वे सभी अपनी अपनी जगहों पर उस न्यूज़ को बड़े ही ध्यान से सुन रहे थे ।
"आज की ताजा खबर! हाल ही में एक हाइ प्रोफाइल केस जिसमें एक बेहद जिसमें एक बेशकीमती नेकलेस को चुराने की कोशिश की गई थी, उस केस में एक नया बदलाव आया है। कहा जा रहा है कि जब से उस हीरे की चोरी की बात सामने आई है उस पर दुनियाभर के तमाम सोशल मिडियास और प्रिंट मिडियास में हो रहे चर्चों के बलबूते उसने इतनी सुर्खी बटोर ली कि अब दुनिया का हर बड़ा आदमी उसे खरीदने की कोशिशों में जुटा हुआ जिससे न सिर्फ उस नेकलेस की कीमत में भारी इज़ाफ़ा हुआ है बल्कि दुनियाभर में गिर रही हीरों की बिक्री में भी भारी इज़ाफ़ा हुआ है। दुनिया भर में बढ़ी हीरों की मांग ने श्यामलाल जैसे व्यापारियों के मन में इस व्यवसाय को लेकर नए तरह का उत्साह भर दिया है। जिससे वो मेलविन जिसे अब तक दुनिया भर में धिक्कारा जा रहा था अब उसके समर्थन में तमाम सोशल मीडिया साइट्स में कैंपेन चलाया जा रहा है। कहा जा रहा है की उस हीरों के नेकलेस की तथाकथित चोरी ने उसकी कीमत को अब कई गुना बढ़ा दिया है। व्यापारियों का कहना है कि अब उस हीरे की कीमत इस एक रात में बढ़कर अब 650 करोड़ से भी ज्यादा हो गयी है और अनुमान यहाँ तक भी लगाया जा रहा है कि अगर इंटरनेट की दुनिया में इसको लेकर ऐसे ही बज़्ज़ बना रहा तो इसकी कीमत 5000 करोड़ तक भी जा सकती है। यह कीमत जो दुनिया में आज तक किसी हीरे के अनुमानित कीमत से कहीं ज्यादा है।
लोग नहीं जानते कि हीरों की कीमत में अचानक से बढ़ोतरी को लेकर क्या कारण हो सकते हैं पर ऐसा माना जा रहा है कि इसके पीछे उस नेकलेस में लगे हीरे के पीछे गड़े कई अनकहे राज़ हो सकते हैं। पर कइयों का तो यह तक मानना है कि इनसब के पीछे हीरों के सिंडिकेट तक का हाथ हो सकता है।
वहीं दुसरे न्यूज़ ने ये भी खबर से रही है कि सोशल मीडिया में पकड़े तूल के कारण मुंबई बेस्ड मिस्टर कपूर के मैगज़ीन कंपनी के मैगज़ीन्स की भी साले बिल्कुल अचानक से आसमान छू गयी है। खास तौर पर उन मैगज़ीन्स का जिसपर मेलविन के ड्रॉइंग्स बने हुए हैं। सब उसे 'प्रोफेसर', 'रॉबिनहुड जैसे तरह तरह के नामों से सम्बोधित कर रहे हैं। हालांकि इस पूरे मामले पर अभी भी सोशल मीडिया बंटा हुआ है।"- न्यूज़ से आवाज आई।
"5000 करोड़?"- रघु ने कहा- "उस हीरे की कीमत 5000 करोड़ जा सकती है?"
"हां बॉस !"- उसके आदमी ने बोला।
"तो देख क्या रहे हो। हमको तो इसी हीरे को चोरी करना होगा।"- रघु ने कहा।
"मुमकिन नहीं है बॉस। क्योंकि हमें लगता है कि अब ये हीरों वाला नेकलेस खुद सिंडिकेट के निगरानी में है। और हमें नहीं लगता कि हमें सिंडिकेट से बिल्कुल भी उलझना चाहिए।"- उसने कहा।
"उसकी तुम चिंता मत करो। उसकी प्लानिंग मैं कर लूंगा। वैसे भी रघु भी कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं है।"- रघु ने कहा।
वहीं मेल्विन के यहाँ।
"आखिर यह सब चक्कर क्या है मेल्विन? चल क्या रहा है? एक मामूली से आर्टिस्ट बदलकर अब तू किसी क्रिमिनल मास्टरमाइंड की तरह क्यों बर्ताव कर रहा है?"- लक्ष्मण ने कहा।
"हां। मुझे भी तुम्हारी यह हरकत अभी सी लग रही है। कहिर माजरा क्या है मेल्विन।"-" पीटर ने भी जोर देते हुए कहा।
जिसे सुनकर मेल्विन हल्का सा मुस्कुरा उठा। उसके चेहरे पर अब पहले की तरह गम्भीरता नहीं थी। उल्टा, अब वो बेहद शांत और शिथिल नजर आ रहा था। उसके तेवर अब बिल्कुल ही बदल चुके थे। उसने कहा-
“बताता हूँ। सब बताता हूँ। पर पहले चाय की टपरी पर चाय हो जाए।”
"हाँ बिल्कुल।"-दोनों ने हामी भरी।
अब तीनों एक अच्छे से चाय की टपरी में गर्मागर्म मसालेदार चाय का लुत्फ उठाने लगे। तभी लक्ष्मण ने कहा-
"अब तुम बताओगे की माजरा क्या है मेल्विन?"
