रोजमर्रा के समाचार चैनलों का प्रेम टाइम मेलविन से जुड़े केसेस की ही बात कर रहा था। पूरे देश की नजर में मेल्विन न सिर्फ एक शातिर चोर था बल्कि देश का दरिंदा भी था। समाचार चैनलों में मेल्विन को लेकर तरह-तरह की खबरें दिखाई जा रही थी जिनमें से ज्यादातर तो सच भी नहीं थी।

एक अनजान जगह पर पीटर और लक्ष्मण मेल्विन से बातें कर रहे थे। उन्होंने सारा माजरा मेल्विन को बताया जिसे सुनकर मेल्विन भी थोड़ा दुखी हुआ। 

"यकीन नहीं हो रहा कि वो कंपनी अब बिकने की कगार पर आ चुकी है और फिर भी तेरे कानों में जूं तक नहीं रेंग रही।"- लक्ष्मण ने कहा। 

"शांत हो जाओ लक्ष्मण! मेल्विन भी हमारी तरह उतना ही परेशान है। जरा इसे देखो। वो कंपनी उसे भी उतना ही प्यारा है जितना कि हमें। बस अभी ये थोड़ा सा परेशान है।"- पीटर ने कहा। 

"नहीं। मुझे कोई परेशानी नहीं है। बिक जाने दो कम्पनी। और मैं तो कहता हूँ तुमलोग भी उसका मोह छोड़ दो। इतने सालों का अनुभव है। तुमलोगों को कोई नहीं नौकरी तो मिल जाएगी।"- मेलविन ने ठंडी साँस के साथ कहा। 

"देखा, देखा। देख रहा है इसके तेवर? मैं तो सही कहता था कि ये बस अच्छे बनने का ढोंग रचता है। अच्छा है नहीं। कोई साजिश वजीश नहीं रची गयी है इसके पीछे! वरना कम से कम इसमें अपने कॉलीग्स के प्रति थोड़ी हमदर्दी तो होती। मुझे तो ये भी लगता है कि कहीं वो हीरों का नेकलेस भी इसी ने चुराया होगा।"- लक्ष्मण ने झल्लाते हुए कहा। 

"लक्ष्मण! ये तुम आखिर क्या कह रहे हो। इस वक़्त हम सब से ज्यादा मेल्विन परेशान है। इसे न सिर्फ अपने ऑफिस से जाना हुआ बल्कि पूरे समाज में इसकी बेइज़्ज़ती हुई है। ऐसे में तुम इस पर ऐसा आरोप कैसे लगा सकते हो?"- पीटर ने लक्ष्मण को समझाते हुए कहा।  

"नहीं पीटर! लक्ष्मण बिल्कुल सही कह रहा है।"- मेल्विन ने कहा- "वो हार असल में मैंने ही चुराए थे।" 

मेल्विन की यह बात सुनते ही दोनों बेहद हैरान हो गए और हैरानी भरी नजरों से मेल्विन को देखते हुए बोले-

“क्या कहा?”

 

वहीं दूर किसी जगह पर, रघु अपने व्हील चेयर पर बैठा कुछ सोच रहा था कि तभी उसका कोई आदमी उसकी तरफ दौड़ते हुए आया। 

"बॉस! बोस!"- उसने चिल्लाया। 

"क्या है?"- रघु ने पूछा। 

"बॉस। हमें लगता है कि डायरी के वो मिसिंग पार्ट्स जिसमें 500 करोड़ रुपये होने की बात करी गयी थी वो मिल चुकी है।"- उसने कहा। 

"क्या कहा? क्या खबर सुनाया है तूने? तो बता कहाँ है वह डायरी और तूने कैसे उस चीज़ का पता लगा लिया जिसका पता मैं इतने मेहनत के बाद भी नहीं लगा पा रहा?"- रघु ने उत्साह के साथ कहा। 

"बॉस! अभी सब्र रखो। आपको जल्द ही वो खुश खबरी मिल जाएगी। जल्द ही हमारा वो खुफिया आदमी डायरी के वो कीमती अंश आपके हाथ में सौंपकर जाएगा। बस कल भर का इंतज़ार कीजिए।"- उसने शालीनता के साथ कहा।

"चल ठीक है। इतने सालों तक इसका इंतजार किया है तो एक दिन और सही। बस तू मुझे वो डायरी के हिस्से के बारे में बता दे और मैं वायदा करता हूँ कि तेरा पूरा घर सोने चंदियों से भर दूँगा।"- रघु ने उत्साह के साथ कहा। 

