मीरा की घबराहट और चिंता अपने चरम पर आ गई थी।

‘’तुम्‍हें....तुम्‍हें कैसे पता चला कि कबीर, राघव का बेटा नहीं है? राघव, कबीर को कितना प्‍यार करता है और इसकी परवाह भी नहीं करता है कि कबीर की मां उसके साथ है या नहीं..? 

सूर्या ने इधर उधर देखते हुए कहा, ‘’मैडम, मैने कहा ना कि बैचलर पार्टी की रात कुछ तो भयानक हुआ था जिससे सबकुछ बदल गया, इसमें राजवीर सर, राघव सर की फैमिली और आपके फैमिली के मेंबर भी शामिल थे, और रही बात कबीर की तो वो राघव का बेटा नहीं है, मेरे पास इसकी डीएनए रिपोर्ट है। यह लीजिए, इसे संभालकर रखिएगा, चलता हूं, अमित सर आ गए हैं।‘’

मीरा ने कांपते हाथों से वह डीएनए रिपोर्ट लेकर झट से अपने पर्स में डाल ली। सूर्या भी बिजली की गति से वहां से निकल गया…

 

उसी समय मीरा की कान में आवाज पड़ी, ‘’ओह माई गॉड...अमित सर कितने हैंडसम हैं, हॉलीवुड हीरो को टक्‍कर दे दें। मैंने इनका इंस्‍टाग्राम प्रोफाइल देखा है, वन मीलियन फालोवर हैं, जिसमें तो आधी से ज्‍यादा लड़कियां हैं, निकारिका मैम ने कौन सा व्रत और पूजापाठ किया था जो इतना चार्मिंग हसबैंड मिला गया।‘’ 

यह निधि थी....जो स्‍टेज पर निहारिका के साथ खड़े उनके होने वाले हसबैंड अमित को देखकर बोल रही थी। 

राखी ने कहा, ‘’व्रत, पूजापाठ वो भी निहारिका मैम...गलती से भी मैम के सामने भगवान का नाम मत लेना। 

माया ने कहा, ‘’वे भगवान में विश्‍वास ही नहीं रखती हैं, और यह सब पैसों का खेल है, व्रत करने से अच्‍छा हसबैंड मिलेगा यह केवल धार्मिक बातें हैं, पैसा है तो सुंदर बीवी मिलती है और पैसा है तो हैंडसम हसबैंड भी मिलेगा.....वैसे भी शायद तुम्‍हें पता नहीं....निहारिका मैम, अमित सर की तीसरी बीवी होंगी।’’ 

सबकी आंखे अचरज से बड़ी हो गई…मीरा के लिए भी यह नई न्‍यूज थी पर सूर्या के मुंह से राघव और कबीर  के बारे में जो सच अभी मीरा को पता चला था उसके सामने तो यह न्‍यूज कुछ भी नहीं थी, वैसे भी यह निहारिका मैम की अपनी पर्सनल च्‍वाइस थी। 

मीरा ने देखा, स्‍टेज पर निहारिका और अमित एक दूसरे से खिलखिलाकर बातें कर रहे थे, फोटोग्राफर उन दोनों के तरह तरह के पोज बनवाकर फोटो खींच रहे थे, वहीं स्‍टेज के नीचे सूर्या, अमित के बाकी दो बॉडीगार्ड के साथ हाथ बांधकर भावहीन सा होकर खड़ा था, पर उसकी नजरें चौकन्‍नी थी...एक दो बार उसकी नजरें मीरा से भी मिली, पर उसने मीरा को ऐसे देखा जैसे कभी उससे मिला ही ना हो। 

 

रिंग सेरेमनी में अभी समय था, कम से कम आधे घंटे और फोटोग्राफी होनी थी, यह कोई मामूली इंगेजमेंट नहीं थी। मीरा सबसे नजरे बचाकर अपने पर्स से डीएनए रिपोर्ट निकालकर देखने, पढ़ते हुए अपनी धड़कनों को काबू करने की कोशिश कर रही थी।

