अब सारा सच रिया के सामने था, अनन्या का रोज़ मौत के करीब जाना और अपने दर्द को समेटने में खुद का बिखर जाना, सब जानकर रिया और भी बेचैन थी… वो अपनी मां के दर्द के इतने पास थी कि अनन्या की सिसकियों की आवाज़ उसे अपनों कानों में महसूस होने लगी थी। डायरी को उठाकर फिर पढ़ना और पन्ने पलटना रिया को सुकून देने लगा था हर बार पढ़कर उतना ही दर्द महसूस होता था। अनन्या की आवाज़ उसके कानों में गूंजती थी। अनन्या की तस्वीर हाथ में लिए रिया बैड के पास फर्श पर बैठ जाती है और रो पड़ती है।
रिया: आज भी प्रॉब्लम्स उतने ही हैं मम्मा, न मै कुछ ठीक कर पाई न डैड कर पाए, आप अगर ठीक हो जाती तो आज हम साथ होते और सब कुछ कितना अच्छा होता!
काश और अतीत में उलझी रिया खुद को बाहर नहीं निकाल पा रही थी, अब तक तो वो सिर्फ ये जानना चाहती थी कि उसकी मां को क्या हुआ था मगर अब दुःख ये था कि वो ऐसे भी दर्द में नही थी कि उसे निकाला नही जा सकता हो। इतनी सी कोशिश क्यों नहीं की किसी ने कोई तो उनको संभाल लेता और डिप्रेशन जैसी बीमारी से निकाल लेता। आज उसके पास मां हो सकती थी और तब शायद वो कभी इतनी अकेली नही होती। अपने दुःख के साथ बैठी रिया को सामने अनन्या का चेहरा दिखता है वो आंखें पोंछकर उसे देखती है और उसे आभास होता है कि वो उसे समझाने आई हो।
अनन्या: कल के लिए रो रो कर अपना आज बर्बाद मत कर बेटा, जो होना होता है न वो होकर रहता है कोई भी नही रोक पाएगा। तू अब अपना आज सम्हाल बेटा।
रिया एक मिनट के लिए भूल गई कि अब अनन्या नही है वो उठकर उसके पास गई और कुछ नहीं पाया, रिया इस दर्द से निकलना चाहती थी मगर उसे कोई रास्ता नही दिखता क्योंकि अनन्या की सिसकियां उसे रोक देती हैं वो चाहकर भी खुद को नही निकाल पाती, अपना दुःख दबाने की कोशिश में वो और घुटती जा रही थी और तब बेचैन होकर वो एक बार फिर विक्रम से ही सवाल करती है।
रिया: आपने अपना सारा वक्त बिजनेस के लिए दे दिया डैड, क्या उसमें एक घंटा भी आप मम्मा को नही दे पाए??? वो आपके सामने से ऐसी चीजों को अपना रही थी जो उन्हे आपसे दूर कर रही थी, फिर भी आप कुछ नहीं कर सके… आप मम्मा को रोक सकते थे डैड मगर आपने ऐसा क्यों नही किया।
रिया की बातों का विक्रम के पास हर बार एक ही जवाब होता था जो कि वो उसे बता चुके थे, गुजरे हुए कल को वापस नहीं लाया जा सकता और उसके लिए किसी से लड़कर या गलत साबित करके भी कुछ नही हो सकता था। रिया इस बात को बिलकुल भी नहीं समझ रही थी कि विक्रम आज कितना भी बदल जाएं मगर वो गुजरे कल को नही बदल सकते, इस अंतहीन बहस से कुछ भी नही मिलेगा किसी को। अनन्या ने डायरी अपने दर्द से भर दी है और उस दर्द को वहां से नही हटाया जा सकता, क्योंकि अब अनन्या नही है जो उस दर्द से उसे कोई निकाल पाए आज उसके लिए पछतावा किया जा सकता है बस… विक्रम रिया के सवालों पर उसके सामने फिर वही बात रखते हैं।
विक्रम: तुम जितना चाहे अपने डैड को बुरा भला कह लो रिया पर सच यही है कि मैं भी अनन्या को खोना नही चाहता था, उससे रोज लड़कर उसकी तकलीफों से भी मैं ही लड़ता था, वो मुझे और मेरी फिक्र को नही समझ सकी बेटा और मैं हार गया।
रिया: पर लड़कर ही क्यों डैड, आपको उनकी फिक्र थी तो प्यार से क्यों नही समझा पाए आप!
