किसी को अलविदा कहते वक्त एक अजीब-सा खालीपन आता है।
लेकिन कभी-कभी, ये खालीपन ज़रूरी होता है—क्योंकि यही वो पल होता है, जब हम पुरानी यादों को अलविदा कहकर नए रास्तों पर चलने का हौसला जुटाते हैं।
आज श्रेया और संकेत की ज़िंदगी उसी मोड़ पर थी।
दोनों के दिलों में प्यार अब भी गहरा था, लेकिन उनके रास्ते अब अलग हो रहे थे।
श्रेया के कमरे में हलचल थी। बैग्स को पैक किया जा रहा था। कोने में एक छोटा-सा सूटकेस रखा था, जिसमें उसने अपनी ज़रूरी किताबें और कुछ यादगार चीज़ें रखी थीं। पास ही एक फ्रेम रखा था, जिसमें कॉलेज के दिनों की एक तस्वीर थी—संकेत और श्रेया मुस्कुरा रहे थे, और राज उनके साथ खड़ा था।
श्रेया ने वो तस्वीर उठाई। उस तस्वीर में उसकी आँखों में जो चमक थी, वो शायद अब भी कहीं थी, लेकिन आज उसकी जगह थोड़ी uncertainty और sadness ने ले ली थी।
वो जानती थी कि उसका ये सफर उसकी ज़िंदगी बदल देगा।
लेकिन साथ ही, वो उन रिश्तों को पीछे छोड़कर जा रही थी, जो अब तक उसकी दुनिया का हिस्सा थे।
तभी दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई।
Raj (cheerfully): "तो, मैडम, बैग्स तैयार हो गए या अभी भी कंफ्यूजन में हो?"
Shreya (smiling faintly): "अरे, राज! अंदर आओ। सबकुछ तैयार है... बस, दिल को तैयार करना बाकी है।"
Raj (grinning, but with a hint of seriousness): "दिल को तैयार करना? कल तो तुम कह रही थी कि सपनों को पूरा करने के लिए दिल मजबूत करना पड़ेगा। आज क्या हुआ, अब डर लग रहा है?"
Shreya (sighing, softly): "डर नहीं, राज... बस एक अजीब-सा एहसास हो रहा है। सबकुछ पीछे छूट रहा है। घर, माँ-पापा, और ये जगह। कभी सोचा नहीं था कि ये सब छोड़कर जाना इतना मुश्किल होगा।"
Raj (walking closer): "श्रेया, तुम कोई गलती नहीं कर रही हो। ये फेलोशिप तुम्हारे लिए बहुत बड़ा मौका है। और तुमने इसे हासिल करने के लिए कितनी मेहनत की है, ये तुमसे बेहतर कौन जानता है?"
राज की आवाज़ में विश्वास था।
लेकिन उसकी आँखों में एक छिपा हुआ दर्द था, जिसे शायद श्रेया अभी तक समझ नहीं पाई थी।
Raj (hesitating, then softly): "एक बात कहूँ? मुझे तुम्हारी सफलता पर बहुत गर्व है। लेकिन ये thought कि तुम इतनी दूर चली जाओगी, कहीं न कहीं मुझे थोड़ा खाली महसूस करवा रहा है।"
Shreya (looking at him, surprised): "राज... तुम... तुम ऐसा क्यों कह रहे हो? हम दोस्त हैं, और दोस्त कभी दूर नहीं होते।"
Raj (with a faint smile): "हाँ, दोस्त तो कभी दूर नहीं होते। पर कुछ फासले ऐसे होते हैं, जो दोस्ती से ज्यादा महसूस होते हैं।"
श्रेया ने राज की आँखों में कुछ ऐसा देखा, जिसे उसने शायद पहले कभी नहीं देखा था।
वो उसके शब्दों के पीछे छिपी भावना को समझने की कोशिश कर रही थी।
Shreya (after a pause): "राज... मैं हमेशा तुम्हारी दोस्त रहूंगी। और तुम्हारे बिना ये सफर आसान नहीं होगा। तुम्हारी सपोर्ट ने मुझे यहाँ तक पहुँचने का हौसला दिया है।"
Raj (softly): "और मैं हमेशा तुम्हारे लिए खुश रहूंगा, श्रेया। बस इतना कहना था... तुमसे कभी कुछ और मांगने की हिम्मत नहीं हुई।"
राज के शब्दों में एक गहरी खामोशी थी।
श्रेया कुछ कह नहीं पाई। उसने सिर्फ उसकी तरफ देखा, और उसकी आँखों में उसके दिल का सारा सच पढ़ लिया।
शाम को श्रेया अपनी सबसे करीबी दोस्त संजना से मिलने गई।
संजना, हमेशा की तरह, अपने blunt और practical अंदाज़ में श्रेया का इंतजार कर रही थी।
Sanjana (teasingly): "तो, मैडम फेलोशिप के लिए तैयार हैं या फिर ड्रामा करने आई हैं?"