मीरा ने अपनी आंखे कसकर भींच ली, डीएनए रिपोर्ट पढ़ते हुए आंखे नम हो गई थी उसके कारण दो बूंद आंसू गाल पर टपक पड़े। मीरा ने उन्‍हें ऐसे पोछा जैसे वह अपना मेकअप ठीक कर रही हो, वैसे इस समय सबकी नजरें हाई क्‍लास और अगले पेज थ्री के एक जोड़े पर थी।

 

लोग आपस में केवल अमित की रईसी के बारे में बातें कर रहे थे, एक लड़की ने कहा, ‘’पता है, अमित सर के पास तीन प्राइवेट जेट हैं, सारी सीटें बिजनेस क्‍लास वाली हैं।‘’ 

‘’काश मुझे भी ऐसा ही मिलियनेयर मिल जाए, मुझे तो डिर्वोसी क्‍या बुड्ढा भी चलेगा, बीमार, अपंग और पागल भी चलेगा पर पैसे वाला हो।‘’ राशी ने निहारिका के मंगेतर के अमीरी वाले ठाठ को देखकर कहा। 

मीरा ने दुविधा में डोलते हुए अपने मन को मजबूत किया...सूर्या ने बताया कि कोई मेरी फैमिली का है जो मेरा बुरा चाहता है...मेरा अपना कौन हो सकता है...तभी जेहन में आया कि मेरे मामा के अलावा और कौन कर सकता है, मैंने तो उन्‍हें और अनन्‍या के साथ पकड़ा भी था।

बाद में शोभित अंकल ने उनके पीछे अपने प्राइवेट जासूस भी लगाए थे यह पता करने के लिए कि आखिर क्‍यों वे अपनी ही बहन की फैमिली को तबाह करना चाहते हैं और अनन्‍या क्‍यों नहीं चाहती कि उसके भाई की लाइफ में खुशियां आएं।

 

पर मामा और अनन्‍या भी बहुत शातिर निकले...उन्‍हें कहीं से तो भनक लग गई थी कि शायद मैंने उनका राज जान लिया है और उन्‍होंने अपने रिश्‍ते में दूरी बना ली थी। क्‍या वे लोग फिर से साथ हो गए हैं..? उनके अलावा और कौन हो सकता है मेरी फैमिली में? 

भैया भाभी तो अपनी ही दुनिया में मस्‍त हैं....मम्‍मी पापा पर शक करना मतलब भगवान पर शक करने के बराबर है...मामा ही होंगे।

मुझे शोभित अंकल को बताना चाहिए, एक बार वे फिर से पता लगाने की कोशिश करेंगे तो जरूर कुछ पता चलेगा। पर पहले राघव से मिलूंगी, आखिर क्‍या हुआ था बैचलर पार्टी की रात? 

एक ठंडी आह से मीरा का दिल भर गया…जैसे एक नश्‍तर कलेजे के आरपार हो गया। तभी पूरा हॉल तालियों की गड़गड़हट से गूंज उठा, रिंग सेरेमनी शुरू हो गई थी...अमित ने निहारिका को रिंग पहना दी थी और अब निहारिका अमित को रिंग पहना रही थी।

विडियोग्राफर चारों ओर घूमघूमकर विडियो बना रहे थे।

रिंग सेरेमनी के बाद फिर से फोटोग्राफी शुरू हो गई थी...निहारिका और अमित के दोस्‍त, कलीग, आफिस स्‍टाफ रिलेटिव स्‍टेज पर आकर इन दोनों के साथ खड़े होकर फोटो खिंचवा रहे थे। 

निहारिका ने मीरा को अपने पास बुलाया, उसका मन नहीं था। वह केवल राघव से पूछना चाहती थी कि मुझे क्‍यों नहीं बताया यह सब..? 