रिया के सवाल कभी खतम नहीं हो सकते थे, उसने खुद को अनन्या की डायरी में कैद कर लिया था, वो हर हाल में उन शब्दों को बदलना चाहती थी जो दर्द से बिलख कर अनन्या ने लिखे हैं, पर वो इस हकीकत को नही समझ रही थी कि गुजरे वक्त को बदलना मुमकिन नही होता अतीत साया बनकर साथ चल सकता है मगर उसे छुआ या बदला नही जा सकता। विक्रम रिया को समझाते हैं कि वो खुद को तकलीफ़ देने के अलावा कुछ नही पाएगी,
विक्रम: अतीत को अतीत में छोड़ दो रिया तकलीफ कम हो जाएगी, अनन्या के जाने का दुःख मुझे भी इतना ही है, पर मै कुछ नही कर सकता उस दर्द में बैठकर भी नही रह सकता, आगे तो बढ़ना पड़ता है।
अतीत के सहारे जिन्दगी नही गुजरती विक्रम जानते थे और खुद को दूसरी चीजों में उलझा लिया था, वो रिया को भी वही समझाना चाहते हैं मगर रिया डायरी को सीने से लगाकर लगातार उसमें डूबी जा रही थी, और तब उसे सिर्फ विक्रम ही सामने दिखते हैं और वो उनसे सवाल करती है, मगर वो उस दर्द से खुदको नही निकाल पाती, विक्रम उन सवालों से खुद को पहले से ही कटघरे मे खड़ा पाते थे और अब रिया ने उन्हे दोषी ही साबित कर दिया था। मगर सच एक ही था कि अब कुछ नही किया जा सकता। रिया विक्रम से एक आखिरी सवाल करती है,
रिया: आपने अपनी जिद और अकड़ में मम्मा को खो दिया अगर मैं भी नही निकल पाई तो, मैं भी अगर इस दर्द में डूब गई तो, क्या आप मुझे भी खो देंगे और आगे बढ़ जाएंगे???
रिया के सवाल से विक्रम को दिल दिमाग पर एक जोर दार झटका लग गया, रिया जो बोल रही थी वो इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे, अनन्या के लिए उनसे गलती हुई थी मगर अब गलती से भी ऐसी गलती रिया के लिए नही कर सकते थे, सिर्फ सुनकर ही इतनी तकलीफ़ हो रही थी कि जिसे वो बता नही सकते थे, रिया उनके लिए कितनी important थी ये रिया को ही वो नही समझा सकते थे, और न ही ऐसे सवालों के जवाब दे सकते थे, रिया अपने सवाल पर अड़ी थी,
रिया: कहिए डैड… क्या आप फिर से आगे बढ़ जाएंगे??? मम्मा की तरह आप मुझे भी खो देंगे??? क्या आगे बढ़ना आपके लिए इतना important है कि आप सब कुछ पीछे छोड़ सकते हैं!
विक्रम: बस करो रिया, मै ऐसी कल्पना भी नही कर सकता बेटा… तुम अपनी मां के साथ हुए गलत को सही कर सकती हो तो कर लो, मुझे कोई punishment देना चाहती हो दे दो… मगर ऐसा मत बोलो बेटा, मै अनन्या को खोकर बहुत मुश्किल से सम्हल पाया हूं, अब अपनी बेटी को नही,,,
रिया ने जिस दर्द को समेट लिया था विक्रम उसे उससे निकालना चाहते थे और रिया को लग रहा था कि वो उसे मां से दूर करना चाहते हैं… मां के लिए रिया का प्यार उसके अकेले पन का भी एक सहारा था… वो imagine करती है कि मम्मा का साथ कितना peaceful हो सकता था… जिन्दगी में आ रहे उतार चढ़ाव से वो मुझे बचा लेती और उसके सीने से लग कर वो सारे दर्द खतम कर सकती थी। मगर ऐसा नही हो सका क्योंकि उसके डैड ने कुछ भी बचाने की कोशिश नही की… वो अकेले पन से घबरा रही थी। तभी उसके मोबाईल की bell बजती है और नम्बर देख स्माइल आ जाती है, रिया फोन उठाती है,
रिया: हैलो अजय,,,
अजय: (फोन पर) हां रिया कैसी हो, अब सब ठीक चल रहा है न!
रिया: मेरी लाइफ में कुछ भी ठीक नही अजय।
अजय: तुम्हारी आवाज़ से लगता है तुम रो रही हो, घबराओ मत रिया, मुझे बताओ अपनी प्रॉब्लम्स शायद मैं कुछ हेल्प कर पाऊं।
रिया अजय के जरा से अपने पन से टूट पड़ी और रोते हुए उसे बताती है कि वो अपने डैड को माफ करना चाहती है मगर उसकी मां के साथ किए गए उनके व्यवहार के लिए वो उन्हे माफ नहीं कर पा रही है… अपनी मम्मा का उठाया हर दर्द उसकी सिसकियों के साथ निकलता है।
रिया: डैड कुछ भी कर लें पर मै नही भूल सकती कि उनकी थोडी सी सतर्कता से आज मम्मा मेरे साथ होती।
अजय : तुम अपने डैड को माफ करो या न करो इससे सच नही बदल सकता…. तुम परछाई के पीछे भाग रही हो सामने खड़ी हकीकत को छोड़कर, तुम जो अंकल से imagine करवा रही हो खुद भी करके देखो… तुम्हारे डैड की अनदेखी से मम्मा चली गई और तुम्हारी नफरत के चलते कहीं तुम्हारे डैड ...
