माँ बाप भी आम इंसानों में से ही एक होते हैं. गलतियाँ उनसे भी होती है. उनके पास जितनी सोच होती है वो अपने बच्चों की भलाई के बारे में उसी तरह से सोचते हैं. हरिया ने हमेशा अपनी बेटी के लिए अच्छा सोचा है, उसके सपनों के लिए हालातों से लड़ा, खुद फटे कपड़ों में रहा मगर बेटी को कभी कोई कमी नहीं होने दी. उसकी बेटी जब भी क्लास में फर्स्ट आती उसकी साल भर की थकान उतर जाती. वो तो अपना अंग अंग बेच कर रेश्मा को पढ़ाना चाहता था लेकिन था तो इसी गाँव का एक आम इंसान ही ना. उसे पता था वो कुछ भी कर ले छुन्नू से नहीं टकरा सकता क्योंकि छुन्नू से टकराना मतलब पूरे गाँव से टकराना था.
दूसरी तरफ वो इतना सब होने के बाद रेश्मा की जिंदगी में दो पल सुकून के चाहता था. उसे लग रहा था कि अगर उसकी शादी किसी अच्छे घर में हो जाएगी तो आने वाले कुछ साल में वो सब कुछ भूल कर अपनी जिंदगी की नयी शुरुआत कर लेगी. उसने सोचा कि इरावती का मामा ज्यादा से ज्यादा दो चार साल जियेगा इसके बाद सारी जायदाद का मालिक उसका इकलौता बेटा और रेशमा ही होंगे. शायद ये सुख सुविधाएँ उसके दुःख को थोडा कम कर दें. वैसे भी वो लोग छुन्नू से बच कर कहीं नहीं जा सकते थे.
सुजाता आज अपनी बेटी को खुश देख ये भूल ही गयी कि उसका खेत और घर बिक चुके हैं. छुन्नू ने फरमान सुनाया है कि बेटी के विदा होने के हफ्ते भर में घर खाली कर देना होगा. हरिया ने सोच लिया था कि वो अब सुजाता को लेकर शहर ही चला जायेगा. सुजाता को अब घर बिकने का दुःख नहीं था. उसने हरिया को भी ये बात बताई जिसे सुन कर उसके मन में भी थोड़ा सुकून आया.
आज हरिया सुजाता और इरावती शादी की खरीदारी करने बाजार जाने वाले हैं. रेश्मा अपनी कोठरी से आजाद कर दी गयी है लेकिन सुजाता ने उसे सख्त हिदायत दी है कि वो घर से बाहर कदम ना रखे. रेश्मा ने उसकी बात मान ली है. इसके साथ ही सुजाता ने उसे बताया है कि जब वो लोग बाजार जायेंगे तो रेशमा की सहेली नीतू घर पर रहेगी. वो रेशमा की देख भाल कर लेगी. कुछ लाना होगा बाहर से तो वो भी ले आएगी. ये सुन कर रेश्मा थोडा घबरा गयी लेकिन फिर उसने कुछ सोच कर खुद को शांत कर लिया.
रेश्मा सुजाता को ये यकीन दिलाना चाहती थी कि उसने उनकी बात मान ली है और उसे कोई शिकायत नहीं है. जिससे उसके माँ बाबा उसे कोठरी में बंद ना करें. हरिया और सुजाता इरावती के साथ बाजार निकल गए थे. नीतू रेश्मा के साथ घर पर ही है. सुजाता किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती थी इसलिए उसने नीतू को रेशमा पर नजर रखने के लिए घर पर छोड़ा था. रेश्मा ने सोचा कि वो नीतू को किसी काम से बाहर भेजेगी और उसके जाते ही पीछे खेतों के रास्ते निकल जाएगी. वहां से मृदुल कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेगा जिसके बाद उसकी शादी रोकने का कोई ना कोई हल मिल ही जाएगा.
नीतू उससे उसकी शादी के बारे में पूछ रही है, उससे इधर उधर की बातें कर रही है लेकिन रेश्मा का मन घड़ी में अटका हुआ है.
उसे 5 बजने का इंतज़ार है. अभी चार बजे हैं. वो झूठी हंसी के साथ नीतू को बातों में उलझाए है. रेश्मा अब उसे घर से बाहर भेजने के बहाने खोजने लगी. उसने बचपन की बातें शुरू कर दी. बातों बातों में उसने नीतू को गुड़ वाली खट्टी मीठी गोली की याद दिला दी. उसे पता था उसे वो गोलियां बहुत पसंद हैं. नीतू ने बताया कि नंदन की दूकान में आज भी वो गोलियां मिलती हैं. रेश्मा ने अपना मुंह चटपटाते हुए कहा उसका वो गोलियां खाने का बड़ा मन है. काश की वो बाहर जा पाती. इस पर नीतू ने कहा कि वो ला सकती है बस वो ये बात सुजाता को ना बताये. रेश्मा ने उसे 5 रुपये दिए और वो गोलियां लेने चली गयी.