"हाँ बिल्कुल।"- मेल्विन ने मुस्कुराते हुए कहा-"जब मैंने उस पार्टी में डिकोस्टा को अपने पास देखा तो मैं तुरन्त ही सारा माजरा समझ गया। मैं समझ गया कि मुझे फँसाया जा रहा है। हो न हो जरूर उसी आगरा वाले घर में हुई लड़ाई के दौरान ही उसने ऐसा कुछ किया होगा। मेरा यकीन मानो, वो बहुत चालाक है। वो प्लानिंग एक कि करता है और हमें फँसाता दूसरे वाले में है। उसने किडनैपिंग का ढोंग तो बस हमारा ध्यान भटकाने के लिए किया था बल्कि उसका असली इरादा तो कुछ और था। शायद इसीलिए वह वही अनजान व्यक्ति बनकर हमें खुद के ही घर का रास्ता बता रहा था और हमें बड़ी ही आसानी से इस केस को सुलझाने दे रहा था।
आखिर जब मुझे पता चला कि उसने जानबूझकर मुझे फँसाया है तो मैं तुरन्त समझ गया कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी और इन सब से डील करने से अच्छा मैं सीधा उसी ताकत से डील करूँ इसलिए मैंने इस्तीफे के बहाना बनाया ताकि मैं उस इस्टीफेवले पत्र में मैं मिस्टर कपूर को सिंडिकेट से कांटेक्ट करने की गुहार लगा सकूँ।"- मेल्विन ने कहा।
"मेल्विन। वो सब तो ठीक है लेकिन तूने आखिर सिंडिकेट को ऐसा क्या ऑफर दिया कि वे तुरन्त तुम्हारी बात मान गए?"- लक्ष्मण ने पूछा।
"मैंने उन्हें ऐसा ऑफर दिया जिसे वे ठुकरा न सके।"- मेल्विन ने कहा-"और फिर उन्होंने मुझे छोड़ दिया।"
"कैसा ऑफर मेल्विन?"- दोनों ने पूछा।
"मार्किट मैनीपुलेशन!"- मेल्विन ने कहा।
"क्या मतलब?"- लक्ष्मण ने पूछा, फिर यही सवाल पीटर ने भी पूछा।
"मैंने उन्हें कहा कि मैंने उनके हीरे इसलिए चुराए हैं ताकि मैं मार्किट को मैनिपुलेट कर सकूँ। मेरा असल में डायरेक्ट हीरे चुराने का कोई इरादा नहीं है। और अगर वे मेरा इसमें साथ देते हैं तो सारा फायदा उनका लेकिन अगर उन्होंने मुझे पकड़वा दिया तो हो सकता है कि वो हाइप न बने और उस हीरे अपने इकनोमिक बबल तक पहुँच पाए। मैंने उनसे कहा कि इस एक्सिबिशन में हीरे के आने मात्र से उनका कोई फायदा नहीं, फायदा सिर्फ श्याम लाल का है लेकिन अगर वही एग्जिबिशन में आया हीरा चोरी हो जाए तो यह खबर अपने आप मार्किट में फैल जाएगी कि एग्जिबिशन में आई इतने सारे चीजों में सिर्फ वो नेकलेस ही क्यों चोरी हुआ? ऐसे में अगर वो मेरा साथ दे तो हो सकता हो कि इनमें उनका फायदा ज्यादा हो अगर वो मेरा साथ दे दे।"- मेल्विन ने कहा।
"दो सवाल? भला सिंडिकेट एक अदने से चोर के साथ डील क्यों करेगा और बस सोशल मीडिया छपी से उस हीरे की कीमत क्यों बढ़ेगी। क्योंकि अगर ऐसा होता तो हर कोई अपना माल बेचने से पहले सोशल मीडिया हाइप करेगा लेकिन सब इतने कारगर थोड़ी होते।" -पीटर ने पूछा।
