अगले दिन…

मेल्विन अक्सर अपने रोजमर्रा के कामों की तरह अपने आर्ट जुड़े कामों में लगा हुआ था कि तभी अचानक से मिस्टर कपूर उनके सामने आ खड़े हुए। 

"मेल्विन! मैं जानता हूँ कि मैं अभी जो कहने जा रहा हूँ उसे सुनकर तुम्हें कोई बहुत ज्यादा हैरानी नहीं होगी। पर फिर भी तुम अभी के हालातों को समझते ही होंगे।"- मिस्टर कपूर ने कहा। 

"क्या आप मुझे फिर से निकलवाना चाहते हैं?"- मेल्विन ने मिस्टर कपूर की तरफ देखते हुए कहा। 

"क्या? अरे नहीं नहीं। मैं ये जानता हूँ कि यह कंपनी तुम्हारे लिए कितनी ज्यादा जरूरी है और तुमने तो मेरी जान बचाई हम ऐसे में तुम्हें कैसे कम्पनी से निकाल दूँ। असल में, मैं तो तुमसे बस ये कहना चाहता हूँ कि तुम कुछ दिनों की छुट्टी ले लो, तब तक जब तक मामला ठंडा नहीं हो जाता। तुम तो जानते ही हो कि कल से तुमको लेकर कैसी अफवाहें उड़ रही हैं और ऐसे हालत में तुमको इस कम्पनी में देखा जाना न सिर्फ हमारी कम्पनी बल्कि उन लोगों की नपुकृ तक को मुश्किल में डाल देगा। मेरे ख्याल से तुम मेरी बात अच्छे से समझ रहे होंगे मेल्विन! मैं बस अंत में इतना कहना चाहूँगा की तुम अपने विवेक से काम लो।"- मिस्टर कपूर ने कहा। 

अक्सर लोग अपने बॉस के सामने छुट्टी के लिए गिड़गिड़ाते हैं, ऐसा पहली बार था कि इस बार किसी कम्पनी का बॉस अपने एम्पलाइ के छुट्टी को लेकर गिड़गिड़ा रहा था। ये ख्याल मेलविन के मन में आते ही वह मन ही मन मुस्कुरा उठा। 

"ठीक है बॉस। मैं आपकी बात समझता हूँ और उन फैसलों को मानने के लिए तैय्सर हूँ जिससे फायदा कंपनी को हो।"- मेल्विन ने जवाब दिया।

अब बात कंपनी के साख की थी और यह बात सारे एम्प्लाइज को बता दी गयी थी। सबको पता था कि कंपनी की साख का डूबना उनकी नौकरी को खतरे में डालना था। और इस जगह पर कई ऐसे लोग थे जो इस कंपनी की शुरुआत से यहाँ जुड़े हुए थे इसलिए यह कंपनी उनके लोए दुसरे घर से कम न थी। वे सभी इसे हर हाल में बचाना चाहते थे। 

"मेरे ख्याल से हमें अपने मैगज़ीन के अगले ईशु में एक पब्लिक अपोलॉजी मांगनी चाहिए और यह क्लेरिफाई करनी चाहिए कि मेल्विन से जुड़ी घटनाएँ पुरी कम्पनी को रिप्रेजेंट नहीं करती। और उस घटना के एवज में न सिर्फ हम मेल्विन को अगली जाँच तक के लिए सस्पेंड कर रहे हैं बल्कि एक फ्री मैगज़ीन का अवसर भी ला रहे हैं जिसमें हम एक पूरा एडिशन लोगों में फ्री बांटेंगे।"- मिस्टर कपूर ने कहा। वो ये बात एक मीटिंग के दौरान कह रहे थे जहाँ उसकी कंपनी के मार्केटिंग डिपार्टमेंट के बड़े बड़े दिग्गज वहाँ बैठे हुए थे। 

"वैसे सर! सिर्फ फ्री मैगजींस बाँटना इसका समाधान नहीं होगा। बल्कि हमें कुछ ऐसा करना होगा जिससे की हमारे ग्राहक मैगज़ीन को लेकर ज्यादा इन्वोवलमेंट फील करे। इसे अपना माने। तभी जाकर हम इस नेगेटिव पब्लिसिटी से बच पाएंगे।"- मार्केटिंग हेड ने कहा। 

"हम्म! तुम्हारी बात भी सही है। वैसे तुम इसके लिए कौन सा सुझाव देते हो?"- मिस्टर कपूर ने उनसे पूछा। 

