अर्जुन (पूरी गंभीरता के साथ): क्योंकि मोहब्बत का दूसरा नाम ही भरोसा है, और जहाँ इस भरोसे को ही साबित करना पड़े, फिर वहाँ मोहब्बत जैसे अनमोल जज़्बात का कोई मोल ही नहीं होता। (एक पल रुककर) और जहाँ मोहब्बत का मोल ही नहीं, वहाँ सब जज़्बात बेमाने हैं, झूठे हैं।
ध्रुवी ने जब अर्जुन की कही इतनी गहरी बात सुनी, तो ना चाहते हुए भी, अनजाने भाव के साथ, उसकी नज़रें अर्जुन के चेहरे पर ही टिक कर रह गई थीं।
अर्जुन (बिना ध्रुवी की ओर देखे): खैर, रात बहुत हो चुकी है। अब आप आराम कीजिए। हम चलते हैं।
ध्रुवी (जाते हुए अर्जुन की कलाई पकड़ते हुए): ठहरें अर्जुन।
अर्जुन (असंजसता से): क्या हुआ।
ध्रुवी (गंभीरता से): आपको कहीं भी जाने की ज़रूरत नहीं है। (अगले ही पल अर्जुन की कलाई छोड़कर) आप... आप यहीं सो सकते हैं। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।
इतना कहकर, अर्जुन की कोई भी प्रतिक्रिया देखे या सुने बिना ही, ध्रुवी फ़ौरन ही वहाँ से अंदर की ओर चली गई। उसे जाते देख कुछ देर अर्जुन अपनी सोच में गुम रहा। आखिर में, कुछ पल बाद अर्जुन भी वापस अंदर आ गया। उसने आईने के सामने बैठी ध्रुवी को एक नज़र देखा, जो आईने में अपने बाल सवार रही थी।
अर्जुन (ध्रुवी को एक नज़र देखकर): आपको कोई भी या किसी भी तरह का कोई कॉम्प्रोमाइज करने की ज़रूरत नहीं है। हम कुछ इंतज़ाम कर लेंगे।
ध्रुवी (अचानक ही अपने हाथ रोककर आईने में से अर्जुन को देखकर): मुझे कोई कॉम्प्रोमाइज करने की ज़रूरत नहीं है। मैंने तुम्हें यहाँ रुकने के लिए कहा है, मतलब अपनी मर्ज़ी से कहा है, ना कि किसी मजबूरी में।
ध्रुवी की बात सुनकर, अर्जुन ने आगे कुछ नहीं कहा। उसने खामोशी के साथ आगे बढ़कर कबर्ड से अपने कपड़े निकाले और बाथरूम की ओर चेंज करने के लिए बढ़ गया। कुछ देर बाद अर्जुन चेंज करके वापस आया, तो ध्रुवी बेड पर एक किनारे पैर लटकाए बैठी थी। अर्जुन ने उसे सोच में डूबा देखा, तो टॉवल को स्टैंड पर टांगते हुए, अर्जुन ने उसकी ओर देखकर सहजता से अपनी चुप्पी तोड़ी।
अर्जुन (ध्रुवी की ओर सहजता से देखते हुए): कुछ कहना है आपको हमसे।
ध्रुवी (अपने ख्यालों से बाहर आकर फ़ौरन ही अर्जुन की ओर निगाह उठाकर): हाँ... (एक पल रुककर) मुझे आर्यन से बात करनी है।
अर्जुन (अपनी भौहें सिकोड़कर): इस वक्त।
ध्रुवी (सपाट लहज़े से): हाँ, इस वक्त और अभी।
अर्जुन (एक गहरी साँस लेकर टेबल से अपना फ़ोन उठाते हुए): ठीक है।
इसके बाद अर्जुन ने आर्यन को कॉल लगाया, जो होटल के रूम में टीवी के सामने बैठा, मज़े से पिज्जा और कोक ठूंस रहा था। जैसे ही उसने अर्जुन का नंबर देखा, तो उसने जल्दी से टीवी को पॉज़ किया और पिज्जा को साइड रखकर, अपने हाथ झाड़ते हुए, उसने झट से अर्जुन की कॉल उठाई।
