मेरे एंटर होते ही सब मुझे देखने लगे, कुछ चौक कर , कुछ डरकर और मिस्टर चिंग confuse होकर। वास्तव में मुझे इस सब की टेंशन में याद ही नहीं रहा कि मैं कब पैंट्री से मॉप अपने साथ ले आया। इन माय डिफेन्स, कुछ समय पहले तक मैं पूरी तरह से एक ऑफिस बॉय था और अचानक इन कुछ दिमाग वालों ने मुझे सीईओ की कुर्सी पर बिठा दिया। अब मेरा बॉडी तो सीईओ है पर मेरी सोल, माइंड और हार्ट अभी तक ऑफिस बॉय का ही है। वैसे भी आज तक जब भी मुझे कॉन्फ़्रेंस रूम में बुलाया है तो इस काम के लिए ही बुलाया गया था। मैं हाथ में पोछा लिए कॉन्फ्रेंस रूम पहुंच गया .... रूम में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया। मेरी इस करतूत के बारे में मुझे तब तक कोई आईडिया नहीं था जब तक खुद Mr Ching ने हिंदी में मुझसे पूछ नहीं लिया

 

मिस्टर चिंग (Confused): आप मॉप क्यों लाए हैं? 

एक सेकंड के लिए मेरे कान इतने ठंडे पड़ गए कि लगा सुन्न पड़ जाएंगे। लेकिन तुम्हारा भाई कहानी में हीरो है. इसलिए मैंने बात को संभालना शुरू किया। मैं भी कह दिया...

 

रवि (confidently ): आपके लिए। 

 

मिस्टर चिंग: आप कहना क्या चाहते हैं !?

 

रवि: वो मैं आपको बाद में समझाऊंगा, अभी मीटिंग शुरू करते हैं।

नरेटरर: वैसे मिस्टर चिंग से ज्यादा तो मैं हिल गया था उनकी हिंदी सुनकर। ये चाइना वालों के प्रोडक्ट की तरह वहां के लोग भी ओरिजिनल नहीं होते क्या? एक तरह से अच्छा ही हुआ अब मुझे इंग्लिश में बोलने की टेंशन तो नहीं थी अब बस मुझे किसी तरह से इस मीटिंग के एंड तक जिंदा रहना था जो मुझे इम्पॉसिबल सा लग रहा था क्योंकि जो कुछ भी इस मीटिंग में बोला जा रहा था मेरे लिए तो सब एक एलियन लैंग्वेज लग रही थी। न जाने क्या क्या इन सब ने बोला न्यूरल नेटवर्क्स, सुपरवाइज्ड लर्निंग्स, कंप्यूटर विजन। अब किसी भी नॉर्मल इंसान को ओवरफिटिंग और अंडरफिटिंग सुनकर लगेगा कि कपड़ों की ही बात हो रही है। लेकिन यहां इसका भी मतलब कुछ अलग ही था। इस रूम में बैठे हर इंसान को मालूम था कि वो क्या कर रहा है सिवाय मेरे। इन्ही सब बातों में कुछ ऐसी मिसहैपेनिंग हुई जिसका मुझे डर था मिस्टर चिंग ने मुझसे बात करना शुरू किया। 

 

मिस्टर चिंग: मिस्टर रवि जो बजट कोटेशन आपकी कंपनी ने किया है उससे कम बजट हमसे दूसरी कंपनियां डिमांड कर रही हैं। So why should we go onboard with you?

 

उनके सवाल के जवाब में मैंने पानी पिया, इस उम्मीद में कि शायद किसी को तो हमारा डेंजर सिग्नल याद होगा... लेकिन यहां तो सब के सब ग़जनी के आमिर खान निकले, एक ही दिन में इतनी इंपॉर्टेंट बात भूल गए। 

 

मिस्टर चिंग: मिस्टर रवि… 

 

हां, चाय लेंगे या कॉफी? 