"मुझे लगता है हमें एक टैलेंट हंट कम्पटीशन जैसा कुछ करना चाहिए जिसमें अपनी मैगज़ीन के लिए नए तरह के क्रिएटिव ढूंढ सके। ऐसे में उनके काम के छपने की खुशी और क्रिएटिव फील्ड में काम करने का मौका हमारे कई वफादार ग्राहकों को हमारे खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार को भूलने में मदद मिलेगा।"- उन्होंने सजेस्ट किया। 

"हाँ! तुम्हारा कहना भी सही है। हम ऐसा कुछ भी कर सकते हैं।"- मिस्टर कपूर ने हामी भरते हुए कहा। 

"मुझे नहीं लगता यह काम करेगा।"- मार्केटिंग हेड ने कहा- "मुझे नहीं लगता कि सिर्फ इतना कर देने से कोई बात बेनगी। क्योंकि हमारे खिलाफ एक पूरी आर्गेनाईजेशन साजिश कर रही है। ऐसे में हमारी ऐसी छोटी मल्टी कोशिशें बेकार ही साबित होंगी।"- उसने आगे कहा। 

"तो तुम क्या सुझाव देना चाहोगे?"- मिस्टर कपूर ने आगे पूछा। 

"मेरे ख्याल से हमें भी किसी तगड़े ऑर्गेनाजेशन या फिर सेलिब्रिटी की मदद लेनी चाहिए। उससे जुड़ी शायद कोई कंट्रोवर्सरी काम आ जाए। आपकी तो इतनी पहुँच है। आप इस मामले में अपने कनेक्शन्स से मदद क्यों नहीं लेते?"- उसने कहा- "अगर फिर भी यह मुमकिन नहीं तो क्यों न हम इसी नेगेटिव पब्लिसिटी को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करें! इसे ही गरम खबर बनांकर छापे?" 

मिस्टर कपूर भी कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया। फिर उसने कहा- 

"हम्म! तुम्हारी बात भी ठीक है। मैं आज शाम तक अपना ओपिनियन देता हूँ। तब तक तुमलोग नए-नए आईडीयाज सजेस्ट करते रहो।"- मिस्टर कपूर ने आगे कहा। 

यहाँ ऑफिस में मैगज़ीन की साख बचाने को गहमा गहमी चल रही थी। वहीं मेलविन भी अलग चीजों को लेकर परेशान था। 

वह सुबह से लगातार रेबेका को कॉल लगाए जा रहा था पर रेबेका ने अब तक एक भी कॉल रिसीव नहीं किया था। काफी कोशिशों के बाद एक कॉल उसने उठाया। 

"हेलो!"- रेबेका ने कहा। 

"अह, हाय रेबेका। मैं बस तुमसे कल की हरकतों के लिए माफी माँगना चाहता था। आई एम रियली सॉरी।"- उसने कहा। 

"इट्स ओके।"- उसने कहा-"मैं तुम्हारे हालातों को समझती हूं  पर मुझे माफ़ करना। मैं अभी तुमसे करने के हालात में नहीं हूं।"- उसने अपनी बात पूरी की। 

"ओह, हेलो रेबेका। अभी फोन मत काटो, प्लीज़। मैं बस ये जानना चाहता था कि अंकल आंटी कल के हालातों को लेकर क्या कहें?"- उसने पूछा। 

"अगर तुम न ही जानो तो अच्छा है। क्योंकि तुम्हारे बारे में पूरी मीडिया तरह तरह की बातें कर रही है। ऐसे में अपनी बेटी को ऐसे घर में कौन ही माँ बाप देना चाहेगा।"- उसने कहा। 

"मेरा यकीन करो। मुझ पर जितने भी इल्ज़ाम लगे हैं। वे सभी न सिर्फ बेबुनियाद हैं बल्कि वे सभी आरोपो को मैं जल्द ही अपने ऊपर से हटा लूँगा।"- मेल्विन ने कहा। 

"ठीक है, बेस्ट ऑफ लक।"- इतना कहकर रेबेका ने फोन काट दिया। 

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। मैगज़ीन के गिर चुके साख को उठाने की हर भरसक कोशिश हो चुकी थी लेकिन सभी नाकामयाब होते चले गए। मैगज़ीन्स के सेल्स एक झटके के साथ गिरते चले गए। अब कंपनी को लॉस होने लगी थी। मिस्टर कपूर भी अब डिप्रेशन में रहने लगे थे। उन्होंने भी अब इससे बाहर निकलने की सारी उम्मीद छोड़ दी। अब उन्होंने भी सिंडिकेट और श्याम लाल के आगे हाथ फैलाने की सोची। यह उनके लिए निश्चित रूप से एक बहुत कठिन काम होने वाला था लेकिन बात सिर्फ उनकी नहीं थी बात उन एम्पलोईज की भी थी जिनकी ज़िंदगियाँ उस कंपनी पर टिकी हुई थी। वहीं मेल्विन का भी अब कोई खोज खबर नहीं थी। वह भी अब एकांत में जीवन बिताने लगा था। किस्मत ने लगभग हर तरफ से पलटी मार दी थी। 