Shreya (laughing lightly): "तू भी ना, संजना। हमेशा मेरी खिंचाई करने का बहाना ढूंढती है।"
Sanjana (serious, but supportive): "सुन, अगर तू ये सोच रही है कि मैं तुझे रोने-धोने की सलाह दूंगी, तो भूल जा।
तूने अपनी मेहनत से ये फेलोशिप हासिल की है। ये कोई मामूली बात नहीं है।
और जो लोग तुझसे प्यार करते हैं, उन्हें समझना चाहिए कि तेरा ये सफर तुझसे ज्यादा उनके लिए भी जरूरी है।"
Shreya (hesitant): "पर संजना, ये दूरियां... माँ-पापा, राज, और... संकेत। सब कुछ इतना complicated हो गया है।"
Sanjana (shaking her head): "देख, श्रेया। ज़िंदगी कभी simple नहीं होती। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तू guilt में जीना शुरू कर दे।
राज एक अच्छा इंसान है, और संकेत... उसका तुझसे प्यार करना गलत नहीं था।
लेकिन तू अपनी ज़िंदगी सिर्फ उनकी भावनाओं को लेकर sacrifice नहीं कर सकती।"
संजना की बातें हमेशा कड़वी होती थीं, लेकिन उसमें सच्चाई का एक गहरा अंश होता था।
श्रेया ने धीरे-धीरे अपनी दोस्त की बातों को अपने दिल में उतारा।
Shreya (nodding, softly): "तू सही कह रही है। मुझे guilt को पीछे छोड़ना होगा। लेकिन संजना... कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं, जो पीछे छोड़ने के बाद भी हमें पकड़कर रखते हैं।"
Sanjana (with a smirk): "हां, और उन्हीं रिश्तों को संभालते हुए हम अपने सपनों से दूर हो जाते हैं।
अब फैसला तुझे करना है—अपने रिश्तों को संभालना है या अपने सपनों को।"
दूसरी तरफ, संकेत अपने कमरे में अकेला बैठा था।
उसके हाथ में श्रेया की वो तस्वीर थी, जो उसने कॉलेज के दिनों में ली थी।
संकेत के मन में एक गहरी उलझन थी।
क्या उसे श्रेया से मिलने जाना चाहिए?
क्या उसे अपने दिल की बात आखिरी बार कहनी चाहिए?
या फिर उसे अपनी भावनाओं को वहीं खत्म कर देना चाहिए, जहाँ उनकी कहानी अधूरी रह गई थी?
Sanket (to himself, softly): "श्रेया... मैं तुम्हारे बिना कुछ भी नहीं हूँ। लेकिन शायद यही सच है—हम एक-दूसरे के साथ नहीं हो सकते।"
तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया।
"श्रेया कल सुबह फ्लाइट के लिए निकल रही है।"
संकेत के दिल में एक हलचल मच गई।
उसने अपनी कुर्सी से उठते हुए सोचा,
"क्या मुझे उससे मिलने जाना चाहिए? क्या मैं उससे बिना मिले उसे अलविदा कह पाऊंगा?"
जाने से पहले श्रेया अपने माँ और पापा को सेहत का ख्याल रखने की हिदायत दे चुकी थी। जब Shreya अपने बैग को पैक कर रही थी, उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं। Mrs. Verma उसे देख रही थीं, जैसे कुछ कहना चाहती हों लेकिन सही शब्द ढूंढ नहीं पा रही हों।
Mrs. Verma (gently): "बैग पैक करते हुए तुमसे ज्यादा भारी मुझे तुम्हारा दिल लग रहा है, श्रेया। क्या बात है? तुम खुश क्यों नहीं लग रही?"
