चाय की टपरी से जब वैभव घर के लिए लौट रहा था, तभी एक अंजान लड़की ने देख लिया था कि वैभव ने दो चाय के कप में चाय ली थी, पर टपरी वाले दादू से बात करने के बाद वो दोनों चाय के कप छोड़कर अचानक वहां से चला गया था। उसे ये बात थोड़ी पची नहीं।

बिना सोचे उसने टपरी वाले दादू से पूछा, “दादू, वैभव चाय छोड़कर क्यों चला गया?”

अचानक वैभव का नाम लेने के बाद वो लड़की थोड़ी रुक गई। मानो उसे वो नाम लेना ही नहीं चाहिए था। फिर उसने बात घुमाते हुए कहा, "मेरा मतलब वो लड़का जो अभी यहां से गया, उसने चाय छोड़ दी, तो बड़ा अजीब लगा।“

टपरी वाले दादू ने मुस्कराते हुए कहा, "अरे! वो लड़का! कुछ नहीं बेटा, बहुत  समय पहले वो यहां एक लड़की के साथ चाय पीने आया करता था, अभी कुछ दिनों से वो यहां हर रोज़ आता है ताकि उसे वो लड़की दिख जाए, पर ऐसा हो नहीं पाता। शायद इसीलिए आज उदास होकर चला गया।“

लड़की को ये सुनकर मानो जैसे कोई झटका सा लग गया हो। वो मन ही मन कुछ सोचने लगी। कुछ था जो उसे खटक रहा था। वह सोच रही थी कि क्या वैभव सच में उस लड़की के लिए इतना उदास है जिसके साथ वह चाय पीने आता था?

उस लड़की के मन में कई सवाल उठ रहे थे और वह उन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए बेताब हो रही थी।

इधर घर पर रेणुका के लाख कहने के बाद भी वैभव को उसकी इस बात पर ज़रा भी भरोसा नहीं हो रहा था कि ये पार्टी वो सिर्फ वैभव के घर आने की खुशी में कर रही है। वैभव को समझ आ रहा था कि रेणुका के दिमाग में कुछ तो अतरंगी खिचड़ी पक रही है लेकिन ना चाहते हुए भी वो रेणुका की खुशियों के लिए पार्टी की तैयारियों में जुट गया।

रात होते-होते रेणुका के डिटेक्टिव, शर्मा जी ने भी उन सभी लड़कियों की details भेज दी जो रेणुका की परफेक्ट बहू  वाली list के हिसाब से मेल खा रही थी। रेणुका ने खुद personally एक-एक करके उन सभी की families को party में invite किया।

सारा ताम झाम निपटाते-निपटाते रात हो गयी थी। रेणुका तब भी जुटी पड़ी थी। वैभव ने जब ये देखा तो बोला,

वैभव –  “मां, रात बहुत  हो गई है, आप सोने जाओ। कल की पार्टी के लिए आपको fresh दिखना है, तो आराम तो करना पड़ेगा न?”

रेणुका ने मुस्कराते हुए वैभव को देखा और उसकी बात मानकर वो अपने कमरे में चली गई। वह जानती थी कि पार्टी में बहुत  कुछ होने वाला है और उसे इसके लिए तैयार रहना होगा।

वैभव भी थोड़ी देर अपना काम पूरा करने के बाद  कमरे में सोने के लिए चला गया। उसके दिमाग में टपरी वाले दादू की बात घूम रही थी कि उन्होंने Elsie को बहुत  समय से वहां नहीं देखा। उसका मन उदास हो गया था।

पुरानी बातों को सोचते-सोचते वैभव की आखिर नींद लग ही गयी। वैभव के कमरे में अंधेरा हो गया और घर में शांति छा गई लेकिन रेणुका के कमरे में एक नई उम्मीद की रोशनी जल रही थी। जो वैभव के भविष्य को बदलने वाली थी।

दूसरे दिन रेणुका की सुबह सूरज उगने से पहले ही हो गई। वो आज किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं चाहती थी। आज की पार्टी उसके लिए एक बहुत  बड़ा मौका है अपने लिए परफेक्ट बहू  ढूंढने का। वह जल्दी से तैयार हुई और बची तैयारियां check करने लगी।

