मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों!
जब हम अपने गाँव बखेड़ा में रहते थे तो हम एक बहुत ही मिलनसार इंसान हुआ करते थे। जब भी गाँव में दोस्त फोन करता है कि भाई झगड़ा हो गया है.. हम गाँव वाले बिना कुछ सोचे अपने 100-150 लोगों को इकठ्ठा करके चल पड़ते हैं लड़ने.. फिर चाहे सामने बंदूक लिए 1000 आदमी खड़ा हो या फिर हाथ में चप्पल लिए दोस्त का सगा बाप और एक्सपीरियंस से बता रहे हैं महाराज की दोस्त के बाप के हाथ में चप्पल बंदूक की गोली से ज्यादा नुकसान पहुँचाती है, पर शहर में ऐसा भाईचारा देखने को नहीं मिलता। यहाँ पे तो लोग हैलो भी ऐसे करते हैं जैसे किसी पे एहसान कर रहे हो। प्रणाम करना तो दूर ये तो बड़ों को भी व्हाट्स अप कहके मिलते हैं! क्योंकि ये बदतमीजी इनको कूल लगती है। हाथ मिलाने के बाद हाथ सैनिटाइज़र से साफ करते हैं। गले तो आदमी यहाँ सिर्फ औरतों के लगते हैं क्योंकि गले लगने के बहाने वो औरतों के राइट और लेफ्ट हवा में चुम्मा ले लेते हैं। यहाँ पे झगड़ा होने पर आप किसी को कॉल करके आदमी लोग बुलाने के लिए नहीं कह सकते क्योंकि जब आपको जरूरत होगी तभी सब का फोन बिज़ी आएगा और अगर किसी ने फोन उठा भी लिया तो ऑन द स्पॉट उसकी नानी मर जाएगी या फिर उसके पड़ोसी का एक्सीडेंट हो जाएगा। वहीं गाँव वाले दिल के इतने साफ होते हैं कि अगर इंसान उन्हें पसंद हैं तो खुशी खुशी उसके लिए पहली मुलाकात में ही जान दे देंगे और अगर इंसान पसंद नहीं आया तो पहली मुलाकात में ही उस पर पत्थरों की बरसात कर देंगे। जैसे कि इस वक्त मेरे गाँव बखेड़ा का मोची भीम सिंह कर रहा है शौर्य के ऊपर, पर शौर्य को समझ नहीं आ रहा कि आखिर भीम सिंह उसे पत्थर क्यों मार रहा है?
शौर्य: हैलो इक्स्क्यूज़ मी! आप कौन हैं? और मुझे पत्थर क्यों मार रहे हैं? आउच!
शौर्य दर्द से चिल्लाता रहा पर भीम सिंह ने उसके सवालों का जवाब नहीं दिया और लगातार उसपर पत्थर मारता रहा।
शौर्य: आउच! औ! देखो पत्थर मारना बंद करो। तुम्हें शायद पता नहीं है कि मेरे दादा जी कौन हैं! आउच!
शौर्य ने यह बोलकर भीम सिंह का गुस्सा और बढ़ा दिया क्योंकि भीम सिंह अनाथ था। जब भी कोई उसे बाप दादा के नाम की धमकी देता था तो उसका गुस्सा और बढ़ जाता था। पहले भीम सिंह एक हाथ से पत्थर मार रहा था पर फिर उसने लालटेन नीचे रखकर दोनों हाथ से पत्थर मारना शुरू कर दिया शौर्य को।
शौर्य: औ! आउच! औ! स्टॉप इट! औ! औ! आउच!!!