‘मीरा आ जा, सबने फोटो खिंचवा लिए, अब तुम ही बची हो।‘’ कहकर शांतनु ने मीरा का हाथ पकड़ा और स्‍टेज तक ले जाकर निहारिका के बगल में खड़ा कर दिया।

निहारिका ने अपनी आंखो से अमित की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यही है मेरा ड्रीम लवर…दो बार धोखा खाने के बाद इन्‍हें मुझसे सच्‍चा प्‍यार हुआ है। तुम्‍हारा भी दिल टूटा है ना...देखना बहुत ही जल्‍द सच्‍चा प्‍यार करने वाला तुमसे टकरा ही जाएगा, पहले तू तू मैं मैं होगी, फिर नफरत होगी और फिर यह नफरत प्‍यार में बदल जाएगी।‘’

मीरा अपने सामने खड़े फोटोग्राफरों की ओर देखकर मुश्‍किल से मुस्‍कुराने की कोशिश करते हुए मन ही मन बोली, ‘’मैम मुझे तो प्‍यार हो चुका है, मै आप से एकदम अलग हूं, अब मैं और किसी से प्‍यार की भीख नहीं मांग सकती।‘’

 

रात के नौ बज चुके थे...डिनर स्‍टार्ट हो गया था, मीरा को घर जाना था, राघव के घर। सूर्या ने उसे सावधान रहने को कहा था, किससे सावधान रहने को…? मैं किसी से नहीं डरती। 

तभी जेहन में विस्‍फोट सा हुआ...क्‍या मेरे मामा मुझे मार डालेंगे.? देखती हूं वे कितना गिर सकते हैं। सब खाने पीने में लगे थे, इसके बाद डांस होगा....इन सबमें किसी को ध्‍यान नहीं होगा कि मैं कहां हूं। 

यह सोचकर सबसे नजरें बचाकर मीरा धीरे से हॉल से बाहर आ गई और कांदिवली जाने वाली एक टैक्‍सी पकड़ ली।

डीएनए रिपोर्ट अभी भी मीरा के हाथ में थी, वह कई बार देखकर कर्न्‍फम कर रही थी कि यह रिपोर्ट सच है ना, क्‍या मैं इस हॉस्‍पिटल में फोन कर के पता लगाऊं की यह सच है या फिर.…पर सूर्या मुझसे झूठ क्‍यों बोलेगा? 

 

मीरा के मन में हजारों नकारात्‍मक विचार एक दूसरे से ही टकरा रहे थे…एसी की ठंडक में भी मीरा के माथे पर पसीने की बूंदे उभर आई थी।

मीरा खुद से ही ढेर सारे सवाल किए जा रही थी...खुद के सवाल जवाब के फंदे में उलझती, फंसती, कसमसाती हुई कब राघव के घर के सामने पहुंच गई पता ही नहीं चला। 

टैक्‍सी वाले ने मुंह बनाकर कहा, ‘’ओ मैडम जी, आपका घर आ गया, उतरिए।‘’ 

टैक्‍सी रूकने के कुछ समय तक मीरा ऐसे ही बैठी रही थी।

मीरा को जैसे होश आया, टैक्‍सी के बाहर राघव का घर देखकर बोली, ‘ओह, हां हां।‘’ 

टैक्‍सी वाला बोला, ‘’कहां खोई हैं आप, मुंबई जैसे शहर में ऐसे बेसुध होकर टैक्‍सी में मत बैठा कीजिए मैडम, कुछ लोग सुनसान जगह ले जाकर लूटपाट मर्डर कर देते हैं और आप तो लड़की हैं, अकेली लड़की आपके साथ तो लूटपाट के अलावा भी बहुत कुछ हो सकता है।‘’