 

हे भगवन क्यों... आखिर क्यों, आपको ऐसा क्यों लगता है कि जब मैं सोचता हूं कि इससे बुरा क्या होगा तब मैं आपको ही चैलेंज कर रहा हूँ, कि मेरे साथ आप इससे भी बुरा, इससे भी बुरा खेलना शुरू कर दो। मैं मिस्टर चिंग के लिए एक पहेली बनता जा रहा था और बाकी सब के लिए एक एम्बैरेसमेंट। सबने जो किया वो उन्हें आता था और मैंने वही किया जो मुझे आता था, मगर मैं कितना भी नूब सही, लेकिन एक चीज मुझे अच्छे से पता है अगर अपनी तारीफ न कर पाओ तो दूसरे की बुराई कर दो। अगर तुम्हें अपने प्रोडक्ट का कुछ नहीं पता तो दूसरे के प्रोडक्ट को और नीचे गिरा दो। अरे जैसे न्यूज डिबेट में हमारे सारे नेता लोग चिल्ला चिल्ला कर करते हैं। बस यही दिमाग में आते ही मैंने मैंने मिस्टर चिंग से सवाल किया...

आप चाय लेंगे या कॉफ़ी

 

मिस्टर चिंग (कन्फ्यूज़्ड ): चाय!!।

 

अगर मैं आपको चाय 10 रुपये में दूं और कॉफी 5 रुपये में दूं। तो क्या लेंगे आप? 

 

मिस्टर चिंग: तब भी चाय ही लूंगा।

 

क्यों? जबकि दोनों में दूध होता है, चीनी हो… (पॉज) आ मेरा मतलब है शक्कर...  शक्कर होती है...  पानी भी होता है। फिर आप ज्यादा रुपये लगाकर चाय क्यों लेंगे? क्योंकि आपके लिए चाय अच्छी है। बस यही हमारी और दूसरी कंपनियों की डील में अंतर है। हम आपको चाय दे रहे हैं और वो कॉफी। 

 

मैंने जो कुछ भी बोला उसका मतलब ठीक से मुझे भी नहीं समझ आया पर न जाने चिंग को क्या बात हिट कर गई कि उसे मेरी बात बहुत अच्छी लग गई। शालिनी मैम को मेरी बात में एक नया विजन दिखने लगा। अनीता मैम तो जैसे शॉक में पड़ गई मुझे लगा जैसे अबकी बार अनीता मैम के लिए हॉस्पिटल में रूम बुक करना पड़ेगा...  और संजय सर को… (पॉज) छोड़ो, उसे इग्नोर ही करो। इन शॉर्ट, मुझे जंग जीते हुए राजा के जैसा फील हो रहा था। मेरी किशमिश जैसी सिकुड़ी हुई छाती अखरोट जैसी फूल गई। तुक्के में ही सही, पर बॉल को मैंने बाउंड्री लाइन के पार मार दिया था। अब मीटिंग की बागडोर अनीता मैम के हाथ में पहुंची। अनीता मैडम में एक ख़ास बात है कि जब वो बोलती हैं तो कॉन्फिडेंटली हर बात को सोच समझकर अच्छे से, खूबसूरती से। जैसे कोई फूल बरसा रहा हो. हालांकि न जाने क्यों मेरे ही हिस्से में कांटे आते हैं। सब कुछ अच्छे से चलने लगा, मैं वही हर बात पर अपनी गर्दन हिला देता था और बीच बीच में कभी हां, hmm , येस, राइट, गुड पॉइंट बोल रहा था। वरना इन्हें पता चल जाता कि मैं भेड़िये की खाल पहना हुआ भेड़ हूं जो बस चुपके से इनके बीच घुसने का ट्राई कर रहा है । तब तो ये लोग मुझे नमक मिर्च डालकर कच्चा ही खा जाते बिना डकार मारे। अभी तक मीटिंग में जो कुछ भी हुआ उससे मुझे बस इतना सा समझ आया कि उन्हें एक एआई प्रोग्राम चाहिए जो हमारी कंपनी के पास है और हमारी कंपनी को रुपये चाहिए जो उनके पास हैं। सब कुछ ठीक जा रहा था तभी मिस्टर चिंग के कान में उसका असिस्टेंट कुछ फुसफुसाया बिल्कुल ऐसे जैसे रात में मच्छर लोग हमारे कान में पता नहीं कौन सा कॉन्सर्ट करते हैं। मिस्टर चिंग ने मेरी तरफ देखा और मैं तुरंत समझ गया कि दाल में कुछ काला है। 

 

मिस्टर चिंग: सी, वी वांट टू वर्क विद यू लेकिन एक प्रॉब्लम है। 

 

रवि: क्या मिस्टर चिंग?