आर्यन (चहकते हुए): कहिए मालिक, इस वक्त कैसे याद किया आपने इस नाचीज़ को।
अर्जुन (गंभीर लहज़े से): ध्रुवी आर्यन से बात करना चाहती हैं, उनकी बात कराएँ।
आर्यन (अर्जुन का इशारा समझते हुए): ओके बॉस, समझ गया मैं।
अर्जुन (कुछ पल बाद ध्रुवी की ओर फ़ोन बढ़ाते हुए): लीजिए।
ध्रुवी ने अर्जुन के फ़ोन बढ़ाते ही, उसके हाथ से बेसब्री के साथ झट से फ़ोन लेकर अपने कान से लगा लिया।
ध्रुवी (भावुक होकर): आ... आर्यन... आर्यन।
आर्यन (मद्धम लहज़े से): हम्मम।
ध्रुवी (इमोशनल लहज़े से): आ... आर्यन... के... कैसे हो तुम।
आर्यन (ध्रुवी की इमोशनल आवाज़ सुनकर कुछ पल के गिल्ट के बाद): आँ... मैं ठीक हूँ ध्रुवी, तुम कैसी हो।
ध्रुवी (नम आँखों से): मैं भी ठीक हूँ। (एक पल रुककर) तुम सच में ठीक हो ना आर्यन।
आर्यन (अपने सामने रखे पिज्ज़ा को देखते हुए): हम्मम... मैं एकदम ठीक हूँ।
ध्रुवी (एक पल को सुखद अनुभूति से अपनी आँखें बंद करते हुए): जानते हो, तुम्हारी आवाज़ सुनने के लिए मेरे कान तरस गए थे। (एक पल रुककर अपनी आँखें खोलते हुए) लेकिन अब तुमसे जान लिया ना कि तुम ठीक हो, तो बस मेरे दिल को सुकून मिल गया।
बेड के दूसरी ओर बैठे अर्जुन ने जब ध्रुवी की बात सुनी, तो उसने अनजाने भाव से उसकी ओर देखा। अब वो उसका गिल्ट था या क्या, वही बेहतर जानता था। कुछ देर ध्रुवी ने आर्यन से बात की और जब उसके मन को सुकून हो गया, तो आखिर में उसने आर्यन से सोने का कहकर कॉल कट कर दी।
ध्रुवी (अर्जुन की ओर फ़ोन बढ़ाकर): थैंक्यू।
अर्जुन (ध्रुवी के हाथ से फ़ोन लेकर): हम्मम।
इसके बाद ध्रुवी ने अपनी साइड की लाइट ऑफ़ की और खुद बिस्तर पर लेट गई। ध्रुवी के लेटने के बाद, अर्जुन ने एक नज़र उसे देखा और फिर अपना तकिया लेकर, लाइट ऑफ़ करके, वह सोफ़े पर जाकर लेट गया। और कुछ ही देर में उसे नींद भी आ गई। आधी रात के वक्त, अचानक ही ध्रुवी की नींद खुल गई। उसे अनायास ही अपनी साँसें घुटती सी महसूस हुई।
ध्रुवी (घुटती साँसों के एहसास के बीच): य... ये मुझे अचानक ऐसे घुटन क्यों महसूस हो रही है।
ध्रुवी ने गहरी-गहरी साँस लेने की कोशिश की, कि कुछ पल बाद ही अचानक उसके हाथ, जैसे खुद-ब-खुद उसकी गर्दन पर आ रुके। और कुछ लम्हें बाद अचानक जैसे उसके अपने हाथ ही किसी अनजानी शक्ति के प्रवाह से उसकी गर्दन पर कस गए और ध्रुवी की गर्दन उसके अपने हाथों ने ही दबोच ली।
ध्रुवी (अपने हाथों की पकड़ से कसमसाते हुए): आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह।
