राजवीर को पता चल चुका था कि राहुल इस ख़जाने की ख़ोज में मंदिर तक पहुँचने वाला हैं, शुरू से ही उसने मानसिंह के साथ मिलकर एक प्लान बनाया हुआ था। इसके बाद प्लान के हिसाब से ही मानसिंह ने राहुल से दोस्ती की और कर्नल के लगभग 10-12 आदमियों को मार दिया।

अपने आदमियों के मारें जाने से कर्नल राजवीर पर भड़क गया था। अब उसे लगने लगा था कि उसने राजवीर की बातों में आकर बहुत बड़ी गलती कर दी। कर्नल ने राजवीर से उसके आदमियों को मारने वालों के बारें में पूछा, तो राजवीर ने कहा, ये "अर्जुन" और उसकी टीम की हरकत हो सकती हैं।

मानसिंह ने अचानक कहा, "मैंने हमारी टीम के एक आदमी को उस रात बन्दूक के साथ उस तरफ़ जाते हुए देखा था। हमारा आदमी अर्जुन की टीम के साथ मिला हुआ है" मानसिंह की बात सुनकर सब चौंक गए थे। राजवीर ने अपनी टीम के उस आदमी का नाम पूछा।

मानसिंह ने बड़ी चालाकी से जवाब दिया-"मुझे उसका नाम तो नहीं मालूम लेकिन, मैं उसकी शक्ल सूरत बता सकता हूँ।"

मानसिंह का इशारा राहुल की तरफ़ था, यह राजवीर और मानसिंह के प्लान का एक हिस्सा था। मानसिंह ने राहुल का यूज़ कर्नल के आदमियों को मरने के लिए किया और अब उसने राहुल को कर्नल के हाथों ख़त्म करने की साज़िश रची। कर्नल ग़ुस्से में तो पहले से ही था, उसने अब राहुल को पकड़कर लाने का ऑर्डर मानसिंह को दिया।

उधर अर्जुन और उसकी टीम समुद्र से बाहर आ गई थी, किनारे पर ख़डी टीम की आंखों में अभी तक मिशन फेल होने का दुःख था। लहरों का शोर अब शांत था, पर उनके मन में उठते खयालों का शोर थम नहीं रहा था। किनारे पर बैठकर वे सोच ही रहे थे कि आख़िर कहाँ गलती हुई, तभी सम्राट के डिवाइस से अचानक बीपिंग की आवाज़ आने लगी।

सम्राट: "ये क्या हो रहा है? मैंने इस डिवाइस को बंद कर दिया था।"

डिवाइस की स्क्रीन पर एक अनजान जगह के कोऑर्डिनेट्स चमकने लगे। अर्जुन ने डिवाइस को देखा और हैरान रह गया—ये कोऑर्डिनेट्स दूर किसी अनजान जग़ह की ओर इशारा कर रहे थे। सवाल अब ये था कि ये सब क्यों हो रहा था?

आइशा: ", ये कोऑर्डिनेट्स अचानक कैसे एक्टिव हो गए? कहीं कोई हमें फ़साना तो नहीं चाहता हैं?"

टीम के अंदर एक अनजाना डर था, शायद कोई उनके साथ खेल, खेल रहा था। अर्जुन ने सभी की घबराई हुई शक्लों को देखा और एक गहरी सांस ली। उसने तय किया कि वे इन कोऑर्डिनेट्स का पीछा करेंगे, चाहे जो भी हो।

अर्जुन: "हमारे पास खोने को अब कुछ नहीं है। हमें वहाँ जाना होगा।"

टीम ने तय किया कि वे इन कोऑर्डिनेट्स को संभलकर फॉलो करेंगे। धीरे-धीरे वे गहरे जंगल की ओर बढ़ने लगे। उनके रास्ते अब और भी ख़तरनाक होते जा रहे थे, जैसे कि मानो वह उन्हें कहीं ले जाकर उलझाने की कोशिश कर रहे थे। टीम लगातार बढ़ रही थी। जला देने वाली धूप में चारों ओर की हवा में अचानक एक अजीब-सी ठंडक फैलने लगी। आइशा ने अपनी घड़ी की ओर देखा और चौंक गई।

आइशा:  "दोस्तों रुको! हमारी घड़ियाँ... ये रुक गई हैं।"