"बस क्या बॉस। आपने बोल दिया मतलब की वो काम हो गया। आप बस इंतज़ार कीजिए।"- उस आदमी ने कहा। 

वहीं मिस्टर कपूर के ऑफिस में। 

मिस्टर डिकोस्टा का वकील मिस्टर शकील मिस्टर कपूर के चैंबर में आया हुआ था। वहाँ उसने एक कप चाय की चुस्की लेने के बाद कपूर से पूछा। 

"तो क्या फैसला लिया कपूर! तुम्हारी कम्पनी वैसे ही कुछ दिनों में ही भारी नुकसान देख रही है और ऊपर से जो तुमने इसके लिए जो इतने सालों से छिपा कर्जा लिया था वो तुमसे छिपे न छिपाए न हो रहा। ऐसे में ये कंपनी हमें बेच दो। इसमें तुम्हारा ही फायदा है। मिस्टर डिकोस्टा तुम्हें तुम्हारे कंपनी के टोटल इवैल्यूएशन के 20 गुणा देने तक राज़ी हैं। ऐसे में तुम ऐसे 10 और नई नई मैगज़ीन की कंपनी खोल सकते हो।"- उस वकील ने कहा। 

"कंपनी तो मैं फिर भी बेच दूँ पर फिर मेरे एम्प्लाइज मेरे परिवार की तरह हैं। वे मुझे चाहकर कंपनी बेचने नहीं दे रहे हैं।"- मिस्टर कपूर ने अपना माथा पीटते हुए कहा। 

"उनको 30% हाईक देने के बाद भी नहीं?"- वकील ने पूछा। 

"नहीं।"- मिस्टर कपूर ने जवाब दिया। 

"तो हाईक 100% करवा देंगे।"- वकील ने तुरन्त प्रस्ताव दिया। 

"मुझे नहीं लगता वे फिर भी मानेंगे। उनके लिए यह कंपनी पैसे कमाने की जगह से भी बढ़कर है। अगर आप 1000% हाइक भी दे तब भी वे हरगिज़ नहीं मानेंगे। उनके लिए उनका उनका सम्मान ज्यादा प्रिय है।"- मिस्टर कपूर ने कहा। 

"किस सम्मान की बात कर रहे हो तुम?"- उस वकील ने पूछा- "जो मौजूदा सैलरी के 10 गुना रकम तक को भी ठुकराने को तैयार हैं? ऐसी क्या चीज़ मिल गयी उन्हें जो उनके लिए पैसों से बढ़कर हैं?" 

जिसे सुनकर मिस्टर कपूर ने हल्की सी ठंडी साँस भरी और कहा- "कुछ बातें हैं जो आपलोग नहीं समझेंगे। खैर इसके पीछे कुछ भावनात्म कारण तो हैं ही, पर कुछ प्रैक्टिकल कारण भी हैं जो आप अभी नहीं समझेंगे। वैसे अगर मुद्दे की बात पर आऊं तो वे इस कंपनी को एक ऐसे आदमी को हरगिज नहीं बेचने वाले जिसने उनके दुसरे घर को तोड़ने की कोशिश की। फिलहाल के लिए इतना ही समझ लीजिए।"- मिस्टर कपूर ने जवाब दिया। 

"बस! इतनी सी बात। अगर ऐसा है तो इस समस्या का भी समाधान हमारे पास। अगर उन्हें मिस्टर डिकोस्टा से ही प्रॉब्लम है तो हम इस कंपनी को किसी और नाम से खरीदेंगे। किसी छद्म नाम से। वैसे अगर फिर भी आपको दिक्कत हो तो इसे कंपनी बेचना न बोलकर पार्टनरशिप का नाम दीजिए। हम पूरे स्टेक को न लेकर अभी के लिए बस 20% ले रहे हैं। जब मामला ठंडा हो जाएगा तब आप धीरे-धीरे बांकी के शेयर्स भी हमारे नाम कर दीजिएगा। अब सब बराबर है न?"- उस वकील ने कहा। 

"ये आप क्या कह रहे हैं वकील जी। आखिर मैं अपने एम्प्लाइज के साथ इतना बड़ा धोखा कैसे कर सकता हूँ?"- मिस्टर कपूर ने प्रश्न उठाया। 

"देखिए मिस्टर कपूर। धंधे में मंडवाली चलती है। कुछ कदम आप चलें तो कुछ कदम हम चले। अब हम कुछ कदम हम चल चुके हैं तो अगला कदम आप चलिए। और रही बात सही गलत की तो, इससे आपका घर नहीं चलने वाला।"- उस वकील ने कहा। 

