पम्मी आंटी ने अपने बेटे का फॉरेन ट्रिप का ड्रीम तो पूरा कर दिया था, लेकिन शायद किसी और का ड्रीम टूटने की कगार पर था । पम्मी आंटी को गुड़िया ने जल्दी ऑफिस आने को बोला था । ये शादी कराने वाले भी किसी सुपर हीरो से कम नहीं होते ।
लोगों के ताने सुनने की सबसे ज्यादा क्षमता इन शादी करवाने वालों की प्रजाती में ही पायी जाती है । शादी टिक जाए तो कोई इन्हें क्रेडिट नहीं देता, लेकिन अगर शादी के बाद पति-पत्नी में झगड़े शुरू हो जाएं, तो सबसे पहला ताना शादी करवाने वाले को दिया जाता है।
पम्मी आंटी जैसे ही ऑफिस पहुंची तो उन्हें गुड़िया ने बताया कि ऋषि और प्रिया के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गयी है । गुड़िया को यह ख़बर पप्पू चाय वाले से पता चली थी । पम्मी आंटी ने अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा।
पम्मी - एक तो मुझे इन दोनों का नेचर समझ नहीं आ रहा। अभी सगाई भी नहीं हुई, और दोनों में झगड़े शुरू हो गए हैं। पप्पू को कैसे पता चला के ये दोनों आपस में झगड़े हैं। खोतिया है पूरा की पूरा
गुड़िया - वो ऋषि अपनी शॉप पर प्रिया को लेकर गया होगा, लेकिन जब दोनों शॉप से बाहर आये, तो दोनों में कुछ बहस हो रही थी। बहस करते-करते ऋषि और प्रिय कार में बैठे और कहीं चले गए थे।
पम्मी - हाय रब्बा ! ऋषि की शॉप पर इन्होंने कलेश कर लिया ।अब पक्का ऋषि की मम्मी का फ़ोन सबसे पहले मुझे ही आएगा।
पम्मी आंटी कोई भविष्यवाणी कर दे और वो सच्च ना हो ! अरे ऐसा हो ही नहीं सकता । पम्मी आंटी ने अभी अपने माथे से हाथ भी नहीं हटाया था कि पम्मी आंटी के फोन पर मिसेस अग्रवाल जी की कॉल आ गयी थी।
पम्मी - हैलो जी, मिसेस मल्होत्रा कैसी हैं आप ? सगाई की तैयारियां चल रहीं है ? आई होप ज़ोरों-शोरों चल रही होगी नहीं?
मिसेस मल्होत्रा! पम्मी से कहती है - “अरे कहां पम्मी जी ! अभी शादी भी नहीं हुई , कि ऋषि और प्रिया में बहस हो गयी है । आप प्लीज़ हमारी शॉप पर आ जाइए आप से ज़रूरी बात करनी है।”
पम्मी - ओ जी ठीक है तुसी फिकर ना करो मैं आ रही हूं।
पम्मी आंटी ने अभी ऋषि के शॉप पर जाने के लिए, अपनी स्कूटर स्टार्ट की ही थी कि गुड़िया ने उनसे कहा।
गुड़िया - पम्मी मैडम वैसे दोनों पार्टियों से आपको पेमेंट तो मिल गयी है, फिर आप उनके लिए इतना परेशान क्यों हो रहते हो ?
पम्मी- गुड़िया सवाल सिर्फ़ पैसों का नहीं बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का भी है । लोगों के घर बसाना पुण्य का काम होता है । जब तेरा घर बस जाएगा तब तुझे ये बातें समझ आएँगी। ऑफिस का ख़याल रखियो, मैं इनके सियापे ख़त्म करके आती हूं।
पम्मी आंटी जितनी पैसों को लेकर स्ट्रेट हैं, उतनी ही दिल से साफ़ भी हैं । वो नहीं चाहती थी कि ऋषि और प्रिया का रिश्ता टूटे। जैसे ही वो ऋषि की शॉप पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि ऋषि की मॉम मायूस सा चेहरा बनाए, हुए कुर्सी पर ख़ामोश बैठी हुई थीं। पम्मी आंटी ने जाते ही ऋषि की मॉम से कहा।
पम्मी- मिसेस मल्होत्रा तुसी क्यों परेशान हो रहे हो। आजकल के बच्चे ऐसे ही नख़रे वाले होते हैं , सब ठीक हो जाना है।
मिसेस मल्होत्रा ! ऋषि और अपनी होने वाली बहुत को लेकर परेशान थी, उन्होंने पम्मी से कहा - पम्मी जी ये तो अभी से ही छोटी-छोटी बातों पे लड़ने लगे हैं । आगे जाकर ना जाने कैसे एक साथ रहेंगे।
पम्मी- अरे स्टार्टिंग में सब ऐसे ही लड़ते हैं फिर एडजस्ट होना सीख जाते हैं । आप बताओ वैसे इनका झगड़ा किस बात पर हुआ था।