"तुम्हारी बात भी क्यों करेगा। आखिर सिंडिकेट एक अदने से चोर की बात क्यों ही मानेगा? और इसका जवाब है, उन्होंने नहीं माना। इसलिए उस रेजिग्नेशन लेटर को लिखने के बाद मैं तुरन्त श्याम लाल से माफी मांगना शुरू कर दिया। हीरों के मार्किट में हर छोटी मोटी चीजें मायने रखती है। इसलिए मेरा ऐसा करने की हीरों के बढ़े दाम वापिस से नॉर्मल हो जाते और सिंडिकेट को जो थोड़ा बहुत फायदा दिख रहा था वो भी नहीं दिखनेवाला था। और मेरा ऐसे करते हुए सिंडिकेट का नाम भर ले लेने से पूरी दुनिया के हीरो के काम जमीन पर आ जाते और ऐसा सिंडिकेट हरगिज़ नहीं चाहेगी। इसलिए मेरे उनका नाम जिक्र करने से पहले ही सिंडिकेट ने मेरी मदद की ठानी। बस शर्त यह थी कि मैं अपना मुँह बंद रखूंगा और जैसा, जो भी नरेटिव चल रहा है चलने दूँगा।"- मेल्विन ने आगे कहा-"और रही बात हीरों के बढ़ते दाम के पीछे के कारण की तो? इसके पीछे भी एक काफी गहरा राज़ है। बस तुमदोनो देखते जाओ। सब खुद ब खुद समझ आ जाएगा।" -मेल्विन ने तो अपनी बात पूरी की।
"वाह यार। तू तो सच शेरलॉक होल्मस निकला। तूने इतनी बड़ी प्लानिंग कर भी ली और भनक तक नहीं लगी। तू तो मास्टर आदमी है।"-लक्ष्मण ने कहा।
"मैंने कहा था न मेल्विन ऐसी हरकत नहीं कर सकता। इसके पीछे जरूर इसका कोई बड़ा प्लान होगा।"- पीटर ने भी गर्व के साथ कहा।
यहाँ एक मामला सुलझ चुका था और वहीं दूसरी तरफ मिस्टर कपूर के ऑफिस में।
"यहाँ तो पासा एक बार में ही पलट गया। यानी मेल्विन ने बिल्कुल सही दाँव खेला था।"- मिस्टर कपूर ने कहा।
"देखिए कपूरजी। ये सब मीडियाई हाइप है। आप इन सब में मत जाइए। आज अच्छा तो कल बुरा, लेकिन हमारा ऑफर परमानेंट है। इससे आपकी ही भलाई है।"- उसी शकील ने कहा। जिन्होंने अब तक अपनी पैंट बिल्कुल ठीक कर ली थी। वो अभी भी मामले को संभालने की कोशिश कर रहे थे।
"नहीं मिस्टर शकील जी, मैं भी आपको अभी मना नहीं कर रहा हूँ। बल्कि अगर बिजनेस के पॉइंट ऑफ व्यू से बात भी करूँ तो हमारे कंपनी की वैल्यू अभी पहले से कहीं ज्यादा हो चुकी है इसलिए हमें इस पूरे डील को एक नए सिरे से करने की जरूरत है। आपको अपने ऑफर्स में बदलाव करने होंगे।"- मिस्टर कपूर ने चालाकी के साथ कहा।
"आपकी बात भी सही है। चलिए हम इस डील को नए सिरे से करेंगे। लेकिन उसके लिए मुझे कल तक का वक़्त दीजिए।"- इतना कहकर वह वहाँ से जाने लगे। उसने फिर पीछे मुड़कर कहा-
"नजराने के लिए मैं यह 50 करोड़ का नजराना यहाँ छोड़ जा रहा हूँ। अगर आपका इरादा बदल जाए तो बताइएगा।"
"ठीक है। जैसे आपकी मर्जी।"- मिस्टर कपूर ने भी हामी भरी। शकील के दरवाजा खोलकर बाहर निकलने को लगभग सभी ऑफिस के कर्मचारी ध्यान से देख रहे थे। शकील भी थोड़ा शर्मिंदा होते हुए उनसे नजरें चुराते हुए वहाँ से आगे बढ़ चले। कुछ ही देर बाद मिस्टर कपूर भी अपने चैंबर से बाहर निकले। सभी उन्हें बेहद उत्सुकता भरी नजरों से देख रहे थे, उनके मन में तरह तरह के सवाल थे जिसे मिस्टर कपूर भी ध्यान से पढ़ पा रहे थे इसलिए उन्होंने भी आगे कहा-
