अर्जुन (उलझन भरे भाव से सोचते हुए): हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि आखिर यह सब हो क्या रहा है। लेकिन जो भी है, हमें जल्द से जल्द सच का पता लगाना ही होगा।
यूँ ही सोचों के भँवर में गुम... ना जाने आखिर में अर्जुन की नींद भी कब लग गई। अगली सुबह जब अर्जुन की नींद खुली, तो सामने ध्रुवी अपने गीले, लंबे बालों को सुलझा रही थी। उसे देखकर, एक पल को अर्जुन को जैसे अनाया का ख्याल आ गया।
अर्जुन (अनकहे एहसास के साथ): अनाया?
अर्जुन अनाया के ख्याल के साथ झट से बिस्तर से उठ बैठा। मगर फिर जब ध्रुवी उसे उठते देख, उसकी ओर मुस्कुराई, तब उसे एहसास हुआ कि असल में वह तो ध्रुवी है। कुछ पल बाद एक कजरी ने कमरे पर दस्तक दी, तो अर्जुन ने उसे अंदर आने की इजाज़त दी।
कजरी (अव्या को अंदर लाते हुए): हुकुम सा, दाई मां ने राजकुमारी अव्या को आपके पास भेजा है।
अर्जुन (अव्या की ओर अपनी बाहें फैलाते हुए): लाएँ दीजिए हमें।
अर्जुन के कहे अनुसार कजरी ने अव्या को अर्जुन की ओर बढ़ा दिया। अर्जुन ने उसका खिलता चेहरा देखकर, खुशी से उसे अपनी गोद में उठा लिया, और कजरी वहाँ से चली गई। अर्जुन अव्या से खेलने लगा।
अर्जुन (अव्या को हवा में उठाते हुए, खिलते हुए चेहरे के साथ): हमारी राजकुमारी, किसकी जान हैं? (एक पल रुककर) अपने बाबा की। (अव्या की ओर अपनी भौहें उचकाते हुए) किसकी जान हैं?
अव्या (अपनी तोतली, लड़खड़ाती ज़ुबान से): बा…बा।
अर्जुन ने जैसे ही अव्या के मुँह से पहली बार ‘बाबा’ सुना, तो वह खुशी से चौंक उठा, और उसके चेहरे की खुशी दुगनी हो गई।
अर्जुन (खुशी भरे उत्साह से अव्या की ओर देखकर): क्या कहा आपने? फिर से एक बार हमें बाबा कहकर पुकारिए तो?
अव्या (अपने दो दुधिया दाँतों से खिलखिलाकर): ब…बा…बा।
अर्जुन ने अव्या के मुँह से पहली बार खुद के लिए ‘बाबा’ सुना, तो उसने उसे कसकर, खुशी भरे भाव से, अपने सीने से लगा लिया, कि एकाएक उसकी नज़र ध्रुवी पर पड़ी, जिसकी आँखें आँसुओं से डबडबाई हुई थीं।
अर्जुन (चिंतित लहज़े से): क्या हुआ ध्रुवी? कुछ हुआ है? आप रो क्यों रही हैं?
ध्रुवी (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए, नम आँखों से मुस्कुराकर): कुछ नहीं, बस डैड की याद आ गई। वह मुझे हमेशा ऐसे ही ट्रीट करते थे।
अर्जुन: ओह।
ध्रुवी (मिले-जुले भाव से): हाँ, असल में बाप वह हस्ती होती है, जो हमसे दूर हो जाएँ, तो समझ आता है कि यह दुनिया कितनी तंगदिली से भरी है, कि इस दुनिया में कितनी मुश्किलात हैं।
अर्जुन (हामी भरते हुए): ठीक कहा आपने, बिल्कुल ऐसा ही है।
ध्रुवी (अनकहे भाव के साथ): सच कहूँ, तो अगर माँ के बिना दुनिया वीरान है, तो पिता के बिना यह जग जलता रेगिस्तान है।
अर्जुन (गम्भीर भाव से): सही कह रही हैं आप। असल में माता-पिता के बिना, जीवन का कोई अर्थ नहीं। (एक पल रुककर) खैर, आप चाहें तो अपने पिता से बात कर सकती हैं, हम आपको नहीं रोकेंगे।
ध्रुवी (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): नहीं।
अर्जुन (अपनी भौहें उचकाते हुए): और इसकी वजह जान सकते हैं हम?
