कभी कभी अखबारों में आने वाले मेडिकल नेग्लिजेंस के केसस एक अजीब सा डर पैदा कर देते हैं। जब डॉक्टर की एक छोटी सी गलती किसी मरीज की ज़िंदगी पर भारी पड़ जाती है। जिस डॉक्टर ने पूरी ज़िंदगी दूसरों की जान बचाने में लगा दी हो, अगर उसी के हाथों किसी की सांसें थम जाएं, तो वो बोझ आसान नहीं होता।
कुछ साल पहले अहमदाबाद में एक ऐसा ही केस सामने आया था, जब एक सर्जरी के दौरान हुई एक मामूली गलती ने पूरे अस्पताल की मान-मर्यादा को हिला कर रख दिया था।
डॉक्टर राघव का मशहूर केस!
वो पल, जब उसकी स्टेडी हाथों से एक जान बचाने का काम, एक भारी गलती में बदल गया और आज, उसे उसी घातक गलती का सामना फिर से करना था।
राघव के लिए सर्जरी सिर्फ एक प्रफेशन का हिस्सा नहीं था। बचपन में ही उसने ठान लिया था कि वो डॉक्टर बनेगा। उसके बाद, मेडिकल कॉलेज में टॉप पर रहना, हर मुश्किल सर्जरी को सफलता से पूरा करना—यह सब उसके लिए आम बात थी। वह जानता था कि उसकी काबिलियत उसे दूसरों से अलग बनाती है। 
लाइब्रेरी का ठंडा, रहस्यमयी माहौल, जहां किताबें धूल से ढकी हैं, वहां कोने में खड़ी लाइब्रेरियन की छाया धीरे-धीरे उभरती है, और उसकी आंखें राघव की ओर टिक जाती हैं। 

लाइब्रेरियन: "अब अपनी गलती से रूबरू होने की बारी तुम्हारी है, राघव। अपनी लड़ाई के लिए तैयार होने से पहले तुम्हे उस गलती को एक बार पूरी तरह से देखना होगा।"

डॉक्टर राघव ने अपने जीवन में कई जिंदगियाँ बचाई थीं। एक प्रतिभाशाली सर्जन, जिसने ज़िन्दगी के काफी साल हॉस्पिटल की ऑपरेटिंग टेबल पर बिताए थे। उसके स्टेडी हाथों और उसकी क्लिनिकल प्रिसीजन की वजह से वह शहर के सबसे जाने-माने सर्जन्स में से एक था लेकिन एक दिन... एक गलती ने सब कुछ बदल दिया।"
राघव के सामने अब उसके अतीत की फिल्म चलना शुरू होती है। 
हॉस्पिटल का माहौल हमेशा की तरह हलचल से भरा हुआ है। चारों तरफ मरीज़ों की धीमी-धीमी आवाज़ें, हल्की बातचीत, कहीं डॉक्टर के सजेशन्स, तो कहीं मरीज़ों के दर्द में करहाने की आवाज़। माहौल में एक अजीब सी बेचैनी घुली हुई है, जैसे किसी बड़े फैसले का वक्त आने वाला हो।
राघव का करिअर हमेशा सफलता से भरा रहा। वो एक ऐसा डॉक्टर था जिस पर सब भरोसा करते थे। मुश्किल सर्जरी  करना और बिना किसी दुविधा के सही फैसला लेना उसके लिए आम बात थी लेकिन उस एक सर्जरी ने उसे बदल कर रख दिया।
राघव तेज़ी से ऑपरेशन थियेटर की ओर बढ़ रहा है। उसके हाथों में सफेद दस्ताने हैं, जो ऑपरेशन की तैयारी के दौरान उसने पहन लिए हैं। माथे पर पसीने की हल्की बूंदें चमक रही हैं, जो नर्वसनेस और जिम्मेदारी का बोझ साफ दिखा रही हैं, और नर्वसनेस क्यों न होती आखिर ये एक 8 साल की बच्ची की सर्जरी जो थी।
ऑपरेशन थिएटर में घुसते ही एक अजीब सी शांति और तनाव का माहौल महसूस होने लगता है। सफेद रोशनी की तेज़ चमक चारों ओर फैली हुई है। हर तरफ मॉनिटर की धीमी-धीमी बीप की आवाजें माहौल को और गंभीर बना रही हैं। नर्सें अपने-अपने काम में लगी हुई हैं—कोई उपकरण सहेज रही है, तो कोई सर्जरी के लिए जरूरी औज़ार संभाल रही है।