मीरा बहुत कुछ का मतलब समझ गई, अधेड़ टैक्‍सी वाला सच कह रहा था, यह शरीफ और इमानदार था, वरना कभी कभी ऐसी लापरवाही से पूरी जिंदगी तबाह हो जाती है। 

मीरा ने उसे थैंक्‍यू कहते हुए पैसे दिए और टैक्‍सी से उतरने लगी। 

टैक्‍सी वाले ने फिर पूछा, ‘’आप मुंबई में नई हो क्‍या? ‘’ 

मीरा बोली, ‘’नहीं मुझे पांच साल हो गए।‘’ 

‘’पांच साल, मैडम मैं तो तीन साल पहले ही आया हूं, मुंबई की रग-रग से वाकिफ हो गया हूं और आप पांच साल रहकर भी इस शहर को नहीं पहचान पाई।‘’

मीरा इन फिजूल की बातों में अपना टाइम वेस्‍ट नहीं करना चाहती थी, पर टैक्‍सी वाले से भी रूखा व्‍यवहार नहीं करना चाहती थी, वह बोली, ‘’एक्‍चुली मैं थोड़ी सी टेंशन में हूं, एनीवे थैंक्‍यू सो मच।‘’

 

राघव के घर की लाइट जल रही थी, दस बजने वाले थे…इतनी जल्‍दी कौन सोता है, वह कबीर के साथ डिनर कर रहा होगा, या तो उसे पढ़ा रहा होगा या फिर उसके साथ खेल रहा होगा? ‘’ 

धड़कते हुए दिल पर काबू करने की कोशिश करते हुए मीरा डोर के पास आकर खड़ी हो गई...डोरबेल बजाने के लिए उसे हिम्‍मत जुटानी पड़ रही थी।

उसे खुद पर गुस्‍सा भी आ रहा था, वह दो बार राघव को झिड़क चुकी थी, पर खुद ही बार बार उसके सामने आ जाती थी। सिचुएशन ही ऐसी हो जाती थी कि मीरा के कदम खुदबखुद राघव के घर की ओर मुड़ जाते थे।

मीरा का हाथ डोरबेल तक पहुंचता कि मीरा ने देखा राघव के घर का डोर खुला हुआ है, बेल बजाने की जरूरत ही नहीं.…अपनी बेकाबु हो रही सांसो को किसी तरह से काबू में कर के मीरा ने दरवाजे को हल्‍का सा धक्‍का दिया। 

एक झटके में ही वह पूरा खुल गया.…दिल की धड़कन मानो बुलेट ट्रेन की स्‍पीड को मात दे रही थी।’’ 

अंदर का नजारा कुछ अलग सा था, वह पहले भी दो बार राघव के घर आ चुकी थी, पहली बार जब राघव को वार्निंग देनी थी, दूसरा जब कबीर को चोट लगी थी। 

कबीर को लेकर आई थी तो पूरे घर को अपनी आंखो से देखा था, सुंदर ढंग से सजाया, लग ही नहीं रहा था कि यहां कोई औरत नहीं रहती है...लोग कहते है कि जिस घर में औरत रहती है, उस घर की सुंदरता ही अलग होती है पर राघव ने इसे झुठला दिया था। पर आज राघव का यह पूरा घर कबाड़ खाना लग रहा था।

मीरा याद करने लगी कि मैं सही घर में आई हूं ना...?

दीवार पर नजर डाली.…वही पेडूंलम वाली वॉलक्‍लाक लगी थी, पर बंद पड़ी थी....उसके कांच के शीशे टूटे थे, ऐसा लग रहा था किसी ने भारी चीज से उस क्‍लाक पर मारा हो, और अभी थोड़ी देर पहले ही मारा था क्‍योंकि कांच के कुछ टुकड़े नीचे फर्श पर गिरे थे। 

