पीछे बैठके पेग मार रहे हैं। उनका कलह करने का शौक भी पूरा हो गया और तुम्हारे दादाजी ने हमारी बिट्टी का घर उजाड़ने से भी बचा लिया। अब तुम खड़े मुंह का ताक रहे हो जाओ फूफाजी को सोडा सर्व करो जा के।”
 
शौर्य: सोडा? पर महुआ में सोडा कौन डालता है?

रामू सिंह ने जवाब दिया, “डालता तो कोई नहीं पर वो फूफाजी हैं उनको सर्व करना पड़ता है। वरना कल को कलह करेंगे कि बिट्टी की सगाई में कोई उनको महुआ के साथ सोड़ा नहीं पूछा! अब जाओ।”
शौर्य सोडा लेकर फूफाजी को सर्व करने लगा। उसका गांव से भागने का प्लान फेल हो चुका था। इस समय उसके मन में सबसे बड़ा सवाल यह था कि वह चुड़ैल कौन थी जो उसे गन्ने के खेत में दिखी। वह किसी को उस चुड़ैल के बारे में बता भी नहीं सकता क्योंकि पहले सवाल उसी पे उठेगा कि वह सगाई के वक्त गन्ने के खेत में क्या कर रहा था! तभी वहां लंबे बालों वाली एक लड़की आई जिसका चेहरा नहीं दिख रहा था। उस लड़की ने अपने बालों की चोटी बनाई और उसका चेहरा सामने आया। वह शिवांगी निकली। तो शिवांगी ही वो चुड़ैल थी जो कि खेतों में शौर्य का पीछा कर रही थी। शौर्य को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है। वह दूर खड़ी शौर्य को घूरती रही। तभी उसने अपना फोन निकाला जिसमें उसने शौर्य की फूफाजी के पजामे से बम बांधते हुए की फोटो खींच ली थी। शौर्य का कांड पकड़ा जा चुका है। 

अब शिवांगी क्या करेगी शौर्य के साथ? 

क्या शिवांगी और शौर्य के बीच की यह जंग कभी खत्म होगी? 

क्या फूफाजी बियर में भी सोड़ा डालके पीते हैं? 

सब कुछ बताएंगे महाराज.. गांववालों के अगले चैप्टर में!

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