ज़िंदगी के कुछ फैसले हमारे सामने खुशियों का एक नया रास्ता खोलते हैं, लेकिन उस रास्ते पर चलने के लिए हमें बहुत कुछ पीछे छोड़ना पड़ता है।
श्रेया और संकेत आज एक नई शुरुआत की दहलीज़ पर खड़े थे। कॉलेज की पढ़ाई खतम हो चुकी थी।
दोनों दिलों में अब भी उस पुराने प्यार की गूंज थी, जो कभी उनकी सबसे बड़ी ताकत हुआ करता था।
Verma परिवार के घर का माहौल आम दिनों से थोड़ा अलग था। श्रेया के हाथ में एक लिफाफा था, जिसे वह बार-बार पलट रही थी। उसकी आँखों में अनगिनत भाव थे—उत्साह, डर, खुशी और थोड़ा-सा संकोच।
श्रेया ने बड़ी ही खुशी से मन ही मन कहा:
Shreya (to herself, softly): "ये रहा... मेरी मेहनत का नतीजा।"
वह गहरी सांस लेकर लिफाफा खोलती है। उसके हाथ कांप रहे थे। जैसे ही उसने लेटर पढ़ना शुरू किया, उसके चेहरे पर धीरे-धीरे एक चमक आ गई।
श्रेया को अपने नाम के आगे लिखा "Congratulations" शब्द लिखा हुआ पढ़ने का कब से इंतज़ार था। और जैसे ही उसने वो शब्द पढ़े, उसकी आँखों में हल्के आँसू तैरने लगे।
वह तुरंत अपनी माँ के पास दौड़ी। Mrs. Verma, जो कमरे में आराम कर रही थीं, श्रेया के चेहरे की चमक देखकर पहले ही समझ गईं कि कुछ बड़ा हुआ है।
Mrs. Verma (smiling weakly): "श्रेया, क्या बात है? इतनी खुशी में क्यों दौड़ रही हो?"
Shreya (excited, holding the letter): "माँ! मेरा फेलोशिप के लिए सिलेक्शन हो गया है! ये वो फेलोशिप है, जिसके लिए मैंने इतने महीनों तक मेहनत की।"
Mrs. Verma (proudly, taking the letter): "मुझे पता था, मेरी बेटी जरूर कामयाब होगी। ये तो बहुत बड़ी बात है, श्रेया।"
श्रेया की माँ की आँखों में गर्व साफ झलक रहा था।
लेकिन खुशी के इन पलों में भी, घर के भीतर एक अनकहा तनाव महसूस हो रहा था।
तभी Mr. Verma कमरे में दाखिल हुए। उनके चेहरे पर हमेशा की तरह चिंता की लकीरें थीं।
Mr. Verma (sternly): "क्या हो रहा है यहाँ?"
Shreya (hesitant, yet hopeful): "पापा... मेरा फेलोशिप के लिए सिलेक्शन हो गया है। मुझे विदेश जाने का मौका मिलेगा। ये मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी opportunity है।"
Mr. Verma के चेहरे पर एक पल के लिए गर्व की झलक आई, लेकिन वो तुरंत ही चिंता में बदल गई।
Mr. Verma (frowning): "विदेश? और यहाँ का क्या? घर का खर्चा—इन सबका क्या होगा?"
Shreya (pleading): "पापा, मैं समझती हूँ कि ये सब बहुत जरूरी है। लेकिन ये फेलोशिप हमारी ज़िंदगी बदल सकती है। अगर मैंने इसे इसी लिए एक्सेप्ट किया, ताकि हमारी financial condition improve हो सके। ये हमारी सभी परेशानियों का हल हो सकता है।"
Mr. Verma (reluctantly): "मुझे तुम्हारी मेहनत पर कभी शक नहीं रहा, लेकिन वक्त बहुत मुश्किल है, बेटा।
Mrs. Verma (gently, yet firm): "हम संभाल लेंगे। जितना हो सकता है, हम करेंगे। लेकिन श्रेया का ये सपना अधूरा नहीं रहना चाहिए। उसके पापा, ये मौका बार-बार नहीं आता। हमें इसे जाने नहीं देना चाहिए।"
श्रेया की माँ ने हमेशा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था।
दोपहर के समय जब श्रेया अपने कमरे में थी, तब दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई। उसने दरवाजा खोला, तो सामने राज खड़ा था। उसके हाथ में एक खूबसूरत गिफ्ट बॉक्स था।
Raj (grinning): "तो मैडम, सुना है फेलोशिप की खुशी में पार्टी देने वाली हो?"
Shreya (laughing): "राज! तुम्हें कैसे पता चला?"