उसके जाते ही रेश्मा ने उसी का शौल उठाया और उसे ओढ़ कर बिना किसी की नजरों में आये खेतों के रास्ते मृदुल से मिलने निकल गयी. वो खेतों के रास्ते भागे जा रही थी. उसे लग रहा था जैसे वो पिंजरे से निकल कर खुले आसमान में उड़ रही हो. मगर वो इस बात से अनजान थी कि नियति ने उसके लिए ऐसा जाल बिछाया जिसमें फंस कर वो अपना सब कुछ खो देगी.
इधर नीतू गोलियां लेकर लौट आई थी. उसने रेश्मा को हर तरफ खोजा लेकिन वो कहीं ना दिखी. परेशान हो कर उसने शोर मचाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते आस पड़ोस के कुछ लोग वहां इकट्ठे हो गए. नीतू ने सबसे बस ये ही कहा कि रेशमा कहीं नहीं मिल रही लेकिन थोड़ी ही देर में गाँव भर में खबर फ़ैल गयी कि रेश्मा भाग गयी. त्रिलोचन ने उसे खेतों के रस्ते भागते देखा था. हरिया और सुजाता भी अभी अभी बाजार से लौटे हैं. वो अपने घर के बाहर भीड़ देख घबरा गए. किसी ने उन्हें बताया कि रेश्मा भाग गयी है, त्रिलोचन ने उसे भागते हुए देखा है. हरिया सुजाता का हाथ पकड़ जल्दी से अंदर ले जाता है. गाँव वाले रेश्मा को पकड़ने निकल जाते हैं. अभी हरिया के दरवाजे पर ज्यादा लोग नहीं हैं. कुछ उसे खोजने निकले हैं तो कुछ ये खबर छुन्नू सेठ तक पहुंचाने.
इधर रेश्मा पुराने पीपल के पास पहुंच गयी है. सामने मृदुल खड़ा है. उसे देखते ही रेश्मा की जान में जान आई. उसने दौड़ कर मृदुल को गले लगा लिया. उसके गले लगते ही मृदुल का रोम रोम खिल गया. रेश्मा जहाँ उसे अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी वहीं मृदुल आज भी उससे अंदर ही अंदर बहुत मोहब्बत करता था. रेशमा उसे रो रो कर अपनी आप बीती सुनाती है. मृदुल उसकी बातें सुनता है. वो उससे इस मुसीबत से निकलने का रास्ता पूछती है जिस पर वो कहता है कि अब एक ही रास्ता है. वो दोनों शादी कर लें. इसके बाद वो उसे शहर ले जायेगा जहाँ वो जो मन वो कर सकती है.
ऐसी हालत में फंसी कोई भी लड़की ये प्रस्ताव मान लेती लेकिन रेश्मा अपनी मुसीबत अपने दोस्त के गले नहीं मढ़ना चाहती. वो नहीं चाहती कि मृदुल को कोई ऐसी लड़की मिले जिसके साथ 4 लोगों ने गलत किया हो. वैसे भी उसने मृदुल को कभी उस नजर से नहीं देखा. मृदुल उसे बहुत समझाता है मगर वो नहीं मानती और ये कह कर वहां से चली आती है कि कल तक उसके पास कोई और रास्ता हो तो उसे खबर भिजवा दे नहीं तो वो अपने हिसाब से सब हैंडल कर लेगी. मृदुल देखता रह जाता है और रेश्मा लौट जाती है.
उसे इन सब में कुछ मिनट लगे होंगे लेकिन उसे नहीं पता कि इन्हीं कुछ मिनटों में उसकी दुनिया उजाड़ गयी है. रेश्मा ने मृदुल से मिलने के लिए घर से निकलने का प्लान तो बना लिया था मगर ये सोच hi नहीं था कि घर आने पर वो क्या कहेगी. उसे अब डर लग रहा था कि उसके माँ बाबा उस पर बहुत गुस्सा होंगे. जिस रास्ते वो गयी थी उसी रास्ते सबसे बचते हुए वो घर लौट आई. उसने देखा घर का दरवाजा खुला हुआ था. वो जैसे ही अंदर गयी और माँ बाबूजी को ढूँढने लगी, तो उसने कमरे में जो देखा, उसके बाद उसके गले से एक ज़ोरदार चीख निकली. उसने देखा कि उसके माँ बाबा ज़मीन पर पड़े हैं और उनके मुंह से झाग निकल रहा है. वो उन्हें झकझोरते हुए उठाने लगी लेकिन दोनों अब इस दुनिया में नहीं थे. ये सब देख के रेश्मा के शरीर से मानों जान ही निकल गई हो.