उसने पहले घर के बाहर की decoration check की, जहां फूलों और रंगीन लाइटों से घर को सजाया गया था। फिर घर के andar hall में सब देखा।

इसके बाद, रेणुका ने किचन में रात को serve किए जाने वाले cuisine की तैयारियां देखी। वो किसी भी level पर compromise नहीं करना चाहती थी।

इस बीच, वैभव और अम्मा भी उठ गए और उसकी मदद करने के लिए नीचे आ गए।

वैभव ने रेणुका से पूछा,

वैभव – "मां, सब आपके हिसाब से है न? कुछ और करना रह गया है अब?”

रेणुका (मुस्कराते हुए ) – "हां बेटा, तुम अम्मा के साथ मिलकर gifts देख लो कि सभी सही तो आए है ना। मैं  नहीं चाहती कि आज की पार्टी में कोई भी गड़बड़ी हो।”

वैभव ने सिर हिलाया और मेहमानों के लिए आए gifts check करने लगा। अम्मा भी वैभव के साथ लग गयी।

अम्मा – "वैभव, तुम्हारी मां बहुत ज़्यादा excited है इस पार्टी के लिए। देखो, कैसे सुबह से जुट गयी है। बेटा तुम ध्यान रखना कि कोई भी भूल चूक न हो। मैं तेरी माँ का सूजा हुआ मुंह नहीं देख पाऊँगी।“

वैभव – “ठीक है, अम्मा। मैं इस बात का ध्यान करूंगा। मैं भी नहीं चाहता कि मां की मेहनत खराब हो।”

साहनी house ready था भोपाल की best party होस्ट करने के लिए।

रेणुका – “वैभव, जल्दी करो! पार्टी में अब कम समय बचा है और मेहमान कभी भी आ सकते हैं।”

वैभव के मन में अभी भी हलचल थी, लेकिन वह अपनी मां की खुशी के लिए जैसा वो कह रही थी, वैसा ही कर रहा था। उसने रेणुका की पसंद का ही कुर्ता पैजामा पहन लिया और अपने आप को आईने में देखने लगा। फिर अपने बालों को ठीक करके, लोगों से मिलने के लिए ready हो गया। वैभव को ऐसा करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन अब उसके पास कोई option भी नहीं बचा।

इस बीच, रेणुका और अम्मा भी ready होने लगे। रेणुका ने एक बहुत  सुंदर साड़ी पहनी थी और अम्मा ने पठानी सलवार कमीज़ पहना था। दोनों ही बहुत  सुंदर लग रही थीं।

वैभव ने अपने कमरे से बाहर निकलकर रेणुका और अम्मा को देखा और मुसकुराते हुए बोला,

वैभव – “क्या बात है! आप दोनों तो आसमान की परियों जैसी लग रही हो आज।”

रेणुका (हंसते हुए)  – "अब इतने खूबसूरत लड़के की मां हूं, तो परी तो लगूंगी ही।”

फिर रेणुका ने वैभव को गले लगाते हुए कहा,

रेणुका – “मेरा बच्चा कितना प्यारा लग रहा है, किसी की नज़र  न लग जाए!”

रेणुका की आंखों में ममता और अपने लिए proud देख वैभव खुश हो गया। ऐसा रेणुका, जब वैभव बच्चा था, तब किया करती थी लेकिन उसे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि वो आज ईद का बकरा है और ये सब प्यार उसकी बलि चढ़ने से पहले का प्यार है।

वह जानता था कि उसकी मां उसे बहुत  प्यार करती है, लेकिन वह यह भी जानता था कि आज कल उसकी मां जैसी हरकतें कर रही है, plannings कर रही है, वो कुछ ठीक नहीं है और इसका अंजाम भी ठीक नहीं होगा।