इसके बाद वो वहाँ खड़े हो गए और एक बड़ा सा काला सूट केस वहाँ रख दिया। उन्होंने कहा- 

"मैं जरा वाशरूम से आ रहा हूँ पर अभी के लिए ये कागज़ात और यह 50 करोड़ की रकम एडवांस में आपके पास छोड़कर जा रहा हूँ। मुझे पूरे नित्य क्रिया को खत्म करने में पूरे 10 मिन लगेंगे। न ज्यादा न कम। और मैं वक़्त का पक्का हूँ। उन 10 मिनटों में यानी मेरे आने तक आप अपना निर्णय ले लीजिगा वरना फिर अगर मेरा इरादा बदल गया तो अगली बार आपको ऐसा ऑफर दोबारा कभी नहीं मिलने वाला।"- इतना कहकर वो वहाँ से आगे बढ़ने लगे। 

"बस एक सवाल है मेरे अंदर। अगर आपके पास इतने पैसे हैं ही तो फिर आपको यह कंपनी खरीदने की क्या ही जरूरत। और अगर खरीदना ही था तो फिर मुझे किडनैप करने की क्या जरूरत!"- मिस्टर कपूर ने पूछा। 

जिसके जवाब में वह वकील हल्का सा मुस्कुरा उठा और हल्का सा सर पीछे मोड़ते हुए उसने कहा-

"कुछ सवालों के जवाब अगर आप न ही जानो तो सबके लिए बेहतर है। वैसे भी, आपको सिर्फ आम खाने हैं। गुठलियाँ हम गिन लेंगे।"- इतना कहकर वो वहाँ से चला गया। 

यहाँ मिस्टर कपूर अपनी परेशानी से उलझा था और वहीं लक्ष्मण और पीटर अलग ही उलझन में फंसे थे।  

"नहीं तू झूठ बोल रहा है? है न? तो गुस्से में है इसलोये हमसे मजाक कर रहा है। तू और चोरी। कभी भी नहीं हो सकता।"- पीटर ने बात को संभालते कहा। 

यह बात ऐसी थी कि इसपर लक्ष्मण तक को विश्वास नहीं हो रहा था। 

"अरे। मेल्विन। मैं तो मजाक कर रहा था रे। मैं जानता हूँ कि तुम चोरी नहीं कर सकते। अब इसमें इतना गुस्सा होने की क्या ही बात है।"- लक्ष्मण ने भी मेलविन को समझाते हुए कहा। 

"नहीं। तुम दोनों मेरे बारे में अब तक जो भी समझते आये हो वो सब पूरी तरह से गलत है। क्योंकि मैं जितना अच्छा दिखता हूँ उतना अच्छा हूँ नहीं। आखिर मैं एक अपराधी का जो बेटा हूँ।"- मेल्विन ने कहा। 

इतना सुनते ही पीटर ने हल्के से लक्ष्मण के कानों की तरफ फुसफुसाते हुए कहा- "लगता है सदमा लग गया है बेचारे को।" 

"हाँ। तुम सही कह रहे हो।"- लक्ष्मण ने भी फुसफुसाते हुए कहा। उनदोनो को लग रहा था कि उनकी फुसफुसाहट सिर्फ वे ही दोनों सुन रहे थे पर वहाँ का वातावरण इतना वीरान था कि उनकी फुसफुसाहट तक भी मेल्विन अच्छे से सुन पा रहा था। 

"नहीं। कोई सदमा नहीं लगा है मुझे। मैं बिल्कुल ठीक हूँ। और मेरा यकीन करो। वे चोरी मैंने ही किये हैं।"- मेल्विन ने जोर देते हुए कहा। 

"लेकिन क्यों? तुम आखिर ऐसी चोरी करोगे ही क्यों?"- पीटर ने पूछा। 

"नहीं। नहीं पीटर। तुम सवाल ही गलत ढंग से पूछ रहे हो। इसने उस दिन भरी सभा में ही कहा था कि इसने वो चोरी किसी के कहने पर किया था। तो अब सवाल यह होना चाहिए कि किनके कहने पर? तुमने वो चोरियाँ किनके कहने पर की थी?"- लक्ष्मण ने पूछा। 