ध्रुवी (मिक्स्ड इमोशन्स के साथ): वह इसीलिए क्योंकि अगर मैंने डैड से बात की, तो मैं कमज़ोर पड़ जाऊँगी।
इतना कहकर ध्रुवी बिना रुके कमरे से बाहर चली गई, और अर्जुन एक गहरी साँस लेकर उसे बस देखता रह गया। कुछ देर बाद सब लोगों के साथ, अर्जुन और ध्रुवी ने नाश्ता किया।
दाई मां (ध्रुवी और अर्जुन की तरफ़ देखकर): आप दोनों वापस आ गए हैं, तो महल में खुशियाँ लौटी हैं। हम चाहते हैं कि आप दोनों आज एक साथ देवी मां के मंदिर में दर्शन करने जाएँ।
अर्जुन (सहजता से): ठीक है दाई मां, आप कहती हैं तो हम चले जाएँगे।
दाई मां (मुस्कुराकर): जी, हमने सारी तैयारियाँ करवा दी हैं। नाश्ते के बाद अव्या और आप मंदिर के लिए निकल जाएँ।
ध्रुवी (हौले से सर हिलाते हुए): ठीक है दाई मां, जैसे आप कहें।
और फिर दाई मां के कहने से, ध्रुवी, अर्जुन और अव्या के साथ, यहाँ से कुछ दूर, शहर के सबसे बड़े मंदिर में दर्शन के लिए निकल गई। दर्शन करने के बाद, ध्रुवी मंदिर से निकल रही थी, कि एकाएक सीढ़ियों पर उतरते हुए, उसकी नज़र अपने से कुछ आगे आर्यन पर पड़ी, जिसे देखते ही, उसके हाथ से थाल वहीं छूटकर गिर गया।
ध्रुवी (शॉक्ड से बड़बड़ाते हुए): आ… आर्यन?
आर्यन अपनी ही धुन में वहाँ से आगे बढ़ गया। उसे वहाँ से जाता देख ध्रुवी हड़बड़ाकर, जल्दी से उसका नाम पुकारते हुए, सीढ़ियों पर उसके पीछे दौड़ पड़ी। और अर्जुन ने जब यह नोटिस किया, और आर्यन को वहाँ देखने के साथ ही, जब ध्रुवी को उसकी ओर दौड़ते देखा, तो घबराहट और डर से, एक पल को उसके चेहरे का रंग ही उड़ गया।
अर्जुन (घबराते हुए): ओह गॉड! अगर ध्रुवी ने आर्यन को यहाँ देख लिया तो बहुत प्रॉब्लम हो जाएगी। नहीं, ऐसा नहीं होने देंगे हम, हमें उन्हें रोकना होगा।
अर्जुन ने आर्यन को वहाँ देखने के साथ ही, जब ध्रुवी को उसकी ओर दौड़ते देखा, तो घबराहट और डर से, एक पल को उसके चेहरे का रंग ही उड़ गया। लेकिन जैसे-तैसे उसने खुद को संभाला, और इस इतनी बड़ी अनहोनी और अपना सच बाहर आ जाने के डर के साथ, वह भी फ़ौरन ही ध्रुवी के पीछे दौड़ पड़ा, और तेज़ी से अपने कदम बढ़ाते हुए, उसने कुछ ही पलों में ध्रुवी की बाजू थामते हुए, उसे रोक लिया।
अर्जुन (अनजान बनकर संजीदगी से): क्या हुआ है ध्रुवी? और आप अचानक यूँ ऐसे किसके पीछे दौड़ रही हैं?
अर्जुन ने ध्रुवी से यह बात इतनी तेज़ आवाज़ में कही थी कि उनसे कुछ कदम आगे चलते आर्यन ने अर्जुन की यह बात बखूबी सुन ली थी, और उसने घबराहट भरी फुर्ती से अपने कदम तेज़ी से आगे बढ़ा दिए।
अर्जुन (आर्यन की दिशा में देखती ध्रुवी के सामने आकर खड़े होते हुए): हम कुछ पूछ रहे हैं आपसे ध्रुवी? क्या हुआ है?
ध्रुवी (अपनी फूलती साँसों के बीच बेसब्री भरे लहज़े से): मैं...मैंने...मैंने अ...अभी यहाँ आर्यन को देखा।
अर्जुन (अपने भाव को कोरा बनाए हुए): आर्यन? कहाँ?
ध्रुवी (झट से अर्जुन के आगे आकर सामने की ओर देखते हुए): यहीं, अभी यहीं मुझसे बस कुछ कदम ही आगे था वह, और…
अर्जुन (ध्रुवी की बात को बीच में ही काटते हुए): यह सिर्फ़ आपका वहम है ध्रुवी, आर्यन यहाँ नहीं है।
ध्रुवी (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): नहीं, यह मेरा वहम नहीं है। (हैरान-परेशान सी चारों ओर अपनी नज़रें घुमाते हुए आर्यन को खोजने की कोशिश के साथ) मैंने खुद देखा है आर्यन को यहाँ, वह यहीं था, मेरी आँखों के ठीक सामने।
अर्जुन (सपाट लहज़े से): ध्रुवी आर्यन यहाँ कैसे हो सकता है?