मिसेस मल्होत्रा ने पम्मी को लड़ाई की वजह बताते हुए कहा - अरे ऋषि ने अपने लिए ब्लू कलर का कुर्ता पसंद किया है, लेकिन प्रिया को लाइट रेड कलर का कुर्ता पसंद था । और प्रिया ने अपने लिए पिंक कलर की ड्रेस पसंद की थी, लेकिन ऋषि को उसके लिए पर्पल कलर की ड्रेस पसंद आई थी।
पम्मी- लो कर लो गल, खोदा पहाड़ और निकली चुहिया , आप टेंशन ना लो मैं इन दोनों को समझा दूंगी।
ऋषि की मॉम से बात करने के बाद, पम्मी आंटी सीधा पप्पू चाय वाले के स्टॉल पर पहुंच गई थी , उन्होंने पप्पू से ऋषि और प्रिया के बारे में पूछते हुए कहा।
पम्मी- ओ पप्पू पाजी , तुम आधी अधूरी जानकारी क्यों देते हो । अच्छे से सुन नहीं सकते थे कि वो दोनों किस टॉपिक पर बहस कर रहे थे।
पप्पू - अरे पम्मी मैडम अब हम का बताएं , हमरे इंसान के कान लगे हैं हाथी के नहीं । उस दिन कार में तो यही दोनों प्यार भरी बातें कर रहे थे, लेकिन आज तो ऐसे बहस कर रहे थे, जैसे आज ही रिश्ता तोड़ देंगे।
पम्मी- ओ शुभ-शुभ बोलो पप्पू जी , इतनी मुश्किल से इनका रिश्ता करवाया था और अब ये कपड़ों के रंगों के पीछे लड़ रहे हैं।
पप्पू - अरे हम तो कहते हैं कि एक बार फिर संगीता मैडम की कार में बैठा के कहीं भेज दो । उनकी गाड़ी में बैठ कर बहुत मीठा-मीठा बात करते हैं ये दोनों।
पम्मी- पप्पू जी चाहे मज़ाक में ही सही लेकिन आपने बात तो ठीक ही कर दी है । मैं इन्हें फिर से एक साथ कहीं घूमने भेज देती हूं ।
ये आजकल के रिलेशनशिप भी कमाल हैं । पहले गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड एक दूसरे को कहेंगे बाबू शोना, और फिर अचानक से शुरू कर देते हैं रोना धोना । पम्मी आंटी को संगीता की कार लकी लग रही थी, उन्होंने अगले दिन संगीता की कार मंगवाई। आज फिर कार को पप्पू ड्राइव कर रहा था, पप्पू की साइड वाली सीट पर बैठी थी पम्मी आंटी और पीछे बैठे थे ऋषि और प्रिया।
पप्पू को गाड़ी के सेंटर वाले शीशे से पीछे बैठे हुए ऋषि और प्रिया के नाराज़ चेहरे दिखाई दे रहे थे। पप्पू मन ही मन में सोच रहा था कि अगर अभी इन दोनों की नौटंकी से अच्छा तो, उसका गुड़िया के प्रति इकतरफा प्यार ही था । कुछ लोग अपने ख़यालों की दुनिया में ही खुश रहते हैं , ये पप्पू भी उन्ही लोगों जैसा था।
आखिकार वही रेस्टोरेंट आ गया था जहां पिछली बार पप्पू इन दोनों प्रेम पुजारियों को लेकर आया था। बस फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि इस बार पम्मी आंटी भी साथ में थी । रेस्टोरेंट में पम्मी आंटी , ऋषि और प्रिया एक साथ बैठे थे । पम्मी आंटी ने सुलह करवाने की शुरुआत करते हुए कहा।
पम्मी- देखो मैं जानती हूँ कि आप रंगों के पीछे बहस कर पड़े हो , लेकिन असल में ये बहस रंगों की नहीं बल्कि ख़ुद को बड़ा दिखाने की होती है । आज रंग पर बहस हुई है कल को डिज़ाइन पर बहस होगी, परसों को कोई और टॉपिक मिल जाएगा। ऐसे टॉपिक तभी ख़त्म होंगे जब तुम दोनों अपनी ईगो को साइड पर रख के एक दूसरे को समझोगे।
पम्मी आंटी ने अपनी बात इतनी क्लेरिटी से बताई थी, कि ऋषि और प्रिया को अपनी गलती का एहसास हो गया था । लेकिन अचानक प्रिया ने पम्मी आंटी से एक सवाल पूछते हुए कहा।
प्रिया ने पम्मी को अपनी सिचुऐशन इक्स्प्लैन कि - “पम्मी आंटी अगर आप और आपके हस्बैंड में कभी ऐसे टॉपिक पर बहस होती है तो आप इसका सॉल्यूशन कैसे निकालती हैं।”
इंसान का असली रंग तभी बाहर आता है जब बात उस पर आ जाए । प्रिया का सवाल सुनते ही पम्मी आंटी ने जवाब देते हुए कहा।
पम्मी- अरे हमारी किसी टॉपिक पे बहस नहीं होती । जो मुझे पसंद हो वो मेरे पती को भी पसंद करना पड़ता है।
