तहखाने में चारो तरफ़ ठंडक भर गई थी। ऐसा लगा जैसे वहाँ मौजूद हवा ने अपनी सारी गर्मी खो दी हो और हर सांस भारी लगने लगी हो। शराब की पुरानी, फटी बोतलों से निकलती गंध हवा में तैर रही थी, सुनील ने ठंडी सांस भरी, मानो अपने भीतर डर को दबाने की कोशिश कर रहा हो। 

सुनील ने हल्की कंपकंपी महसूस की और काका आहलूवालिया को घूरते हुए अपने क़दम आगे लेने की कोशिश की। 

काका उसके सामने लड़खड़ाता हुआ आगे बढ़ा, मानो नशे में हो। . उसके हाव-भाव किसी इंसान जैसे नहीं थे। उसकी चाल से हर क़दम के साथ एक गूंज उठती और तहखाने की दीवारें कांपने लगतीं। 

  

काका आहलूवालिया

अरे पुत्तर मोहन तू है, कितने साल हो गए तुझसे मिले हुए, चल, आ बैठकर पुरानी बाते करते है और मजे करते है। शराब है और क्या चाहिए? 

  

  

सुनील 

तुम्हें शर्म आनी चाहिए! काका आहलूवालिया, मैं तुम्हें तुम्हारे पापों की सज़ा देने आया हूँ। 

  

  

काका आहलूवालिया

पापों की सज़ा? पुत्तर वह तो मैं भुगत ही रहा हूँ। मेरी हालत देख और ख़ुद बता 

  

 

ये सुनकर सुनील का गुस्सा और भड़क गया। उसने तावीज़ को बाहर निकाला 

  

सुनील 

ये सब बाते करके अगर तुम्हे लगता है कि तुम मुझसे बच जाओगे। तो तुम्हे ग़लत फहमी है। मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूँ। मेरे पास एक ताकतवर तावीज़ है जिससे मैं तुम्हे नरक से भी बदतर जगह पर पहुँचा दूंगा। जहाँ पर तुम बस तड़पते रहोगे, पर तुम्हारी आत्मा को कभी शांति नहीं मिलेगी। 

  

 

जैसे ही सुनील ने तावीज़ को हवा में लहराया, काका के चारों ओर हल्की-हल्की लपटें बन गई ं। 

  

काका आहलूवालिया

अरे, पुत्तर क्यूँ पड़ा है चक्कर में, कोई नहीं है टक्कर में, क्या तुम सच में मुझे ख़त्म कर पाओगे? दिखाओ, अगर तुम्हारे पास इतनी हिम्मत है तो। 

  

 

काका आहलूवालिया ने ये कहकर अपना हाथ ऊपर उठाया और आंखे बंद कर ली, जैसे वह अब अपनी हार मान चुके थे। सुनील ने मंत्र पढ़ना शुरू किया। 

  

सुनील 

यह तावीज़ तुम्हारी आत्मा को पूरी तरह से ख़त्म कर देगा। अब कोई भी तुम्हें बचा नहीं सकता! 

  

 

जैसे ही सुनील ने मंत्र का उच्चारण शुरू किया, तावीज़ से एक तेज रोशनी निकली। काका आहलूवालिया ने अंधेरे में अपने दर्द को छिपाने की कोशिश की, तावीज़ की शक्ति ने उसे और भी कसकर घेर लिया। 

  

काका आहलूवालिया

शुक्रिया, मोहन। 

  

 

काका की बात को अनसुना कर, सुनील ने एक आखिरी मंत्र का उच्चारण किया और तावीज़ की चमक ने काका की काली आत्मा को पूरी तरह से जकड़ लिया। सुनील की आंखों में चमक थी॥ सुनील ने देखा कि काका आहलूवालिया की आत्मा अब धीरे-धीरे गायब हो रही है। 

  

सुनील 

तुम्हे पता है, तुम्हारी वज़ह से मैं अपने परिवार से दूर हो गया, मेरे छोटे बच्चे न जाने किस हालत में जीए होंगे और मेरी बीवी का क्या हुआ होगा। मैं फिर कभी उन्हे देख नहीं पाया। सिर्फ़ तुम्हारी शराब पीने की आदत की वज़ह से मेरा पूरा परिवार तबाह हो गया। 

  

  

काका आहलूवालिया 

पुत्तर मैं मानता हूँ, मैने बहुत गलतियाँ की है। मैंने उनको ठीक करने की कोशिश भी की। तुम्हारे मरने के बाद मैंने तुम्हारे परिवार को अपने घर का हिस्सा बना लिया था, मुझे पता था कि मैं उन्हे उनके पापा और पति तो वापिस लाकर नहीं दे सकता, . मुझसे जितना हो सका, मैने उतना किया। तुम्हारे बच्चो को अपने बच्चो के साथ बड़े स्कूल में भेजा और तुम्हारी बीवी को अपनी प्रोपर्टी में से शिमला में ही मकान दे दिया। बाद में तुम्हारा बेटा बड़ा होकर एक बड़ा पुलिस ऑफिसर बना और उसका परिवार अभी भी शिमला में रहता है। 

  

 

काका आहलूवालिया के मुंह से ये बाते सुनकर सुनील ने वह मंत्र पढ़ना बंद कर दिया और अचानक से तावीज़ की चमक रुक गई। अब उसका गुस्सा ठंडा हो गया था और उसकी आंखो में आंसू थे। 

  

सुनील 

सच्ची मेरा बेटा बड़ा पुलिस ऑफिसर बना? 

