सम्राट ने आकर टीम को बताया कि उन पर कोई नज़र रख रहा था। सम्राट की बात सुनकर टीम टेंशन में आ गई। अर्जुन एक पेड़ से टिककर थोड़ी देर कुछ सोचते रहे, फिर टीम से बोले,
अर्जुन- सब लोग मेरी बात ध्यान से सुनो... अगर कोई सच में हमारा पीछा कर रहा है, तो इसका मतलब है कि अब हमारा मिशन सीक्रेट नहीं बचा है और हमें अब बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। विक्रम, स्टे अलर्ट, पूरी टीम की सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है।
टीम अब पहले से ज़्यादा सतर्क होकर अपने मिशन में आगे बढ़ रही थी और जो इस टीम का पीछा कर रही थी, वह थी, इंडिया के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट राजवीर मल्होत्रा और उनकी टीम। राजीव मल्होत्रा को हमेशा से ही प्राचीन चीज़ों में दिलचस्पी थी। वह इस जंगल में उसी चीज़ की तलाश में थे, जिसको अर्जुन मेहरा की टीम ढूँढ रही थी। राजवीर बेचैनी से इधर-उधर घूम रहे थे। वे कभी घड़ी में टाइम देखते, तो कभी घर का दरवाज़ा। ऐसा लग रहा था, जैसे वह किसी के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हों।
अचानक उनका मोबाइल वाइब्रेट हुआ। राजवीर ने बिना समय गवाए मोबाइल कान के पास लगाया और बोले,
राजवीर- हाँ मलखान... जल्दी बोलो, क्या ख़बर है? कुछ पता लगा या बस बेवकूफ़ ही बनाते रहोगे?
मलखान की आवाज़ में ख़ुशी थी, उसने कहा "सेठ, आज ऐसी ख़बर लाया हूँ कि आप भी सुनकर उछल जाएंगे। आज मेरे आदमियों ने अर्जुन का पता लगा लिया है... लेकिन एक प्रॉब्लम है..."
राजवीर- अब क्या प्रॉब्लम है?
मलखान ने कहा "वो अकेला नहीं है, बल्कि उसके साथ 4-5 लोग और भी हैं। वह लोग ज़रूर किसी चीज़ की तलाश में हैं।"
राजवीर-मलखान, मुझे जल्दी पता लगाकर बताओ, वह लोग कहाँ तक पहुँचे हैं? मुझे हर हाल में उनसे पहले मंदिर तक पहुँचना होगा।
मलखान की आवाज़ में अब क्रूरता थी, उसने कहा "सेठ, आप टेंशन मत लो, मेरे आदमी उनका पीछा कर रहे हैं। आप बस मेरी जेब का ध्यान रखो, बाक़ी अर्जुन की पल-पल की ख़बर आपको मिलती रहेगी।"
राजवीर- हाँ, पता है मुझे। तुम्हारी रक़म टाइम पर पहुँच जाएगी।
राजवीर ने फ़ोन काट दिया। उसे पता था कि अगर अर्जुन उस मंदिर तक पहुँच गया, तो ख़जाना उसके हाथ से निकल जाएगा। उसने मलखान और उसके आदमियों पर भरोसा रखने के बजाय अपनी ख़ुद की एक टीम बनाकर जंगल में भेजने का फ़ैसला किया।
इधर अर्जुन और उनकी टीम, एक के बाद एक पहेलियाँ हल करते हुए घने जंगल में बहुत अंदर तक पहुँच चुकी थी, जहाँ दूर-दूर तक सिर्फ़ पेड़ों, जानवरों और अंधेरे के अलावा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। टीम को कभी काँटों की झाड़ियों के बीच से बचकर निकलना पड़ता, तो कभी कीचड़ और दलदल से। दिन में सूरज की तेज़ रोशनी उनकी पूरी एनर्जी खींच लेती, तो रात होते ही जंगली मच्छरों का झुंड उन पर हमला कर देता, लेकिन टीम हर चैलेंज को पार करते हुए लगातार आगे बढ़ती जा रही थी।
आज भी टीम पूरे दिन बिना रुके चलती रही। अब अँधेरा गहराने लगा और टीम भी बुरी तरह थक चुकी थी, इसलिए उनका एक जगह रुककर रेस्ट करना बहुत ज़रूरी हो गया था।
डॉ मीरा- गाय्ज़... मैं अब और नहीं चल सकती और रात भी होने वाली है, क्या हम लोग यहाँ नहीं रुक सकते? प्लीज़।
विक्रम- वैसे यहाँ रुका तो जा सकता है, लेकिन यह जंगल का निचला इलाक़ा है और नदी भी पास ही है, इसलिए यहाँ जानवरों का ख़तरा ज़्यादा हो सकता है।
अर्जुन ने विक्रम को इशारा किया। इशारा पाकर विक्रम ने एक पेड़ पर चढ़कर देखा, तो उसे वहाँ से थोड़ी ही दूर पत्थरों की एक गुफ़ा जैसी जगह नज़र आई। टीम बहुत थक चुकी थी, लेकिन फिर भी जैसे-तैसे उस गुफ़ा के पास पहुँची।
आइशा- मास्टर इस सुनसान जंगल में पत्थरों की गुफ़ा आख़िर बनाई किसने होगी?