प्रिया ने पम्मी आंटी के हसबैंड की तारीफ़ करते हुए कहा - देखा ऋषि , इनके हस्बैंड कितने अच्छे हैं जो इनकी हर बात मानते हैं , लेकिन तुम हो कि मेरी पसंद का कलर तक रिजेक्ट कर देते हो।
पम्मी आंटी ने एक्साइटमेंट में अपने घर की सच्चाई बोल दी थी , और इस बात का फायदा प्रिया ने उठा लिया था । मगर फिर भी बात को संभालते हुए पम्मी आंटी ने प्रिया से कहा।
पम्मी- प्रिया बेटा ऐसा नहीं है कि हमेशा मेरी बात मानी जाए । अगर में यह फैसला लेती हूँ कि दीवारों पर कौन सा रंग होगा, तो मेरे हस्बैंड ये तय करते हैं की दीवारों पर कौन सी पेंटिंग्स लगाई जाएंगी । हम हर फैसला मिल बांट कर करते हैं ।
पम्मी आंटी ने देखते ही देखते ऐसे नकली एक्समप्लस ढ़ेर लगा दिए थे । बहुत मेहनत के बाद पम्मी आंटी ऋषि और प्रिया को एक अच्छे कपल होने के गुण समझाने में कामयाब हो गयी थी । अब ऋषि और प्रिया के चेहरे पर मुस्कान वापस आ गयी थी । प्रिया ने पम्मी आंटी से कहा।
प्रिया ने पम्मी आंटी से पूछा - पम्मी आंटी अगर आप ना होती तो मैं समझ ही नहीं पाती के एक अच्छा रिलेशनशिप क्या होता है । आई एम सॉरी ऋषि तुम जो कलर चाहो पहन सकते हो।
ऋषि ने भी बात को ज्यादा ना खींचते हुए कहा - अरे सोरी तो मुझे बोलना चाहिए प्रिया , मैं ही शायद तुम्हें समझ नहीं पाया था । तुम्हें भी जो रंग पसंद आए तुम पहन सकती हो।
पम्मी- अच्छा तुम दोनों लंच करके बाहर आ जाना मैं कार में ही तुम दोनों का इंतज़ार कर रही हूं।
Narrator : प्रिया ने पम्मी आंटी को रीक्वेस्ट करते हुए कहा - अरे आंटी ऐसे अच्छा नहीं लगता है , आप भी हमारे साथ लंच करिये।
पम्मी- अरे नहीं बेटा मैं पहले ही घर से खाना खा कर आयी थी , मेरा मकसद तो तुम दोनों को दोबारा एक साथ लाना था।
उन दोनों को रेस्टोरेंट में छोड़ कर पम्मी आंटी ख़ुद कार में आकर पिछली सीट पर बैठ गयीं थी । उनको अकेले आता देखकर पप्पू ने पम्मी आंटी से कहा।
पप्पू - मैडम जी कहीं लड़ते-लड़ते दोनों ने एक दूसरे का माथा तो नहीं फोड़ दिया।
पम्मी- ओ शुभ-शुभ बोलो पप्पू जी , इतनी मुश्किल से दोनों की बात दोबारा बना कर आयी हूं।
पप्पू - एक बात बोलें मैडम जी , ये दोनों पूरे नौटंकीबाज़ है। कुछ दिन पहले किसी और से प्यार करते थे , फिर इनको एक दूसरे से प्यार हुआ, और अब फिर इनका आपस में झगड़ा शुरू हो गया है।
पम्मी - ये आज कल के लड़का-लड़की ऐसे ही होते हैं । जब तक शादी ना हो जाए ये ऐसे ही इधर उधर भागते रहते हैं।
यहां पप्पू कार में ऋषि और प्रिया के इश्क का मज़ाक उड़ाए जा रहा था और वहां ऋषि और प्रिया ने अपना लंच ख़त्म कर लिया था और रेस्टोरेंट से बाहर आ रहे थे। उन दोनों का गुस्सा तो शांत हो चुका था, लेकिन उनके चेहरों पर हल्की सी नाराज़गी अभी भी नज़र आ रही थी । उन्हें आता देख कर पम्मी आंटी दोबारा पप्पू की साइड वाली सीट पर आकर बैठ गयीं थी ।
पप्पू ने कार स्टार्ट कर ली थीं और अब ये चारों दोबारा ऋषि की शॉप की तरफ जा रहे थे । पम्मी आंटी को लग ही रहा था कि सब ठीक हो गया है, लेकिन अचानक प्रिया के सामने ही ऋषि के फ़ोन पर एक मैसेज आया । प्रिया ने ऋषि के हाथ से फोन लिया और उस मैसेज को पम्मी आंटी को दिखाते हुए बोली।
ये देखो आंटी जी इसमें लिखा है , “बाबू कैसे हो आप? स्टिल आई मिस यू” ।
पम्मी - फिट्टे मुँह, फिर पे गया रोला।
प्रिया ने ऋषि के फोन पर किसी लड़की का मैसेज पढ़ लिया था । क्या अब यह रिश्ता टूट कर रहेगा ? क्या पम्मी आंटी की सारी मेहनत पानी में चली जाएगी ? आगे क्या होगा यह जानने के लिए पढ़ते रहिए।
No reviews available for this chapter.