  

काका आहलूवालिया

हाँ, पुत्तर . मुझे माफ़ कर दो, मैंने जो तुम्हारे साथ किया। अब मुझे तुम ख़त्म कर दो, मैं भी यही चाहता हूँ मोहन, मैने तुम्हारे साथ, नूर के साथ और न जाने कितने मासूम लोगों के साथ बुरा किया था। मुझे अब जाकर आखिरकार मेरे पापो की सज़ा मिल रही है, मैं इससे ज़्यादा कुछ नहीं चाहता। अब जाकर आखिरकार मुझे मुक्ति मिल जाएगी। 

  

सुनील 

मैं ये बात कभी नहीं भूल सकता, तुमने मुझसे मेरी ज़िंदगी छीन ली। तुमने मेरे परिवार को संभाला और मेरे परिवार का ध्यान रखा। मैं तुम्हे माफ़ करता हूँ। चलो अब अलविदा। लगता है मैं सुकून से जा सकता हूँ 

  

तभी ऊपर सीढ़ियों पर से एक रोशनी आई और सुनील के अंदर से मोहन का भूत निकला और वह उस रोशनी की तरफ़ बढ़ गया। देखते ही देखते मोहन उस रोशनी में गायब हो गया और मोहन को मुक्ति मिल गई। सुनील वही बेहोश होकर गिर गया। जहाँ एक तरफ़ मोहन का भूत अब जा चुका था, लेकिन गाँव की पुरानी हवेली के नीचे बना तहखाना अभी भी अपने अंदर कई राज़ छुपाकर बैठा था, जो वक़्त के साथ धीरे-धीरे सबको पता चलने वाले थे। . फिलहाल के लिए हर तरफ़ अब फिर से ख़ुशी लौट आई थी। 

  

पूरे गाँव में मोहन के भूत के जाने के बाद त्यौहार जैसा माहौल था, गाँव में अब वह शराब न पीने की चेतावनी वाले पोस्टर भी हटा दिए गए थे, अब उसकी जगह ये पोस्टर लगा दिए गए थे की "शराब पीना मना है वरना यमराज उठाकर ले जाएगा"। लोगों को भूत से डर लगता हैं, शराब से नही। इसलिए जैसा की इंसानों की फ़ितरत है ये वाले पोस्टर से किसी को डर नहीं लगा बल्कि सब ने फिर शराब पीना शुरू कर दिया। गाँव में काके दी हवेली खोलने की बात दुबारा शुरू हो गई थी, सुनील को मोहन के भूत और उस सबके बारे में कुछ याद नहीं था। वहीं काका भी अब तहखाने से आज़ाद हो गया था। उसको अपने सारे किए पुराने पाप याद आ गए थे। जिसको कम करने के लिए वह फिर से शराब में डूब गया था। 

  

  

काका आहलूवालिया

मुझे लगता है, भगवान भी यही चाहता है कि मेरे पापो की सज़ा इतनी जल्दी ख़त्म न हो। ऐसे में ये शराब की बोतल ही है, जो मेरी ज़िन्दगी आसान कर सकती है। 

  

 

ये बोलकर काका आहलूवालिया ने शराब की बोतल मुंह से लगा ली। 

 

  

एक समय पर साधुपुल गाँव एक शांत और खूबसूरत जगह थी, वही इसके बीचोबीच एक पुराना तालाब था जिसे एक समय पर लोग "खूनी तालाब" के नाम से जानते थे। ये तालाब सिर्फ़ गाँव के लिए पानी का सोर्स  नहीं था; इसके साथ कई भयानक कहानियाँ जुड़ी हुई थीं। कहते हैं कि यहाँ कई साल पहले एक महान रानी ने अपने दुश्मनों का नरसंहार किया था। उनकी लाशें इस तालाब में फेंक दी थीं, जिसके बाद से इसका पानी लाल हो गया और रात के अंधेरे में डरावनी आवाजें सुनाई देने लगीं थी। . समय के साथ वह सब चीजें धीरे-धीरे शांत हो गई और आज़ादी के बाद ऐसी घटनाए होना काफ़ी हद तक बंद हो गई। 70 साल बाद फिर से ये तालाब भूतिया बन गया था। जब से काका आहलूवालिया की आत्मा ने इस गाँव में दुबारा क़दम रखा था, उनके पीछे-पीछे पहले नूर की आत्मा जो पेड़ पर टंगे तावीज़ से आज़ाद हुई और इसके बाद अब सुनील के अंदर मोहन का भूत, तीनो भूत अलग-अलग थे . तीनो के बीच एक ही कॉमन कड़ी थी ये तालाब। 