Shreya (sighing, pausing her packing): "माँ, मैं खुश हूँ। ये फेलोशिप मेरे लिए सबकुछ है। लेकिन पापा… मुझे लगता है कि वो अभी भी मेरी इस फेलोशिप को लेकर खुश नहीं हैं। हर बार जब मैं उनके सामने इसका ज़िक्र करती हूँ, तो वो बस चुप हो जाते हैं या कुछ और कहने लगते हैं। मुझे नहीं लगता कि मैं उन्हें छोड़कर जा सकती हूँ।"
Mrs. Verma (smiling softly, leaning forward): "तुम्हारे पापा को मैं तुम्हारे से ज्यादा जानती हूँ, बेटा। उनकी चुप्पी का मतलब ये नहीं है कि वो खुश नहीं हैं। वो बस… अपनी चिंता छिपा नहीं पाते। तुम्हें पता है, वो दिन में दो बार अपने दोस्तों को तुम्हारी फेलोशिप की खबर दे चुके हैं। ‘मेरी बेटी का सेलेक्शन हुआ है,’ ये कहते हुए उनकी आँखों में कितना गर्व होता है, मैं ही देखती हूँ।"
Shreya (looking at her mother, surprised): "सच में? लेकिन माँ, फिर वो मुझसे खुलकर क्यों नहीं कहते? मैं उनकी आँखों में हमेशा एक डर, एक असमंजस देखती हूँ।"
Mrs. Verma (gently, brushing Shreya’s hair back): "तुम्हारे पापा का प्यार शब्दों में नहीं, उनके छोटे-छोटे gestures में छिपा होता है। उन्होंने कल रात तुम्हारे लिए फ्लाइट टिकट चेक की। उन्होंने ये भी कहा कि तुम्हारे लिए एक अच्छा बैग लेना चाहिए। वो जो कुछ भी करते हैं, वो सब तुम्हारे लिए है। बस, वो इसे कहने में संकोच करते हैं। लेकिन बेटा, उनका हर कदम ये कहता है कि वो चाहते हैं कि तुम जाओ और अपना सपना पूरा करो।"
Shreya (holding her mother’s hand tightly): "माँ, मैं उन्हें कैसे बताऊँ कि उनकी चुप्पी मुझे कितना परेशान करती है? मैं उन्हें कभी निराश नहीं करना चाहती।"
Mrs. Verma (smiling softly): "तुम्हें उन्हें कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है, बेटा। उन्हें सब पता है। और एक दिन, जब तुम अपनी मंज़िल पर पहुँच जाओगी, तो वो खुद तुम्हें बताएंगे कि तुम्हारे लिए उनका ये फैसला कितना सही था। लेकिन अभी, उन्हें समय दो। और अपने सपनों के लिए खुद को रोकना मत।"
Shreya (wiping her tears, her voice steadier): "ठीक है, माँ। मैं पापा के लिए, आपके लिए, और अपने लिए… ये कदम उठाऊंगी।"
Mrs. Verma: "that’s my girl. और याद रखना, तुम्हारे पापा और मैं हमेशा तुम्हारे साथ हैं। चाहे तुम कितनी भी दूर क्यों न जाओ।"
शब्द कभी-कभी ज़रूरी नहीं होते।
प्यार और विश्वास अक्सर छोटी-छोटी हरकतों में छिपे होते हैं।
श्रेया ने उस पल अपने पिता की चुप्पी के पीछे छुपे गर्व और डर को समझ लिया।
उसने महसूस किया कि उसका परिवार उसे जाने देने के लिए तैयार है,
क्योंकि वे जानते थे कि उसका जाना ही उनकी सबसे बड़ी जीत होगी।
उस रात जब श्रेया अपने बैग्स को आखिरी बार चेक कर रही थी, तभी दरवाजे पर फिर दस्तक हुई।
उसने दरवाजा खोला और सामने संकेत खड़ा था।
Shreya (surprised): "संकेत? तुम यहाँ? इस वक्त?"
Sanket (hesitant, softly): "क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?"
Shreya (nodding, stepping aside): "हाँ, आओ।"
दोनों के बीच कुछ पलों तक खामोशी छाई रही।
संकेत ने कमरे के चारों तरफ देखा। बैग्स, सूटकेस, और उस तस्वीर पर उसकी नजर पड़ी, जो उसने कभी उन्हें दी थी।
Sanket (gently): "तो, सबकुछ तैयार है?"
Shreya (smiling faintly): "हाँ। कल सुबह की फ्लाइट है।"
Sanket (after a pause): "श्रेया... मैं तुम्हें सिर्फ एक बात कहने आया हूँ। मैं तुम्हारे लिए हमेशा खुश रहूंगा।
तुम्हारा सपना मेरा सपना बन गया है। और मैं चाहता हूँ कि तुम उसे पूरे दिल से पूरा करो।"
Shreya (emotional, softly): "संकेत... तुम्हें नहीं पता, तुम्हारे ये शब्द मेरे लिए कितने मायने रखते हैं।
लेकिन... मैं तुम्हें पीछे छोड़कर जा रही हूँ। और ये ख्याल मुझे अंदर से तोड़ कर रख देता है।"
Sanket (smiling faintly, but with pain): "श्रेया, कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं, जो दूरियों से नहीं टूटते।
हमारा रिश्ता भी ऐसा ही है। भले ही हम साथ न हों, लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।"
उन दोनों की आँखों में आँसू थे, लेकिन उनके दिलों में एक अजीब-सी सुकून भी था।
आज, वे एक-दूसरे को विदा कह रहे थे, लेकिन उनके दिलों में हमेशा के लिए एक-दूसरे की जगह बनी रहेगी।
प्यार का सबसे बड़ा इम्तिहान यही है—
दूरी और समय के बीच अपने दिल की सच्चाई को संभालना।
संकेत और श्रेया ने अपनी ज़िंदगी की नई राह चुन ली थी।
लेकिन उनके दिलों में वो प्यार हमेशा जिंदा रहेगा,
जो कभी उनका सबसे बड़ा सहारा था।
क्या ये विदाई हमेशा के लिए थी?
या उनकी राहें फिर कभी मिलेंगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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