"सिंडिकेट के कहने पर!"- मेल्विन ने कहा। 

"सिंडिकेट के कहने पर? आखिर सिंडिकेट अपने ही हीरों को चोरी करवाकर खुद ही उसके छोड़ने को क्यों पकड़वाएगा? इसमें उसका क्या फायदा?"- पीटर ने पूछा। 

"फायदा है। और बहुत बड़ा फायदा है। बस तुम 5 मिनट और रुको और तुम्हें सब समझ आ जाएगा।"- मेल्विन ने कहा। 

"बस 5 मिनेट में?"- लक्ष्मण ने कहा। 

"हां। एक बार अपने घड़ियों का टाइमर सेट कर लो। 5 मिनट में कुछ बहुत ही बड़ा होने वाला है।"- मेल्विन ने कहा। 

"चल ठीक है। भाई अगर तू इतना कहता है तो फिर मान लेते हैं तेरी बात। बस 5 मिनट की ही तो बात है। रुक जाते हैं।"- दोनों ने हामी भरते हुए कहा। 

यहाँ इतने छोटे से समय का इंतज़ार बड़ा ही लम्बा और दिलचस्प होने वाला था और वहीं दूर रघु के अड्डे में फिर से उसका आदमी उसके पास आ धमका था। इस बार उसके चेहरे पर हड़बड़ाहट थी मानो वह दौड़ते दौड़ते यहाँ आया हो। 

"बॉस! बॉस! भूल जाइए 500 करोड़ को।"- उस आदमी ने कहा। 

"क्या बकता है बे! अभी 2 मिनट पहले ही तूने मुझे मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए और अब तू कह रहा है कि उन सपनों को मैं भूल जाऊँ। तेरा दिमाग ठिकाने में है।"- रघु ने एकदम से गुस्सा होते हुए कहा। 

"बॉस! बॉस! पहले मेरी बात तो सुनिए। मैं… उन 500 करोड़ को हमेशा के लिए भूलने के लिए नहीं कह रहा। इस अभी के लिए किसी और बात पर ध्यान देने के लिए कह रहा हूँ। उस जासूस ने अभी अभी ख़बर दी है कि हमारे हाथ कुछ उससे भी बड़ा हो सकता है। आप तुरन्त न्यूज़ चैनल ऑन कीजिए।"- उस आदमी ने कहा। 

"यहाँ टीवी क्या तेरा बाप रखकर गया है जो न्यूज़ चालू करूँ?"- रघु ने फिर झल्लाते हुए कहा। 

"अरे मोबाइल में न कीजिए। अभी तुरन्त।"- उस आदमी ने कहा। 

"कौन सा न्यूज़?"- रघु ने पूछा। 

"कोई से भी। बस न्यूज़ चैनल में लगाइए।"- उसने कहा। 

"ठीक है।"- रघु ने न्यूज़ लगाया। और जो उन्होंने अपनी आंखों के सामने देखा वो उनके होश उड़ा चुका था। 

वहीं अभी किसी और के भी उङने वाले थे। डिकोस्टा के खास वकील मिस्टर शकील भरे ओफ़िस में आधा पेंट पकड़े दौड़े-दौड़े मिस्टर कपूर के ऑफिस में घुसे थे। मिस्टर कपूर भी शकील की ऐसी हालत देखकर सकते में पड़ गया था। उसने तुरंत कहा- 

"क्या शकील जी। बाथरूम में पानी नहीं आ रहा क्या? पर इसमें इतना भागने की क्या बात। ओह अच्छा! अब मैं समझा। आप वक़्त के पक्के हैं। कहीं आपके बाथरुम में रहते हुए वो 10 मिनट पूरे न हो जाए इसलिए आप वैसे ही यहाँ आ गये। लेकिन अभी तो 10 मिनेट होने में काफी…" - मिस्टर कपूर इससे आगे कुछ भी कह पाते शकील एकदम से चिल्ला उठा। 

"अबे 10 मिनट को मार गोली। आप न्यूज लगाइए अभी।"- उठाने हाँफते हुए कहा।  

वहीं मेलविन ने भी लक्ष्मण और पीटर से कहा- 

"5 मिनेट पूरे हो गए हैं। अब न्यूज़ लगाओ।" 

अब तीनो जगह, एक ही समय पर एक ही न्यूज़ देखने में जुट गए। और जो उन्होंने देखा। उसने सबको भौचक्का कर के रख दिया। 

 

आखिर ऐसा क्या देख लिया उनलोगों ने जो उनके होश उड़ाकर रख दिया। क्या एक खबर उनकी राहों को हमेशा के लिए बदल कर रख देगी? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

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