शौर्य दर्द से चिल्ला चिल्लाकर शक्ति कपूर बन चुका था। फाइनली अपने सेफल डिफेन्स के लिए शौर्य ने भी पत्थर उठा लिया और भीम सिंह को धमकाने लगा।
शौर्य: देखो अगर तुमने पत्थर मारना बंद नहीं किया न तो मैं इस पत्थर से तुम्हारा सिर फोड़ दूँगा।
भीम सिंह को शौर्य की धमकी से झाड़ू की सींख बराबर भी फर्क नहीं पड़ा और वो पत्थर मारता रहा। शौर्य ने भी गुस्से में आकर भीम सिंह पर पत्थर मार दिया पर शौर्य का निशाना इतना खराब था कि वो पत्थर भीम सिंह को लगने की बजाय दो किलोमीटर दूर चने के खेत में रात के अंधेरे में छुपन छुपाई खेल रहे एक लड़का लड़की को लग गया जो कि दोनों एक साथ ही छुपे हुए थे। पत्थर लगते ही उन दोनों ने अपने अपने कपड़े ढूंढे और वहाँ से भाग निकले, पर भीम सिंह ने पत्थर मारना बंद नहीं किया। शौर्य जो कि गाँव से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ रहा था ताकि वो गाँव से भाग सके.. भीम सिंह के पत्थर खाने के बाद वो बहुत तेजी से भागा पर गाँव के बाहर नहीं गाँव के अंदर। भीम सिंह भी उसके पीछे भागा और उसपर पत्थर बरसाता रहा। भीम सिंह ने पूरे गाँव में शौर्य की रेल बना दी। शौर्य चिल्लाता हुआ गाँव के सभी दरवाजों पर मदद के लिए खटखटाता रहा पर क्योंकि गाँव वालों ने कुछ दिन पहले ही स्त्री 2 देखी थी इसलिए शौर्य की चींख और पत्थरों की आवाज सुनकर गाँव वालों को लगा कि कहीं कोई भूत तो नहीं है जो इतनी रात को गाँव वालों को डराने आ गया है। इसलिए डर के मारे किसी ने शौर्य के लिए दरवाजा नहीं खोला। शौर्य अपने दादा जी के पास भी नहीं जा सकता था क्योंकि अगर वो हरिश दादा के पास जाता तो पहले उसे यह समझाना पड़ता कि इतनी रात को वो गाँव के बॉर्डर पर करने क्या गया था! भीम सिंह के पत्थरों की मार तो दवा से फिर भी ठीक हो जाती पर हरिश दादा के लप्पड़ों का इलाज आज तक मेडिकल साइंस नहीं ढूंढ पाई है। इसलिए शौर्य भीम सिंह से छुपने के लिए कोई जगह ढूंढ रहा था। तभी उसको शिवांगी मिल गई।
शिवांगी: शौर्य तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो? और ये तुम्हें इतनी चोट कैसे आई?
इससे पहले शौर्य शिवांगी को कुछ बता पाता शिवांगी ने उसके पीछे भीम सिंह को पत्थर लेकर आते हुए देख लिया और वो खुद ही समझ गई कि शौर्य की ये हालत किसने की है।
शौर्य: शिवांगी मुझे इस पत्थरमार से बचा लो। गाँव का कश्मीर बना के रख दिया है इस आदमी ने!
शौर्य भीगी बिल्ली की तरह शिवांगी के पीछे छुप गया। शिवांगी को देखकर भीम सिंह अपने आप रुक गया।
शिवांगी: भीम सिंह पत्थर फेंक दो और शौर्य से माफी माँगो।
भीम सिंह ने एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह पत्थर फेंक दिया और शौर्य से कान पकड़कर माफी भी मांगी। यह देखकर शौर्य बहुत हैरान हुआ कि भीम सिंह शिवांगी के कहने पर एक बार में ही कैसे मान गया!
शौर्य: तुम्हें क्या कोई जादू वादू आता है? या तुम लोगों को हिप्नोटाइज कर लेती हो?
शिवांगी: क्या बकवास कर रहे हो शौर्य?
शौर्य: मैं कबसे इस आदमी को मुझे पत्थर मारने से मना कर रहा हूं पर इसने एक बार भी मेरी बात नहीं सुनी और तुम्हारे एक बार कहने पे यह पागल रुक भी गया और इसने माफी भी मांग ली!
शिवांगी: शौर्य, हाउ डेयर यू! खबरदार तुमने इसे पागल बुलाया तो!