मरीज़ को ऑपरेशन टेबल पर लिटा दिया गया है। चारों तरफ से मॉनिटर से जुड़ी हुई एक 8 साल की बच्ची। उसकी सांसें भी मॉनिटर की बीप के साथ तालमेल बना रही हैं।
जैसे ही राघव ने पहली कटिंग की तैयारी की, ऑपरेशन की हलचल शुरू हो गई। एक नर्स ने मास्क ठीक किया, दूसरी ने स्क्रब, राघव को पहनाया लेकिन ग्लव्स पहनते हुए राघव को महसूस हुआ की उसके हाथों में आज थोड़ी बेचैनी है, जैसे वो स्टेडी हाथ अब भारी हो गए हों लेकिन राघव को भरोसा था कि वो इस केस को संभाल लेगा।
राघव ऑपरेटिंग टेबल के पास जाता है। उसका मन शांत है, लेकिन उसके दिल में एक अजीब सा डर है, जिसे वो नजरअंदाज करता है। बच्ची ऑपरेटिंग टेबल पर बेसुध लेटी है। मॉनिटर की बीप-बीप की आवाज़ कमरे में गूंज रही है। राघव नर्सों को कुछ समझाता है, और सर्जरी शुरू करता है।

माहौल तो शांत है, मगर उस शांति के पीछे एक अजीब सा दबाव है। 
सर्जरी का पहला घंटा आराम से गुजर गया। राघव के हाथ अभी तक स्टेडी हैं, और वह हर कदम सोच-समझ कर उठा रहा है लेकिन फिर... अचानक ही कुछ गलत होने लगता है। राघव के हाथों में हल्की कंपकंपी आने लगती है। उसकी सांसें तेज़ होने लगती हैं। वह हर बार जब स्कैलपल उठाता है, उसे अपने ही हाथों पर भरोसा कम होता महसूस होता है। वो कुछ सेकंड ऑपरेशन रोक के अपने हाथों की कसरत करता है। 

राघव: "आज ऐसा क्या हो रहा है? ऐसा होना तो नहीं चाहिए। फोकस राघव, फोकस!"

राघव को लगता है कि ये सिर्फ एक पल की घबराहट है। वह अपने काम पर ध्यान देने की कोशिश करता है, लेकिन उसकी उंगलियों की कंपकंपी अब तेज़ होती जा रही है।
राघव के हाथ अब पूरी तरह से कांपने लगे थे। सर्जरी का एक क्रूशियल मोड़ था, जहां उसे बेहद सावधानी से फैसला लेना था लेकिन उसकी घबराहट बढ़ती जा रही थी और फिर, वही हुआ जिससे वह सबसे ज़्यादा डरता था। 
जिस मॉनिटर पर उस बच्ची की हार्ट बीट समझ आ रहीं थीं उसकी बीप्स अचानक से तेज़ हो गईं। पहले धीरे-धीरे चल रही थीं, अब एकदम दौड़ने लगीं, जैसे कुछ गलत हो रहा हो। हर बीप के साथ राघव की टीम के चेहरों पर बेचैनी साफ दिखने लगी। वो छोटा सा कट अब जैसे बड़ी मुसीबत की दस्तक दे रहा हो।
जैसे ही राघव ने स्कैलपल को आगे बढ़ाया, उसे अचानक एक झटकेदार फ़ीलिंग हुई। उस पल, उसे महसूस हुआ कि उसने गलत जगह कट लगा दिया है। उसकी सांसें अटक गईं, और हाथों की स्थिरता टूटने लगी। उसने तुरंत उस बच्ची की बॉडी की तरफ देखा, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी—उसके हाथ की गलती से एक महत्वपूर्ण अंग पर कट लग गया था, और वह अंग अब पंक्चर हो गया।

राघव: "नहीं... ये कैसे हो सकता है? मैंने गलती कर दी… नो.. नो.. मुझे कुछ करना होगा।"