"आपलोगों का बहुत बहुत शुक्रिया कंपनी बचाने के लिए। मैं यह कंपनी हर हालत में नहीं बेच रहा।"- इसके बाद मिस्टर कपूर ने शकील का वो सूटकेस अपने भरोसेमंद को देते हुए कहा- "यह सूटकेस शकील को दे आओ।"
इतना सुनते ही पूरे ऑफिस में खुशियों का माहौल हो चला। सभी बेहद खुश थे क्योंकि यह खुशी जंग जीतनेवाली खुशी से कुछ कम न थी। मिस्टर ने भी आज नो वर्क डे घोषित किया और सभी अपने अपने चैंबर में एन्जॉय करने लगे। वहीं दूसरी तरफ पीटर और लक्ष्मण भी काफी खुश थे। उसी बीच पीटर को ऑफिस से फोन आया।
"अह, हेलो कपूरजी। अरे नहीं नहीं। मैं यहीं हुन मेलविन के साथ। हां लक्ष्मण भी है। हां, मेल्विन बिल्कुल सही है। ओह, सच में। यह तो बड़ी ही अच्छी खबर है। अच्छा, ठीक है। मैं अभी मेल्विन को ऑफिस ले आए रहा।"- पीटर ने कहा।
"किसका फोन था पीटर!"- लक्ष्मण ने कहा।
"अरे अपने बॉस का फोन था। उन्होंने कहा है कि जल्दी ऑफिस आने को और साथ में मेल्विन को भी अपने साथ लाने को। ऑफिस में काफी सारे काम पड़ा हुआ है और उनका कहना है कि मैगज़ीन कंपनी फिर से प्रॉफिट में आ गयी है, अब वे इसे किसी को नहीं बेच रहे।"- पीटर ने कहा।
"सच! यह तो बहुत अच्छी खबर है। आखिरकार हमने अपनी कम्पनी बचा ही ली। क्यों है न मेलविन?"- लक्ष्मण ने मेल्विन की तरफ देखते हुए कहा।
"हाँ ये तो होना ही था। आखिर मुझे तुमलोगों के काबिलियत पर पूरा भरोसा था।"- मेल्विन ने कहा।
"अरे सिर्फ हमारा नहीं। इनसब में सबसे बड़ा योगदान तो तेरा भी है। तू ही तो है असली मास्टरमाइंड!"- लक्ष्मण ने भी कहा।
"अरे गायज। जल्दी चलो। बॉस ने हमें जल्दी ऑफिस आने को कहा है वरना हमें वो 40% हाईक नहीं मिलेगा। यहाँ से अगली लोकल बस आधे घण्टे में ही है।"- पीटर ने बीच में काटते हुए कहा।
"अरे हाँ, हाँ। चलो। एक मिनट, हमें हाईक मिलनेवाली है? यह तो वाकई में कमाल की खबर है।"- लक्ष्मण ने मुसकुराते हुए कहा।
"मुझे भी मिलेगी न?"- मेलविन ने मासूमियत के साथ पूछा।
"अरे तेरे लिए तो पूरे 100% का हाईक है बशर्ते तू वहाँ एक घण्टे में पहुँच जाए।"- पीटर ने मेलविन को पुचकारते हुए कहा।
अब तीनों ही अगली लोकल की तरफ दौड़कर निकल पड़े। तीनो पहले की तरह काफी खुश थे लेकिन मेल्विन के मन में अभी भी कई तरह के हलचल चल रहे थे। उसने दौड़ते वक़्त ही अपने पैंट में डायरी के एक पन्ने को दबाते हुए मन ही मन कहा।
"नहीं अभी यह खेल खत्म नहीं हुआ है। वो सिंडिक्सटे हमारा दोस्त नहीं है। यह वो नहीं है जो दिकहे रहा है।"-मेल्विन ने अपने आप से कहा।
अब आगे क्या होगा? आखिर मेल्विन के यह कहने का किस मतलब था? अब आगे ऐसे कौन से राज़ डूबे हुए थे?
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