ये एक और ख़तरनाक संकेत था। टीम को लगने लगा था कि वे किसी बड़ी ताकत के ऑरा में आ गए हैं। हर क़दम पर उन्हें कुछ अनहोनी का आभास हो रहा था। अचानक, उनके सामने का रास्ता धुंध से ढक गया और पूरी टीम को रहस्यमयी धुंध ने घेर लिया। उन्हें आस पास का कुछ नहीं दिखाई दे रहा था।

आइशा: "यहाँ कुछ तो बहुत ग़लत है! हमें वापस जाना चाहिए।"

अर्जुन: "नहीं, अब हम चाहकर भी नहीं रुक सकते।"

अचानक धुंध के बीच में एक चेहरा उभरने लगा। वह किसी इंसान की तरह दिख रहा था, लेकिन उसकी आंखों में एक डरावनी चमक थी। अर्जुन ने इशारे से सभी को चौकन्ना रहने को कहा।

वह चेहरा धीरे-धीरे टीम के बहुत नज़दीक आ रहा था। आइशा और मीरा उस भयानक चेहरे को देखकर कांप रही थी, सम्राट के चेहरे पर पसीना आ गया था। वह चेहरा अर्जुन के सामने रुक गया। उस चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी। उसने एक गहरी आवाज़ में कहा, "तुम लोग जो ढूँढ रहे हो वह कभी तुम्हारा था, लेकिन अब उसे भूल जाओ, क्योंकि उसका असली मालिक जाग चुका है।"

विक्रम: "ये कौन हो सकता है? और इसे हमारे बारे में कैसे पता?"

अर्जुन चुपचाप उसकी बातें सुनते रहे। वह कुछ ऐसा जानता था जिसे अर्जुन और उसकी टीम कभी सोच भी नहीं सकती थी। अचानक, उसने अर्जुन की ओर इशारा किया और कहा "तुम्हारे पूर्वजों का क़र्ज़ अब तुम्हारे सामने है। समय आ गया है कि तुम अपने पापों का सामना करो।"

अर्जुन यह सुनकर हैरान थे। ये बात सुनने की उन्हें बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। उस चेहरे की बात अर्जुन को पूरी तरह समझ नहीं आ रही थी, लेकिन उसके शब्दों में एक गहरा राज़ छुपा था। विक्रम ने अर्जुन की ओर देखा, मानो पूछना चाहता हो कि क्या ये सब सच है।

विक्रम: "पूर्वजों का कर्ज? मास्टर, ये क्या कह रहा हैं?"

अर्जुन ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही थी। उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं था। तभी, वह चेहरा हवा में गायब हो गया और धुंध छट गई। धुंध छटने के बाद सबने देखा कि उनके सामने का एक बड़ा पत्थर धीरे-धीरे ख़िसकने लगा, मानो कोई गुप्त रास्ता खुल रहा हो।

पत्थर के ख़िसकने से एक रास्ता सामने आया। उसके दरवाजे पर कुछ अजीबो-गरीब निशान बने हुए थे, जो अर्जुन को किसी तरह जाने-पहचाने लग रहे थे।

अर्जुन: "ये निशान तो मैंने भी कहीं देखे हैं... पर कहाँ...टीम क्या हमें इस दरवाज़े में अंदर जाना चाहिए?"

ख़तरा ज़रूर था लेकिन अब टीम हर मुश्किल के लिए तैयार थी। सभी उस दरवाज़े के अंदर सुरंग में चले गए। उस एक छोटी-सी सुरंग के आख़िर में रोशनी दिख रही थी। जैसे ही सब सुरंग की दूसरी तरफ़ निकले उनके होश उड़ गए। वह किसी और जगह पहाड़ों के बीच बने एक प्राचीन चमचमाते आलिशान महल को देख रहे थे।

अर्जुन: "यकीन नहीं हो रहा लेकिन मुझे लगता है, मैं पहले इस महल को देख चुका हूँ...ऐसा लगता है मैं यहाँ आ चुका हूँ।"

अर्जुन की टीम ने उसकी ओर हैरानी से देखा। ऐसा लग रहा था कि ये मिशन केवल अनंत ज्ञान के लिए नहीं, बल्कि अर्जुन के अतीत से जुड़ा एक गहरा रहस्य सुलझाने के लिए था। अर्जुन ने डीसाइड किया कि इस बार वह खज़ाने को ढूंढ़ लेंगे।