ध्रुवी (ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए): नहीं, मेरी नज़रें उसके मामले में हरगिज़ धोखा नहीं खा सकतीं, वह यहीं था।
अर्जुन (संजीदगी भरे भाव से): लेकिन यकीनन आपकी नज़रों ने धोखा खाया है, क्योंकि आप शायद भूल रही हैं, लेकिन इस वक्त आर्यन, हमारे पास नज़रबंद हैं, तो उनका यहाँ होना, मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।
अर्जुन की बात सुनकर, ध्रुवी को बहुत हद तक उसकी बात तर्कसंगत लगी थी, लेकिन अभी भी वह पूरी तरह मुतमईन नहीं हुई थी कि यह महज़ उसकी आँखों का एक धोखा भर था, और उसके इस शक को पूरी तरह मिटाने के लिए, अर्जुन ने एक बार फिर अपनी चुप्पी तोड़ी।
अर्जुन (ध्रुवी के शक को मिटाने की कोशिश के साथ): आपको अभी भी संदेह है, तो आप रुकिए, हम अभी आपके सामने, आपके इस शक को मिटा देते हैं।
ध्रुवी (गंभीरता से अर्जुन की ओर देखकर): के…कैसे?
अर्जुन (एक पल रुककर): हम अभी आपकी बात आर्यन से करवा देते हैं।
अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी ने बेचैनी भरी उत्सुकता से उसकी ओर देखा, और अर्जुन ने अपनी जेब से फ़ोन निकालकर नंबर डायल किया, जबकि आर्यन, जो पास ही कुछ दूरी पर एक पिलर के पीछे छिपा था, उसने अर्जुन की बात सुनकर, अपने फ़ोन को तुरंत ही संभाला था।
आर्यन (बड़बड़ाते हुए): बाल-बाल बच गए आज तो।
अर्जुन जानबूझकर आर्यन को आगाह करने के लिए, लगातार तेज़ आवाज़ में बातें कर रहा था, ताकि आर्यन अगले किसी भी कदम के लिए पहले से ही पूरा तैयार रहे, और सब हो भी उसकी सोच के हिसाब से ही रहा था। अगले ही लम्हा फ़ोन की रिंग बजनी शुरू हुई, और कुछ पल बाद दूसरी ओर से आर्यन ने कॉल पिक की, लेकिन अर्जुन ने ध्रुवी के सामने ऐसे प्रिटेंड किया, जैसे वह अपने किसी आदमी से बात कर रहा था।
अर्जुन (आर्यन के कॉल पिक करने के बाद): आर्यन कहाँ हैं? बात कराएँ उनसे हमारी?
अर्जुन को जब यकीन हो गया कि आर्यन उसकी बात समझ चुका है, तो उसने अपने फ़ोन को ध्रुवी की ओर बढ़ा दिया, और ध्रुवी ने बेसब्री भरी उत्सुकता से अर्जुन के हाथ से फ़ोन लेते हुए, अपनी चुप्पी तोड़ी।
ध्रुवी (बेसब्री भरी उत्सुकता से अपनी चुप्पी तोड़ते हुए): हैलो आर्यन, आर्यन कहाँ हो तुम?
आर्यन (मद्धम सहज लहज़े से): मैं जगह तो नहीं जानता, लेकिन यह कोई आलीशान बंगला है, जहाँ मुझे नज़रबंद किया गया है। (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) खैर तुम बताओ कैसी हो? और सब ठीक है ना? तुम अचानक यह सवाल क्यों कर रही हो?
ध्रुवी (अपने गालों पर बहते आँसुओं को पोंछते हुए): कुछ नहीं, बस एक खुशफेमी हो गई थी कि तुम यहीं मेरे पास हो। (एक पल रुककर) खैर, तुम ठीक तो हो ना आर्यन?
आर्यन (सहज लहज़े से): मैं ठीक हूँ ध्रुवी, तुम ठीक हो ना?
ध्रुवी (एक गहरी साँस लेकर अपने जज़्बातों को नियंत्रित करते हुए): हाँ मैं एकदम ठीक हूँ, बस तुम्हें बहुत मिस करती हूँ।
आर्यन (चेहरे पर उभरे गिल्ट भरे भाव से): मैं भी।
ध्रुवी (नम आँखों के साथ मुस्कुराकर): जानती हूँ, अच्छा मैं तुम्हें बाद में कॉल करती हूँ आर्यन।
आर्यन (सहमति जताते हुए): ठीक है, बस तुम ध्यान रखना अपना।
ध्रुवी (मद्धम लहज़े से): हम्मम, तुम भी। (एक पल रुककर) आर्यन?
आर्यन (सहज लहज़े से): हाँ? कुछ कहना है तुम्हें?