मॉनिटर की बीप अब और तेज़ हो रही है, बच्ची की दिल की धड़कनें असंतुलित होने लगी हैं। राघव के दिमाग में हलचल मच गई थी, पर बाहर से उसे सब कुछ नियंत्रण में दिखाना है। उसकी सांसें तेज़ हो जाती हैं और आँखों के सामने सब कुछ धीमा पड़ने लगता है। उसकी टीम ने उसे घबराते हुए देखा, लेकिन राघव ने खुद को संयमित रखते हुए कुछ कहने की कोशिश की।
वो पूरी ताकत से कोशिश करता है कि वो इस गलती को सुधार सके लेकिन अब कुछ भी काम नहीं कर रहा है। बच्ची का दिल धीमा पड़ने लगा है। मॉनिटर की बीप पहले धीमी हुईं, और फिर एक सीधी रेखा में बदल जाती है।
राघव की उंगलियों ने तुरंत प्रेशर बनाया, लेकिन उस अंग को सही करने का समय निकल चुका है। वो खून जो टेबल पर गिर रहा है, अब एक बड़ा खतरा बन चुका है। राघव का दिल जोर से धड़कने लगता है।
दिल के मॉनिटर की बीप अचानक एक लंबी, सपाट आवाज़ में बदल गई—"बीईईईप" जिसने पूरे ऑपरेशन थियेटर को सन्नाटे में डाल दिया। सब कुछ ठहर सा जाता है। नर्सों के हाथ जहां थे वहीं रुक गए, राघव के चेहरे पर एक सन्नाटा छा गया। मॉनिटर की ये लंबी, सपाट बीप अब एक ही चीज़ का संकेत देने लगी—बच्ची की धड़कनें थम चुकी हैं।
राघव के लिए ये पल उसकी पूरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सदमा है। उसने खुद अपने हाथों से एक ज़िंदगी को खत्म होते देखा।
राघव हैरान खड़ा है। उसकी आंखों में आंसू हैं, लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता। उसकी टीम के लोग भी हैरान परेशान हैं। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर क्या हुआ।

राघव: "मैं... मैंने इसे बर्बाद कर दिया।"

वो ऑपरेशन टेबल के पास खड़ा होकर बस उस मासूम बच्ची के चेहरे को देखता रहा। उसकी घबराहट पछतावे में बदल गई। उसने अपने अभी तक के करियर में कभी इतनी बड़ी गलती नहीं की थी लेकिन आज, उसके ही हाथों से एक मासूम की जान चली गई।
सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स को धीरे-धीरे हटाए जाने की हल्की आवाज़ें, नर्सों की धीमी-धीमी फुसफुसाहटें, और मॉनिटर की लगातार गूंजती सपाट 'बीप' की आवाज़, जो कमरे में अब एक अजीब सी शान्ति भर रही थी, अब वहां हर तरफ एक ठहराव है। जैसे ज़िंदगी थम गई हो, और अब बस उस पल की गूंज बाकी रह गई हो।
अचानक, राघव लाइब्रेरी में लौट आया। उसका शरीर पसीने से तर था। उसके दिल की धड़कनें तेज़ थीं, और उसकी सांसें मानो उसके शरीर से उखड़ रही हों।
वो वापस लाइब्रेरी में था, लेकिन वो दर्द, वो पछतावा अब भी वैसा ही है। उसकी आत्मा पर वो बोझ आज भी उतना ही भारी है। उसने वो सर्जरी फिर से जी, और उसे एहसास हुआ कि कुछ भी नहीं बदला है।
राघव घुटनों के बल गिर जाता है। उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। उसने फिर से वो पल देखा, जब उसने एक जान को खो दिया और आज, वो उस पल से और भी ज़्यादा टूट चुका है।

राघव: "मैंने उसे मार दिया... मैंने सब कुछ बर्बाद कर दिया। वो छोटी सी बच्ची.. मैं उसके माँ - बाप को जवाब नहीं दे पाया। मैं एक अच्छा डॉक्टर नहीं हूँ। मैंने एक ज़िंदगी खत्म कर दी।"

लाइब्रेरियन, धीरे-धीरे उसके पास आई। उसकी आंखों में कोई सहानुभूति नहीं है, बस एक गहरा सवाल।

लाइब्रेरियन: “ये तुम्हारी गलती थी, और इसे भूलना तुम्हारे लिए आसान नहीं होगा लेकिन क्या वक़्त आने पर तुम इसका सामना कर पाओगे?”

राघव: “और कैसे सामना करूँ? अब और क्या बचा है?”
लाइब्रेरियन: "अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ राघव, बचा तो बहुत कुछ है।"
राघव ने धीरे से लाइब्रेरियन की ओर देखा। 
उसकी आंखों में डर, और गहरा दर्द है, लेकिन वो जानता है कि इस दर्द से भागने का अब कोई रास्ता नहीं है। उसे इस सच का सामना करना ही होगा।
उसे अपनी गलती का सामना करना ही होगा। राघव ने एक गहरी सांस ली। उसकी आंखों में अभी भी आंसू हैं लेकिन उसे अब पता चल चुका है कि इस गलती का सामना करना ही उसकी परीक्षा है।
क्या वो इस दर्द को फिर से सह पाएगा? या ये पछतावा उसे हमेशा के लिए कैद कर लेगा? 
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

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