ये तालाब जो कई सालो से खून का प्यासा था, अब दुबारा जाग गया है। इस बार इसे फिर से बहुत सारा खून चाहिए था। तालाब के आसपास की जगह, जो कपल्स के बैठने की फेवरेट जगह थी, अभी भी कपल्स से भरी हुई थी। ऐसे में शाम के समय, तालाब के किनारे एक कपल बैठा था, उनकी आंखों में प्यार और सपने तैर रहे थे। लड़का, रोहित, अपनी गर्लफ्रेंड प्रिया को देख रहा था। उसकी आंखों में प्यार था और प्रिया की मुस्कान में एक दुनिया बसी हुई थी। 

  

रोहित 

प्रिया, पता है, जब से तुम्हें देखा है, मेरी दुनिया बदल गई है। तुम्हारी मुस्कान मेरी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा है। 

  

प्रिया 

और तुम्हारी ये बातें मुझे ऐसा महसूस कराती हैं जैसे मैं किसी परियों की कहानी का हिस्सा हूँ। 

  

 

रोहित ने अपनी जेब से एक खूबसूरत लाल गुलाब निकाला और उसे प्रिया की ओर बढ़ाया 

  

रोहित 

ये तुम्हारे लिए, तुम्हारे साथ में गुलाब उठता 

  

 

प्रिया ने गुलाब लेते हुए हल्की-सी मुस्कान दी। . जैसे ही उसने गुलाब को पकड़ा, एक कांटा उसकी उंगली में चुभ गया। 

  

प्रिया 

अरे! ओ  

 

रोहित 

मेरे बाबू को क्या हुआ 

 

प्रिया ने अनजाने में अपना हाथ झटका और खून की और बूंदें पानी में गिर पड़ीं। 

पानी में गिरते ही खून की इन बूंदों ने जैसे तालाब को जगा दिया। उसकी सतह पर हलचल शुरू हो गई। तालाब का पानी धीरे-धीरे लाल होने लगा, जैसे खून तालाब के हर कोने में फैल गया हो। 

  

रोहित 

क्या हुआ बाबू? खून निकल गया? दिखाओ 

  

वो प्रिया का हाथ पकड़कर उसके घाव को अपनी हथेली से दबाने लगा। . तभी, तालाब से एक ठंडी, सिहरन भरी हवा निकली। हवा अचानक तेज हो गई और चारों तरफ़ ठंडक-सी छा गई। 

  

प्रिया 

रोहित, ये आवाज़... ये सब मुझे डरावना लग रहा है। यहाँ से चलो। 

  

  

रोहित 

अरे, डरो मत, प्रिया। शायद ये तुम्हारा वहम है। वैसे भी, तुम मेरे साथ हो। मैं हूँ न तुम्हारे लिए? 

  

तभी, तालाब के किनारे काले धुएँ जैसे साए बनने लगे। वह साए धीरे-धीरे तालाब के पानी से बाहर निकल रहे थे। हर साया तालाब के पानी से जुड़ा हुआ था, जैसे वह उस खून से पैदा हुए हों। 

  

प्रिया 

रोहित... ये क्या हो रहा है? ये... ये क्या चीज़ें हैं 

  

रोहित 

कुछ नहीं होगा, आ गले लग जा। 

  

जैसे ही दोनों ने झप्पी डाली, हवा में सिसकियों और चीखों की आवाजें गूंजने लगीं। ऐसा लग रहा था, जैसे वह साए उन्हें अपने साथ खींचना चाहते हों। 

प्रिया ने रोहित का हाथ ज़ोर से पकड़ लिया। 

  

प्रिया   

रोहित, ये भूत हैं! बचाओ! 

  

रोहित  

मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। बस मेरे पीछे रहो 

  

 

तालाब का पानी अब पूरी तरह से लाल हो चुका था . जैसे ही वह वहाँ से भागने लगे, एक साया उनकी राह रोककर उनके सामने खड़ा हो गया। उसकी आंखों में खून जैसा लाल रंग था। वह साया धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ रहा था। ये देखकर वह दोनों ज़ोर से चीखे। अपने आपको बचाने की कोशिश करते रहे पर अब देर हो चुकी थी, खूनी तलाब फिर से ज़िंदा हो चुका था और अब उसे और खून चाहिए था 

  

आखिर क्या है इस तालाब का रहस्य, इस तालाब में गाँव के कौन-कौन से राज़ छुपे थे? काका के भूत और इस तालाब के बीच आख़िर क्या कनेक्शन था? 

ये जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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