ध्रुवी (एक लम्हा ठहरकर, जज़्बातों से भरकर): आई लव यू, आई लव यू मोर देन एनीथिंग।
इतना कहकर ध्रुवी ने बिना आर्यन के किसी जवाब को सुने, फ़ोन रख दिया, और उसकी बात सुनकर, आर्यन कुछ लम्हों तक भी, अनकहे जज़्बातों के साथ, बस फ़ोन की स्क्रीन को देखता रह गया था, और सिर्फ़ वही नहीं, उसकी आर्यन से गुफ़्तगू सुनकर, एक पल को अर्जुन भी खुद से ही सवाल कर बैठा था।
अर्जुन (गौर से ध्रुवी को देखते हुए): क्या वाकई, आज के वक्त में भी कोई निस्वार्थ किसी को इतना टूटकर चाह सकता है कि वह उसके लिए अपने पूरे वजूद को ही मिटाने पर उतारू हो जाए?
अर्जुन ध्रुवी को एकटक देखता खुद से ही सवाल कर रहा था। जब ध्रुवी ने उसकी ओर फ़ोन बढ़ाया, तब उसने झेंपकर अपनी नज़रें उस पर से हटाई।
अर्जुन (मद्धम लहज़े से): हवेली चलें अब?
ध्रुवी (बुझे लहज़े से): हम्मम।
इसके बाद मंदिर से हवेली आने तक दोनों के बीच पूरे रास्ते खामोशी पसरी रही थी। कुछ देर के सफ़र के बाद दोनों हवेली पहुँचे, तो दाई मां ने दोनों को आराम करने के लिए कहा, और दोनों अपने कमरे की ओर चले गए।
अर्जुन (सहजता से): जाइए पहले आप फ़्रेश हो जाइए।
ध्रुवी (हामी भरते हुए): हम्मम।
ध्रुवी फ़्रेश होने के लिए, उस कमरे के बड़े से आलीशान बाथरूम की ओर बढ़ गई। ध्रुवी वॉश बेसिन के नल से अपनी हथेलियों के बीच पानी भरकर, अपने चेहरे पर डालने लगी। कि चेहरे पर पानी डालते-डालते, अचानक ही ध्रुवी की नज़र सामने लगे बड़े से आईने पर पड़ी, और एकाएक उसे ऐसा लगा, जैसे उस आईने में से कोई काला साया, एकदम ही उसकी ओर लपका, और यह महसूस कर, ध्रुवी ने डर भरी घबराहट से झट से अपने कदम पीछे ले लिए।
ध्रुवी (हड़बड़ाकर): य…यह क्या था?
ध्रुवी ने दुबारा गौर से उस आईने की ओर देखा, तो वहाँ सिवाय उसके अक्स के और कुछ भी नहीं था। ध्रुवी ने रफ़ली अपने बालों में हाथ घुमाते हुए, एक गहरी साँस ली, और वह वापस से पानी के नल से, अपनी हथेलियाँ भरने की दरकार से उसकी ओर बढ़ी।
ध्रुवी (खुद से ही बड़बड़ाते हुए): आजकल मैं शायद कुछ ज़्यादा ही चीज़ें इमेजिन करने लगी हूँ।
ध्रुवी ने जैसे खुद को समझाया था, और इस बार जैसे ही उसने अपनी हथेलियाँ नल के नीचे लगाई, और उस नल में से जैसे ही पानी उसकी हथेलियों पर आकर गिरा, तो ध्रुवी के मुँह से, एकाएक डर और दहशत से एक ज़ोरदार चीख निकल पड़ी।
ध्रुवी (डर से चीखते हुए): आहह ह ह ह ह ह ह ह!
उसकी चीख सुनकर, कमरे में बेड पर बैठा अर्जुन फ़ौरन ही हड़बड़ाकर बाथरूम की ओर भागा। बाथरूम में पहुँचकर उसने घबराई सी ध्रुवी को देखा, जो दहशत से अपनी आँखें फाड़े, लगातार एक ही जगह देख रही थी।
अर्जुन (घबराकर): क्या हुआ ध्रुवी? आप अचानक ऐसे चिल्लाई क्यों?
अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी ने कुछ नहीं कहा, उसने बस डर भरी खामोशी से अपनी काँपती उंगली उठाकर एक ओर इशारा किया। उसके इशारे को फॉलो करते हुए, अर्जुन ने फ़ौरन उस बहते हुए नल की दिशा में देखा, और उस नल के बहते पानी को देखकर, अर्जुन की आँखें भी हैरत भरे अविश्वास और शॉक्ड से फटी रह गईं, क्योंकि असल में उस नल से पानी नहीं, बल्कि पानी के रूप में लाल खून बहकर निकल रहा था।
(आखिर किसका खून था यह? सच था? या वहम? आखिर क्या है इस डर के पीछे की पूरी सच्चाई? जानने के लिए पढ़ते रहिए "शतरंज"-बाज़ी इश्क़ की!)
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