Raj (smiling): "तुम्हारे सेलेक्शन की खबर तो हवा से भी तेज़ फैली है। अब ये लो, ये तुम्हारे लिए एक छोटा-सा गिफ्ट है।"
Shreya (surprised, taking the box): "राज, ये सब करने की क्या ज़रूरत थी?"
Raj (playfully): "अरे, दोस्ती में कोई ज़रूरत नहीं होती। ये बस मेरी तरफ से एक छोटा-सा तोहफा है, तुम्हारी नई शुरुआत के लिए।"
श्रेया ने गिफ्ट बॉक्स खोला। उसमें एक खूबसूरत डायरी और पेन था, साथ ही एक पेंडेंट जिसमें "Believe" लिखा हुआ था।
Shreya (touched, softly): "राज, ये बहुत special है। thank you very much."
Raj (gently): "ये बस एक याद है ताकि तुम कभी न भूलो कि तुम्हें हमेशा खुद पर और अपनी काबिलियत पर यकीन रखना चाहिए। चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, तुम हर चुनौती का सामना कर सकती हो।"
Shreya (smiling, her voice filled with gratitude): "तुम हमेशा मुझे समझते हो, राज।"
राज की इस छोटी-सी गिफ्ट ने श्रेया के दिल को छू लिया।
लेकिन उसके मन में एक और सवाल उठने लगा—क्या राज की मौजूदगी उसके लिए सिर्फ दोस्ती तक सीमित थी? श्रेया को अचानक से वोह पल याद या गया जब संकेत ने उसे अंगूठी के साथ प्रपोज किया था।
उधर मल्होत्रा हाउस में संकेत अपनी नई वेंचर की योजना पर काम कर रहा था। उसके पास कई फाइलें और प्रेजेंटेशन स्लाइड्स थीं। उसके पिता, Mr. Malhotra, पास खड़े थे, उनके चेहरे पर गंभीरता थी।
Mr. Malhotra (reluctantly): "तो, ये तुम्हारी business plan है? तुमने इसमें risk बहुत लिया है, संकेत।"
Sanket (calm but determined): "risk लिए बिना कुछ नया हासिल नहीं होता, पापा। मैंने हर डिटेल पर काम किया है। ये बिज़नेस हमें नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।"
Mr. Malhotra (after a pause): "ठीक है। अगर तुम इतना भरोसा कर रहे हो, तो मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं। लेकिन याद रखना, ये पूरी तरह से तुम्हारी ज़िम्मेदारी होगी।"
Sanket (nodding): "मैं पूरी तैयारी के साथ ये कदम उठा रहा हूँ।"
संकेत ने अपने पिता से मंजूरी पा ली थी, लेकिन Mrs. Malhotra अब भी अपनी feelings को express नहीं कर पा रही थीं।
Mrs. Malhotra के दिल में बहुत सारी बातें एक गहरे समंदर की लहरों की तरह उठ रही थीं।
एक माँ की सबसे बड़ी चुनौती यही होती है—अपने बच्चे को वो आज़ादी देना, जिससे वो खुद को तलाश सके।
लेकिन उस आज़ादी के साथ, अपने ही दिल के एक कोने में उस प्यार और चिंता को संभालकर रखना भी उतना ही मुश्किल होता है।
वो सोच रही थीं:
Mrs. Malhotra (quietly to herself, her voice heavy with emotion): "क्या हमारा बेटा हमसे दूर होता जा रहा है?
वो संकेत, जो बचपन में हर छोटी-बड़ी बात पर मेरे पास भागता था,
आज अपनी जिंदगी के इतने बड़े फैसले ले रहा है, और मैं... मैं बस दूर खड़े होकर देख रही हूँ।
पहले वो हर दिन मेरे पास बैठकर अपने कॉलेज की कहानियाँ सुनाया करता था।
कभी अपने दोस्तों के बारे में, कभी किसी क्लास की शरारतों के बारे में।
और अब... अब वो अपनी दुनिया में इतना व्यस्त हो गया है कि हमारी बातें जैसे पीछे छूट गई हैं।
क्या यही उम्र का असर है?
या फिर हमने ही उसे समझने में देर कर दी?
कहीं हमारी उम्मीदों का बोझ इतना भारी तो नहीं हो गया कि उसने अपनी बातें हमसे छुपाना शुरू कर दिया?
(सांस भरते हुए)
पहले वो हमसे अपनी हर छोटी खुशी और गम बाँटता था।
लेकिन अब...
वो अपने दिल की बातें भी मुझसे छुपाने लगा है।
(थोड़ा ठहरकर, खुद से सवाल करती हुई)
शायद मैं ही उसे समझने में चूक गई।
शायद मैंने उसकी बातों को उतनी तवज्जो नहीं दी, जितनी देनी चाहिए थी।
वो श्रेया... हाँ, मुझे पता है, वो श्रेया अब भी उसके दिल में है।
पर मैंने कभी उससे इस बारे में खुलकर बात नहीं की।
मैंने हमेशा ये सोचकर उसे चुप करा दिया कि ये सब बस एक फेज़ है,
कि ये प्यार... ये सब कुछ वक्त के साथ खत्म हो जाएगा।
पर क्या ऐसा हुआ?