 

मिस्टर चिंग: आप!

 

ऐं ...इतना डायरेक्ट, सच कहा था नेहरू जी ने ये चीनी किसी के साथ नहीं होते। अभी तक तो इन्हें मेरी बात बहुत अच्छी लगी थी अब मैं ही प्रॉब्लम बन गया। हे भगवान वाह रे तेरी दुनिया। कभी फैजल तो कभी फगुनिया? 

 

रवि: मतलब?

 

मिस्टर चिंग: देखिए, जो कुछ भी पिछले कुछ दिनों में इस कंपनी में हुआ है उससे मार्केट में आपकी इमेज को लेकर काफी कन्फ्यूज़न बना हुआ है। आपका बैकग्राउंड मार्केट में किसी को अच्छे से नहीं पता, कि इससे पहले आप क्या करते थे कहां थे? हमें डर है कि अगर हम आपके साथ काम करते हैं तो यह हमारी इमेज को प्रभावित करेगा... well. तो, अगर आप इस problem को solve कर सकते हैं तो हम आपके साथ डील करने के लिए तैयार हैं। 

 

अब, जब ये सब मिस्टर चिंग बोल रहे थे तो मेरी नज़र उनकी सीट के नीचे गिरे हुए कचरे पर गई। उसे देखते ही मेरे अंदर के जेनिटर ने मेरे दिमाग में आंदोलन शुरू कर दिया जिससे हारकर मैं उठकर उसे साफ करने लगा। तो मिस्टर चिंग अचानक से उठ खड़े हुए और बोले।

 

मिस्टर चिंग: ये क्या कर रहे हैं आप?

 

रवि: साफ़ई! इससे आपके कपड़े भी गंदे हो सकते थे इसलिए साफ़ कर दिया। 

 

मिस्टर चिंग (Happily): Ohhh, I got it. I got it.

 

 रवि (Confused)): क्या?

मिस्टर चिंग: हमारे देश में एक कहावत है कि जब व्यक्ति खुद अपने करैक्टर को साफ़ करने की कोशिश करे तो उसके इंटेंशन पर कभी डाउट नहीं करना चाहिए। 

मिस्टर रवि   ... आपका ये जताने का तरीका भी मुझे खूब पसंद आया कि अपनी कंपनी के लिए अच्छी डील कर के आप अपनी इमेज को मेहनत से सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं. जो कि बहुत ही यूनीक है....  मिस्टर रवि हम आपकी कंपनी के साथ ही डील करेंगे !

 

यार ये चिंग सच में कुछ जानता है या मेरी ही तरह इसे भी कोई आइडिया नहीं है कि ये क्या कर रहा है? मेरे किस एक्शन से इसे ऐसा लग गया? भाई मैं परसों तक एक जेनिटर था, यही काम था मेरा। ये तो लोगों ने जबरदस्ती उठाकर इस चेयर पर पटक दिया है। न जाने कैसा प्रमोशन करा है? शायद इसलिए चाइना के प्रोडक्ट 2 दिन के मेहमान होते हैं, ऐसे लोगों को तो डील करने भेज देते हैं। Hmmm... पर चलो जो भी हो मुझे क्या… कंपनी को डील तो मिल ही गई...  इसलिए मैं भी कुछ नहीं बोला बस उनकी हां में हां मिला दी। मीटिंग के अंत तक मैं शालिनी मैम की नज़रों में बहुत विजनरी मैन बन चुका था, अय्यर के लिए एक जीनियस... जिसको पहले सही opportunity नहीं मिली अनीता मैम के लिए एक पज्जल जिसे अगर वो सॉल्व नहीं कर पाई तो शायद उनकी नानी मर जाती और संजय के लिए… छोड़ो उसे इग्नोर मारो। और मेरे लिए… मैं उस दिन एक बात समझ गया। अगर अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान।

 

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