ध्रुवी की साँसें जैसे अटक सी गई थीं और कुछ ही पल में, वह साँस लेने की जद्दोजहद करते हुए, बिन पानी की मछली की तरह बुरी तरह तड़पने लगी थी। ध्रुवी की आँखें दम घुटने से लाल होकर फैल गई थीं। उसने बिस्तर पर हाथ-पैर मारते हुए, खुद को इस अनदेखे अनजाने बंधन से छुड़ाने की पूरी जद्दोजहद की, लेकिन नाकाम रही।
ध्रुवी (घुटे लहज़े में): अ... अ... अ... अर्जुन।
ध्रुवी ने अर्जुन को पुकारने की नाकाम कोशिश की, कि एकाएक जद्दोजहद के चलते, ध्रुवी की कोहनी साइड टेबल पर रखे शीशे के जग में लगी और अगले ही पल जग ज़मीन पर गिरते ही चकनाचूर हो गया। और जग के टूटने की आवाज़ सुनते ही, अर्जुन की नींद भी टूट गई और वह झट से सोफ़े पर उठ बैठा। अर्जुन सोफ़े से खड़ा हुआ और उसने जल्दी से लाइट ऑन की।
अर्जुन (चौकन्ना होकर): कौन है।
लाइट ऑन होते ही, ध्रुवी के हाथ अचानक उसकी गर्दन पर ढीले पड़ गए। ध्रुवी ने जब ये महसूस किया, तो वह झट से बिस्तर से उठ बैठी। अर्जुन ने जब उसकी लाल गीली आँखें, बिखरे बाल और बेहिसाब घबराया चेहरा देखा, तो उसे लगा कि शायद ध्रुवी ने कोई बुरा सपना देख लिया है और वह डर गई है। अर्जुन ने दूसरी साइड से पानी का ग्लास उठाते हुए, ध्रुवी की ओर बढ़ा दिया।
अर्जुन (पानी का ग्लास ध्रुवी की ओर बढ़ाते हुए): ध्रुवी ये लीजिए, पानी पी लीजिए।
ध्रुवी (झटके से अर्जुन का हाथ हटाते हुए अटकते हुए): न... न... नहीं च... चाहिए।
अर्जुन (ध्रुवी को शांत करने की कोशिश करते हुए): ध्रुवी आप थोड़ा सा पानी पी लीजिए, आपको बेहतर लगेगा। आप बुरे ख़्वाब से डर गई हैं, और कुछ नहीं।
ध्रुवी (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए, घबराहट से अपने बालों में हाथ फेरते हुए): ख... ख़्वाब न... नहीं है... अर्जुन... स... सच है... क... कोई ह... है अर्जुन... क... कोई तो है।
अर्जुन (असमंजस से): कौन... कौन है।
अर्जुन कहते-कहते अचानक ही रुक गया, जब उसने ध्रुवी की गर्दन पर उंगलियों के गहरे निशान देखे, जो ज़ाहिर तौर पर उसके गले पर दबाव बनने से उभरे थे।
अर्जुन (टेंशन भरे भाव से ध्रुवी की गर्दन की ओर इशारा करते हुए): ये क्या हुआ है आपको। ये आपकी गर्दन पर उंगलियों के निशान कैसे हैं ध्रुवी।
ध्रुवी (घबराहट भरे भाव से): अ... अर्जुन ये उस... उसी ने किया है।
अर्जुन (कुछ उलझकर): किसने किया है।
ध्रुवी (थूक गटकते हुए): अर्जुन व... वही... वही अन... अनदेखा सा... साया... जो प... पहले दिन से मु... मुझे इसी त... तरह से परेश... परेशान कर रहा है।
अर्जुन (चकराते दिमाग के साथ): अनदेखा साया। कौन से साये की बात कर रही हैं आखिर आप।
ध्रुवी (डर भरे भाव से): हाँ अर्जुन, म... मैं स... सच कह रही हूँ। अ... अर्जुन क... कोई तो है। य... यकीन करो मे... मेरा... (चारों ओर डर भरे भाव से) स... सच में य... यहाँ क... कोई है... कोई अन... अनदेखा साया।