रेश्मा को समझ नहीं आ रहा था कि इतनी ही देर में ये सब कैसे हो गया. वो बाहर जा कर लोगों से मदद मांगने के लिए चिल्लाने लगी. कुछ ही देर में वहां पूरा गाँव इकठ्ठा हो गया. छुन्नू सेठ तक भी खबर पहुंच गयी थी. वो भी रेश्मा के घर पहुंच गया है. उसने देखा कि रेश्मा सबसे मदद मांग रही है. वो अभी भी समझ रही है कि उसके माँ बाबा को हॉस्पिटल ले जाने पर वो जिंदा हो जायेंगे. छुन्नू सेठ अंदर जाता है, कुछ देर वो अंदर ही रहता है. बाहर आ कर कहता है..
छुन्नू सेठ- “ये कुलछनी हरिया और सुजाता को खा गयी. हमने पहले ही कहा था ये कोई आम लड़की नहीं डायन है. तुम लोग हमारी बात गाँठ बांध लो, ये एक दिन पूरे गाँव को खा जाएगी. हरिया ने अगर इसे इतना सिर ना चढ़ाया होता तो वो जिंदा होता. इसे देख के तुम्हारी बेटियां क्या सीखेंगी? क्या तुम लोग को इस गाँव में दूसरी रेश्मा चाहिए? नहीं चाहिए तो इसका फैसला आज ही कर दो. हम अपने गाँव में ऐसी कुलछनी को नहीं रहने दे सकते जो अपने माँ बाप को ही खा गयी हो. बोलो क्या तुम लोग इसको यहाँ रहने दोगे?”
छुन्नू के सवाल पर पूरे गाँव ने एक साथ कहा ‘नहीं’.. ”इसे गाँव से तुरंत बाहर कर देना चाहिए.” रेश्मा पर अभी उन सबकी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था. वो तो अपने माँ बाबा को खोने के सदमे में थी. उसे नहीं पता था कि उसके घर से बाहर कदम रखने का ये अंजाम होगा. छुन्नू ने उसी समय पंचायत बुलाई. गाँव में ये पहली बार हुआ था कि रात के समय किसी के लिए पंचायत बुलाई गयी हो. यहाँ तो सब छुन्नू के गुलाम थे, उसने रेश्मा के लिए पहले ही सजा तय कर रखी थी, ये पंचायत तो बस एक दिखावा थी. सभी ने मिल कर तय किया कि उसका मुंह काला कर के उसे गाँव से बाहर निकाल दिया जाए. वो अब कभी गाँव में कदम नहीं रख सकती. पंचायत का फैसला सुनने के बाद रेश्मा ने खुद को थोडा संभाला और बोली…
रेश्मा- “तुम लोगों के लिए हम अपराधी हैं ना, हमारे माँ बाबू जी तो नहीं. कम से कम उनका अंतिम संस्कार तो करने दो. इतने भी हैवान ना बनों.”
रेश्मा रो-रो कर गुहार लगाती रही मगर किसी ने उसकी एक ना सुनी. भीड़ में से कोई बोला ‘हम इन पापियों का संस्कार इस गाँव की धरती पर नहीं होने देंगे.’ रेश्मा ने कहा वो अपनी ज़मीन पर उसके माँ बाबूजी का अंतिम संस्कार कर लेगी. एक ने कहा कि उसके पास अब कोई ज़मीन नहीं है. उसके बाबा ने उसकी शादी के लिए ये घर ज़मीन सब बेच दिया था. ये सब अब छुन्नू सेठ का है. रेश्मा के लिए ये एक नया सदमा था. उसे नहीं पता था कि उसके पिता उसकी शादी के लिए ये सब कर रहे थे. वो कुछ बोलती इससे पहले भीड़ में से किसी ने कहा अच्छा होगा इस घर को आग लगा दी जाए दोनों की लाश इसी में जल जायेगी.
रेश्मा कुछ सोच पाती इससे पहले ही छुन्नू के इशारे पर किसी ने मिट्टी तेल की बोतल में आग लगा कर रेश्मा के खपरैल छत पर फेंक दी. देखते ही देखते दर्जन भर ऐसी बोतलें छत से लेकर दीवार से टकरायीं और मिनटों में पूरा घर धू धू कर के जल उठा. ये सब इतनी जल्दी हुआ जैसे इसकी पहले से ही तैयारी कर के रखी गयी हो. रेश्मा चिल्लाती हुई घर की तरफ भागी लेकिन छुन्नू के कहने पर उसे कुछ लोगों ने पकड़ लिया. वो इसी आग में जल जाना चाहती थी मगर छुन्नू कह रहा था कि वो उसे इतनी आसानी से जाने नहीं देगा. उसकी सज़ा इससे बहुत भयानक होने वाली है.
क्या अपने ही गाँव से रेश्मा को बेइज्जत कर के निकाल दिया जाएगा? अब माँ बाबूजी के बाद रेश्मा कैसे जिएगी?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
No reviews available for this chapter.