(आँखें भर आती हैं)
संकेत का दिल शायद अब भी उसी जगह अटका हुआ है।
और मैं...
मैं बस ये सोचती रह गई कि उसे अपने और परिवार के लिए सही राह पर ले आऊँ।
शाम के समय संकेत को श्रेया की फेलोशिप के बारे में पता चला। उसके मन में कई भावनाएँ उमड़ने लगीं—खुशी, उदासी, और कहीं न कहीं, एक गहरा अफसोस।
Sanket (to himself, softly): "श्रेया... तुमने आखिरकार वो हासिल कर लिया, जिसके लिए तुमने हमेशा मेहनत की। मैं खुश हूँ... लेकिन ये जानकर कि तुम अब मुझसे और दूर हो जाओगी, दिल भारी हो रहा है।"
प्यार अक्सर हमारे फैसलों का सबसे बड़ा गवाह होता है।
संकेत और श्रेया आज अपनी-अपनी राहों पर चलने को तैयार थे।
लेकिन उन राहों पर चलते हुए, उनके दिलों में अब भी एक-दूसरे की जगह कायम थी।
शायद प्यार का यही असली रूप होता है—दूरी और वक्त की दीवारें भी उसे मिटा नहीं पातीं।
वो किसी गहरे एहसास की तरह हमारे साथ रहता है, हमारी हर सोच, हर कदम, हर निर्णय में।
संकेत और श्रेया के लिए भी यही सच था।
संकेत, जिसने अपने दिल की बातों को गहराई में दबा लिया था,
आज अपने परिवार के सामने खड़ा होकर अपने सपनों की बात कर रहा था।
उसके शब्द भले ही आत्मविश्वास से भरे हुए थे, लेकिन उनके पीछे छिपी उसकी भावना को कोई नहीं देख पा रहा था।
हर बार जब वह अपने बिजनस आइडिया को प्रेजेंट करता, एक नई दिशा की बात करता,
तो उसके मन में कहीं न कहीं श्रेया का चेहरा उभर आता।
वो सोचता, "अगर वो यहाँ होती, तो क्या वो मेरे फैसलों पर गर्व करती?"
श्रेया के साथ बिताए गए वो पल, वो हंसी, वो छोटी-छोटी बातें—
सबकुछ अब उसकी inspiration का हिस्सा बन चुके थे।
और श्रेया...
श्रेया ने अपनी पढ़ाई और फेलोशिप की राह चुन ली थी।
लेकिन उसके दिल में संकेत की यादें अब भी एक अटूट हिस्से की तरह बसी हुई थीं।
हर बार जब वह नई जगहों के बारे में सोचती, अपने future के बारे में सोचती,
तो एक सवाल उसके दिल में गूंज उठता:
"क्या संकेत को पता है कि मैं अब भी उसके बारे में सोचती हूँ?"
उन दोनों के लिए, प्यार का मतलब सिर्फ साथ रहना नहीं था।
प्यार वो ज़ंजीर भी नहीं था, जो उन्हें अपने सपनों से बांध कर रखे।
प्यार वो अटूट धागा था, जो भले ही वक्त और हालात की कठोरता से खिंच गया था,
लेकिन कभी टूटा नहीं था।
प्यार का सबसे बड़ा इम्तिहान यही है—क्या हम अपने दिल की गहराइयों में उसे संभाल सकते हैं,
बिना किसी शर्त, बिना किसी उम्मीद के?
संकेत और श्रेया के लिए, यह इम्तिहान हर दिन सामने था।
उनके फैसले भले ही अलग-अलग थे, लेकिन हर कदम पर वे एक-दूसरे की छवि अपने साथ लेकर चल रहे थे।
शायद यही प्यार की असली शक्ति होती है।
वो हमें आगे बढ़ने का हौसला देता है, हमारे भीतर की कमज़ोरी को ताकत में बदलता है।
संकेत ने अपने परिवार के खिलाफ खड़े होकर अपनी आवाज़ को पहचाना।
श्रेया ने अपने सपनों के लिए अपनों से दूर जाने का हौसला जुटाया।
और इन सबके बीच, उनका प्यार—जो अब सिर्फ उनकी धड़कनों में नहीं, बल्कि उनकी हर उम्मीद, हर संघर्ष में जी रहा था।
क्या उनकी राहें कभी फिर से मिलेंगी?
क्या वो अपने नए सफर में भी एक-दूसरे को महसूस कर पाएंगे?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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