अर्जुन ने जैसे ही ध्रुवी की बात सुनी, तो उसके चेहरे पर अनजानी टेंशन और उलझन भरे भाव एक साथ उभर आए।
ध्रुवी (अर्जुन को ख्यालों में गुम देखकर): अर्जुन, मैं कुछ कह रही हूँ।
अर्जुन (एक गहरी साँस लेकर): हम सुन रहे हैं आपकी बात, पर सच कहें तो अभी तक आपकी कई बातें हमें महज़ आपका वहम लगती थीं, लेकिन…
ध्रुवी (अर्जुन की ओर देखकर): लेकिन क्या अर्जुन।
अर्जुन (ध्रुवी के गले पर उंगलियों के निशान देखते हुए): लेकिन ये सब देखकर, हम खुद सोच में पड़ गए हैं कि आखिर ये सब है क्या।
ध्रुवी (थोड़ा झिझकते हुए): एक बात कहूँ आपसे, आप बुरा तो नहीं मानेंगे।
अर्जुन (सहज भाव से): कहिए, नहीं मानेंगे हम बुरा।
ध्रुवी (एक पल रुककर): ना जाने क्यों, ये सब जो कुछ भी हो रहा है और वो साया, जिसका है, वो मुझे आपकी पत्नी, अना... अनाया लगती है।
अर्जुन (अजीब असमंजस भरी नज़रों से ध्रुवी को देखते हुए): अनाया।
ध्रुवी (थोड़ा असहज होकर): हम्मम... पता नहीं, पर मुझे हमेशा यही लगता है कि जैसे वो साया अनाया का ही है। (अनकहे डर भरे भाव के साथ) और जैसे मैं उनकी जगह हूँ, इसीलिए वो मुझे चेतावनी देती हैं, डराती हैं।
अर्जुन (ध्रुवी की बात सुनकर एक पल को मुस्कुराकर): ध्रुवी अब आप हद से ज़्यादा सोच रही हैं।
ध्रुवी (उसी गंभीरता से): नहीं अर्जुन, मैं सच कह रही हूँ। मतलब मैंने सुना है कि जिनकी मौत हादसे में हो जाती है, असल में उनकी आत्मा तब तक दुनिया में भटकती रहती है जब तक कि उनकी अपनी मौत का वक्त पूरा नहीं हो जाता। और अनाया की तो ख्वाहिश भी अधूरी हैं, तो ये तो और पक्का हो जाता है ना।
अर्जुन (अचानक ही गंभीरता के साथ): ऐसा नहीं है। हम विश्वास नहीं करते इन चीज़ों में और अगर वाकई ऐसा होता, तो हमारी अनाया पहले हमसे आकर मिलती, क्योंकि वो सबसे ज़्यादा हमें ही चाहती थीं।
ध्रुवी (अर्जुन को टोकते हुए): लेकिन अर्जुन…
अर्जुन (ध्रुवी की बात काटते हुए): छोड़िए ये सब बातें। (कुछ पल के बाद) आप रुकिए, हम आपके लिए दवाई लेकर आते हैं।
इतना कहकर अर्जुन बिस्तर से उठा और कबर्ड से दवाई का बॉक्स निकालकर, उसने एक दवाई ध्रुवी की ओर बढ़ा दी और वापस से सोफ़े की ओर जाने लगा।
ध्रुवी (जाते हुए अर्जुन की कलाई पकड़कर जल्दी से): आप प्लीज़ मत जाइए।
अर्जुन (सहज भाव से): हम कहीं नहीं जा रहे, यहीं सोफ़े पर बैठे हैं। आप आराम से सो जाइए।
ध्रुवी (थोड़ा झिझककर पर मासूमियत से): अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो प्लीज़... आ... आप यहीं बेड पर सो जाइए।
अर्जुन (थोड़ा चौंककर): बेड पर। आपके साथ?