साहनी परिवार एक साथ guests का इंतज़ार करने लगा।

थोड़ी देर बाद पार्टी में एक-एक करके लोग आने लगे। सब रेणुका से और वैभव से मिलने लगे। रेणुका सभी लड़कियों को बहुत  नजदीक से देख रही थी। अक्सर रेणुका की नज़र  किसी एक ही लड़की पर आकर रुक जाती थी, पर आज उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कौन सी लड़की को पहले देखे। इतनी खूबसूरत लड़कियों में जो उसकी list के हिसाब से मेल खाती है, वो उस एक लड़की को कैसे ढूंढे जो वैभव के लिए परफेक्ट हो।

रेणुका की इस दुविधा के बीच, पार्टी में लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। सभी लड़कियों और उनके परिवार वालों ने वैभव से मिलना शुरू कर दिया। सुनीता और ऋद्धि मलहोत्रा भी वैभव से अलग से मिलने के लिए आ गए। सुनीता ने जब वैभव को इतने सालों बाद देखा तो वो खुदको उसकी तारीफ करने से रोक नहीं पाई और बोली, “वैभव, तुम कितने बड़े हो गए हो और सुंदर भी।"

दूसरी तरफ ऋद्धि वैभव से मज़ाक करते हुए कह रही थी, “मुझे नहीं पता था वैभव तुम इतने हैंडसम हो गए हो, अगर मेरी उम्र शादी की होती तो पक्का तुमसे ही करती।”

वैभव ने भी इस पर हंस कर कह दिया,

वैभव ( हंसते हुए) – "ऋद्धि आंटी, आपने ही मुझे धोखा दे दिया अंकल से शादी करके वरना मैं तो अभी भी आप से शादी करने के लिए ready हूँ।“

ऋद्धि, सुनीता और वैभव इस बात पर खूब हंसे। उनसे बात करने के थोड़ी देर बाद रेणुका ने वैभव को अपने पास बुलाया और उन सभी मेहमानों से मिलवाना शुरू कर दिया जिनकी बेटियां रेणुका को सबसे ज्यादा पसंद आई थी।

रेणुका ने वैभव को एक फ़ैमिली के पास ले जाकर कहा,

रेणुका –  "वैभव, ये हैं mister जोशी और उनकी बेटी निशा। पता है, निशा डॉक्टर है। तुम दोनों बचपन में पार्क साथ में खेल खेलते थे। दोनों एक ही ball के पीछे पड़े रहते थे। निशा को अपना घर दिखाओ, बातें वातें करो।“

जोशी जी को ये सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा था, लेकिन उन्होंने बात को नज़र अंदाज कर दिया और वैभव के काम के बारे में पूछने लगे। निशा को देखकर तो लग रहा था कि शायद ही उसे अपना बचपन, वैभव और वो ball याद हो जिसकी रेणुका बात कर रही थी।

दरअसल, रेणुका ने मिलती जुलती बातें सबके सामने कहीं थी, ताकि कैसे भी कर के वैभव खुद किसी से बात कर सके। भई, माँ हो तो रेणुका जैसी। अपने बेटे के लिए इतने efforts आजकल कौन ही लेता है?

खैर, धीरे-धीरे रेणुका ने वैभव को कई लड़कियों से और उनके परिवारों से मिलवा दिया।

थोड़ी देर बाद लगभग सभी को रेणुका की साज़िश समझ में आने लगी कि उसने यहां उन सबको आखिर बुलाया क्यों है। यही वजह थी कि पार्टी का माहौल धीरे-धीरे बिगड़ने लगा। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि रेणुका वैभव की शादी के लिए एक auction लगा रही है, जहां सबसे अच्छी लड़की को वैभव के लिए चुना जाएगा।

इस माहौल में वैभव भी uncomfortable महसूस कर रहा था और auction वाली बात सुनकर तो वैभव का खून ही खौल गया पर अम्मा के वादे की वजह से वो इस पार्टी में कुछ भी गड़बड़ नहीं होने देना चाहता था।

क्या पार्टी में हुई शर्मिंदगी के बाद वैभव उठाएगा कोई बड़ा कदम? आखिर चाय की टपरी पर वो अनजान लड़की कौन थी? क्या वो Elsie थी?और अगर वो Elsie थी तो टपरी वाले दादू उसे पहचाने क्यों नहीं?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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