रिया: अजय sssss
अजय के शब्द सुन रिया के दिल में एक धक्क सी आहट हुई वो घबरा गई किसी अनदेखी कल्पना से… उसने कभी नही सोचा कि वो भी अपने डैड के साथ गलत कर रही है… मां के दर्द में उलझी रिया ये नही सोच पाई कि उसके पास डैड तो हैं और डैड के पास मम्मा के बाद कुछ भी नहीं… उनके लिए ये भी एक सजा ही तो है, एक शब्द ने रिया का सोचने का तरीका बदल दिया था… अपने पिता के लिए पहली बार उसे झुकाव महसूस हो रहा था, उनके प्रायश्चित पर विश्वास करने मन कर रहा था।
अजय: (अभी भी फोन पर) hello, रिया मुझे तुम सुन रही हो, हैलो रिया...
रिया की खामोशी अजय को यह बता रही थी कि कि उसे सोचने के लिए इतना काफी है अब शायद वो अपने डैड को एक नए रूप में सोच पाए, उनकी जगह खुद को रखकर शायद वो समझ पाए कि गलतियां किसी से भी हो सकती हैं मगर उनका अहसास अगर होता है तो माफी भी होनी चाहिए… और रिया शायद ये समझने लगी थी कि अब उसे अपने डैड को माफ कर देना चाहिए,... उसकी मम्मा भी उनसे नाराज थी उनसे नफरत नही करती थी। गहरी सोच में डूबी रिया का ध्यान लगातार फोन पर आ रही अजय की आवाज़ पर जाता है और वो उसे हमेशा सही suggestion देने के लिए थैंक्स बोलती है,
रिया: तुम सच में बहुत special' हो अजय, तुम्हारी बात सीधे दिल तक जाती है और सोचने पर मजबूर करती है, थैंक यू सो मच, मै एक बार डैड से बात जरूर करूंगी।
रिया नई शुरुआत जैसा कुछ फिर भी नही सोच पा रही थी क्योंकि पिछली घटनाओं ने उसे पूरी तरह तोड़ कर रख दिया था… और उसके बाद अनन्या की डायरी एक के बाद एक झटके उसने खाए थे… मां के लिए उसकी तड़प और उसी मां की मौत का कारण अपने पिता को जानकर वो नफरत के अलावा कुछ नही महसूस कर पायी उनके लिए, मगर अजय ने उसे याद दिलाया कि वो डैड को भी खो सकती है जिसे सोचकर ही वो घबरा गई…. वो नही समझ पा रही थी कि अगर उसे अपने पिता से नफरत थी तो क्यों वो तड़प गई उन्हे खोने के डर से। वो अब विक्रम से बात करना चाहती थी, और उसके रूम की तरफ चल दी मगर विक्रम शायद घर में नहीं थे वो झट से विक्रम को कॉल करती है।
रिया: हैलो डैड, ,,,? कहां हो आप??
विक्रम : (फोन पर) ऑफिस से निकल रहा हूं, बोलो कुछ काम था?
रिया: हां डैड,,, मतलब नहीं, काम नहीं है... आप पहले घर आ जाइए, साथ ही खाना खाते हैं।
रिया ने फोन कट कर दिया मगर विक्रम कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे रिया जो कह रही थी? क्या ये रिया ही थी??? कितने सवाल निकल रहे थे और जवाब के बदले एक और सवाल ही फिर निकल रहा था… रिया को अचानक से क्या हुआ? वो अब जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहते थे। वहीं रिया अपने रूम से निकल कर नीचे किचिन में आती है और खाना बना रही मेड को आधे घण्टे में खाना लगाने को कहती है, और तभी दरवाजे पर बजी bell सुनकर भागकर जाती है दरवाजा खोलने, उसने सोच लिया था कि गेट पर ही वो अपने पिता से माफी मांग लेगी और उन्हे माफ कर देगी… फिर उनके साथ अंदर जाएगी और पहली बार चैन से डैड के साथ बैठकर खाना खाएगी, मगर जैसे ही रिया गेट खोलती है दो कदम जमीन पीछे हट जाती है क्योंकि सामने police की पूरी टीम खड़ी थी, और एक police officer आगे आकर उसे कहती है आपको हमारे साथ फिर चलना होगा मिस रिया, कबीर के केस में हमें आपसे फिर पूछ ताछ करनी होगी…
अब किस परेशानी में फंसने वाली है रिया?
क्या उसे फिर जेल की चारदीवारी में रहना पड़ेगा ?
क्या विक्रम सह पाएगा अपनी बेटी का पास आते आते अचानक दूर चले जाना?
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