"हेलो कौन?"- किसी अनजान आदमी ने कहा। 

"हेलो। मुझे सिंडिकेट के डिस्ट्रब्यूशन हेड से बात करनी थी। मैं कपूर बोल रहा हूँ।"- मिस्टर कपूर ने विवश होकर फोन घुमाया था- "मुझे उस पर्ची के बारे में बात करनी है उस खास सन्देश के बारे में जिसे मेलविन ने आपको लिखकर दिया था।" 

"हाँ। बोलो। सुन रहा हुँ। मैं ही डिस्ट्रब्यूशन हेड हूँ।"- उन्होंने कहा। 

"यहाँ नहीं, यहाँ नहीं। मुझे आपसे अकेले में बात करनी है।"- मिस्टर कपूर ने कहा। 

"लेकिन मुझे तुमसे अकेले में बात नहीं करनी है जब तक इसमें हमारा कोई फायदा न हो।"- उसने आगे कहा। 

"मैं आपके ही फायदे की बात कर रहा हूँ। मैं जो कहने जा रहा हूँ उससे सिंडिकेट का ही फायदा है।"- मिस्टर कपूर ने निराशा के साथ कहा। 

"ठीक है। लेकिन यहीं बोलो।"- दूसरी तरफ से आवाज आई। 

इतना सुनते ही मिस्टर कपूर सोच में पड़ गए। वे कुछ कहना चाहते थे। लेकिन उनके हाथ अब बंधे हुए थे। ऐसा लग रहा था मानो किसी चीज़ उसे आगे कुछ कहने से रोक रखा हो। थोड़ी देर शांति के बाद दूसरी तरफ से फिर आवाज आई। 

"तुम कुछ नहीं कहना है न? मैं जानता था।"- दूसरी तरफ से आवाज आई। फिर उसने फोन काट दिया। 

इधर मिस्टर कपूर ने भी अपना माथा पकड़ लिया। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने एक बार फिर फोन घुमाया। लेकिन इस बार किसी और को। 

"हेलो बॉस बोलिए क्या काम है?"- यह आवाज पीटर की थी। वो बेहद उत्साह के साथ बोला। 

"ह… हेलो पीटर मुझे तुमसे एक काम है। क्या तुम सबको एक जगह इकट्ठा कर सकते हो?"- मिस्टर कपूर ने कहा। 

"हाँ, बॉस। क्यों नहीं। अभी सबको हॉल में बुलाता हूँ, वैसे आपको ऐसा कौन सा जरूरी सन्देश देना है? जिसके लिए आपको सबको इकट्ठा ही करने की जरूरत पड़ रही है।"- पीटर ने फिर पूछा। 

"वो मैं तुम्हें अभी नहीं कह सकता पीटर। पहले सबको बुलाओ, फिर कहूँगा।"- उसने इतना कहकर फोन काट दिया। 

पीटर ने भी बात आगे पूछना ठीक नहीं समझा। उसने ठीक वैसा ही किया जैसा कहा गया था। सब तुरन्त ही कॉन्फ्रेंस हॉल में जमा हो गए। सबमें उत्सुकता थी कि आख़िर मिस्टर कपूर ऐसी कौन सी जरूरी बात कहना चाहते हैं। मिस्टर कपूर भी वहाँ जल्द ही आ गए। वहाँ शोर बहुत था इसलिए उन्होंने पहले शोर शांत किया। फिर कहा-