शायद कबीर बॉल खेल रहा होगा उसी से लग गया होगा, पर घर क्‍यों फैला है, कुशन सोफे के नीचे पड़े हैं, सोफा कवर उधड़ा हुआ है, डाइनिंग टेबल पर ढेर सारा खाना फैला है, तीन चार बीयर की खुली बोतलें भी एक कोने पड़ी थी। क्‍या राघव के घर में कोई पार्टी चल रही थी…घर में छोटा बच्‍चा है और राघव बीयर पार्टी करता है।‘’ 

मीरा के मन में आया कि यहां से निकल जाए, भाड़ में जाए राघव और भाड़ में जाए उसकी डीएनए रिपोर्ट।’’ 

नहीं, नहीं जब तक मैं सच नहीं जान लेती नहीं जाऊंगी, क्‍या वो छत पर है, अपने दोस्‍तों के साथ पार्टी कर रहा होगा, कबीर तो यहीं होगा।

 

उसने खुद को नियंत्रित किया और धीरे से कबीर को आवाज लगाई, ‘’कबीर, कबीर बेटा.....कहां हो तुम......मैं तुम्‍हारी मीरा आंटी....उस दिन स्‍कूल में तुम्‍हें चोट लग गई थी मैं तुम्‍हें यहां लेकर आई थी फिर हमारी दोस्‍ती हो गई थी, आज तुम्‍हारी दोस्‍त तुम्‍हें हाय करने आई है।‘’

दो महीने हो गए हैं, कबीर मुझे भूल तो नहीं गया होगा...?

मीरा ने घर का कोना-कोना छान मारा, पूरा घर बिखरा था, घर में किसी के होने का कोई निशान नहीं मिला। 

इतनी रात को घर खुला छोड़कर राघव कबीर को लेकर कहां गया?

मीरा ने देखा, कपड़े की आलमारियां और लाकर खुला था, नाममात्र पुराने और रफ कपड़े, कागज के छोटे-छोटे टुकड़े पड़े थे।

मीरा को आशंका हुई ‘’कहीं कहीं राघव के घर में चोरी तो नहीं हुई है?‘’ 

आज तो संडे है, राघव जरूर कबीर को घुमाने ले गया होगा, फिर डिनर कर के लौटने का प्रोग्राम होगा, इसी बीच कोई आया और चोरी कर के चला गया।

ओह गॉड, मुझे तो कबीर के लिए बुरा लग रहा है, वो बेचारा छोटा सा बच्‍चा उसके लिए तो यह दिल तोड़ने वाली घटना है। 

तभी मेन डोर से किसी के आने की आहट हुई....मीरा की पीठ डोर की ओर थी...हे भगवान राघव घर आ गया, मुझे ऐसे चोर की तरह अपने घर में पाकर क्‍या सोचेगा...? अपने घर की ऐसी हालत देखकर वह क्‍या समझेगा, पर मैं चोर थोड़ी हूं, वह कुछ भी सोचे इस झूठे इंसान से पूछने के लिए मेरे पास भी बहुत कुछ है, मुझे कबीर का सच जानना है। 

मीरा ने एक परछाई को अपने पास आते देखा, वह बहुत ही धीरे-धीरे सदे कदमों से आ रहा था। मीरा के दिल की धड़कन अब रूकी कि तब रूकी वाली हालत में हो गई, क्‍या यह चोर है, नहीं वह फिर से वापस क्‍यों आएगा? तो फिर.....फिर तो यह राघव ही होगा क्‍या राघव मुझे पहचान गया, क्‍या उसे पता था कि मैं आऊंगी.? 

मीरा ने भगवान का नाम लिया और पीछे पलट गई…पर सामने वाले इंसान को देखकर ही उसके होश उड़ गए।

 

कौन है यह इंसान जिसे देखकर मीरा कांप उठी? 

क्‍या सूर्या सच कह रहा है या फिर यह भी राजवीर की कोई चाल है? 

अगर कबीर राघव का बेटा नहीं है तो राघव उसकी परवरिश क्‍यों कर रहा है? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
 

 

 

 

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