सम्राट: ये देखों मास्टर... कोर्डिनेटट्स इसी जगह के थे।

पहाड़ों के बीच छुपा हुआ एक प्राचीन महल, जिसकी दीवारों पर समय की धूल और रहस्यों का पर्दा चढ़ा हुआ था। सम्राट के डिवाइस को मिले कोऑर्डिनेट्स उन्हें इस महल की ओर ले आए थे। टीम के अंदर अब भी पिछली घटनाओं का डर था और इस महल का रहस्य उनके सामने था, जिसे सुलझाए बिना वे आगे नहीं बढ़ सकते थे।

अर्जुन: "मुझें एक प्राचीन शिलालेख की झलक सपनों में कई बार दिखी थी और वह इसी महल में हैं। हमें ध्यान से काम करना होगा। ये महल जितना प्राचीन है, उतना ही खतरनाक भी।"

टीम महल के अंदर आगे बढ़ रही थी। चारों तरफ़ अँधेरा था और दीवारों पर बने चित्र किसी पुराने ज़माने के जादूगरों और राजा-महाराजाओं की कहानी बयाँ कर रहे थे।

अर्जुन: "ये प्रतीक किसी पौराणिक कथा से जुड़े लगते हैं। शायद ये जादू के दर्पण का रास्ता दिखा सकते हैं।"

महल के गहरे हिस्से में, एक कमरे के बीचों-बीच एक बड़ा और रहस्यमयी आइना था। जैसे ही अर्जुन ने आईने की ओर देखा, सबको उसकी सतह पर हल्की-सी हलचल महसूस हुई, मानो आइना ख़ुद उनके आने का इंतज़ार कर रहा हो।

अर्जुन: "यही है 'जादूई दर्पण' , पर इसे कैसे इस्तेमाल करना है?"

आईने के सामने कुछ प्रतीक बने हुए थे। अर्जुन ने उन प्रतीकों को समझना शुरू किया। अर्जुन ने एक गहरी सांस ली और प्रतीकों को ध्यान से समझते हुए, उन्हें हल करने की कोशिश की। जैसे ही उसने पहला प्रतीक सही जगह पर घुमाया, कमरे की छत पर पत्थर की छोटी-छोटी दरारें उभरने लगीं।

आइशा: "मास्टर, हमें जल्दी करना होगा! छत गिरने वाली है।"

अर्जुन ने समय बर्बाद किए बिना दूसरा प्रतीक भी सही जगह पर घुमाया लेकिन जैसे ही उन्होंने तीसरे प्रतीक को छूने की कोशिश की, एक तेज आवाज़ के साथ महल के दीवारों से पत्थर गिरने लगे। अर्जुन ने आख़िरी प्रतीक को सही तरीके से घुमाया और आइना अचानक से चमक उठा। उसकी सतह पर अजीब-सी रोशनी फैल गई और उसके पीछे से एक शिलालेख निकल कर आया।

अर्जुन: " ये रहा! ये वही शिलालेख है जो मेरे सपनों में आता था.. पर! पर ये पूरा नहीं है? इसका सिर्फ़ एक टुकड़ा है यहाँ? इसे समझने के लिए, हमें बाक़ी हिस्सों को भी ढूँढना होगा।

जैसे ही टीम ने शिलालेख के टुकड़े को उठाया, महल की दीवारों पर बने प्रतीक अचानक से चमकने लगे। ये काम इतना आसान नहीं था शिलालेख को छूते ही, महल के अंदर का माहौल और भी ख़तरनाक हो गया।

आइशा:"हम यहाँ से बाहर कैसे निकलेंगे महल ढह रहा है!"

टीम ने तुरंत महल से बाहर भागने की कोशिश की। हर क़दम पर फ़र्श में दरारें आ रही थीं और दीवारें उनके ऊपर गिरने की धमकी दे रही थीं। टीम दरवाज़े की तरफ़ भागने लगी तभी रास्ते में एक बड़ा पत्थर उनके सामने आ गिरा, जिससे बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया, उन्हें इस बिखरते हुए महल से बाहर निकलना अब इंपॉसिबल लग रहा था।

क्या आज अर्जुन की टीम इस महल में दफ़न हो जाएगी? अर्जुन के पूर्वजों का इस महल, मैप और ख़ोज का क्या लेना देना था? क्या अर्जुन सब कुछ जानते हुए आया था यहाँ? होगा इन सब राज़ो का पर्दा फर्श, जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

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