ध्रुवी (जल्दी से अर्जुन की कलाई छोड़कर): नहीं... नहीं... मेरा मतलब था कि हम प्रॉपर स्पेस के साथ, बीच में पिलो की दीवार लगाकर बेड शेयर कर लेंगे। (अपने डर को छुपाते हुए) वो क्या है ना, आप परेशान होंगे सोफ़े पर, बस इसीलिए, वरना और कोई बात नहीं है।
अर्जुन (ध्रुवी का डर भांपते हुए): ओह, रियली?
ध्रुवी (मासूमियत से ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): नहीं... बट टू बी ऑनेस्ट, मुझे सच में यहाँ बहुत डर लग रहा है।
अर्जुन (हौले से मुस्कुराकर): डोंट वरी, हम यहीं सो जाएँगे।
ध्रुवी (चैन की साँस लेते हुए): थैंक्यू सो मच।
अर्जुन (सहज भाव से): हम्मम।
इसके बाद ध्रुवी और अर्जुन ने मिलकर, तकियों की दीवार के सहारे, बेड को दो हिस्सों में बाँट लिया। ध्रुवी ने आईने में देखते हुए अपनी गर्दन पर मरहम लगाया और फिर वह अपनी जगह आकार लेट गई।
अर्जुन (कमरे में मद्धम रोशनी करते हुए): आप सो जाइए आराम से, हमने कमरे में लाइट ऑन ही रखी है।
ध्रुवी (सहजता से): थैंक्यू... गुड नाइट।
अर्जुन (उसी सहजता से): गुड नाइट।
कुछ ही देर में थकान और अर्जुन के पास होने की राहत की वजह से, अब ध्रुवी को जल्द ही नींद आ गई, जबकि अर्जुन की आँखों से नींद कोसों दूर थी। उसने छत की सीलिंग को एकटक देखते हुए मन में सोचा।
अर्जुन (सीलिंग को एकटक देखकर सोचते हुए): क्या ध्रुवी ने जो कहा, वो सच है?.... क्या वो साया अनाया का?
अर्जुन ने एक नज़र सोई हुई ध्रुवी को देखा और उसकी कही बातों को सोचते हुए खुद में ही बड़बड़ाया।
अर्जुन (सोचते हुए): क्या सब ये अनाया कर रही हैं?... (एक पल बाद ही) नहीं... नहीं... ये नहीं हो सकता। अनाया तो मर चुकी हैं, वो वापस कैसे आ सकती हैं?..... और अगर वो वापस आतीं भी, तो सबसे पहले हमारे पास आतीं।
अर्जुन ने जैसे खुद के सवाल का खुद ही जवाब दिया था।
अर्जुन (ध्रुवी की गर्दन के निशानों को देखते हुए): लेकिन आज जो कुछ भी हुआ, फिर वो क्या है। (एक पल रुककर) पहले हमें लगा था कि ये सब ध्रुवी की चाल हैं, वो शायद हमारा ज़हन भटकाने के लिए ये सब कर रही हैं, लेकिन आज सबकुछ हमारी आँखों के सामने ही हुआ, तो फिर हम इसे कैसे अनदेखा कर दें??
इस वक्त अर्जुन एक अनकही उलझन में घिरा था। उसके पास सवाल तो कई थे, लेकिन फिलहाल उनका जवाब वो ढूँढ नहीं पा रहा था।
अर्जुन (उलझन भरे भाव से सोचते हुए): हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि आखिर ये सब हो क्या रहा है?... लेकिन जो भी है, हमें जल्द से जल्द सच का पता लगाना ही होगा।
(क्या है ये सच में अनाया का साया था। क्या वो ध्रुवी से बदला ले रही थी। क्या अर्जुन इन अनसुलझे राज़ो की गुत्थी सुलझा पाएगा। या फिर इन अनसुलझे राज़ों की भेंट चढ़ जाएगी ध्रुवी। जानने के लिए पढ़ते रहिए– "शतरंज (बाज़ी इश्क़ की।)")
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