सम्राट- कहीं हमें फँसाने के लिए तो नहीं बनाई गई? मुझे लगता है, हमें इसके अंदर जाना ही नहीं चाहिए।
अर्जुन- रीलैक्स, सब इस जगह को ध्यान से देखो, इसके पत्थरों पर काई जमी हुई है। अगर इसे अभी बनाया गया होता, तो इस पर काई नहीं जमती।
टीम ने उस गुफ़ा के अंदर जाने का निर्णय लिया। अंदर का नज़ारा देखकर टीम आश्चर्यचकित रह गई, क्योंकि बाहर से वह बस एक गुफ़ा लग रही थी, लेकिन अंदर एक अलग ही दुनिया थी। हर तरफ़ खूबसूरत पत्थर चमक रहे थे। अंदर भी छोटी-छोटी, सैकड़ों गुफ़ाएँ बनी हुई थीं। ऐसा लग रहा था जैसे वे एक अलग दुनिया में आ गए हों।
सम्राट- यह वाकई में रियल है या किसी ने हमें धोखा देने के लिए बनाई है? मैंने इससे पहले जंगल में इतनी खूबसूरत जगह नहीं देखी। लेकिन एक मिनट, चाँद की लाइट में तो इन पत्थरों की लाइट सफेद होनी चाहिए न? फिर इनकी लाइट रंगीन क्यों है?
सम्राट का सोचना सही था, लेकिन किसी ने भी उसकी बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि टीम बहुत थक चुकी थी और जब शरीर थका हुआ हो, तो दिमाग़ भी काम नहीं करता। उन लोगों के जंगल में आने के बाद से आज पहली बार इतनी अच्छी जगह मिली थी, इसलिए सब इस खूबसूरत जगह को बहुत देर तक निहारते रहे और थककर सो गए।
रात में ठंड की वज़ह से अर्जुन की नींद खुल गई। उसकी नज़र आसमान में चमकते तारों पर पड़ी। वह सोच रहा था, रात में आसमान कितना साफ़ और खूबसूरत लगता है। अचानक अर्जुन को याद आया, वह तो गुफ़ा के अंदर सो रहा था, फिर आसमान कैसे दिख सकता था?
उन्होंने इधर-उधर देखा तो अपने आप को हवा में झूलता हुआ पाया। अर्जुन, वैसे तो बहुत बहादुर थे, लेकिन ऐसी स्थिति में वे अंदर तक काँप उठे थे। अचानक उनकी नज़र दो भयानक आँखों पर पड़ी, जिनसे तेज़ रोशनी निकल रही थी। अर्जुन ने अपनी पूरी ज़िंदगी में इससे भयानक कुछ नहीं देखा था। अर्जुन चीखना चाहते थे, लेकिन डर की वज़ह से उनके मुँह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे।
अर्जुन- क... क... कौन... हैं... वहाँ.