शौर्य: शिवांगी, तुम मुझपर क्यों भड़क रही हो! पागल को पागल न बुलाऊं, तो क्या करूं! मैंने तुम्हारे इस भीम सिंह को कुछ बुरा-भला नहीं कहा.. कोई गाली नहीं दी.. इसका कोई मजाक भी नहीं उड़ाया.. बस गांव से बाहर निकलने का रास्ता पूछा था मैंने.. और इस पागल ने मुझपर फ्री फंड में ही पत्थरों की बर्सात करनी शुरू कर दी।
शिवांगी: शौर्य, मैं वॉर्न कर रही हूं कि अगर तुमने दोबारा भीम सिंह को पागल बुलाया तो अच्छा नहीं होगा। भीम सिंह के दिमाग को बहुत गहरा सदमा पहुंचा है। यह हमारे गांव में मोची हुआ करता था। जब इसे पैसों की जरूरत पड़ी तो यह अपना घर बार बेचकर शहर चला गया ताकि यह अपने और अपने परिवार वालों के लिए एक अच्छी जिंदगी बना सके पर शहर में इसे बस दर-दर की ठोकरें ही खाने को मिली। शहर के लोगों ने इसके साथ बहुत धोखा किया और इसकी मेहनत की सारी कमाई लूट ली और इसे बहुत जिल्लत का सामना भी करना पड़ा। तबसे इसे शहर और शहर वालों दोनों से नफरत हो गई है। इसलिए यह जब भी किसी शहर वाले को देखता है तो उसे तुरंत पहचान जाता है और इसका ट्रॉमा ट्रिगर हो जाता है। इसलिए यह तुम्हें पत्थर मार रहा था।
शौर्य: व्हाट द हेल! इसके ट्रॉमा के चक्कर में मैं आईसीयू में पहुंच जाता। इस पागल को खुला क्यों छोड़ रखा है? इसे तो रस्सी से बांधकर रखना चाहिए।
शिवांगी: शौर्य, अब अगर तुमने भीम सिंह को पागल बुलाया तो मैं ही तुम्हें पत्थर मार दूंगी। तुम कितने इंसेंसिटिव हो! वैसे तो तुम शहर वालों ने मेंटल हेल्थ इश्यूज को फैशन बना रखा है पर अब जब एक मानसिक तौर पे बीमार आदमी तुम्हें मिला है तो उसके साथ तुम प्यार से पेश आने के बजाय, तुम उसे पागल बुलाए जा रहे हो! नो डाउट ये मेंटल हेल्थ इशूज़ शहर में ही क्यों शुरू होते हैं!
शौर्य: ओ हेलो मैम.. आपने इस पागल से मेरी जान बचाई इसका मतलब ये नहीं है कि अब आप यहां खड़े होकर मुझे मोरल साइंस का लेक्चर देंगी। मुझपे गुस्सा करने की बजाय यू शुड थैंक मी कि मैं इस भीम सिंह पर पुलिस कंप्लेंट नहीं कर रहा हूं। वरना जितने पत्थर इसने मेरे मारे हैं ना मेरी जान भी जा सकती थी। अटेम्प्ट टू मर्डर का केस बनता है आपके इस ट्रॉमा पेशेंट पे।
शिवांगी: हां तो जाओ करदो केस और साथ में पुलिस को अपनी क्रिमिनल हिस्ट्री भी बता देना। कि कैसे शहर में तुमपे ड्रग्स का केस चल रहा है और वहां की पुलिस से बचने के लिए तुम फरार होकर गांव भाग के आ गए हो। जाओ करो केस। कहो तो तुम्हें पुलिस स्टेशन तक छोड़ आऊं!
शौर्य ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। गुस्से में वह भूल ही गया कि अगर वह पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट करने गया तो पुलिस पहले उसे ही पकड़ लेगी पर शिवांगी के मन में एक और डाउट था…
शिवांगी: बाय द वे तुम इतनी रात को गांव से बाहर जाने का रास्ता क्यों पूछ रहे थे भीम सिंह से?
शिवांगी के इस सवाल ने शौर्य की पतलून टाइट कर दी, अगर उसने सच बता दिया तो हरिश दद्दा को पता लग जाएगा कि वह गांव से भागने वाला था। पुलिस तो सिर्फ उसे जेल में डालेगी.. हरिश दद्दा तो घर पे ही शौर्य को काले पानी की सजा की फीलिंग दे देंगे।
शौर्य: बाहर? मैं गांव से बाहर जाने के बारे में क्यों पूछूंगा इतनी रात को? लगता है तुमने गलत सुन लिया। मैं तो रास्ता भटक गया था इसलिए गांव के अंदर अपने दादा जी के घर जाने का रास्ता पूछ रहा था जब मुझे यह पागल मिला। अच्छा अब मैं चलता हूं। दादा जी वेट कर रहे होंगे। गुड नाइट।
इससे पहले शिवांगी कुछ और पूछती... शौर्य तुरंत वहां से नौ दो ग्यारह हो गया, पर शिवांगी को शौर्य का भीम सिंह को बार-बार पागल कहना बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने शौर्य को उसकी बदतमीजी के लिए सबक सिखाने की कसम खा ली।
कैसे लाइन पे लाएगी शौर्य को शिवांगी?
क्या शौर्य गांव से भाग पाएगा?
क्या भीम सिंह अगली बार पत्थर की जगह शौर्य को ईंट मारेगा?
सब कुछ बताएंगे महाराज... गांववालों के अगले चैप्टर में!
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