"सब लोग मेरी बात ध्यान से सुनिए। मैं जानता हूँ यह समय हमारे लिए बहुत मुश्किलों भरा है। इतने सालों में पहली बार हमारी अपनी यह कंपनी इतने बड़े दुविधा से जूझ रही है। पर यह हमारे लिए कोई बुरी खबर नहीं है बल्कि यह तो अवसर है हम सबको एक होकर इस परेशानी से लड़ने का। इस दुविधा ने दिखाया कि इतनी बड़ी परेशानी में अपने कैसे साथ निभाते हैं। आप सब ने सच में इस कंपनी के लिए बहुत कुछ किया है। बल्कि जितना मांगा उससे ज्यादा किया है। इस कंपनी को बचाने के लिए आपलोगों ने दिन एक कर दिया और यह सब भगवान भी जरूर देख रहे होंगे। मेरे दोस्तों मुझे पूरा यकीन है कि आप सबको आने इस मेहनत का फल जरूर मिलेगा, भले ही वो फल आज न मिले। पर अगर मेरे हाथ में कुछ भी होता तो मैं जरूर आप सबके मेहनत, न सिर्फ आज की, बल्कि इतने सालों की, मेहनत को जरूर कॉम्पेनसेट करता लेकिन मुझे माफ़ कर दीजिए। मेरे हाथ बंधे हुए हैं। मैं इस वक़्त शायद वह नहीं कर सकता जो आप लोग चाहते हैं। पर इसका मतलब यह भी नहीं की मैं कुछ भी नहीं कर सकता। बस आपलोग हौसला कीजिए। जल्द ही यह कंपनी एक नए बदलाव लाने वाली है। पहले से बेहतर होने वाली है और कोई कहीं नहीं जानेवाला, किसी की नौकरी नहीं जाने वाली बल्कि सबकी सैलरी में 30% हैक होने वाली है। क्योंकि मुझे पूरा भरोसा है कि इस कंपनी का नया मालिक आपलोगों का ख्याल रखने वाले हैं।" - मिस्टर कपूर ने सम्बोधित करते हुए कहा। 

"कंपनी का नया मालिक? आखिर आप कहना क्या चाहते हैं? साफ - साफ कहिए"- पीटर ने पूछा। 

"मैं यह कंपनी बेच रहा हूँ।"- मिस्टर कपूर ने कहा। 

"बेच रहे हैं? पर किसको?"- पीटर ने फिर जोर देते हुए पूछा। 

"मिस्टर डिकोस्टा को।"- कपूर ने आगे कहा। 

"क्या? आप कहीं ठीक तो है न? आपकी दिमागी हालत ठीक तो है न? आप यह कंपनी उसी डिकोस्टा को बेचने वाले हैं जिसने आपको किडनैप किया था। उसने इस कंपनी को पाने की कैसी कैसी साजिशें रची आपने तो देखा ही होगा न? और मेलविन कि भी ये हालत उसने ही कि है न? फिर भी आप"- पीटर ने फिर पूछा। 

"हां! मैं तुम्हारे भावनाओं को समझता हूं लेकिन इस वक़्त मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। तुम सब की नौकरी बचाने का मेरे पास इससे बेहतर कोई चारा नहीं था। पर तुम लोग घबराओ मत, मेरी उससे बात हो गयी है। वो अब तुमलोगों के साथ पहले जैसी सख्ती नहीं बरतेगा और न ही तुममें से किसी को नहीं निकलेगा। यह वायदा है मेरा तुमलोगों को।"- मिस्टर कपूर ने मुस्कुराते हुए कहा। 

"नहीं। हम यह बात नहीं मानेंगे। हम आपकी बात नहीं मानते। अगर आपके पास कंपनी को बेचनेक अलावा कोई चारा नहीं तो हमारी बात भी सुन लीजिए। अगर आपने इसे बेचने की कोशिश की तो हम भी एक साथ इस्तीफा देना शुरू कर देंगे। क्यों भाइयों?"- पीटर ने अपने साथियों के साथ गुहार लगाई। 

"हां। सही कहा भाइयों। अगर आपने ये कंपनी डिकोस्टा को बेच तो हम भी इस्तीफा दे देंगे। फिर देखते हैं वह डिकोस्टा कैसे इस कंपनी को हथियता है।"- सब ने एक साथ ललकारा। 

मिस्टर कपूर अपनी कंपनी की दुर्दशा को लेकर परेशान जरूर थे लेकिन वो उनके एम्प्लाइज के जोश को लेकर गदगद भी थे। लेकिन अभी भी परेशानी ज्यों की त्यों बनी हुई थी। 

अब आगे क्या होगा? क्या डिकोस्टा सच में यह कंपनी खरीद लेगा? क्या यह कंपनी बच भी पाएगी? आखिर मेल्विन कैसे अपने ऊपर के आरोपों को गलत साबित कर पाएगा कि यह सब कुछ उतना ही सिंपल है जितना दिख रहा है या फिर इसके पीछे कोई गहरा राज़ छिपा है, अब कौन सा प्यादा बाज़ी को बदल डालेगा। जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

 

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