अचानक हवा में तेज़ हँसी की आवाज़ गूंजने लगी और थोड़ी देर बाद वह आवाज़ अपने आप बंद हो गई... "मैं वही यक्ष हूँ, जिसने महाभारत में प्यासे युधिष्ठिर से प्रश्न पूछे थे।"
अर्जुन- क... कौन यक्ष? कौन युधिष्ठिर? देखो... तुम जो भी हो... पहले मुझे नीचे उतारो।
अर्जुन की बात ख़त्म होने से पहले ही यक्ष ने फिर कहा,
"मुझे पता है, तू यहाँ क्या ढूँढने आया है। लेकिन तू पहला नहीं है, जो मृत्यु को गले लगाने आया है । तुझसे पहले भी कुछ खोजी इसी कोशिश में मेरे हाथों मारे जा चुके हैं। अब तेरा जीवन तेरे हाथों में है।"
अर्जुन, यक्ष की बात का मतलब समझ नहीं पाया। यक्ष ने फिर कहा, "मैं तुझसे 5 प्रश्न पूछूंगा। अगर तूने पांचों प्रश्नों के सही जवाब दिए, तो तुम्हें और तुम्हारे साथी को ज़िंदा जाने दूंगा। वरना तुम पांचों का आज मारना तय हैं।"
इसके बाद यक्ष ने अर्जुन से 5 प्रश्न पूछे। अर्जुन ने उन प्रश्नों के सही जवाब देकर यक्ष को भी आश्चर्यचकित कर दिया।
"तुमसे पहले ऐसा कोई नहीं कर पाया, जाओ तुम्हें जीवन-दान देता हूँ... इसी रास्ते पर आगे बढ़ते जाओ... एक प्राचीन मंदिर ही तुम्हारी मंज़िल है।"
इतना बोलकर यक्ष गायब हो गया।
सुबह नींद खुलने पर अर्जुन ने अपने आप को गुफ़ा में पाया। रात को यक्ष ने उससे कौन से सवाल पूछे और उसने क्या जवाब दिए, उसे याद नहीं था, क्योंकि यक्ष ने उसकी वह याददाश्त छिन ली थी, लेकिन अर्जुन को प्राचीन मंदिर वाली बात अभी भी याद थी। अर्जुन को अपना लक्ष्य बहुत नज़दीक दिखाई दे रहा था। सुबह अर्जुन और पूरी टीम फिर से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गए।
उधर राजवीर, मंदिर के ख़जाने की खोज करने के लिए अपनी टीम को एक्टिव कर चुका था। उसके लोग जंगल में हर तरफ़ फैल गए। कुछ लोग अर्जुन और उनकी टीम को ढूँढने में लगे थे। राजवीर ने मलखान का पिछला पेमेंट नहीं किया तो उसने जंगल से अपने आदमियों को वापस बुला लिया था।
राजवीर के भेजे हुए लोगों में से कुछ ऐसे भी थे, जिनको राजवीर के काम से ज़्यादा कोई मतलब नहीं था, वे जंगल में अपना वेकेशन एन्जॉय कर रहे थे। उसकी टीम के एक आदमी, बलवीर ने संजय से कहा, "यार संजय... ये राजवीर पागल हो गया है क्या? जो इस भयानक जंगल में हमें खज़ाना ढूँढने के काम में लगा रखा है। इसके पिताजी छोड़कर गए थे क्या यहाँ पर खज़ाना, इसके लिए?" बलवीर की बात सुनकर संजय खिलखिलाकर हँस पड़ा और बोला। "क्या पता यार, ये बड़े लोग कब पागल हो जाते हैं, पता ही नहीं चलता और सबसे बड़ी बात... उसने टीम लीडर भी इतने बड़े चोर को बनाया है कि अगर गलती से खज़ाना मिल भी गया तो, वह राजवीर को बताएगा ही नहीं।" "तब बलबीर कहता है-खज़ाना किसी को भी मिले, हम तो यहाँ मजे कर रहे हैं... बस बहुत है हमारे लिए। सैलरी भी और वेकेशन भी... और क्या चाहिए लाइफ में। उधर टीम" अर्जुन" प्राचीन मंदिर की खोज में पश्चिम दिशा में लगातार आगे बढ़ती जा रही थी। यक्ष के कन्फर्मेशन के बाद टीम नई ऊर्जा से भर गई थी। वे लोग चलते-चलते कब एक पहाड़ी पर पहुँच गए, उन्हें भी इसका पता तब लगा, जब सामने एक खतरनाक घाटी और एक पुराना मंदिर नज़र आया। मंदिर देखकर पूरी टीम ख़ुशी से झूम उठी थी।
आइशा- मास्टर... हमने कर दिखाया। हमने मंदिर ढूँढ लिया।
डॉ मीरा- हाँ... और देखने में ये मंदिर बहुत ही पुराना लग रहा है... वैसे भी ये जंगल इतना भयानक है कि यहाँ इसके अलावा दूसरा मंदिर मिलना मुश्किल है।
टीम को मंदिर नज़र आ गया था लेकिन उनके सामने एक बड़ा चैलेंज आ खड़ा हुआ था। उन्हें उस ख़तरनाक घाटी से नीचे उतरना था, जहाँ हर तरफ़ कटीली झाड़ियों के अलावा और कुछ नज़र नहीं आ रहा था। उस घाटी को देखकर टीम अर्जुन टेंशन में आ गई थी।
आइशा ने मास्टर की ओर देखा, जैसे पूछ रही हो कि अब हम क्या करेंगे? मास्टर धीरे से मुस्कुराए और अपना एक उपकरण निकाला, निशाना साधा और चला दिया। लेकिन ये क्या... मास्टर का तीर अपना निशाना चूक गया था।
क्या मास्टर अगली बार सटीक निशाना लगा पाएंगे? क्या टीम अर्जुन सही प्राचीन मंदिर तक पहुँच पाएगी? और क्या होगी इनकी अगली चुनौती, जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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